RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका
(Episode 8 )
◆पार्ट 1-सतरंज का आखरी दाव◆
कल का हादसा मेरे लिए बहोत बड़ी सिख थी की अभी सम्भलके रहना पड़ेगा।पर ये बात भी दिल को खाये जा रही थी की,हम कहा जा रहे है ये चौराहे तक शिवकरण को मालूम नही था।चौराहे पर जब शिवकरण को बताया उसके बाद कान्ता आयी।तो कान्ता को भी नही मालूम।वहां तक जानेतक शिवकरण ने मोबाइल भी नही हाथ में लिया था।तो हमलावर को मालूम कैसे पड़ा।क्या वो आदमी हम लोगो का पीछा कर रहा था।और उस जगह से रास्ते पर आने तक वही था।मैंने आफिस से हमले तक की सारी घटनायें फिरसे एकबार मन में घुमवाई।इसमे एक ही समय था जब शिवकरण साफ होने गया था नदी पे और उसे समय लगा था आने तक।यातो उसने जानभुजके किया या तो ओ भी एक प्यादा था।
आज कहे अनुसार मुझे मीना के घर जाना था।गाड़ी गैराज में थी।तो मै बाइक लेके गया।कल के हादसे के बक़द पूरी सावधानी से मै गाड़ी चला रहा था।मैंने आफिस से मीना का पता लिया था।और आश्चर्य की बात ये की जहा कल हमला हुआ उसकी बस्ती उसी नदी के किनारे थी।कुछ पल के लिए मुझे मीना पर भी शक हुआ,पर वो तो आफिस में थी और मैं बाहर गया हु ये भी उसे मालूम नही था।
मैं मीना के घर पहुंचा।कहे अनुसार मीना की आज छुट्टी थी।मीना के पति की हालत पेरेलाइज की तरह थी।उसे कुछ न बोलना आता था न सही से सुनना।दोपहर उसकी बहन उसको खाना खिला देती थी।जो थोड़ा दूरी पर रहती थी।इसलिए मीना छुट्टी बहोत ज्यादा लेती थी।अभी उसका पति सोया था।और उसको करना भी कुछ नही उसको सोने के सिवा।
मैं मीना को पूछा:और कोई नही रहता आप लोगो के सिवा।
मीना: नही,वो क्या है की हमारी भागके शादी हुई थी तो हम अलग रहते है।3 महीने पहले इनको के झटका आया।ये भी आपके ही कम्पनी में काम करते है।
मै:अच्छा यहां और भी लोग है क्या जो हमारे कम्पनी में काम करते हो।
मीना:हा साब सारा गांव ही बोलो।आपके नाना जी के कृपा से सारे गांव वालो को आपके यहां रोजगार मिलता है।
(मै मन में-अच्छा तो यहां से हमारी जानकारी हमलावर तक गयी है।)
मीना:रुको साब मै पानी लाती हु।
मीना का घर झोपड़े जैसा था।बाहर पलँग और एक अलमारी लकड़ी की बाकी कपड़ो से बांधे गद्दे।अंदर किचन चूल्हे वाला।वहां से बाहर कपड़े से तैयार की गयी बाथरूम।
मै उसके पीछे किचन में गया।
मीना:साब मै बाहर लेके आ जाती पानी यहां बहोत गंदगी है।
उसको 1लाख थमा दिए(छोटे मामा के एकाउंट में ऐड कर दिए उस पैसे को)
मीना:साब ये????
मै:तुम्हारे पति और बच्चो के लिए।कल एम्बुलेंस आ जाएगी तब इसको हॉस्पिटल में लेके जाना।ये वह के खर्चे के लिए है।और बच्चो की पढ़ाई के वास्ते।
मीना के आंखों में पानी सा आ गया।ओ मेरे पैर पड़ने लगी।
मै: अरे तुम्हारा साब हु पर उम्र से बहोत छोटा हु,मुझे अच्छा नही लगता कोई मेरे पैर छुए।
मीना:आप उम्र से छोटे हो पर आपका दिल बहोत बड़ा है।
मै:हा ना।फिर आओ मेरे दिल से लग जाओ(मैंने हाथ फैला दिए।)
मीना मुझसे चिपक गयी।मैं ने उसे कस के बाहों में लिया।
मीना:सच में बहोत मेहरबानी साब,इस गरीब को इतना प्यार देने के लिए,आप जो मांगोगे उसके लिए ये मीना हमेशा तैयार रहेगी।
मै:वही तो लेने आया हु।
मीना:क्या?बोलो तो आप आपके लिए जान भी हाजिर है।
मै:जान बाद में देदेना पहले गांड देदे।
मीना चौक गयी,उसे कुछ समझ नही आया।
मैं:कुछ नही समझी न।
मीना ने ना में सिर हिलाया।
मैंने उसके गांड को दबाया:ये चाहिए मुझे।
मीना संकोच में थी,मैंने उसके साड़ी को खींचा।वो ब्लाउज और पेटीकोट में आ गयी।मैंने उसको अपनी तरफ खींचा।उसके ओंठो को चूमा।उसके चुचे मसलने लगा।नीचे से पेटिकोट उठाया।अंदर पेंटी नही थी।मैंने उसके चुत में उंगली घुसाई और रगड़ दी।
मीना:आआह उफ(वो मुझसे कस के गले से दबाई।)
मै:तेल है तेरे पास।
मीना:हा?पर क्यो?
