Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
05-16-2020, 01:23 PM,
#34
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर करण सक्सेना भी चौंकन्ना हो उठा था ।
वो भांप गया था, अब ज्यादा देर तक वो उस कैमोफ्लाज किट के नीचे छुपा रहने वाला नहीं है ।
उसने अपनी ए0के0 सैंतालीस असाल्ट राइफल को गोलियों से पूरी तरह लोड किया । उस खतरनाक माहौल में सिर्फ कोल्ट रिवॉल्वर से काम चलने वाला नहीं था ।
वहाँ तो कदम कदम पर बस्ट फायर की जरूरत थी । उसके बाद उसने अपने बैग में से पांच-छः हैंडग्रेनेड बम भी निकाल लिये ।
फिर वो तुरंत हरकत में आ गया ।
इससे पहले कि वह हथियारबंद गार्ड उसे तलाश करने के लिए उस जगह से इधर-उधर होते, कमाण्डर ने वहीं कैमोफ्लाज किट के नीचे लेटे-लेटे एक थर्टी सिक्स एच ई हैंड ग्रेनेड बम की पिन अपने दांतों से पकड़कर खींची और फिर झटके के साथ बम गार्डों की तरफ उछाल दिया ।
धड़ाम !
बम इतने प्रचण्ड रूप में फटा कि कमाण्डर को ऐसा लगा, मानों धरती तक कांप उठी हो ।
गार्डों की चीख गूंज गयी ।
उनकी लाशों के चीथड़े उड़ते नजर आये ।
फौरन ही कमाण्डर ने दो हैंडग्रेनेड और उनकी तरफ उछाले ।
पहले से भी ज्यादा प्रचण्ड धमाके हुए ।
अधिकतर गार्ड जहाँ थे, वही लाशों के ढेर में बदल गये, वहीं कुछ बुरी तरह जख्मी हालत में इधर-उधर भागे ।
“वो रहा कमाण्डर करण सक्सेना !” तभी खून में लथपथ एक गार्ड कैमोफ्लाज किट की तरफ उंगली उठाकर चिल्लाया- “वो रहा ।”
गार्ड के चिल्लाने की देर थी, फौरन भागते हुए गार्ड रूक गये ।
तुरंत ही उनकी असाल्ट राइफलों और लाइट मशीनगनों के मुंह उसकी तरफ घूम गये तथा फिर उन्होंने बस्ट फायर खोल दिये ।
धड़-धड़-धड़ करके कुछ इस तरह गोलियां चलीं, जैसे जंगल का वह हिस्सा युद्ध भूमि में बदल गया हो । लेकिन वह सारी गोलियां कमाण्डर करण सक्सेना की कमोफ्लाज किट से आकर टकरायीं और बेकार हो गयीं ।
गार्डों के हरकत में आते ही कमाण्डर ने भी अपनी असाल्ट राइफल का बस्ट फायर खोल दिया था ।
कमाण्डर का बस्ट फायर खोलना गार्डों को काफी महंगा पड़ा । वह हृदय विदारक ढंग से चीखते हुए लाशों में बदलते चले गये ।
तभी टन्न की आवाज करती हुई कोई चीज कमाण्डर की कैमोफ्लाज किट से आकर टकराई और तुरंत उसकी कैमोफ्लाज किट उछलकर एक तरफ जा गिरी ।
कमाण्डर फौरन बिजली जैसी तेजी के साथ घूम गया और पलटा ।
उसके पीछे ली मारकोस खड़ा था ।
समुराई फाइटर !
उसकी समुराई अब अपनी लकड़ी की म्यान से निकलकर बाहर आ चुकी थी और उसकी मूठ में बंधा लाल रिबन बड़े ही खतरनाक अंदाज में लहरा था । अंधेरे में भी समुराई की दोनों तरफ की धार ऐसे चमक रही थी, जैसे हीरे चमक रहे हों ।
ली मारकोस की आँखों में खून था ।
खून ही खून !
“बर्मा के इन जंगलों में आकर तू बहुत लाशें बिछा चुका है कमाण्डर करण सक्सेना !” ली मारकोस फुंफकारा- “अब तेरी अंतिम क्रिया का समय है, ले मर !”
सर्रांटे के साथ समुराई चली ।
ऐसा लगा, जैसे जम्बोजेट विमान ने गर्जना की हो ।
कमाण्डर करण सक्सेना सिर्फ एक क्षण के लिए टाइगर क्लान के एक्शन में आया था, परन्तु अगले ही पल वो अपने स्थान से जम्प लेकर उछल पड़ा ।
फौरन उन झाड़ियों को समुराई बड़ी सफाई के साथ काटती चली गयी, जहाँ कमाण्डर सिर्फ चंद सेकण्ड पहले मौजूद था ।
जम्प लेते ही कमाण्डर अपने पैरों पर खड़ा हो गया ।
अब वह दोनों योद्धा आमने-सामने थे ।
रोद्र रूप में ।
ली मारकोस के हाथ में जहाँ उस समय अपनी समुराई थी, वहीं कमाण्डर करण सक्सेना निहत्था था ।
असॉल्ट राइफल भी उसकी वहीं कैमोफ्लाज किट के पास छूट गयी थी ।
तभी ली मारकोस ने अपनी समुराई को सर्राटे के साथ हवा में इतनी तेजी से घुमाया कि वो सर्र-सर्र करती हुई पंखुड़ियों की मानिन्द घूमती चली गयी ।
सचमुच उसे समुराई चलाने में महारथ हासिल थी ।
फिर समुराई दोबारा कमाण्डर करण सक्सेना की तरफ झपटी ।
कमाण्डर करण सक्सेना पुनः उछल पड़ा ।
इस बार समुराई पेड़ के एक मोटे तने को काटती चली गयी थी । वह भारी भरकम पेड़ गड़-गड़ करता हुआ धड़ाम से नीचे गिरा ।
“आज की रात तुम बचोगे नहीं कमाण्डर ।” ली मारकोस भभके स्वर में बोला-“भारत सरकार को हमेशा इस बात का अफसोस रहेगा कि उसने तुम्हें इस मिशन पर भेजा, तो क्या भेजा ?”
