RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका
(Episode 5)
सुबह 7 बजे थे।मेरी नींद आज जल्दी खुल गयी।मुझे प्यास लगी थी।मैंने देखा तो माँ और दोनो मामिया सज धज के कहि बाहर जा रही थी।मैंने कुछ पूछा भी नही,क्योकि नींद बहोत थी।पानी पीकर मैं फिरसे जाकर सो गया।
करीब 10 बजे किसी चीज के गिरने से मेरी नींद खुली।बड़ा भारी आवाज था।देखा तो कमरे में कोई नही था।पर बाथरूम से आवाज आ रही थी।मैं उठा और बाथरूम की तरफ गया।सामने देखा तो शॉवर गिर गया था और गिरने वाले पानी में कांता चाची भीग रही थी।
क्या कयामत थी 45 साल की एक कमसिन औरत ऊपर से नीचे गीली साड़ी में लिपटा यौवन।साडी पुरी चिपक गयी थी।गांड उभार कर दिख रही थी।मैं अंडरविअर में सोता था तो मैं वैसे ही बाथरूम में घुसा था।पानी इतनी जोर से बह रहा था की मैं भी भीग गया।चिपके शरीर से मेरा लण्ड का आकर साफ दिखाई दे रहा था।
वातावरण पूरा रोमांचक हो गया था।मैं उस लम्हे का पूरा फायदा उठाना चाहता था।मैंने उसके पीछे जाकर चिपक गया और अपनी बाहों में जखडा।
कांता:बाबू ये क्या कर रहे हो?!!कोई आ जाएगा तो परेशानी होगी!!छोड़ो
मैं:अरे कुछ नही होता मुझे मालूम है संजू दीदी के सिवा घर में कोई नही है,और वो दोपहर तक आएगी भी नही।
कांता(छूटने की नाकाम कोशिश कहो या नौटंकी करते हुए)
:आपको इतना यकीन कैसे?
मैं:तुझे यकीन चाहिए या मेरा लण्ड
कांता शर्मा गयी।उसने अपना बदन मेरी बाहों में ढीला छोड़ दिया।
मैंने उसके गांड के बीच लण्ड सेट किया और आहिस्ता घिसाने लगा।उसके चुचो को हाथ में लेके मसलने लगा।
कांता"आहुमम्म आआह"करते हुए सिसकारी छोड़ रही थी।
मैंने उसका ब्लाउज और ब्रा दोनो निकाल दिया।क्या भरे चुचे थे।मसलने में बहोत मजा आ रहा था।उसके ब्राउन निप्पल्स बहोत ही मोहक थे।मैंने उसको नोचना चालू किया।तो कांता तिलमिलाने लगी।
मैंने उसको अपनी तरफ घुमाया।पानी के बहाव में लिप्त उसके कांपते हुए होंठो को अपने कब्जे में करते हुए।चूसने लगा।उसने मुझे कस के पकड़ लिया।हम एकदूसरे को लिपटे हुए ओंठोसे रसभरा स्वाद ले रहे थे।
काफी देर होने के बाद उसको मैंने अपने बाहों से रिहा किया।दोनो पूरी तरह से नंगे हो गए थे।उसको मैंने दीवार पर टिका कर नीचे बैठ गया।उसकी चुत ठंडे पानी में भी आग की तरह गर्म थी।मैंने उसके चुत में उंगली डाली और आगे पीछे करने लगा।वो अंगड़ाई ओ में तिलमिला रही थी।
उसकी चुत काफी फैली हुई थी।मैंने जीभ डाल घूमने लगा।उस समय बदन में इतना रोमांच था की उसके चुत रस का खट्टा स्वाद भी मीठा लग रहा था।
मेरा लन्ड भी लोहे की तरह तप कर कठोर बन गया था।मैंने उसके हाथ को पकड़ के अपने लण्ड पे रखा।मेरे गर्म लन्ड के स्पर्श से उसके मुह से सिसकी निकली उसने ओंठ दांतो तले चबा दिया।मैंने फिरसे उसके ओंठो का रसपान चालू किया।ओ मेरा लण्ड अपने हाथो से सहला रही थी।मेरा चमड़ा पूरा पीछे हो गया था और लण्ड का टोपा बाहर चमक रहा था।
