Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
05-16-2020, 02:22 PM,
#56
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
‘सपोर्ट ग्रुप’ के सभी छः यौद्धाओं के मारे जाने की खबर जैसे ही हैडक्वार्टर पहुंची, वहाँ हड़कम्प मच गया ।
जैक क्रेमर, हवाम, मास्टर, अब निदाल, माइक और रोनी- तुरंत उन बाकी बचे हुए छः योद्धाओं की एक एमरजेंसी मीटिंग हुई ।
“यह मास्कमैन का वो आखिरी संदेश है ।” जैक क्रेमर एक कागज को उन योद्धाओं के सामने लहराते हुए कहा रहा था- “जिसे उसने मरने से पहले फैक्स मशीन पर हमारे लिए भेजा है । हमारे ‘सपोर्ट ग्रुप’ के सभी छः यौद्धा मारे जा चुके हैं, अब सिर्फ हम बचे हैं और इससे भी बड़े अफसोस की बात यह है कि हमारी ज्यादातर फौजों को भी कमाण्डर करण सक्सेना ने ठिकाने लगा दिया है ।”
“वाकई उस एक आदमी का आतंक हर पल बढ़ता जा रहा है ।” अबू निदाल बोला- “उसने जहाँ जंगल में इतनी तबाही बरपा करके रख दी है, वहीं हम अभी तक उसका कुछ नहीं बिगाड़ सके ।”
“सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो ये है सर !” मास्टर बोला- “कि बर्मा के इन खौफनाक जंगलों में आने के दो दिन के अंदर ही जहाँ किसी आदमी के होश ठिकाने लग जाते हैं, वहीं कमाण्डर करण सक्सेना को अभी तक कुछ नहीं हुआ है । जंगल उसे पूरी तरह रास आ चुका है ।”
“फिलहाल हमें यह सोचना चाहिये ।” माइक ने कहा- “कि कमाण्डर करण सक्सेना को मार डालने के लिए अब हमारा अगला कदम क्या हो ?”
“यही तो समझ नहीं आ रहा ।” जैक क्रेमर बोला ।
“सचमुच बड़ा मुश्किल सवाल है ।” हवाम ने भी कबूल किया- “क्योंकि कमाण्डर करण सक्सेना को मारने के लिए जितने भी प्रयास हो सकते थे, वो हम पहले ही करके देख चुके हैं ।”
कई घण्टे तक उन योद्धाओं के बीच वो मीटिंग चलती रही ।
वो सोच विचार करते रहे ।
मगर फिर भी कमाण्डर को मार डालने के किसी आखिरी फैसले पर नहीं पहुँच सके ।
तभी उन्हें बाहर हैडक्वार्टर में तेज शोर-शराबे की आवाज सुनायी दी ।
वह ऐसी आवाज थी, जैसे भगदड़ मच रही हो ।
जैसे लोग चिल्ला रहे हों ।
“यह कैसी आवाज हैं ?” योद्धा चौंका ।
“लगता है, हैडक्वार्टर में कुछ गड़बड़ हो गयी है ।”?
“मैं जाकर देखता हूँ ।” रोनी झटके के साथ कुर्सी छोड़कर खड़ा हुआ ।
उसी क्षण भड़ाक की तेज आवाज के साथ कमरे का दरवाजा खुला और दो गार्ड दनदनाते हुए अंदर घुसे चले आये ।
उन दोनों के चेहरे पीले जर्द थे ।
पूरा शरीर पसीनों में लथपथ ।
“क्या हुआ ?” जैक क्रेमर ने आश्चर्यपूर्वक पूछा ।
“बहुत भयानक गड़बड़ हो गयी है सर ! कमाण्डर करण सक्सेना ने हमारी सारी सुरंग तबाह कर डाली है ।”
“क्या कह रहे हो ?”
