RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
"डायरी में लिखा हर अक्षर मेरी चाल थी, सुरेश की लाश को अपनी लाश दर्शाकर स्वयं सुरेश बन जाने की चाल—मेरठ की ठगी से पहले ही मैं उस बाजी को पलट देने की योजना बना चुका था जो बचपन में जानकीनाथ से सुरेश को गोद लेने से बनी थी—बड़ी खूबसूरती से सुरेश की जगह पहुंचकर मैंने अपना नसीब बदल लिया—उसकी हत्या कर, अपनी आत्महत्या 'शो' करके।'' विस्तारपूर्वक सबकुछ बताने के बाद मिक्की ने कहा— "मैं ये राज किसी को बताना नहीं चाहता था—मगर तेरे प्यार ने मजबूर कर दिया—जिस दीवानगी के तहत मुझे सुरेश समझकर मेरी मौत का बदला लेना चाहता था तू, उसने मुझे हिलाकर रख दिया—सोचा कि ऐसे वफादार दोस्त से भी अपना राज छुपाए रखना दोस्ती के मुंह पर कालिख होगी सो, तुझे वह सब बता रहा हूं जो किसी को न बताने की कसम खाई थी।"
"अलका के बारे में भी तुझे कुछ पता है?"
"हां।" एकाएक मिक्की ने खुद को बेहद रंज में डूबा दर्शाया—"आज शाम के अखबार में उसके बारे में पढ़ा—तबसे मैं बेहद दुखी हूं, उसकी शहादत से जाहिर है यार कि वह मुझसे कितना प्यार करती थी, परन्तु अब मैं कर भी क्या सकता हूं—वह मुझे छोड़कर चली गई, मैं उसकी मौत पर खुलकर रो भी नहीं सकता—ऐसा करने से लोगों को शक हो जाएगा कि मैं मिक्की हूं।"
"म.....मगर मिक्की, तुझे हम दोनों को अपनी स्कीम में राजदार बनाना चाहिए था, अगर तू ऐसा करती, बेचारी अलका आत्महत्या क्यों करती?"
"तुझे तो पता हैं रहटू, शुरू से ही मेरी आदत अपनी स्कीम पर बिना किसी को कुछ बताए अकेले काम करने की रही है—वही मैंने इस बार भी किया, मैं ये जरूर जानता था कि अलका मुझसे प्यार करती है, मगर ये नहीं मालूम था कि इतना प्यार करती है, इतना कि मेरी मौत के बाद वह स्वयं भी आत्महत्या कर लेगी—अगर इतना इल्म होता तो निश्चय ही इस स्कीम में मैंने तुम दोनों को राजदार बनाया होता।"
"इसका मतलब अब तू सुरेश बन चुका है और इस राज को दुनिया में मेरे अलावा और कोई नहीं जानता।"
"हां।"
"यानी इस बार तेरे नसीब ने साथ दिया, स्कीम में तुझे पूरी कामयाबी मिली?"
"सारी योजना सफल है, मैंने कहीं भी ऐसा हल्का-सा पॉइंट भी नहीं छोड़ा है, जिससे पुलिस को यह पता लग सके कि मैं सुरेश नहीं मिक्की हूं, मगर.....।"
"मगर—।"
"सुरेश बनने के बाद से अब तक एक पल के लिए भी चैन नहीं मिला है।"
"मैं समझा नहीं।"
"मुझे देखकर, मेरी कहानी सुनकर तुझे यही लग रहा होगा न कि मैं करोड़ों की दौलत का मालिक बन चुका हूं, बेहद खुश होऊंगा।"
"इसमें क्या शक है, इस वक्त तो तेरी पांचों उंगलियां ही घी में नहीं, बल्कि सिर भी कढ़ाई में होगा—एक ही झटके में करोड़पति बन गया।"
एक धिक्कार भरी हुंकार के साथ मिक्की के होंठों पर अत्यन्त फीकी मुस्कान दौड़ गई, बोला— "ऐसा ही लगता है रहटू, दूर से ऐसा ही लगता है—सुरेश को देखकर मुझे भी ऐसा ही लगा करता था कि वह सर्वसाधन सम्पन्न और सर्वमुख सम्पन्न है, उसे कोई दुख नहीं हो सकता, उसे कोई समस्या नहीं हो सकती, मगर यह सब दृष्टिभ्रम होता है, हमाम में सब नंगे है, रहटू—अब सुरेश बनने के बाद मुझे पता लगा है कि सुरेश के जिस नसीब से मैं रश्क किया करता था, वह वास्तव में क्या था?"