मै:तू ला तो सही।
मीना तेल लेके आती है।मै तब तक नंगा हो जाता हु।ओ आते ही उसको भी पूरा नंगा होने को बोल दिया।उसने चटाई डाली और सो गयी।मै उसके चुत के उधर बैठा।उसके पैर ऊपर किये और फैला दिए।मेरे लन्ड पर तेल डाला उसे मसल के एकदम लोहा जैसा खड़ा किया।
मैने उसके गांड पे तेल डाला।उसकी गांड की छेद को तेल से पूरा चिपचिपा किया।
मीना:साब सच में आप मेरी गांड मार रहे हो।
मै:मैं कभी अइसे मजाक करता हु!!?
मीना:नही करते पर कभी मैंने गांड नही मारी है।
मैं:और मुझे फ्रेश गांड मारना ही पसन्द है।और अभी सवाल बन्द और गांड मारना शुरू।
मैंने गांड के छेद के ऊपर लन्ड को लगाया।थोड़ा दबाव डाला।
मीना:आआह बाबूजी ईई।
मैंने फिरसे थोड़ा तेल डाला और लन्ड को जोर दिया तो आधा लण्ड अंदर चला गया।मीना तिलमिला गयी।
"आआह आआह उम्मम साब निकालो आआह निकालो दर्द हो रहा है आआह आआह उफ्फ आआह दर्द हो रहा है आआह"
मैं थोड़ी देर रुका।और आहिस्ते आगे पीछे होने लगा।वो थोड़ी शांत हुई।मैने अब धक्के पेलना चालू किया।
"आआह आआह फट गयी रे आआह गांड फट गयी आआह उफ आउच्च अम्मा आआह मर गयी आआह"
मैं अभी पूरा लन्ड अंदर घुसा चुका था।पूरे जोरो से चुदाई चल रही थी ।तभी बाहर से कोई"भाभी भाभी चिल्लाते आया"।
मैंने लण्ड बाहर निकाला।मीना उठ के खड़ी हो गयी।वो पैर फैलाये हुए चल रही थी।वो कपड़े पहने उससे पहले वो लड़की अंदर आयी।उन्होंने हम दोनो को अंदर नंगा देख लिया।वो बाहर भागती उससे पहले मैंने उसको पकड़ लिया।
मैं:किधर भाग रही है।
वो:वो वो आप लोग।
मीना':सोनू तू भैया के पास बैठ जा।(मुझसे)बाबू इनकी बहन है दोपहर का खाना खिलाने आयी है।
मैंने उसको रिहा किया।और मीना को पकड़ के अंदर चला गया।सोनू अपने भैया के पास चली गयी।
मीना :माफ करना साब वो बच्ची है।
मैं:ठीक है कोई बात नही बस कहि मुह न खोलदे।
मीना मेरे गले में हाथ डालके:कुछ नही होगा,मै हु न।(उसने मेरे ओंठो को चूमा।मेरे लन्ड को हाथ में लेके मसलने लगी)बस अभी गांड में जलन हो रही है उसको शांत कर दो।
मै हस दिया वो नीचे झुक घोड़ी बन गयी।मैंने तेल लिया।
मीना:नही अयसेही डालो।मुझे बहोत मजा आया अभी अइसे ही डालो।
मैने वैसे ही लण्ड को सेट किया उर धक्का दिया।
मीना चीख उठी:हाये अम्मा आआह आआह
मैं रुका उसकी चीख कम हुई, मैं धक्का देना चालू किया।आगे से चुचो को कस के दबाया।दे दना दन धक्के देना चालू किया।वो मजे ले रही थी,लग रहा था गांड ढीली हो चुकी थी।।मैं थक कर दीवार को सट कर बैठा।
मैं:क्या कमाल की गांड है तेरी।बड़ा मजा आया पर अभी गिरा नही।
मीना:मैं हुना
वो मेरे तरफ मुह करके मेरे लन्ड पे बैठ गयी।मेरे ओंठो को चूसते हुए ऊपर नीचे उछलने लगी।मै उसके चुचे मसल रहा था।आखिरकार हम दोनो एक साथ झड गए।चुत में लन्ड रखके ही थोड़ी देर एक दूसरे से लिपटे रहे।
मै वहां से बाहर निकला।कम्पाउंड से बाहर जाने तक मीना दरवाजे पर खड़ी थी।वो जैसे ही अंदर गयी।
