Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
05-16-2020, 01:16 PM,
#16
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
वहाँ एक बार फिर शांति छा गयी ।
गहरी शान्ति ।
छः गार्ड मर चुके थे, लेकिन चार अभी भी जिंदा थे ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने अपनी रिवॉल्वर का चैम्बर खोलकर देखा ।
वह पूरी तरह खाली हो चुका था ।
तुरंत कमाण्डर को एक चाल सूझी ।
ऐसी चाल, जिसमें एक ही झटके में उन चारों को खत्म किया जा सकता था ।
उसने अपने हैवरसेक बैग के अंदर से बड़ी सावधानी के साथ थर्टी सिक्स एच ई हैंडग्रेनेड बम निकाल लिया । फिर एक हाथ में उसने हैंड ग्रेनेड बम पकड़ा और दूसरे हाथ में खाली रिवॉल्वर । उसके बाद वो बहुत धीरे-धीरे झाड़ी में आगे की तरफ खिसका ।
शीघ्र ही वो झाड़ी के मुहाने तक पहुँच गया था ।
फिर उसने अपना रिवॉल्वर वाला हाथ कुछ इस तरह झाड़ी से बाहर निकाला, जो वह सबको नजर आ जाये और उसके बाद उसने जल्दी-जल्दी रिवॉल्वर का ट्रेगर दबाया ।
हल्की पिट्-पिट् की आवाज चारों तरफ गूँजी ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने हाथ तुरंत वापस खींच लिया ।
“लगता है, उसके रिवॉल्वर में गोलियां खत्म हो गयी हैं ।” फौरन एक गार्ड की आवाज कमाण्डर करण सक्सेना के कानों में पड़ी ।
“इससे पहले कि वह अपनी रिवॉल्वर को दोबारा लोड करे, हमें उसे दबोच लेना चाहिये ।” वह दूसरे गार्ड की आवाज थी ।
“जल्दी करो ।”
वह चारों अपने-अपने हाथों में राइफल संभाले झाड़ियों में से बाहर निकल आये । जैसे ही वह चारों एक खास प्वाइंट पर पहुंचे, कमाण्डर करण सक्सेना ने फौरन हैंडग्रेनेड बम की पिन को अपने दांतों से पकड़कर खींचा और फिर बम उन चारों की तरफ उछाल दिया ।
गगनभेदी विस्फोट हुआ ।
तत्काल उन चारों की धज्जियां बिखर गयी ।
अब वहाँ हर तरफ लाशें ही लाशें बिखरी पड़ी थीं ।
“लगता है, इन लोगों से कदम-कदम पर जबरदस्त मुठभेड़ होने वाली है ।”
कमाण्डर वहीं उन लाशों के बीच खड़ा होकर अपनी रिवॉल्वर को दोबारा से लोड करने लगा ।
☐☐☐
जंगल में पहले गोलियां चलने और फिर बम फटने की वह आवाजें हूपर तथा उसके साथियों ने भी सुनीं ।
“ऐसा लगता है ।” हूपर ठिठककर बोला- “हमारे गार्डों और दुश्मन के बीच मुठभेड़ हो रही है ।”
“जरूर यही बात है ।”
“लेकिन जिस तरह से मुठभेड़ हो रही है ।” एक अन्य गार्ड बोला- “उससे तो लगता है कि दुश्मन बेहद खतरनाक है ।”
“जो आदमी हम बारह यौद्धाओं के खिलाफ इस जंगल में घुसने की हिम्मत दिखा सकता है ।” हूपर बोला- “वह खतरनाक ही होगा । हमें फौरन मुठभेड़ वाले स्थान पर पहुँचना चाहिये ।”
हूपर तथा उसके साथी गार्ड लम्बे-लम्बे डग भरते हुए जंगल में आगे की तरफ बढ़े ।
यूँ तो किसी का भी मुकाबला करने के लिए अकेला हूपर जैसा यौद्धा ही काफी था, लेकिन इस वक्त उसके साथ जो पन्द्रह बीस योद्धा और थे, वह उसे और भी ज्यादा शक्तिशाली बना रहे थे ।
थोड़ी दूर जाते ही वह सब फिर ठिठके ।
“ऐसा मालूम होता है ।” एक गार्ड फुसफुसाकर बोला- “सामने की तरफ से कोई आ रहा है ।”
सबने ध्यान से आवाजें सुनीं ।
सचमुच सूखे पत्ते चरमराने की आवाज उन सभी को सुनायी पड़ी । वह पत्ते, जो किसी के जूतों के नीचे आकर चरमरा रहे थे ।
“लगता है, वह दुश्मन ही है, जो इस तरफ आ रहा है ।” हूपर जल्दी बोला- “सब फौरन इधर-उधर छिप जाओ ।”
हूपर के आदेश की देर थी, फ़ौरन वह सब झाड़ियों में छिप गये ।
हूपर भी सामने वाली झाड़ियों में ही जा छिपा ।
“अगर वह सचमुच हमारा दुश्मन है हूपर साहब ।” एक गार्ड भयभीत होकर बोला- “तब तो उसने जरूर हमारे सभी दस गार्डो को मार डाला है । क्योंकि उनकी हत्या किये बिना वो जंगल में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकता था ।”
“सच बात तो ये है ।” हूपर शुष्क स्वर में बोला- “यही डर मुझे सता रहा है ।”
कदमों की पद्चाप अब काफी करीब आ चुकी थी ।
गोलियां चलने या बम फटने की आवाजें अब उन्हें नहीं सुनाई दे रही थीं ।
थोड़ी देर बाद ही रहस्य की धुंध छंटी और पेड़ों के झुरमुट में से निकलकर एक आदमी बाहर आया । उसने काला लम्बा ओवरकोट और काला गोल क्लेन्सी हैट पहना हुआ था । हाथ में एक रिवॉल्वर थी और उसके चलने का अंदाज ऐसा था, जैसे वह किसी भी क्षण गोली चलाने के लिए तत्पर है ।
“यह तो अकेला ही है ।” झाड़ियों में छिपा बैठा गार्ड चौंका ।
“इसी बात की संभावना ज्यादा थी कि वह अकेला है ।” हूपर भी फुसफुसाया- “रेडियो बोर्ड पर भी इसका जो ट्रांसमीटर मैसेज सुना गया था, उससे भी यही जाहिर हो रहा था कि यह अकेला ही जंगल में घुस आया है ।”
“अब हम लोग क्या करें ?”
