RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
उसकी माँ नही मानी बोली-“मैं किसी घर से भागी हुई लड़की को अपने घर में नही रख सकती। ”
“मम्मी,वो ऐसी लड़की नही है जैसा आप समझ रही हैं,”राज ने कहा।
“क्या तुम उससे प्यार करते हो और शादी करना चाहते हो?”उसकी माँ ने पूछा।
“नही,मैं उससे सिर्फ़ 4—5 बार ही मिला हूँ,”राज ने कहा।
“उससे कह दो की यहाँ से चली जाए,वो यहाँ नही रह सकती,”उसके पापा ने कहा।
“पर पापा वो कहाँ जाएगी,बाहर उसकी ज़िंदगी भी खराब हो सकती है,”राज ने कहा।
“कहीं भी जाए पर इस घर में उसके लिए कोई जगह नही है और तुम उसे यहाँ लेकर ही क्यों आए मुझे तो लगता है कि उसने तुम्हारे लिए ही घर छोड़ा है,” उसकी भाभी ने कहा।
“भाभी,ऐसा कुछ नही है मैं सिर्फ़ उसकी मदद करना चाहता हूँ और कुछ नही,”राज ने कहा।
“किसी की मदद करने के लिए तुम उसे घर उठा लाओगे,क्या ये घर कोई धर्मशाला है,”उसके पापा ने कहा।
“पापा बचपन से आप लोग ही दूसरों की मदद करना हमें सिखाते हैं और जब कोई किसी मदद करने की कोशिश करता है तो सबसे पहले उसके घरवाले ही उसके खिलाफ हो जाते हैं..............। मैं उसे यहाँ से जाने को नही कह सकता वो मुझ पर भरोसा करती है और मैं उसका भरोसा नही तोड़ूँगा,”राज ने कहा।
“तो फिर ठीक है तुम भी ये घर छोड़ कर चले जा,”उसके पापा ने कहा।
“मैं घर से क्यों जाऊँ ? मुझे समझ है की बिना आप लोगों के मेरी कोई पहचान नही है।”
“अगर घर में रहना है तो तुम उस लड़की को जाने को कह दो,नही तो तुम भी घर छोड़ कर चले जाओ,”उसके पापा ने कहा।
“मैं उससे जाने को नही कह सकता ना ही मैं घर छोड़ कर जा रहा हूँ।”
“बेटा समझने की कोशिश करो लोग क्या कहेंगे,”उसकी माँ ने कहा।
“आप मुझे समझिए मम्मी,सिर्फ़ एक दो दिन की बात है कौन सा मैं उससे शादी करने को कह रहा हूँ,”राज ने कहा।
“हमें कुछ नही समझना है तुम उसे लेकर यहाँ से चले जाओ,”उसके पापा ने कहा।
राज थोड़ी देर सोचता रहा फिर अपने कमरे में गया और अपने सर्टिफिकेट्स लेकर घर से जाने लगा उसकी माँ ने रोकना चाहा पर कुछ सोच कर वो भी कुछ नही बोली। सबको उम्मीद थी की वो एक दो दिन में वापस आ जाएगा।
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