RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
“क्या गार्डनर ऑफिस से एक दिन की भी छुट्टी नहीं लेता?” विजय ने पूछा।
“लेता है, लेकिन बहुत कम—किसी आवश्यक कार्य के आ पड़ने पर ही, जिस दिन वह ऑफिस नहीं जाता उस दिन ऑफिस बन्द ही रहता है, उसके अलावा उस सीट पर अन्य कोई नहीं बैठता।”
“इसका मतलब ऐसे किसी दिन इस फर्श का इस्तेमाल किया जा सकता है?”
“किया तो जा सकता है, लेकिन...।”
“लेकिन....?”
“इस फर्श का कुछ-न-कुछ सम्बन्ध गार्डनर की कलाई में बंधी विशेष रिस्टवॉच से भी है, जैसे ही यह फर्श 'एम' बटन के ऑन होने पर घूमना शुरू करेगा वैसे ही गार्डनर की कलाई में बंधी रिस्टवॉच से एक सुई निकलकर गार्डनर की कलाई में रह-रहकर चुभने लगेगी और साथ ही 'पिक-पिक' की आवाज के साथ उसमें एक नन्हां-सा बल्ब भी जलने-बुझने लगेगा—ऐसा जरूर होगा—भले ही गार्डनर उस वक्त लंदन से हजारों मील दूर हो।”
“यानी कोहिनूर की तरफ कोई बढ़ रहा है, यह जानकारी गार्डनर को फर्श के घूमते ही मिल जाएगी।”
“बेशक!”
“तुमने फर्श को ऊपर से नीचे जाने की तरकीब तो बता दी लेकिन नीचे से ऊपर को...।”
“उसी 'एम' बटन को 'ऑफ' कर दीजिए।”
“कोई और ऐसी बात जो रह गई हो?”
“फिलहाल मुझे याद नहीं आ रही है और वैसे भी, अभी तो आप मुझसे अलफांसे की योजना जानना चाहेंगे—जब मैं आपको बताऊंगा, तो सम्भव है कोई बात निकल आए।”
“तो देर किसी बात की है प्यारे—हो जाओ शुरू!”
“यानी अलफांसे की योजना भी आप इसी वक्त जानना चाहते हैं?”
“हम तो प्यारे कबीरदास की बुद्धि का लोहा मानने वाले हैं—यह उसी ने कहा था कि—'काल करे सो आज कर, आज करे सो अब—पल में परले होएगी, बहुरि करैगो कब'—अगर हो सकता है प्यारे तुम कबीरदास से परिचित ही न हो—इसलिए केवल इतना ही समझ लो कि यह भी एक चीज थी और उसकी बात मानते हुए तुम फौरन टेपरिकॉर्डर की तरह चालू हो जाओ।”
चैम्बूर सचमुच चालू हो गया।
वे बहुत ही ध्यान से अलफांसे की योजना सुनने लगे, जब कोई बात समझ में नहीं आती थी या उलझनपूर्ण होती थी तो वे बीच-बीच में सवाल पूछ लेते थे, मगर ये हकीकत थी कि चैम्बूर के मुंह से वे ज्यों-ज्यों योजना सुनते गए त्यों-त्यों प्रशंसा और हैरत से उनकी आंखें फटती चली गईं—मगर पूरी योजना सुनने के बाद विजय की आंखें अजीब-से अंदाज में सिकुड़ गईं, उसे लगा कि या तो यह योजना अलफांसे की है ही नहीं या उसने चैम्बूर को पूरी ईमानदारी से नहीं बताई है, ऐसी कई समस्याएं थीं, जिनका योजना में कोई समाधान नहीं था।
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