RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
बारातियों में नुसरत, तुगलक, धनुषटंकार और बागारोफ की चौकड़ी, चांडाल चौकड़ी के नाम से प्रसिद्ध हो गई थी। वे शाम पांच बजे से ही एक मेज के चारों तरफ बैठे पी रहे थे!
पी अन्य लोग भी रहे ते, परन्तु इस चौकड़ी की खुराक और अन्दाज निराला ही था—पीने के बीच ही नुसरत-तुगलक बागारोफ को खींच रहे थे—बागारोफ जी भरकर उन्हें गालियां दे रहा था—कई बार तो उनमें हाथापाई तक की नौबत आ गई और ऐसा होने से हर बार धनुषटंकार ने रोका—शराफत से नहीं बल्कि बदमाशी से!
झगड़ा रोकने के लिए कभी उसे बागारोफ के गंजे सिर पर चपत जमाना पड़ा था तो कभी नुसरत-तुगलक के गाल पर झन्नाटेदार थप्पड़—अब स्वयं उस पर भी नशा हावी होने लगा था।
विकास, वतन और हैरी की तिकड़ी सबसे अलग अपना मनोरंजन कर रही थी—जैकी, विजय और ब्लैक ब्वॉय का गुट अलग था—आशा, जूलिया और रैना अलफांसे को दूल्हा बना रही थीं।
ठीक नौ बजे, लंदन के लगभग सभी प्रसिद्ध बैंड बज उठे—वे सभी, चमचमाती वर्दियों में दूर तक कतारबद्ध खड़े थे-जानवरों तक को झुमा डालने वाली धुने गूंज उठी।
अलफांसे को सजी हुई घोड़ी पर बैठा दिया गया। चढ़त शुरू हो गई और साथ ही शुरू हो गया ऐसा हो-हुल्ला-हुड़दंग-शोर और हर्षोल्लास—जैसा कम-से-कम लंदनवासियों ने कभी नहीं देखा था, सारी दुनिया से इकट्ठे हुए बाराती बैंडों के बीच में कूद पड़े। उनमें या तो छंटे हुए अपराधी थे या महान जूसूस!
एक-से-एक ज्यादा शरारती-करामाती!
कुछ ऐसी ही बारात थी वह, जैसी बारात का जिक्र ‘शिवपुराण’ में मिलता है, शिव की शादी का जिक्र। कहते हैं कि उस शादी में भूत, प्रेत, शैतान-चुड़ैल और प्रेतनियां थीं—शनिश्चर थे—उनके अलावा सूर्य और चन्द्रमा जैसे देवता थे!
कुछ वैसे ही मेहमान अलफांसे के भी थे!
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“इर्विन....इर्विन!” एक सहेली दौड़ती हुई दुलहन के कक्ष में दाखिल हुई तो चौंककर इर्विन तथा उसकी सहैलियों ने उसकी तरफ देखा, जबकि आने वाली सहेली अपनी उखड़ी हुई सांस को नियंत्रित करने की चेष्टा कर रही थी, इर्विन ने पूछा— “क्या हुआ?”
“चढ़त शुरू हो गई है!”
“तो इसमें इतना हांफने की क्या बात है?”
“हांफने की आह, क्या शानदार शादी है—लंदन में रहने वाले किसी आदमी ने कभी ऐसी अद्भुत शादी नहीं देखी होगी। सबसे अलग दूल्हा है, सिर पर कलगी बांधे, चेहरे पर फूलों का सेहरा पड़ा है—चमकदार शेरवानी और सफेद चूड़ीदार पायजामा—पैरों में सितारों से जड़ी चमकदार जूतियां और बगल में तलवार लटकाए घोड़ी पर बैठा वह अलग ही नजर आता है!”
इर्विन का श्रृंगार करने वाली सहेली ने पूछा— “और बाराती?”
“ओह, बारातियों की बात नहीं पूछो तो अच्छा है। लगता है कि दुनिया में जितने भी भूतप्रेत हैं, वे सब आज उस चढ़त में शामिल हो गए हैं—एक से बढ़कर एक हैं, शैतान-हैवान—नहीं, उसमें से मैं किसी को भी आदमी नहीं मान सकती!”
“ऐसा क्या हुआ?”
“एक बन्दर है, जिसे शराब शायद जरूरत से ज्यादा चढ़ गई है— बहुत ही शानदार सूट-बूट पहने है वह, हुड़दंग उतार रखा है उसने—बैण्ड की धुन पर नाचता, उछलता-कूदता वह कभी घोड़ी के सिर पर जा बैठता है तो कभी किसी बैण्ड वाले के ड्रम पर—दर्शकों की भीड़ हंसते-हंसते पागल हुई जा रही है!”
“बारातियों में बन्दर भी है?”
“एक बकरा है, बिल्कुल बेदाग—कहते हैं कि वह पीता नहीं है, लेकिन आज धुत् है—दो टांगें ऊपर उठाकर वह किसी इंसान की तरह ही घोड़ी के आगे झूम-झूमकर नाच रहा है!”
“हे भगवान्—ये कैसे-कैसे दोस्त हैं इनके?”
“और वह, जो कल यहां आकर सबको गालियां बक रहा था— बुरी तरह नशे में है, पागलों की तरह नाच रहा है और सबको गालियां बक रहा है—सभी उसे चचा कह रहे हैं, दर्शकों की नजरों के केन्द्र दो पाकिस्तानी भी हैं—लोग कहते हैं कि वे जासूस हैं, परन्तु मुझे तो सायर लगते हैं, वे ऐसा कैबरे करते चले आ रहे हैं जैसा कभी किसी ने किसी पिक्चर में नहीं देखा होगा!”
“किसी आदमी की सोसायटी ही बताती है कि वह किस स्तर का है!” एक सहेली ने कहा।
दूसरी बोली— “ऐसे ही हुड़दंगी जीजाजी भी होंगे।”
“इर्विन, पति के रूप में तूने किसी आदमी को नहीं, बल्कि शैतान को चुन लिया है!”
इर्विन को अजीब-सा लगने लगा।
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