RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
उस वक्त वातावरण में छाई रात की नीरवता को दूर बज रहे किसी चर्च के घण्टे भंग कर रहे थे, जब बिस्तर पर लेटे अलफांसे ने धीरे-से अपनी कलाई में बंधी रिस्टवॉच में समय देखा।
पूरे बारह बज रहे थे।
शानदार कमरे में नाइट बल्ब का भरपूर प्रकाश बिखरा हुआ था—अलफांसे ने एक नजर बगल में लेटी इर्विन पर डाली—वह सो रही थी—फूल-सा कोमल और खूबसूरत मुखड़ा इस वक्त उसके जागे रहने की अवस्था से कहीं ज्यादा मासूम लग रहा था—सुनहरे और लम्बे बाल डनलप के कोमल तकिए पर बिखरे पड़े थे।
एक ही लिहाफ के अन्दर थे, शनील के कवर वाला खूबसूरत लिहाफ—लिहाफ से बाहर सिर्फ दोनों का चेहरा ही था।
अलफांसे ने ध्यान से इर्विन की तरफ देखा।
शायद इस नजरिए से कि यदि इस वक्त वह उठे तो इर्विन की नींद टूटेगी तो नहीं?
वैसे पत्नी होने का पूर्ण सुख प्राप्त करने के बाद वह मीठी-मीठी नींद सो रही थी—उसके नथुनों से निकली गर्म सांसें अलफांसे के चेहरे से टकरा रही थीं।
उधर, चर्च ने बारह बार टनटनाकर अपनी ड्यूटी पूरी की—इधर, अलफांसे ने बहुत ही आहिस्ता से इर्विन की कलाई अपने सीने से हटाई और धीरे-धीरे सरककर लिहाफ से निकलने लगा।
बिस्तर चूंकि ज्यादा ही गद्देदार था इसलिए इर्विन झूलती-सी महसूस हुई—उसने कुम्हलाकर करवट ली—जब वह ऐसा कर रही थी तब अलफांसे ने सांस रोककर आंखें बन्द कर लीं।
फिर, दस मिनट बाद वह पलंग से उतरकर फर्श पर खड़ा होने में कामयाब हो गया—उसके जिस्म पर इस वक्त केवल एक लुंगी और बनियान था—उसने जल्दी-से कपड़े पहने।
पैरों में जूते डालकर वह दबे पांव दरवाजे की तरफ बढ़ा, अपनी तरफ से उसने बहुत ही आहिस्ता से चिटकनी खोली किन्तु फिर भी हल्की-सी 'कट' की जो आवाज हुई तो इर्विन की आंख खुल गई, अलफांसे को दरवाजे पर देखकर वह चौंक पड़ी—अभी उसे पुकारने ही जा रही थी कि रुक गई, पुकारने के लिए खुला मुंह उसने बिना कुछ कहे ही बन्द कर लिया और ऐसा शायद उसने अपने पति की अवस्था देखकर किया, इस वक्त अलफांसे उसे एक रहस्यमय चोर-सा नजर आया—सचमुच, उसका प्रत्येक एक्शन और हाव-भाव चोर जैसा ही था।
चिटकनी खुलने पर उसने चोर दृष्टि से बेड की तरफ देखा, इस क्षण इर्विन ने आंखें बन्द कर लीं—और यहां अन्तर्राष्ट्रीय मुजरिम सचमुच धोखा खा गया—उसे बिल्कुल इल्म नहीं हो सका था कि इर्विन चिटकनी की आवाज से जाग चुकी है, उसे सोती ही समझकर वह दरवाजा पार कर गया।
दरवाजा बन्द होते ही उसने पुन: आंखें खोल दीं।
अभी लिहाफ से बाहर निकलने के लिए उसने कोहनियां गद्दे पर टेकी ही थीं कि दरवाजे की बाहर वाली सांकल बन्द होने की धीमी-सी सरसराहट की आवाज आई।
इर्विन लिहाफ के अन्दर ही ठिठककर रह गई।
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