Maa Sex Kahani माँ का मायका
06-16-2020, 01:28 PM,
#33
RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका
(Episode 5)

सुबह हम जल्दी उठ गए थे।छोटी मामी छोड़ बाकीऔरते सुबह ही गेस्ट हाउस पोहोंच गयी थी नाना के साथ।छोटे मामा मामी तो वैसे भी मेरे किसी खुशी में रुचि नही रखते थे।पर मुझे भी उनको तंग करना अच्छा नही लग रहा था।सुबह मैं मामी के कमरे में गया।

मामी:क्या है अभी,क्या चाहिए तुझे।

मै:ये आपके कागजाद!!!!

मामी को कागजाद सौंप दिए और वहा से निकलने लगा।

मामी ने रोका:रुक वीरू!ये क्या कैसे।अचानक!मुझे कुछ विश्वास ही नही हो रहा।

मैं:मामी मुझे आपसे कोई दुश्मनी नही,बस थोड़ा सावधान था तो बर्ताव में बदलाव किया था।कुछ गलत बोला हो तो माफ कर देना।

मामी:अरे नही गलती तो हमसे हुई,हमे तुम्हे जाने बिना बदसलूकी की।

मैं:चलो अभी तो साफ हो गये गिलाशिकवे तो आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते।

मामी:अरे वीरू रुक तो सही।अभी गिलेशिकवे दूर हो गए तो दोस्ती कर ले।

मैं:मैं अयसेही किसीसे दोस्ती नही करता।आपके लिए सोचूंगा फिर कभी।

मामी:अरे तुम बहोत ही बुरा मान गये।चलो आओ बैठो।मैं कुछ तोफा लाती हु।

मै:नही मामी,देर हो जाएगी।सभी लोग गेस्ट हाउस गए है।

मामी:शादी दोपहर 2 बजे है अभी 9 बजे है।बहोत ज्यादा टाइम है।तुम बैठो तो सही ।

मैं बेड पे बैठ गया।और मामी की राह देखने लगा।कुछ देर बाद मामी बाहर आयी।पूरी नंगी।

मैं:मामी ये क्या है।नही ये सब अभी मत करो,इसके लिए ये सही वक्त नही है।

मामी:वीरू इसका कोई वक्त नही होता।(उन्होने चुत को मसला।)जब आग लगे चुदवा लेना चाहिए।तू चोदता बड़ा मस्त है।अबतक थोड़ा ईगो था इसलिए नही तो तेरे से मजे लेके चुदवाने का मन था।

मैं:पर अभी कैसे,ये वक्त नही है ये।बाद में कभी सोचेंगे।

मैं उठ कर जाने लगा।मामी मेरे पास आयी और मुझे बेड पर धककल कर मेरे ऊपर चढ़ गयी।मेरे चेहरे को चूमने लगी।

मामी:अभी तू समय की बात मत कर,अभी सहन नही होगा मुझसे।

मामी ने मेरे कपड़े झट से निकाल फेंके औऱ बेड पर मेरे ऊपर चढ़ के मेरे पूरे शरीर को चाटने लगी।चाटते हुए नीचे लन्ड तक जाके लण्ड को चाटने लगी ऊपर से नीचे अंडों तक।लण्ड के टोपे पर जीभ घुमाने लगी।पूरा लण्ड मुह में लेके चुसने लगी।

फिरसे मेरे ऊपर आयी अपनी चुत को मेरे मुह पर लगा के गांड को आगे पीछे करने लगी।मैन अपनी जीभ उनके चुत में डाल दी थी।वो अभी जीभ से अपनी चुत को चुदवा रही थी।अपने चुचे मसल रही थी।चुत एकदम गर्म हो गयी थी।कुछ पल में ही उन्होंने अपने चुत को झड़ा दिया।

फिर नीचे लण्ड पे बैठ के पूरा लण्ड चुत में लिया"आहाह आहाह" ।गांड उठा के आहिस्ता आहिस्ता चोदने लगी।

मामी:साला कुछ भी हो तू है बड़ा दमदार लौंडा।तेरा लण्ड चुत में घुसते ही चुत तिलमिल जाती है आआह आआह आआह।

मामी ने चुदने का स्पीड बढ़ाया और फिरसे झड गई।वो आगे बढ़ती उससे पहले मै उनको हटाया और बाजू होकर कपड़े पहन लिया।

मैं:मामी बस हो गया।आपकी हवस कभी मिटेगी नही ,पर आज कुछ खास दिन है,आपकी हवस बाद में मिटा दूंगा।

