06-13-2020, 01:10 PM,
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desiaks
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RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
रहटू ने फायर किया।
गोली 'सर' से म्हात्रे के कान को स्पर्श करती निकल गई।
म्हात्रे कांप उठा।
"हाथ ऊपर उठा लो!" रहटू खतरनाक स्वर में गुर्राया, "गोली जानबूझकर तुम्हारे कान के नजदीक से गुजारी गई है म्हात्रे, चाहता तो भेजे का तरबूज भी बना सकता था—उम्मीद है कि मेरे निशाने के बारे में शंकित नहीं रहोगे।"
सबके हाथ स्वतः ऊपर उठते चले गए।
"वो मारा रहटू, ये काम किया है तूने—मान गया तू यारों का यार है, दोस्त के लिए कुछ भी कर सकता है।" मिक्की हर्षित स्वर में चिल्लाया।
"फिलहाल ज्यादा खुश होने वाली बात नहीं है, मिक्की।" नजरें उन्हीं पर गड़ाए रहटू ने कहा— "अभी हम खतरे में हैं, इन सबके हथियार लेकर तुम एक जीप में डाल लो, जल्दी करो।"
ऑफिस के अन्दर मौजूद पुलिस वाले दरवाजा तोड़ने का प्रयास करने लगे थे—अतः मौके की नजाकत को भांपकर मिक्की उनकी तरफ बढ़ा।
उन्हें कवर किए रहटू ने पुनः चेतावनी दी—"अगर मिक्की द्वारा हथियार लेते वक्त किसी ने हरकत की तो वह अपनी मौत का जिम्मेदार खुद होगा।"
वे असमंजस में फंसे खड़े रहे।
हालांकि उनमें से हरेक उस मौके की तलाश में था, जिसका लाभ उठाकर हालातों पर हावी हुआ जा सके, परन्तु रहटू इतना सतर्क था कि किसी को हल्का-सा भी मौका नहीं दिया।
पलकें तक भी नहीं झपकी थीं जालिम ने।
मदद के लिए मिक्की था, सबके शस्त्र एक जीप में पहुंचाने में उसने काफी फुर्ती दिखाई—उधर, ऑफिस के अन्दर से दरवाजे को तोड़ने की कोशिश लगातार जारी थी, मगर उसकी परवाह किए बगैर रहटू ने हुक्म दिया—"सब लोग हवालात की तरफ चलें, आगे का तमाशा आप लोगों को हवालात में बन्द होकर देखना है।"
"ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो, रहटू।" म्हात्रे ने कहा— "दोस्ती के जज्बातों ने शायद तुम्हें पागल कर दिया है, मिक्की को बचाने की जो कोशिश तुमने ऑफिस में की थी, वह तो फिर भी जंचती थी, मगर यह कोशिश या ऐसा करके तुम दोस्ती का हक अदा नहीं कर रहे हो, बल्कि नादानी कर रहे हो—इस तरह मिक्की तो बचेगा नहीं, तुम भी संगीन जुर्म के मुजरिम बन जाओगे।"
"मुझे तुम्हारी स्पीच नहीं सुननी है म्हात्रे, हवालात की तरफ चलो।"
इस तरह मिक्की और रहटू ने मिलकर उन्हें हवालात में बन्द कर दिया।
ताला लगाकर चाबी जेब में रखते हुए मिक्की ने कहा— "ऑफिस का दरवाजा टूटने वाला है, यहां से भाग चलो।"
"कहां?" रहटू ने अजीब सवाल पूछा।
"कहां से मतलब?"
"यहां से भागकर कहां जाएगा, कुत्ते?" रहटू बड़े ही हिंसक स्वर में गुर्राया—"बहुत भाग लिया, अब मैं तुझे नहीं भागने दूंगा।"
"र.....रहटू.....पागल हो गया है क्या?"