मैं गाड़ी लेके बाहर रास्ते पर निकला ही था ।थोड़ा आगे आया और जहा एक छोटा पूल था वह पे आते ही कल वाले ट्रॉली ने फिरसे ठोक दिया।मै गाड़ी के साथ नीचे गिर गया।गिरते वक्त मैंने खुद को गाड़ी से दूर कर दिया जिससे गाड़ी नदी किनारे के पत्थर पे पटकी और उसका विस्फोट हुआ।
ट्रॉली वाला आदमी पूल से किसी से कॉल पे बात कर रहा था।वो जरूर इस प्लान के मास्टर माइंड से बात कर रहा था।
घर पर-
मेरे देहांत की बात घर पर पता चली ।संजू भाभी बड़ी मामी मा का रो के बुरा हाल।चाचा चाची और अम्मा भी आ गयी थी।इस बात से नाना की तबियत बिगड़ गयी।
घर का पूरा वातावरण दुःखमय हुआ था।दो तीन दिन निकल गए थे,पर नाना की तबियत और बिगड़ गयी।वो बेड पे ही चिपक गए।संजू ने खाना छोड़ दिया था।बड़े मामा बड़े सख्त दिल के थे पर इसबार वो पिघल गए थे।और छोटे मामा मामी का तो कहो ही मत,उनको तो आनंद ही आनंद
कुछ दिन बाद कान्ता को मीना ने कॉल किया,कहा कुछ जरूरी बात बतानी है,आ जाओ मेरे घर पे।मीना कान्ता की बचपन की सहेली की बेटी तो कान्ता पर वो भरोसा रख सकती थी।घर में सब व्यस्त थे अपने में।कुछ खुश थे पर कुछ बहोत ही दुखी।कान्ता चुपचाप निकल गयी मीना के पास।
इधर मीना के बस्ती में-
मुझे जब ट्रॉली ने टक्कर मारी तब सोनू ने देख लिया था।उसने मीना को जाके बताया।मीना झट से नदी किनारे आयी।मै कैसे वैसे नदी किनारे तैरते हुए पहुँच गया था।पर काफी थक गया था।मीना ने और सोनू मुझे मीना के घर लेके गए।1 दिन के दवादारू के बाद मुझे होश आया था।तीन दिन सोनू की मदत से उस टक्कर मारने वाले को हमने ढूंढ लिया।अभी तीन दिन गए थे अभी बारी थी हमलावर के नकाब को हटाने की।
कान्ता मीना के घर आयी ।
कान्ता:क्या हुआ मीना अइसे अचानक से बुला लिया।
मीना कुछ बोली नही सीधा अंदर लेके आयी।वहाँ पर मै बैठा था।मुझे कान्ता थोड़े पल तक देखती रही।उसे अपने आंखों पर भरोसा नही हो रहा था।अचानक से दौड़ी और मेरे से लिपट रोने लगी।
मैं:अरे हा हा जिंदा हु।बस थोड़ा खरोच आया है।
कान्ता मुझे प्यार से झांपड मारती हुई:ये कोई तरीका है मजाक करने का।दीदी बड़ी मालकिन संजू और सिद्धि का बुरा हाल है।वो कलमुँही तो मजे कर रही है।गांव से सारे लोग आये है।
मैं:और नाना जी!!?
वो मुझसे लिपट गयी:आखरी सांसे ले रहे है।तुम्हारी मा और बड़ी मामी ने उनकी सेहत के लिए मंदिर में पूजा रखी है आज सब वही है।
मैं:फिर घर में?
कान्ता:नाना जी और..........!!!!
मैं वहाँ से भागता हुआ रास्तेपर आया।मुझमे उतनी शक्ति नही थी।कान्ता और मीना भी धीरे धीरे भागते आ रहे थे।सोनू उनसे पहले पोहोंच गयी।उसे मैंने कान्ता की मदत से पुलिस को बुलाने बोला।क्योकि अभी ये अंतिम पड़ाव था।और मेरी हालत बहोत ही खराब थी।मैं रास्ते मे शहर जाने वाले गाड़ी को रोका और शहर निकल गया।
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