मामी का ये बर्ताव सच में मेरे लिये बड़ा ही पहेली वाला था।क्या छोटी मामी सच में मेरे जान के पीछे नही थी।छोटे मामा तो मुझसे कबसे दूर भागे जा रहे है।मतलब पहलेसे ही इनको मेरे रास्ते में रखा गया था जिससे मेरा ध्यान सही शख्स से भटका रहे।बड़ा गेम खेल लियो रे ये तो।

दोपहर को 1 बजे

हम गेस्ट हाउस पहोंच गए।मेरा द्वार पे स्वागत हुआ।नाचते हुए गेस्ट हाउस के पिछे की तरफ जाना था।मेरे साथ छोटी मामी मा और रवि भैया और भाभी थी।बेंजो वाले आगे थे।पीछे कान्ता और शिवकरण।

मेरी नजर इंस्पेक्टर को ढूंढ रही थी।बेंजो वाले बड़े मजे ले रहे थे मेरे शादी की।
एक बेंजो वाला:साब जी काहे मय्यत वाली शक्ल बनाये हो,खुशियां मनाओ,आज तो शादी है।

इसको क्या मालूम आज मैं दो धार वाली तलवार में चल रहा हु ।आज या तो आर या पार।

आज शादी थी मैरी पर मुझे शोकसभा का अहसास हो रहा था।कल रात जो बाते मुझे मालूम पड़ी वो बहोत भयानक थी।

हम मंडप में गए।थोड़ी रस्मे पार हुई और संजू आ गयी।
आज कमाल लग रही थी।आज उनके प्यार में जान देने का भी मन नही था क्योकि वैसे भी जान के पीछे कोई और था।

संजू मंडप में आयी।सब लोग मंगलाष्टक के लिए खड़े हुए।
हर एक के आंखों में खुशी की लहर थी।ये जानना बहोत कठिन था की वो शादी की है या किसी और बात की।मै सिर्फ इंस्पेक्टर को ढूंढ रहा था।अभी उसके सिवा भरोसेमंद कोई था नही औऱ वही था जो आज मुझे बचा सकता था।

शादी खत्म हुई हम खाना खाने गए।फिर बिदाई तो होनी सी नही रही।पर अभी तक इंस्पेक्टर का कुछ मालूम पता नही था।अरे यार आज तो जान जानी थी।

घर जाने के लिए सब गाड़ी में बैठ गए।मेरे गाड़ी में मैं संजू मा बड़ी मामी और रवि भैया और दूसरे गाड़ी में छोटे मामा मामी भाभी और कान्ता।बाकी लोग तीसरे गाड़ी में।

हमारी गाड़ी बीच में थी और कान्ता वाली हमारे पीछे हमारे आगे बेंजो वाले थे।कुछ आधा कोस दूर रास्ते पर आने के बाद पूरा घना अंधेरा हो गया।और अचानक कहि से एक गाड़ी आयी 5 से 6 लोग उतरे और गोलीबारी चालू हुई।हमलावरों ने शुरवाती निशाना ड्रायविंग सीट मतलब ड्राइवर पर साधा क्योकि उससे गाड़ी या तो रुक जाय यातो पलट जाए।मारना तो सबको ही होगा उनको।इस मनसूबे की वजह से शिवकरण और छोटे मामा पहले शिकार हो गए।

गाड़िया रास्ते के बाजू वाले डगर पर चढ़ के रुक गयी।सारे लोग डर के मारे रो रहे थे चिल्ला रहे थे।इनका निशाना इसबार सिर्फ मैं नही था सारे थे।दो आदमी झट से कहि से आके मेरे गाड़ी का दरवाजा खोला बड़ी मामी को नीचे खींच कर संजू को लेके गया।दो आदमी उन 5 6 लोगो से अलग थे।वो दूसरी गाड़ी से आये थे।

सारा खेल सिर्फ 5 मिनट में घटा।उन लोगो ने फट फट से सारे लोगो को बाहर किया।सारे लोगो के एक किनारे खड़ा किया।हमलावर मास्क पहने थे।

मैं:देखो मुझे मालूम है की आप किसके लिए आये हो।जान मेरी लेनी थी तो उनको क्यो मारा।अभी बस हो गया ।आपको मैं चाहिए तो मै हाजिर हु।इनको छोड़ दो।

बंदे ने अपना मास्क हटाया:अरे चल बे लवड़े,आज सब के गाड़ में गोली मारूंगा।राम नाम सत्य है।

