RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
पृथ्वी से कई हजार फीट ऊपर, वायु में परवाज करता हुआ जो विमान तीव्र गति के साथ लंदन की तरफ चला जा रहा था, उसके गर्भ में बैठे यात्रियों में से एक भारतीय सीक्रेट सर्विस का भूतपूर्व चीफ विजय भी था, मगर इस वक्त वह जिस भेष में था, उसमें उसे स्वयं उसकी मां भी नहीं पहचान सकती थी।
वह एक गोरा-चिट्टा और हृष्ट-पुष्ट अंग्रेज नजर आ रहा था—चेहरे पर बायीं तरफ एक बड़ा-सा मस्सा, सुनहरे बालों की झुकी हुई मूंछें, सुनहरे रंग की फ्रेंचकट दाढ़ी और गहरी नीले रंग की आंखों वाले इस अंग्रेज की जेब में पड़े पासपोर्ट और वीसा के मुताबिक उसका नाम जेम्स ऐसन था।
मेकअप के प्रति विजय आश्वस्त था यानी उसे विश्वास था कि यदि अलफांसे की दृष्टि उस पर पड़ भी गई तो वह एकाएक ही उसे पहचान नहीं सकेगा—कार्ड पर लिखे पते के मुताबिक वह जानता था कि अलफांसे लंदन में ‘एलिजाबेथ’ होटल के रूम नम्बर सेवन्टी-वन में ठहरा है।
गुप्त भवन में बैठकर ही उसने विकास को भी सारी स्कीम समझा दी थी और इसी बीच आशा और अशरफ ने अपनी-अपनी रिपोर्ट्स गुप्त भवन भेज दी थीं। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, मांगे खां बिल्कुल सच्चा था और उसे पार्सल लंदन से ही मिला था—आश्वस्त होने के बाद उसने अशरफ को मांगे खां को छोड़ देने का हुक्म दिया था।
विजय को पूरा विश्वास था कि वह पार्सल अलफांसे ने ही भिजवाया है, सारे रास्ते वह अनुमान लगाने की भरपूर चेष्टा करता रहा, किन्तु समझ न सका कि आखिर अलफांसे ने किस उद्देश्य से शादी का यह ड्रामा रचा है और केवल उसी को कार्ड न भेजने के पीछे क्या रहस्य है?
तब, जबकि विमान ने लंदन की धरती को स्पर्श किया।
लंदन की घड़ियों में शाम के साढ़े पांच बज रहे थे।
वातावरण मैंनें अभी काफी प्रकाश फैला हुआ था—कस्टम से निपटने के बाद विजय ने टैक्सी पकड़ी और सीधा ‘एलिजाबेथ’ होटल पहुंचा—एलिजाबेथ की इमारत ‘टेम्स नदी’ के किनारे सीना ताने खड़ी बहुत-सी भव्य इमारतों में से एक थी—टैक्सी जिस वक्त ‘वेस्ट्मिनिस्टर’ पुल से गुजर रही थी, तब विजय ने झांककर ‘टेम्स’ के निर्मल जल की तरफ देखा—किश्तियों और स्टीमरों का काफिला वहां से देखने में बहुत ही सुन्दर लग रहा था।
टैक्सी से उतरते ही विजय सीधा काउण्टर पर पहुंचा, रूम के बारे में जानकारी प्राप्त की—काउण्टर क्लर्क ने उसे बताया कि उसे सेकण्ड फ्लोर पर कमरा मिल सकता है, उसने इंग्लिश में पूछा— “क्या फोर्थ फ्लोर पर कोई रूम खाली नहीं है?”