"ये तुम क्या कह रहे हो?"
"सच्चाई यही है—दोस्त—मेरे कहने पर भी शायद तुम यकीन नहीं करोगे—कीमती लिबास में लिपटा सुरेश देखने में भोला-भाला मासूम जरूर लगता था, जबकि था हम ही जैसा—एक मुजरिम, शायद हमसे कई गुना ज्यादा खतरनाक मुजरिम और हमारी समस्या तो सिर्फ पैसा होती है, मगर सुरेश की समस्याएं अजीब थीं, अनेक थीं—खुद को जिन्दा रखना भी उसके लिए समस्या थी।"
"मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है।"
मिक्की अपनी ही धुन में कहता चला गया—"सुरेश बनने के बाद मैंने महसूस किया है कि उसके मुकाबले मेरी अपनी समस्याएं कुछ भी नहीं थीं—कई बार यह अहसास हो चुका है कि सुरेश बनकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है—अनजाने ही में मैं एक ऐसे चक्रव्यूह में घुस गया हूं जिसे तोड़ना मुझे बिल्कुल नहीं आता—वे फसलें भी मुझे काटनी पड़ रही हैं, जिनके बीज सुरेश ने बोए थे—लग रहा है कि उस जुर्म में तो मुझे कोई पकड़ नहीं सकेगा जो मैंने खुद किए हैं, मगर वे जुर्म मुझे फांसी के फंदे पर पहुंचाकर ही दम लेंगे जो सुरेश ने किए थे और जिन्हें अपनी—सुरेश बनने की—बेवकूफी से मैंने अपने सिर मढ़ लिया है।"
"साफ-साफ बताओ मिक्की, सुरेश ने क्या किया था?"
"अपने बाप, सेठ जानकीनाथ का मर्डर।"
"क.....क्या?" रहटू चिहुंक उठा।
"यह सच है, धैर्य की कमी के कारण सुरेश ने एक वेश्या के साथ मिलकर जानकीनाथ की हत्या कर दी—अब एक तरफ उसकी इन्वेस्टिगेशन चल रही है, दूसरी तरफ वेश्या मुझे सुरेश समझकर ब्लैकमेल कर रही है—यह सब मुझे बाद में पता चला, अगर पहले पता होता तो सुरेश बनने की बात ख्वाब में भी न सोचता।"
"अजीब बात है।"
"बिजनेस और चरित्रहीन बीवी के अलावा सुरेश की एक समस्या खुद को कातिलाना हमलों से बचाए रखना भी थी जो अब मेरी समस्या है। कोई सुरेश की हत्या का तलबगार है और अब कातिलाना हमले मुझ पर हो रहे हैं, क्योंकि मैं सुरेश हूं—है न ट्रेजडी.....जब मिक्की था, तब कम-से-कम मेरी हत्या का तलबगार तो कोई न था?"
"क्या तेरा इशारा मेरी तरफ है?"
"अब मुझे यकीन है, क्योंकि तू मेरे साथ है, मगर सच, कुछ देर पहले तक मैं सुरेश बनने के अपने फैसले पर पछता रहा था—शायद अकेला होने की वजह से—मैं सुरेश बन जरूर चुका हूं मगर उसकी करोड़ों की सम्पत्ति से अभी मीलों दूर हूं—दौलत तक मैं तब पहुंचूंगा जब जानकीनाथ से सम्बन्धित फाइल पुनः बन्द करा दूंगा—सुरेश की हत्या के तलबगार को कानून के हवाले कराके मैं राहत की सांस ले सकता हूं।"
"तू मुझे विस्तार से सबकुछ बता।" रहटू ने कहा— "वादा करता हूं कि हर तरह से मदद करूंगा।"
मिक्की को रहटू की ईमानदारी पर कोई शक नहीं था।
सो, सुरेश बनने के बाद से अब तक की हर घटना उसने विस्तार से बता दी—अलका का उसने कोई जिक्र नहीं किया, क्योंकि जानता था कि यदि उसे यह मालूम हो गया कि अलका का हत्यारा भी वही है तो उसके तेवर एकदम बदल जाएंगे। सुनने के बाद रहटू ने कहा— "इन घटनाओं से तो वास्तव में ऐसा लगता है, सुरेश बनना तेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल है।"
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