RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
विशेष को देखते ही रश्मि खुशी के कारण जैसे पागल हो गई—फफक-फफककर रोती हुई रश्मि ने उसे अनगिनत बार चूमा—बूढ़ी मां अलग पागल हुई जा रही थी। रास्ते ही में विशेष की चेतना लौट चुकी थी।
"दहशत के कारण वीशू को बुखार हो गया है—इसे डॉक्टर को दिखा लेना।" सिकन्दर ने कहा।
पहली बार रश्मि का ध्यान सिकन्दर की तरफ गया।
विशेष को बूढ़ी मां ने अपने कलेजे से लगा लिया।
कुछ देर तक आंखों में अजीब-से भाव लिए रश्मि खामोशी से उसे देखती रही और सिकन्दर का दिल किसी भारी कीड़े की तरह उसकी पसलियों पर चोट करता रहा।
बहुत ज्यादा देर तक वह रश्मि की चमकदार आंखों का सामना नहीं कर सका। सूनी मांग पर नजर पड़ते ही उसका चेहरा कागज-सा सफेद पड़ गया। दृष्टि स्वयं ही झुकती चली गई। रश्मि ने कहा— "मेरे वीशू की जान बचाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद मिस्टर सिकन्दर।"
एक झटके से उसने चेहरा ऊपर उठाया। समूचा जिस्म ही नहीं बल्कि आत्मा तक सूखे पत्ते की तरह कांप उठी थी उसकी—या खुदा—रश्मि को कैसे पता लग गया कि मैं सिकन्दर हूं—मुंह से बुरी तरह कांपते स्वर में पूछा— "सिकन्दर ?"
"क्या तुम सिकन्दर नहीं हो ?" उसे घूरती हुई रश्मि ने पूछा।
सिकन्दर की हालत बुरी हो गई , मस्तिष्क अन्तरिक्ष में चकराता-सा महसूस हो रहा था। जिस्म सुन्न , मगर फिर भी उसने पूछ ही लिया— “अ..आप यह कैसे कह सकती हैं ?"
"एक बार फिर वही इंस्पेक्टर दीवान और चटर्जी आए थे।"
"फ...फिर ?” सिकन्दर के प्राण गले में आ अटके।
"वे कह रहे थे कि तुम्हारा नाम सिकन्दर है—पिछली रात तुम अपने पिता न्यादर अली का खून करके आए थे—पुलिस को यह बयान न्यादर अली की कोठी के चौकीदार और एक नौकर ने दिया है।"
“व...वह झूठ है।"
"खैर।" एक ठंडी सांस भरने के बाद रश्मि ने कहा— "तुम क्या हो , मैँ इस सवाल में और ज्यादा उलझने की जरूरत महसूस नहीं करती—इस वक्त केवल इतना ही जानती हूं कि तुम मेरे वीशू को बचाकर लाए हो और इसीलिए आगाह कर रही हूं कि पुलिस तुम्हें ढ़ूंढती फिर रही है , चटर्जी के पास तुम्हारे खिलाफ पूरे सबूत भी हैं।"
"क...कैसे सबूत ?"
"रुई के गोदाम में उन्हें दो लाशें मिली हैं। एक बिल्ला की …दूसरी डॉली की—चटर्जी का ख्याल है कि वे दोनों हत्याएं तुमने की हैं।"
"तुम तो जानती हो रश्मि कि यह गलत है , डॉली को मैंने नहीं मारा—हां , बिल्ला जरूर मेरे द्वारा फेंके गए चाकू से मरा है।"
"वह चाकू तुमने अपने बाएं हाथ से ही फेंका होगा न ?”
"हां।”
"अब वे तुम्हारे बाएं हाथ की ही उंगलियों के निशान लेने की फिराक में हैं—यह एक ठोस सबूत उनके पास है , जिसके आधार पर वे यहां आसानी से डॉली का हत्यारा भी तुम्हें ही साबित कर देंगे , उधर न्यादर अली की हत्या के सिलसिले में तो उनके पास दो गवाह भी हैं।"
सूखे रेत पर पड़ी मछली की-सी अवस्था हो गई उसकी, बोला— “ प...प्लीज रश्मि—कम-से-कम तुम मुझ पर ये व्यंग्य बाण न चलाओ।"
"बेशक—यह कहने का हक तुम्हें है , क्योंकि तुम मेरे बेटे को बचाकर लाए हो और केवल इसीलिए बता रही हूं कि पुलिस के इतना सब कहने के बावजूद भी मैंने तुम्हारे बारे में उन्हें कुछ नहीं बताया था , परन्तु इंस्पेक्टर चटर्जी बहुत काईयां है—उसने वह पत्र पकड़ लिया जो रूपेश यहां छोड़ गया था और उसे पढ़ने के बाद, बिना मेरे बताए ही वह शायद सब कुछ समझ गया था। "
अब सिकन्दर की समझ में पुलिस के 'मुगल महल ' तक पहुंच जाने का रहस्य आ गया। अन्दर-ही-अन्दर चीखता रह गया वह। समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। तभी रश्मि ने पूछा—"क्या मैं जान सकती हूं कि इतने सारे गुण्डों के बीच से तुम वीशू के साथ-साथ खुद को भी सुरक्षित कैसे निकाल लाए ?"