क्लर्क ने रजिस्टर देखने के बाद बताया—“सिक्स्टी सेवन आपको मिल सकता है।”
“चलेगा।” विजय ने कहा।
क्लर्क झुककर रजिस्टर के कॉलम भरने लगा, विजय ने बिना उसके पूछे ही स्पष्टीकरण दिया—“मैं टेम्स के किनारे बने किसी भी होटल का फोर्थ फ्लोर ही पसन्द करता हूं, क्योंकि इस फ्लोर पर स्थित प्रत्येक कमरे की खिड़की से टेम्स बहुत ही खूबसूरत नजर आती है।”
“साइन प्लीज।” क्लर्क ने मानो उसका कोई शब्द सुना नहीं था। विजय ने रजिस्टर में जेम्स ऐलन के नाम से हस्ताक्षर कर दिए।
वेटर के साथ अपने कमरे में पहुंचने के लिए उसे कमरा नम्बर सेवन्टी-वन के सामने से गुजरना पड़ा—विजय ने बहुत ध्यान से देखा, दरवाजे का लॉक बन्द था।
मतलब ये कि अलफांसे इस वक्त कहीं बाहर गया हुआ था।
कमरे में पहुंचने पर उसने वेटर से पन्द्रह मिनट बाद कॉफी लाने के लिए कहा और बाथरूम में घुस गया, नहाकर उसने सफर की थकान से मुक्ति पाई और दस मिनट बाद तैयार होकर उस खिड़की की तरफ बढ़ा जिधर से टेम्स नदी का नजारा देखा जा सकता था।
खिड़की खोलते ही नजारा आंखों के सामने था।
मन्द गति से बहता टेम्स का स्वच्छ जल—नदी किनारे, पिकनिक मनाने आए—रंग-बिरंगे वस्त्र पहने लोग—किनारे के आकर्षक स्टाल्स—खासी भीड़ थी—चौथी मंजिल से देखने पर वह सब बड़ा सुन्दर लगता था।
पिकनिक मना रहे लोगों पर फिसलती हुई विजय की दृष्टि अचानक ही एक जोड़े पर ठिठक गई, क्षणमात्र के लिए उसका दिल धक्क से रह गया और फिर आंखों में एक अजीब-सी चमक उभरती चली गई, वह स्वयं ही बुदबुदा उठा—“तो तुम यहां हो लूमड़ मियां।”
सचमुच वह अलफांसे ही था।
टेम्स की छाती पर एक छोटा-सा स्टीमर चला रहा था वह—बगल में एक लड़की बैठी थी, स्टीमर को बहुत ही मन्द गति से चला रहा था अलफांसे—स्टीमर के साथ-ही-साथ चलती हुई विजय की दृष्टि विशेष रूप से लड़की पर स्थिर हो गई—वह सचमुच लाखों में नहीं, करोड़ों में एक थी।
विजय ने अनुमान लगाया कि वह इर्विन ही होगी। अलफांसे ने अचानक ही अपना बायां हाथ स्टेयरिंग से हटाकर लड़की के गले में डाला, लड़की थोड़ी झुकी—अलफांसे भी झुका और फिर उनके होंठ जुड़ गए।
“उफ्फ लूमड़!” विजय ने झट् अपना हाथ आंखों पर रख लिया—
“अबे ये क्या हो गया है तुझे?”
मगर उसके ऐसा करने से भला अलफांसे या इर्विन पर क्या फर्क पड़ना था, वे काफी देर तक उसी प्रकार प्रेम-क्रीड़ा में मग्न रहे और खिड़की पर खड़ा विजय काठ के उल्लू की तरह उन्हें देखता रहा, चौंका तब जब कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज आई।
विजय घूमा!
कॉफी लिए कमरे में वेटर आया था।
“क्या देख रहे हैं साब?” वेटर ने शीशे की खूबसूरत ट्रे मेज पर रखते हुए पूछा।
“टेम्स नदी पर मौज लेने वालों के नजारे देख रहा हूं!”
“मौज तो आप भी ले सकते हैं सर, जो चाहें—सेवक आपकी सेवा में हाजिर कर सकता है।”
विजय उसका आशय समझ गया और तुरन्त ही उसके दिमाग में अलफांसे के बारे में जानकारी हासिल करने की तरकीब आ गई, उसने स्पष्ट शब्दों में पूछा—“लड़की मिलेगी?”
