RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“अब मुझे छोड़ोगी हॉस्पिटल है,” राज ने हँसते हुए कहा।
शीतल थोड़ा शर्मा गयी,वो तुरंत राज से दूर हट गयी।
“तुम जीन्स-टॉप कब से पहनने लगी?” राज ने पूछा।
“क्यों?अच्छी नही लग रही हूँ क्या?”
“तुम हमेशा अच्छी लगती हो,” राज ने कहा।
शीतल हँसने लगी,हँसते हुए बोली-“मुझे छेड़ो मत। ”
“तुमने आज कुछ खाया है या भूखी हो,” राज ने पूछा।
शीतल चुप हो गयी। राज समझ गया की शीतल ने कुछ नही खाया है। उसने शीतल को उसकी लापरवाही के लिए थोड़ा डांटा। शीतल खाना खाने के लिए हॉस्पिटल के बाहर चली गयी।
एक घंटे बाद वो लौटी तो देखा की राज के पास रिया(राज की छोटी बहन) बैठी थी। शीतल को देखते ही उससे गले लग गयी। राज के घर में एक रिया थी जो राज को देखने हर रोज़ आती थी। रिया,शीतल को पसन्द करती थी वो शीतल को समझती थी। इतने दिनों में शीतल अपना दुख उसी से तो बाँट सकी थी। रिया जब भी राज को देखकर हॉस्पिटल से घर जाती थी तो अपने मम्मी-पापा को बताती थी कि भैया की तबीयत कैसी है?शीतल के दो दिन गायब रहने पर उसी ने तो घर में बताया था कि भैया की देखभाल करने वाला कोई नही है। उसी के मनाने पर राज के घर वाले उसे देखने आए थे।
“भाभी , आप कहाँ चली गयीं थी?” रिया ने पूछा।
शीतल ने उसे और राज को पूरी कहानी सुना दी। रिया ने शीतल को बताया कि उसके पापा ने अनुज सर के पूरे पैसे उन्हें वापस कर दिए हैं और हॉस्पिटल की जो भी फीस बाकी थी वो सब उन्होनें भर दी है। रिया कुछ देर रुकने के बाद घर चली गयी। रिया 9th में पढ़ती थी।
“शीतल,डॉक्टर कह रहे थे की एक-दो दिन में मैं घर जा सकता हूँ,”राज ने कहा।
शीतल कुछ नही बोली । उसने राज को उसकी दवाइयाँ दी और खुद वहाँ से हट गयी।
दो दिन बाद राज घर आ गया। उसकी तबियत ठीक थी पर वो ठीक से चल नही पता था। शीतल अपने ऑफिस जाने लगी। राज जब से हॉस्पिटल से घर आया था तब से कुछ अलग ही व्यवहार कर रहा था वो दिन भर लेटा रहता और शीतल से कुछ ना कुछ करने को कहता रहता। शीतल सुबह ऑफिस जाने से पहले खाना बनाकर जाती थी,आती तो भी वही खाना बनाती थी। घर का सारा काम भी वही करती थी लेकिन उसके बाद भी राज उससे कुछ ना कुछ कहा ही करता था।
शीतल,मेरे लिए फल लेती आना,शीतल एक लैपटॉप ले आना,शीतल ये ले आना, वो ले आना बहुत कुछ कहता रहता था। एक बार भी ये नही सोचता था की शीतल के पास इतने पैसे कहाँ से आएँगे,वो उसके लिए लैपटॉप कैसे लाएगी कुछ भी नही। वो लगभग पूरी तरह से ठीक ही था लेकिन वो कुछ नही करता था। एक गिलास पानी भी वो खुद नही लेता वो भी शीतल से माँगता था। शीतल रात को राज के सोने के बाद ही सोती थी और सुबह राज से पहले उठती थी। वो कहीं से भी रुपयों का इंतज़ाम करके राज के लिए हर वो चीज़ लेकर आती जो उसे चाहिए होता था। उसने राज