तमाम यौद्धा झटके के साथ इस तरह अपनी-अपनी कुर्सियां छोड़कर खड़े हुए, जैसे वह जलते हुए गरम तवे में परिवर्तित हो गयी हों ।
“इतना ही नहीं सर !” दूसरे गार्ड ने और भी ज्यादा भीषण विस्फोट किया- “कमाण्डर करण सक्सेना सुरंग के रास्ते से ही अब हमारे हैडक्वार्टर में भी घुस आया है । लेकिन हमें फिलहाल यह मालूम नहीं है कि वो यहाँ किस जगह मौजूद है ।”
“कमाण्डर करण सक्सेना हैडक्वार्टर में है ?”
“यस सर !”
तमाम यौद्धाओं के बीच दहशत फैल गयी ।
जैक क्रेमर शीघ्रतापूर्वक मेज के पीछे से निकलकर बाहर आ गया ।
“अगर कमाण्डर करण सक्सेना इस समय हैडक्वार्टर में है, तो यह हमारे लिए एक गोल्डन चांस है ।” वह जल्दी से बोला- “हम उसें यहीं खत्म कर सकते हैं । उसे जल्दी ढूंढो-जल्दी ।”
“सचमुच वो यहाँ से बचकर नहीं निकलना चाहिये ।” अबू निदाल भी चिल्लाया- “अगर वो यहाँ से बचकर भाग गया, तो यह हमारी एक बड़ी हार होगी ।
तमाम यौद्धा कमरे से निकलकर तेजी से बाहर की तरफ दौड़े ।
हैडक्वार्टर में हड़कम्प मचा हुआ था ।
हर कोई कमाण्डर को खोज रहा था ।
☐☐☐
और वह कमाण्डर करण सक्सेना, जिसके नाम ने पूरे हैडक्वार्टर में भूकम्प मचा दिया था, जिसकी वजह से तमाम योद्धाओं और गार्डो का सुख चैन तक उजड़ चुका था ।
वो बड़ी ही खामोशी के साथ चोरी-छिपे वहाँ पहुँचा था । उसने अपना हैवरसेक बैग खोलकर देखा, उसमें से बमों को जखीरा लगभग पूरी तरह समाप्त हो चुका था ।
कमाण्डर ने वहीं बने ऐमीनेशन रूम में से कुछ हैंडग्रेनेड बम, कुछ टाइम बम और कुछ डायनामाइट की छड़े उठाकर अपने हैवरसेक बैग में भर लीं ।
अब वो दोबारा हमले के लिए तैयार था ।
फिर उसने बड़ी ही खामोशी के साथ ऐमीनेशन रूम का दरवाजा खोला और उसमें से थोड़ी झिरी पैदा करके बाहर गलियारे में झांका ।
वहाँ उस वक्त खामोशी थी ।
सन्नाटा ।
कमाण्डर अपनी कोल्ट रिवॉल्वर हाथ में कसकर पकड़े बाहर गलियारे में आ गया ।
लाइट मशीनगन उसके कंधे पर टंगी हुई थी ।
हैवरसेक बैग पीठ पर था ।
वह पूरी तरह एक खूंखार यौद्धा नजर आ रहा था ।
कमाण्डर उस वक्त हैडक्वार्टर के पहले माले पर था । उस हैडक्वार्टर के दो ही फ्लोर बने हुए थे ।
ग्राउण्ड फ्लोर !
फर्स्ट फ्लोर !