“अब तुमने नहीं बल्कि मैंने कुछ करना है ।” हूपर बोला ।
फिर पलक झपकते ही एक छः इंच लम्बे चमकते फल वाला चाकू हूपर के हाथ में आ गया और उसने उसे जोर से कमाण्डर करण सक्सेना की तरफ खींचकर मारा ।
निशाना अचूक था । चाकू खचाक की आवाज करता हुआ सीधा कमाण्डर के रिवॉल्वर वाले हाथ पर जाकर लगा । कमाण्डर की चीख निकल गयी । रिवॉल्वर छूटकर उसके हाथ से नीचे गिर पड़ी ।
उसी क्षण भारी-भरकर शरीर वाला हूपर जंगली सूअर की तरह जम्प लेकर कमाण्डर करण सक्सेना के सामने जा खड़ा हुआ, तब उसकी आस्तीनों में से निकलकर सांय-सांय करते हुए दो चाकू और हाथ में आ चुके थे ।
फौरन ही झाड़ियों में छिपे तमाम गार्ड बाहर निकल आये ।
बाहर आते ही उन्होंने कमाण्डर को चारों तरफ से घेर लिया और उसकी तरफ अपनी-अपनी राइफलें तान दीं ।
“क... कौन हो तुम?” कमाण्डर की निगाह हूपर के चेहरे पर जाकर जम गयी ।
वह उस चाकूबाज को देखते ही पहचान चुका था ।
आखिर उस मिशन पर रवाना होने से पहले उन सभी बारह योद्धाओं की फाइलें उसने कण्ठस्थ की थीं और उनकी तस्वीरों को कई-कई मर्तबा देखा था ।
“मेरा नाम हूपर है ।” हूपर अपने हाथ में इधर-से-उधर चाकू घुमाता हुआ बोला- “दुनिया का सबसे खतरनाक चाकूबाज हूपर, मैं सपोर्ट ग्रुप का पहला यौद्धा हूँ ।”
वह शब्द कहते ही हूपर ने धड़ाधड़ वह दोनों चाकू कमाण्डर करण सक्सेना की तरफ खींचकर मारे ।
दोनों चाकू सांय-सांय करते हुए उसके सिर के इधर-उधर से गुजर गये और खच्च की आवाज करते हुए सामने पेड़ में जा धंसे ।
इस बीच आस्तीन में से ही निकलकर बड़े करिश्माई ढंग से दो और चाकू हूपर के हाथ में आ चुके थे ।
“मैंने अपना परिचय तो तुम्हें दे दिया बेटे ।” फिर हूपर बोला- “अब तुम भी अपने बारे में बता दो कि तुम कौन हो और बर्मा के इस खौफनाक जंगल में क्या करने आये हो ।”
कमाण्डर करण सक्सेना, हूपर के उस चाकू प्रदर्शन से जरा भी विचलित नहीं हुआ था ।
“मेरा नाम शायद तुम लोगों ने जरूर सुना होगा । मुझे कमाण्डर करण सक्सेना कहते हैं ।”
“क... कमाण्डर करण सक्सेना ।” वहाँ मौजूद गार्डों के दिमाग में धमाका हो गया- “अंतर्राष्ट्रीय जासूस कमाण्डर करण सक्सेना ।”
“हाँ , वही ।”
सब हैरानी से एक दूसरे की शक्ल देखने लगे ।
उन्होंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि उन खौफनाक जंगलो में उनका कमाण्डर करण सक्सेना जैसे जासूस से भी सामना हो सकता है ।
“तुम यहाँ किसलिए आये हो ?”
“मैं बर्मा के इन जंगलों को तुम सभी बारह योद्धाओं के खौफ से आजादी दिलाने आया हूँ ।”
“साले, हमें मारने आया है ।” हूपर फुफंकार उठा- “हम बारह योद्धाओं को मारने आया है ।”
हूपर ने धड़ाधड़ दोनों चाकू कमाण्डर करण सक्सेना के ऊपर खींचकर मारे । कमाण्डर उसका एक्शन भांप गया, वह तुरन्त नीचे गिरा । चाकू सनसनाते हुए उसके ऊपर से गुजरे ।
नीचे गिरते ही कमाण्डर ने अपने हैवरसेक बैग में से थर्टी सिक्स एच ई हैण्डग्रेड बम निकाल लिया था और उसने दांतों से पकड़कर हैण्डग्रेनेड की पिन खींची और बम सामने की तरफ उछाल दिया ।
धड़ाम !
हैण्डग्रेनेड फटने का भीषण धमाका हुआ । कई गार्ड मर्मस्पर्शी ढंग से चिल्लाते हुए नीचे गिरे । जबकि बाकी अपनी-अपनी राइफल से धुआंधार गोलियां चलाने लगे ।
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RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार - by hotaks - 05-16-2020, 01:16 PM

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