“यह वक्त बतायेगा ।” कमाण्डर उन जटिल परिस्थितियों में भी मुस्कराया- “कि अफसोस किसे होता है ?”
तुरंत समुराई प्रहार करने के लिए पुनः झटके के साथ आसमान की तरफ उठी ।
मगर इस बार चूका नहीं कमाण्डर करण सक्सेना भी ।
वो उस वक्त कैमोफ्लाज किट के नजदीक ही खड़ा था । उसने फौरन झपटकर अपनी ए.के. सैंतालिस असालट राइफल उठा ली ।
राइफल उठाते ही उसने नाल ली मारकोस की तरफ घुमाई और फिर उसका बस्ट फायर खोल दिया । धड़-धड़-धड़ करके गोलियां चलती चली गयीं ।
ली मारकोस प्रहार करना भूल गया ।
उसने गोलियों से बचने के लिए खतरनाक एक्शन दिखाया ।
सांस रोक देने वाला एक्शन !
उसने खड़े-खड़े इतनी ऊंची जम्प लगायी कि वह कमाण्डर करण सक्सेना के सिर से भी ऊपर उछल पड़ा ।
समुराई फाइटर बेहद फुर्तीले शरीर के मालिक होते हैं, इसीलिए दौड़ने में या जम्प लेने में उनका कोई सानी नहीं होता ।
फिर वह तो ग्रेंड मास्टर था ।
हवा में उछलते ही ली मारकोस की समुराई भी चली ।
आश्चर्य !
घोर आश्चर्य !
समुराई उसकी राइफल की नाल को बड़ी सफाई के साथ काटती चली गयी । चूंकि राइफल में से बस्ट फायर चल रहे थे, इसीलिए गोलियां वहीं कमाण्डर करण सक्सेना के नजदीक फट पड़ी ।
राइफल खुद ब खुद कमाण्डर के हाथ से उछलकर दूर जा गिरी ।
हंसा ली मारकोस, बुलंद अंदाज में कहकहा लगाकर हंसा ।
“किसी समुराई फाइटर पर गोलियां चलाना इतना आसान नहीं होता कमाण्डर, फिर ली मारकोस तो मौत का फरिश्ता है, जिससे मौत भी पनाह मांगती है ।”
ली मारकोस एक बार फिर कमाण्डर करण सक्सेना के सामने खड़ा था ।
कमाण्डर करण सक्सेना दूसरी राइफल उठाने के लिए पीछे की तरफ भागा ।
उसी क्षण ली मारकोस ने समुराई का एक और जानलेवा एक्शन पेश कर दिया ।
उसने अपनी समुराई हवा में उछाली ।
समुराई उछालते ही वह नीचे गिरा और नीचे गिरते ही उसने दोनों टांगें घुमाकर इतनी जबरदस्त ‘राउण्ड किक’ लगायी कि वह ‘राउण्ड किक’ सीधे भगाते हुए कमाण्डर की टांगों में जाकर उलझ गयी ।
कमाण्डर चीखता हुआ नीचे गिरा ।
उसी क्षण हवा में उछाली गयी समुराई दोबारा से ली मारकोस के हाथ में आ गयी थी ।
“अब तेरा खेल खत्म !”
समुराई सर्र-सर्र करती हुई पुनः विद्युत-गति से हवा में घूमी तथा फिर कमाण्डर करण सक्सेना की तरफ झपटी ।
कमाण्डर ने फिर कलाबाजी खाई ।
कलाबाजी खाते ही इस बार कमाण्डर के दिमाग की मांस-पेशियों ने हरकत दिखा दी थी । फौरन क्लेंसी हैट की ग्लिप में फंसी रिवॉल्वर निकालकर उसके हाथ में आ गयी ।
हाथ में आते ही रिवॉल्वर फिरकनी की तरह घूमी और धांय से गोली चली ।
भैंसे की तरह डकरा उठा ली मारकोस !
गोली सीधे उसके माथे में जाकर लगी थी ।
माथे से खून का फव्वारा छूट पड़ा ।
कमाण्डर ने तुरन्त उसके हाथ से समुराई छीन ली । फिर बड़े दक्ष समुराई फाइटर जैसे अंदाज में ही सर्र-सर्र करती हुई समुराई आकाश की तरफ उठी और फिर सीधे ली मारकोस के दिल में इस तरह उतरती चली गयी, जैसे मक्खन की टिकिया में कोई छुरी पेवस्त होती चली जाती है ।
ली मारकोस वहीं ढेर हो गया ।
कमाण्डर ने जोर से जूते की एक ठोकर उसके मुंह पर जड़ी ।
“ली मारकोस !” कमाण्डर करण सक्सेना फुंफकारा था- “यह जरूरी नहीं कि समुराई फाइटिंग का हर मुकाबला उसका ‘ग्रेंड मास्टर’ ही जीते । कभी-कभी मुकाबला वो भी जीतते हैं, जिन्होंने समुराई अपने हाथ में लेकर देखी भी नहीं होती ।”
उसने ली मारकोस के मुंह पर थूक दिया ।
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RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार - by hotaks - 05-16-2020, 01:23 PM

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