कमाण्डर करण सक्सेना रेलिंग के नजदीक पहुँचा, वहाँ चारों तरफ हड़कम्प मचा था और तमाम हथियार बंद गार्ड उसी को खोजते हुए इधर-से-उधर भागे-भागे फिर रहे थे । अभी तक उनमें से किसी को यह ख्याल भी नहीं आया था कि कमाण्डर करण सक्सेना हैडक्वार्टर के पहले माले पर भी हो सकता है ।
किसी को उसकी वहाँ उपस्थिति का आभास मिलता, उससे पहले ही कमाण्डर ने कुछ कर गुजरना था ।
वह गलियारे में दूर-दूर तक बम फैला चुका था ।
तभी उसने जोर-जोर से कुछ कदमों की आवाज़ सुनी ।
कुछ गार्ड सीढ़ियों पर दौड़ते हुए ऊपर आ रहे थे ।
कमाण्डर ने कोल्ट रिवॉल्वर वापस अपने ओवरकोट की जेब में रख ली और लाइट मशीनगन कंधे से उतरकर उसके हाथ में आ गयी ।
वो वहीं सीढ़ियों के पास छिपकर बैठ गया ।
उन गार्डों की संख्या कोई सात-आठ थी, जो ऊपर भागे चले आ रहे थे ।
सबके हाथ में राइफलें थीं ।
जैसे ही वह सब ऊपर आये, कमाण्डर करण सक्सेना एकदम जम्प लेकर उन सबके सामने जा खड़ा हुआ ।
लाइट मशीनगन उन सबकी तरफ तन गयी ।
“क... कमाण्डर करण सक्सेना !” कइयों के मुँह से एक साथ तीव्र सिसकारी छूटी ।
दहशत से उन सबके शरीर कंपकंपाये ।
“खबरदार !” कमाण्डर गरजा- “खबरदार, अपनी-अपनी राइफल नीचे फैंक दो-वरना अभी तुम सबकी खोपड़ी में झरोखे बन जायेंगे ।
सबने एक-दूसरे की तरफ देखा ।
फिर राइफलें उनके हाथ से फिसलकर नीचे जा गिरीं ।
उसी क्षण कमाण्डर ने अपनी लाइट मशीनगन का मुंह खोल दिया और बस्ट फायर कर डाले ।
रेट-रेट-रेट !
गार्डों की लाशें बिछती चली गयीं ।
तभी जोर-जोर से टाइम-बम भी फटने लगे ।
“कमाण्डर ऊपर है ।” उसी क्षण कमाण्डर के कानों में किसी योद्धा की आवाज पड़ी- “ऊपर, जल्दी से अब ऊपर की तरफ दौड़ो ।”
कमाण्डर ने अब अपने बैग में से डायनामाइट की कुछ छड़ें निकाली और उनके फलीते में आग लगाकर छड़ों को सीढ़ियों की तरफ उछाल दिया ।
उसके बाद वो खुद सरपट भागता हुआ वहीं बने एक टॉयलेट में जा छिपा ।
तभी उसे डायनामाइट फटने की प्रचण्ड आवाज सुनाई दी ।
उसी के साथ कुछ गार्डों की वीभत्स चीखें भी गूंजीं ।
कमाण्डर करण सक्सेना टॉयलेट से बाहर निकल आया और उसने सीढ़ियों की तरफ देखा ।
ऊपर आने वाली सीढ़ियां पूरी तरह तबाह हो चुकी थीं ।
इसके अलावा सीढ़ियों के मलबे में ढेर सारी लाशें भी नजर आ रही थीं ।
कुछ ऐसी ही स्थिति हैडक्वार्टर के पहले माले की थी ।
उसका आधे से ज्यादा भाग बम फटने की वजह से खण्डहर बन चुका था ।
कुछ गार्ड दौड़ते हुए नीचे सीढ़ियों के सामने आये ।
कमाण्डर ने फौरन एक हैण्डग्रेनेड बम निकाला और दांतों से उसकी पिन खींचकर गार्डों की तरफ उछाला ।
गार्ड चीखते हुए इधर-उधर भागे ।
फिर भी कुछ उस बम की चपेट में आ ही गये ।
उसके बाद कमाण्डर उन सीढ़ियों के सामने रूका नहीं । वो पहले माले के गलियारे में ही उस तरफ दौड़ा, जो गलियारा अभी सुरक्षित था ।
वो भागता रहा ।
बेतहाशा भागता रहा ।
लाइट मशीनगन उसके हाथ में थी ।
Reply


Messages In This Thread
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार - by hotaks - 05-16-2020, 02:22 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,513,788 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 545,823 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,237,361 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 935,477 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,661,216 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,087,501 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,961,878 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,090,847 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,046,166 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 286,135 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)