non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
06-11-2020, 05:05 PM,
#95
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
बंटी के हर धक्के से साथ ज्योति के मुँह से सिसकारी निकल रही थी और उसके हिलते ही चूड़ियों और पायल की खनक भी कमरे में गूंज रही थी। बंटी ज्योति की कमर को पकड़ कर चोद रहा था और फिर उसने एक हाथ आगे बढ़ा कर एक चुच्ची को पकड़ लिया और मसलने लगा। लंड पूरा अन्दर जा रहा था और ज्योति के चूत के रस से भीग कर चमक रहा था और पूनम को वो चमक भी दिख रही थी और ज्योति के चूत के बाहर जो सफ़ेद क्रीम फ़ैल रहा था, वो भी देख रही थी। लण्ड के जड़ तक ज्योति की चुत का रस लगा हुआ था, मतलब बंटी अपने मोटे लंबे लण्ड को आखिर तक ज्योति की चुत में पेलता हुआ मज़े से चोद रहा था। इससे ज्यादा मज़ा उसे क्या मिलता की वो उस दुल्हन को चोद रहा था जिसकी कुछ ही देर में शादी होने वाली थी और बाहर दुल्हन की बहन पहरेदारी कर रही थी।

बाहर पूनम की चूत गीली हो रही थी। उसे डर भी लग रहा था की कहीं कोई आ न जाये। जो आता वो ज्योति के बारे में तो बाद में पूछता, पहले उसी से पूछता की वो छिप कर क्या देख रही है। पहली बार वो किसी को इस तरह चुदते देख रही थी। वो एक बार गैलरी की तरफ देखी और फिर से अन्दर देखने लगी। बंटी ने लंड बाहर निकाल लिया था और पूनम को लगा की अब उनका हो गया है, लेकिन बंटी का लंड अभी भी उसी तरह अकड़ कर टाइट था। ज्योति पीछे घूमी और उसी तरह अपने दोनों हाथों को पलंग पे कुतिया की तरह रखे हुए ही लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

पूनम अब और अच्छे से लंड को देख पा रही थी। पूरा तना हुआ लण्ड पूनम को चमकता हुआ दिख रहा था। ज्योति लण्ड को बिना पकड़े हुए मुँह में ले रही थी और चूस रही थी तो लण्ड इधर उधर छिटक रहा था। अभी बंटी के पास वक़्त उतना नहीं था इसलिए उसने ज्योति के सर को पकड़ लिया और मुँह पे दबाते हुए उसी तरह उसका मुँह चोदने लगा जैसे अभी थोड़ी देर पहले उसकी कमर पकड़ कर उसकी चूत चोद रहा था। पूनम को अपना वक़्त याद आ गया की कैसे गुड्डू ने रेस्टुरेंट में उसके साथ भी ऐसा किया था और कैसे गुड्डू का लण्ड उसके गले तक में घुस रहा था। ज्योति की शक्ल देखकर पूनम को एहसास हो रहा था कि अभी बंटी का लण्ड भी पूनम के गले में कितना अंदर तक जा रहा था। उसे लगा की अब बंटी के लंड से वीर्य निकलेगा जिसे ज्योति पी जाएगी, लेकिन बंटी ने ज्योति को छोड़ दिया और पलंग पे उसके बगल में लेट गया।

बंटी सीधा लेटा हुआ था और उसका पूरा टाइट लंड छत की तरफ अकड़ कर खड़ा था।
ज्योति अपने लहंगे को पकड़ी और अच्छे से उठाते हुए बंटी के लंड को अपनी गीली चूत पे रखकर बैठ गयी। लंड सरसराता हुआ कुंवारी दुल्हन की चूत में जा घुसा और ज्योति ऊपर नीचे होती हुई आनंद के सागर में गोते लगाने लगी। अभी पूनम को बस ज्योति की उछलती हुई चूचियां दिख रही थी जिसे बंटी निचोड़ निचोड़ कर मसल रहा था।