को लैपटॉप खरीद कर दे दिया। राज दिन भर लैपटॉप चलाता रहता,जब शीतल कहीं जाने लगती तो उससे कहता शीतल नेट पैक करा देना। शीतल राज से थोड़ा चिढने लगी थी,राज उससे जब कुछ कहता तो उसे बहुत गुस्सा आता था लेकिन वो राज से कुछ भी नही कहती थी। शीतल के राज से चिडने की वजह राज का ही व्यवहार था,ऐसा लग रहा था जैसे राज ने शीतल को परेशान करने की कसम खा ली हो या फिर उससे कोई बदला ले रहा है।
शीतल अपने घर आने जाने लगी थी। दोनों के घर वाले मान गये थे। राज के परिवार वाले शीतल को अपनी बहू मानने के लिए तैयार थे। एक दिन राज के मम्मी-पापा उन्हें घर वापस ले जाने के लिए आए। पर राज ने घर वापस जाने से मना कर दिया।
“तुम घर चलने के लिए क्यों तैयार नही हो?” राज की माँ ने राज से पूछा।
“जिस घर में मेरी पत्नी की कोई इज़्ज़त ना हो उस घर में मैं नही रह सकता। आप ने ही सिखाया है कि पति का धर्म होता है कि वो पत्नी का हर सुख-दुख में साथ दे। शीतल 3घंटे तक बारिश में बाहर भीगती खड़ी रही पर किसी को कोई फ़र्क नही पड़ा,उसे क्या कुछ नही कहा आप लोगो ने। मैं हमेशा यही सोचता था कि कब आप लोग हमें माफ़ करोगे,कब हमें घर वापस आने के लिए कहोगे,मैं घर वापस आना चाहता था लेकिन अब मुझे घर नही चलना। मैं बेटे होने का हर फ़र्ज़ निभाऊँगा, पर घर कभी नही…………शीतल आपसे मिलने घर जा सकती है पर मैं नही…………” राज ने कहा।
उसके मम्मी-पापा राज से कुछ नही कह सके वो चुपचाप वहाँ से चले गये। शीतल भी वहीं बैठी थी उसने रोकना तो चाहा पर राज की वजह से चुप हो गयी। राज बहुत बदल गया था वो शीतल से ही नही अपने मम्मी-पापा से भी अच्छे से बात नही कर रहा था। शीतल ने उनके जाने के बाद राज को समझाना चाहा पर उसने शीतल को इस बारे में कोई भी बात करने से साफ मना कर दिया।
राज को हॉस्पिटल से घर आए 20 दिन हो गये। उसका पैर भी ठीक हो गया था। वो कहीं भी आ-जा सकता था , पर राज कहीं नही जाता , दिन-भर घर में ही रहता था।
राज की बेरूख़ी की वजह से शीतल का जय के साथ मिलना जुलना बढ़ गया था। वो अक्सर ओफिस से थोड़ा देर से घर आती थी,वो जय के साथ घूमा करती थी। जय उसे तरह-तरह के गिफ्ट दिया करता था,कभी कोई ड्रेस तो कभी कुछ। वो जय के साथ फाइव स्टार होटल जाती तो कभी किसी कॉफी शॉप। जय से उसकी दोस्ती बढ़ती जा रही थी दूसरी ओर वो राज से दूर होती जा रही थी। शीतल,जय को अपने घर भी ले गयी,उसने उसे अपनी मम्मी,पापा और प्रिया से मिलाया। जय बहुत खुले विचारों का था । साथ में उसे नये लोगों से जुड़ना अच्छी तरह से आता था इसलिए उसने शीतल के घर वालों से जल्दी व्यवहार बना लिया। शीतल की मम्मी को शीतल का जय के साथ इस तरह घूमना फिरना अच्छा नही लगा । उन्होंने उसे समझाया पर उसने एक ना सुनी।
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