ओ नीचे बैठ कर मेरे लण्ड को मुह में ले ली।वो चूस चूस कर लण्ड का स्वाद ले रही थी।टोपे से लेकर नीचे के अंडों तक चाट रही थी।पक्की रंडी थी।अभी मेरा झड़ने का वक्त पास आया था।लण्ड में बेचैनी सी हो रही थी।मैने उसका सर पकड़ा और लण्ड से मुह छोड़ना चालू किया।मुह से "ओओओ गप गप" की आवाजे गूंजने लगी।मैं पूरा का पूरा उसकी मुह में झड़ गया।मैने उसका सर कस के पकड़ा और लण्ड तब तक बाहर नही निकाला जब तक आखरी बून्द उसकी मुह में झड़ नही जाता।ओ भी घुटन से सारा लन्ड रस पी गयी।
सारा रस पीने के बाद भी वो लण्ड को चुस्ती रही।मेरा लण्ड फिरसे तन के खड़ा था।अभी चुदने की बारी उसके चुत की थी।उसको खड़ा किया,वो बेसिन को लग के खड़ी हो गयी।कांता की गांड बहोत बड़ी थी।उसकी कमर को थोड़ा मोड़ा।एक पैर को साइड के बाथटब के ऊपर रखा जिससे चुत का छेद खुला हो जाए।जैसे ही चुत के छेद का दर्शन हुआ।अपना लण्ड छेद पे लगाया और धक्के देना चालू हो गया।
"आआह आआह सीईई उम्मम आआह चोदो आउच्च चो ओओओ दो ओओओ और जोर से आआह हहह आआह
वो भी गांड को आगे पीछे करने लगी।पहले मैं एकदम धीरे से आगे पीछे कर रहा था।15 ,20 मिनट बाद मेरा फिर से झड़ने आया तो मैने स्पीड बढ़ा दी।उनके बाल घोड़े के माफिक खींच जैसे घोड्सवारी ही कर रहा था
"आआह बाबूजी धीरे से आआह मार गई दैया आआह"
जैसे ही मेरा छूटने वाला था।उसको नीचे बैठाया और लण्ड उसके मुह में ठूस दिया।ओ भी बिना बोले भूखी रंडी की तरह चूसने लगी।और लिकलते सारे लंड के पानी को पी गयी।
उसने गीले कपड़े पहने और वहां से जा रही थी।उसको मैंने रोक लिया।
मैं:कांता चाची**
कांता (शर्माते हुए):जी बाबू जी
मैं:फिर कब मिलोगी
कांता:जी पता नही,आप ही देख लो।
मैं:मुझे तो अभी भी मन है।
कांता(शर्माते हस्ते हुए):बाबूजी अभी काम बहोत है,अभी नही।
मैं:सीधा बोलो न लण्ड नही पसंद आया।
मेरे मुह से डायरेक्ट लण्ड शब्द का उच्चरण सुन ओ चौक गयी और शर्माते हुए:नही नही अइसी कोई बात नही,लण्ड तो बहुत दमदार है,इसे कोन ना बोलेगा।
मैं:अच्छा तो तेरी चुत को पसंद नही आया उसका नया शौहर।
(अब हममे खुल के बाते हो रही थी।)
कांता:नही चुत तो दिन रात उसकी सेवा में मेवा खाने को बेताब है(उसने साड़ी के ऊपर से चुत पर हाथ से दबाया)
पर समय ठीक नही।मेवे के लालच में कोई अनहोनी न हो जाए।
मैं आगे गया।उसके चुचे हाथ में पकड़े और निप्पल्स मसलते हुए बोला:ठीक है पर मेरे बुलाने पर आ जाना जरूर।
कांता सिसकार्यो में बोली:आपकीईई ही दासी हुऊऊऊ,जब उचित समय जब भी सेवा करवानी हो हाजिर हो उम्मम जाऊंगी इईस हहहहआआह"
उसको एक ओंठो का चुम्मा दिया और रिहा कर दिया।
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