पूनम अपनी जगह से उठ खड़ी हुई। उसके लहंगे में भी हलचल हो रही थी। वो गैलरी में देखी की कोई नहीं है तो वो लहंगे के ऊपर से ही अपनी चूत सहला ली। उसका मन और देखने का था, लेकिन उसे डर लग रहा था। वो फिर से टहलती हुई बाहर की तरफ आई, लेकिन अभी भी बारात नाचने में ही व्यस्त थी और इधर के सब लोग उन्हें देखने में। अभी दूल्हा भी डांस कर रहा था और उसकी दुल्हन अंदर बंटी के लण्ड पर बैठी थिरक रही थी।

पूनम का मन हो रहा था की वो भी दुल्हन की चुदाई देखती रहे, लेकिन वो ठीक से देख नहीं पा रही थी। एक बार उसका मन हुआ की दरवाज़ा खोल कर अन्दर चली जाये और बैठ कर अच्छे से चुदाई देखने लगे। उसे कोई मना भी नहीं करता या वो दोनों घबराते भी नहीं और उसके सामने भी चुदाई चलती ही रहती। लेकिन पूनम ऐसा कर नहीं सकती थी। वो फिर से की होल से अन्दर झांकी। बंटी अभी भी सीधा ही लेटा हुआ था लेकिन ज्योति अपने दोनों हाथ पीछे किये हुए लंड को मुँह में भरकर चूस रही थी।

बंटी ने ज्योति को फिर से कुतिया बना दिया और पीछे से उसकी चुत में धक्का लगाने लगा। पूनम फिर से खड़ी हो गयी और बाहर टहलने लगी। वो अपने हाथ को अपने लहँगे और पैंटी के अंदर डाली और अपनी गीली चुत सहलाने लगी। उसका मन हो रहा था कि पूरी नंगी होकर अपनी चुत में ऊँगली करे, लेकिन वो ऐसा कर नहीं सकती थी।

पूनम वापस की होल में झाँकने लगी। अंदर बंटी 4-5 धक्का और लगाया और फिर उसने लण्ड को पूरा अंदर डाल कर जोर से ज्योति की कमर को पकड़ लिया। ज्योति पलंग पर गिरने लगी लेकिन बंटी उसे पकड़े रहा। थोड़ी देर बाद उसने लण्ड बाहर निकाला तो ज्योति की चुत से वीर्य टपक कर बाहर भी गिरने लगा। बंटी ने अपना वीर्य ज्योति की चुत में ही भर दिया था।

ज्योति पलंग पे ही पेट के बल लेट रही और बंटी अपने कपड़े पहनने लगा। पूनम खड़ी हो गयी। उसकी चुत भी पूरी गीली थी। वो अपनी बहन की चुदाई देखी थी और उसकी चुत में वीर्य भरा हुआ देखी थी। पूनम एक मिनट खड़ी रही और फिर गेट पे नॉक करती हुई बोली "जल्दी करो। अब कोई आ जायेगा।"

ज्योति अपनी चोली को ठीक से पहनती हुई बोली "बस हो गया। आ जाओ।" पूनम दरवाजा खोल दी पर बाहर ही खड़ी रही। बंटी ज्योति की पैंटी को हाथ में फैलाकर देख रहा था। ज्योति उसे पैंटी देने बोली तो बंटी बोला "इसे मेरे पास रहने दो। ये तुम्हारी याद दिलाएगी मुझे की मैंने अपनी जान को दुल्हन बनने के बाद भी प्यार किया था।" ज्योति बोली "अरे नहीं... ये डिज़ाइनर सेट है, ब्रा पैंटी दोनों ब्राइडल कलेक्शन का है।" बंटी उसे अपनी जेब में रखता हुआ बोला "इसलिए तो तुम्हारी याद दिलाएगी।"
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RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार - by hotaks - 06-11-2020, 05:05 PM

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