“छोड़ो रश्मि , जो हुआ , उसे दोहराने से कोई लाभ नहीं है। " सिकन्दर बात को टालता हुआ बोता , "बस यूं समझ लो कि पुलिस के वहां पहुंचने से पहले ही मैं 'शाही कोबरा ' के सारे गैंग को खत्म कर चुका था।"
रश्मि के हलक से गुर्राहट-सी निकली—“ 'शाही कोबरा '?"
"वह अभी जिन्दा है।"
"कहां है?" खूनी और चट्टानी स्वर—ऐसा कि सुनकर सिकन्दर के रोंगटे खड़े हो गए।
अपने दिलो-दिमाग को काबू में रखकर वह बोला— "मेरी कैद में है। "
"तुमने उसे मुझे सौंप देने का वादा किया था।"
"सौंप दूंगा , मगर...। "
"मगर ?"
एक पल चुप रहा सिकन्दर , रश्मि की आंखों में झांकता रहा , मगर उसकी सख्त दृष्टि का सामना नहीं कर सका वह। अत: घबराकर नजरें झुका लीं—खुद को सामान्य दर्शाने की कोशिश में चहलकदमी करता हुआ बोला— “मैँ कुछ पूछना चाहता हूं।"
"क्या ?”
" 'शाही कोबरा ' ने जो कुछ किया है , अगर वह आज अपने पश्चाताप की आग में सुलग रहा हो , क्या तब भी तुम उसे गोली मारना
पसन्द करोगी ?"
रश्मि हिंसक-सी गुर्रा उठी— "पश्चात्ताप की आग में जलना उस दरिन्दे की सजा नहीं है , सजा उसे मेरे रिवॉल्वर से ही भोगनी होगी। "
सिहर उठा सिकन्दर , बोला— "सर्वेश की हत्या करने के बाद अगर 'शाही कोबरा ' ने तुम पर या इस पूरे परिवार पर कुछ एहसान किया हो तो ?"
एकाएक ही रश्मि की आंखों में शंका के साए उभर आए। यह अजीब-सी दृष्टि ते सिकन्दर को घूरती हुई बोली— "उस कमीने ने भला मुझ पर क्या एहसान कर दिया है ?"
“मान लो कि आज वीशू उसी की बदौलत यहां जीवित पहुंचा हो ?"
बड़ा ही कठोर स्वर— “क्या मतलब ?"
"अगर वह न चाहता तो सचमुच इतने बड़े गैंग के बीच से मेरे लिए वीशू को निकालकर लाना नामुमकिन था। उसने ना केवल मुझे और वीशू को वहां से सुरक्षित निकाला , बल्कि खुद ही अपने सारे गैंग और हैडक्वार्टर को नष्ट भी कर दिया। "
"फिर भी मेरी नजरों में उसका गुनाह कम नहीं हो जाता।" रश्मि ने पूरी दृढ़ता के साथ कहा— "अगर वह यह सोचता है कि तुम्हारे मुंह से इस सूचना को मुझ तक पहुंचाकर मेरे प्रतिशोध की आग से बच सकेगा तो यह उसकी मूर्खतापूर्ण कल्पना है। उससे कह देना मिस्टर , रश्मि नाम की विधवा उस सौदागर से सुहाग की जान का सौदा बेटे की जान से नहीं करेगी—मैंने उनकी मौत का बदला लेने की कसम खाई है और हर हालत में अपनी कसम पूरी करके रहूंगी।"
रश्मि के शब्दों से कहीं ज्यादा उसके लहजे की दृढ़ता ने सिकन्दर के होश फाख्ता कर दिए। यह समझने में उसे देर नहीं लगी कि हकीकत खुलने के बाद एक क्षण भी रश्मि उसे जीवित नहीं छोड़ेगी , बोला—“तब ठीक है , मैं उसे तुम्हारे हवाले कर दूंगा।"
“कब—कहां?"
"आज ही रात , दस बजे—प्रगति मैदान में।"
बेलोच स्वर में हाथ फैलाकर रश्मि ने कहा—“मेरा रिवॉल्वर। "
जेब से रिवॉल्वर निकालकर रश्मि को देते वक्त जाने क्यों सिकन्दर का दिल बहुत जोर से कांप उठा था , शायद यह सोचकर कि इसी रिवॉल्वर से रात के दस बजे वह खुद मरने वाला है , मनोभावों को काबू में करके बोला—“मेरे ख्याल से 'मुगल महल ' से निराश होने के बाद पुलिस वापस सीधी यहीं आएगी , अत: मेरा यहां रहना ठीक नहीं है।"
"बेशक तुम जा सकते हो , मगर दस बजे प्रगति मैदान में तुम भी पहुंचोगे न ?"
“मैं मिलूं न मिलूं , मगर 'शाही कोबरा ' तुम्हें जरूर मिलेगा रश्मि। " कहने के बाद वह मुख्य द्वार की तरफ बढ़ा , फिर जाने क्या सोचकर बोला— “वीशू को डॉक्टर के यहां जरूर ले जाना—उसे बहुत तेज बुखार है। "
रश्मि ने उल्टा सवाल किया— "क्या मैं पूछ सकती हूं कि बाहर खड़ी कार किसकी है ?"
“श..... 'शाही कोबरा ' की। ” एक झटके से कहने के बाद वह निकल गया।
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