"नहीं.....पागल हुआ नहीं हूं बल्कि पागल हो गया था—अब तो होश में आया हूं, हरामजादे—तेरी दोस्ती ने पागल कर दिया था मुझे—तेरे एक अहसान ने मुझे दीवाना बना दिया था—मगर नहीं—तू दोस्ती के लायक नहीं है—गन्दी नाली में पड़े मैले में रेंगता कीड़ा है तू—अरे, जिसने अलका के प्यार को नहीं समझा—जिसने उस दीवानी को मार डाला, वह कोई आदमी है—थू—मैं थूकता हूं तुझ पर—ये सोचकर अपने आपसे नफरत हो गई है मुझे कि मैंने कदम-कदम पर तेरी मदद की—अपनी जान खतरे में डाली, काश.....मुझे पहले ही पता लग गया होता कि तू अलका का भी हत्यारा है।"
"य.....ये झूठ है रहटू, मैंने अलका की हत्या.....।"
"खामोश!" रहटू के जोर से दहाड़ने में इस बार रोने की आवाज मिक्स थी—"अपनी गन्दी जुबान बन्द रख सूअर, मैं पुलिस वाला नहीं जो तेरे झांसे में आ जाऊं—तेरे लिए मैंने नसीम बानो को जहर देकर मारने के कोशिश की—वह तो अच्छा हुआ कि जब तुम लोग मेरे ठेले के सामने से गुजर गए और नसीम ने तुझे आइसक्रीम खाने के लिए नहीं कहा, उसी पल मुझे किसी गड़बड़ी की आशंका हो गई थी—मुझे लगा कि नसीम को इल्म हो गया है कि वास्तव में योजना उसके मर्डर की है—तुम लोगों के आगे निकलते ही मैंने जहर वाला कप अपनी पीछे की झाड़ियों में फेंक दिया था—अगर उस वक्त मैं चूक जाता तो शायद तुझ जैसे जलील दोस्त को अपने हाथों से खत्म करने का सुख भी न लूट पाता।"
मिक्की के होश फाख्ता थे।
म्हात्रे आदि हवालात में बन्द सींखचों के बीच से ऐसा चमत्कारी दृश्य देख रहे थे, जिसकी उन्होंने स्वप्न में भी कल्पना न की थी—रहटू की हालत, उसका एक-एक शब्द उनकी दिलचस्पी का बायस था।
मिक्की को सूझ नहीं रहा था कि क्या कहे?
क्या करे?
ऑफिस के अन्दर से दरवाजे को तोड़ डालने की कोशिश अब भी जारी थी और यह भांपने के बाद कि दरवाजा टूटने में कितनी देर है, रहटू ने कहा— "मजे की बात तो ये है कि अपने मरने के लिए तूने मैदान साफ करने में मेरी भरपूर मदद की, मैंने जो मदद की थी, उसका बदला तो चुका दिया, है न?"
"म.....मुझे माफ कर दो रहटू।" मिक्की गिड़गिड़ाया—"म.....मजबूरी हो गई थी यार, वह मेरा राज पुलिस पर खोलने के लिए कहने लगी थीं।"
"अच्छा?"
"हां।"
"फिर क्या हुआ?"
"फिर.....।"
"धांय!" रहटू के रिवाल्वर से निकली गोली ने मिक्की का घुटना तोड़ दिया—एक मर्मान्तक चीख के साथ वह जमीन पर गिरा।
"न.....नहीं।" हवालात के अन्दर से महेश विश्वास चीखा—"ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो, रहटू।"
"तुम चुप रहो, इंस्पेक्टर।" उसकी तरफ घूमकर रहटू अजीब वहशियाना अन्दाज में गुर्राया—"मुझे तुमसे नहीं जानना कि सही और गलत क्या है?"
महेश विश्वास सकपका गया।
शशिकांत ने कहा— "तुम अपने हाथ उसके खून से क्यों रंगते हो, कानून तो उसे सजा देगा ही।"
"नहीं इंस्पेक्टर, कानून इसे अलका के जिस्म को मिटाने की सजा दे सकता है—उसके प्यार, उसके विश्वास, उसकी मासूमियत का हत्यारा भी है ये जालिम, और कानून उसे इन हत्याओं की सजा नहीं दे सकता—इन हत्याओं की सजा तो इसे तब मिलेगी जब यह भी किसी अपने के हाथों मरे और इस दुनिया में इसका अपना मुझसे ज्यादा कोई नहीं है—क्यों मिक्की—मैं ठीक कह रहा हूं न—मैं तेरा अपना हूं न?"
"ह-हां।" उसने घिसटते हुए कहा— "हां रहटू.....तू मेरा अपना है, मेरा यार.....मुझे बख्श दे।"
"अगर आस-पास खड़ी अलका की रुह इस मंजर को देख रही होगी तो वह खुश होगी—सोच रही होगी कि उसके प्यार की कद्र करने वाला कोई तो है—ले, उसी के पास जा—मुझे पूरी उम्मीद है कि तुझे अपने सामने देखते ही वह बेवकूफ अपने गले से लगा लेगी, तेरे जख्मों को सहलाएगी।"
"र.....रहटू—।"
मगर रहटू ने वाक्य पूरा न होने दिया, उसके रिवॉल्वर से निकली गोली ने इस बार मिक्की के भेजे को तीसरी मंजिल से गिरे तरबूज की तरह फोड़ दिया।
'भड़ाक' की जोरदार आवाज के साथ ऑफिस का दरवाजा टूटा, हाथ में दबा रिवॉल्वर मिक्की की लाश की तरफ उछालने के बाद उसने पूरी आत्मिक शांति के साथ दोनों हाथ ऊपर उठा दिए।
...............—समाप्त—...............
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