“क्यों नहीं साब, श्योर!” वेटर उत्साहित होकर बोला—“होटल की अलबम लाऊं?”
“नहीं, एलबम नहीं—इधर आओ!” उसने वेटर को खिड़की के नजदीक बुला लिया और फिर काफी मेहनत के बाद वह वेटर का ध्यान अलफांसे के स्टीमर पर केन्द्रित करने के बाद बोला—
“मुझे वह लड़की चाहिए!”
“राम-राम, ये आप क्या कह रहे हैं साब?” वेटर एकदम घबरा-सा गया—“व...वह तो इर्विन मेम साब हैं, फिर कभी ऐसा न कह दीजिएगा वरना अलफांसे साहब आपकी हालत बोगान से भी बदतर कर देंगे!”
“कौन अलफांसे?”
“आ...आप अलफांसे साहब को नहीं जानते?”
“नहीं तो, कौन है वो जिसे सबको जानना चाहिए?”
“क्या आपने सचमुच कभी अन्तर्राष्ट्रीय अपराधी अलफांसे का नाम नहीं सुना?”
“हां-हां—वह नाम तो सुना है, देश-विदेश के अखबारों में यह पढ़ता रहा हूं, किन्तु तुम उसी अन्तर्राष्ट्रीय अपराधी अलफांसे की बात कर रहे हो?”
“हां—वे ही तो वे हैं जो इस वक्त स्टीमर में इर्विन मेमसाब के साथ हैं।”
“ओह!”
विजय स्टीमर की तरफ देखता हुआ बोला—“अलफांसे का नाम तो बहुत सुना था, लेकिन देखने का मौका आज पहली बार ही मिला है लेकिन तुम इसके बारे में इतना सब कुछ कैसे जानते हो?”
“आजकल अपने होटल में ही तो रह रहे हैं ये।”
“ओह!” विजय सिर्फ इतना ही कहकर रुक गया। कमरा नम्बर नहीं पूछा उसने। उसे, मालूम भी था और वैसे भी वह वेटर से केवल ऐसे ही सवाल कर सकता था जैसे एक साधारण आदमी बात चलने पर जिज्ञासावश पूछ सकता है—वह महसूस कर रहा था कि वेटर अलफांसे से बहुत प्रभावित है और यहां हो रही बातों का जिक्र उससे कर सकता है, इसीलिए उसे वेटर से ऐसा कोई भी प्रश्न नहीं करना था जो अलफांसे को अस्वाभाविक लगे। एक क्षण चुप रहकर उसने अगला सवाल किया—“कमाल है, अखबारों मैं तो अलफांसे के बारे में कुछ और ही पढ़ा था।”
“क्या पढ़ा था आपने?”
“यही कि अलफांसे एक आजाद शेर का नाम है, वह किसी की दासता में नहीं रह सकता—इसलिए उसने भी किसी देश की नागरिकता स्वीकार नहीं की—सारी दुनिया को वह दुनिया नहीं बल्कि इंसानों का जंगल कहता है और खुद को इस जंगल का शेर कहता है, इसके अलावा यह भी सुना था कि लड़कियों में वह बिल्कुल दिलचस्पी नहीं लेता।”
वेटर ने अजीब-सी रहस्यमय मुस्कान के साथ कहा—“आपने ठीक ही पढ़ा और सुना था।”
“मगर मैं स्टीमर में देख तो कुछ और ही रहा हूं और तुम भी कह रहे हो कि...”
“इसका मतलब आपको कुछ भी पता नहीं है।” अति उत्साहित वेटर उसका वाक्य पूरा होने से पहले ही शुरू हो गया—“सारा लंदन जानता है कि ये सब तब्दीलियां इर्विन ने ही उनमें ला दी हैं।”
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