सब लोगो की उसको देख के आंखे घूम गयी।वो बलबीर था।बाकी लोगो ने भी मास्क हटाए।उन लोगो में फैक्टी के ही लोग थे।और वो दोनो सुपरवाइजिंग स्टाफ भी।मतलब मै जहा सेफ महसूस कर रहा था वही मेरे हमलावर थे।पिछला हमला कैसे हुआ इसका पता चल रहा था मुझे।

बलबीर ने मेरे ऊपर गन तानी:बहोत खून में गर्मी है न तेरे।साले आज सब मिट जाएगी।

उसका उंगली ट्रिगर पे दबने वाला था।यहाँ घरवाले पूरा सदमे में और हमलावर सब हस कर मजे ले रहे थे।मैंने आंखे बन्द की।मन ही मन इंस्पेक्टर को गाली देने लगा।फिर एक गोली चली।आंखे खोलने तक 4 5 6 गोलियां बरस गयी।पर फिर भी मैं जिंदा था।किसीने मुझे पीछे धकेला।मैं होश में आया।वो बेंजो वाले थे।

वो शख्स ने मुझे अपना वेश उतारा:क्यो साब जी मजे आये,खुशियां मनाओ,शादी हो गयी है।

मैं:यार पवन जान निकाल दी आपने।मुझे लगा आप फूल चढ़ाने आओगे मय्यत पे।

पवन वही है जो पुलिस में काम करता है और अभी दोस्त भी बना था।जिसकी सुबह से आँखे लगाए राहदेख रहा था।

पवन:अरे देरी करने की बहोत बड़ी वजह है चलो मेरे साथ।बताता हु।

शिवकरण और छोटे मामा तो स्वर्ग सिधार गए।मामी और कान्ता को एकदम से गहरे सदमे में थी।लाशें पोस्टमार्टम को ले जाई गयी।और सारे लोगो को इंस्पेक्टर पवन ने सारी बाते समझा दी।

सब लोग बंगले पर पहुंच गए।औरते बाहर थी।रवि भैया को गोली छू कर गयी थी तो उसे लेकर अस्पताल गए मै और पवन और कुछ हवलदार हमलावर का भेस बनाकर बंगले में गए।बलबीर को गाड़ी में बांध पुलिस ने बंगले को घेर लिया था।

हम घर में घुसे।सामने कुछ लोग खड़े थे।नानाजी,बड़े मामाजी,सुशील(छोटे मामी का बाप)सविता,संपत सिंह और अम्मा।

पवन संपत से:हो गया काम तमाम,अभी क्या हुकुम है।

संपत:और लाशें।

पवन(हमलावरों की भेस में):वो वहां है जहा आप सोच नही सकते।

"वो जिंदा हो गए तो तुम्हारे साथ क्या होगा ये तुम नही सोच सकते।ओ मरने ही चाहिए।"आवाज जानी पहचानी थी पर भरोसा नही हो रहा था की है शख्स इस सब के पीछे हो सकता है।जी जनाब वही मिस्टर शामलदास सिंह ,यानी नानाजी।

बड़े मामा:अभी उनकी जरूरत नही हमे,पुलिस को ओ महज एक एक्सीटेंट लगना चाहिए।

पवन ने अपना भेस हटाया:पर अभी बहोत देर हो गयी है।

अचानक से बलबीर समझ रहे थे वही पवन निकलने से सारे लोग एक दम हड़बड़ा गए।

सुशील:कौन हो तुम,बलबीर कहा है?

पवन:मैं तेरा बाप और तेरा बलबीर को ससुराल भेज दियो हमने।अभी आपकी बारी।

सविता:पु पु पुलिस.........!!!!!

सविता भाभी के पुलिस शब्द से सब चौकना हो गए।संपत ने झट से बंदूक तानी ।सविता उसका पति और नाना जी निकल गए। वह से निकल गए।संपत ने अपने कुछ आदमियो को भी इशारा किया।अभी वह जंग छिड़ गयी थी।गोलीबारी हो रही थी।

पवन ने मुझे कवर करके बोला तुम तुम्हारी बीवी को बचाओ।मैं संभाल लूंगा इनको।मैं ऊपर के कमरे में गुया।संजू के कमरे में।वह सविता नाना जी और सुशील थे।सविता ने चाकू संजू के गर्दन पे रखा था बाकी दोनो गमला लेके खड़े थे।

मैं:सुनो पूरा बंगला पुलिस से घिरा है।तुम लोगो का बचने का चांस नही।अगर संजू को कुछ हो जाएगा तो इंस्पेक्टर दोस्त है मेरा।यही शट आउट साइट करवा दूंगा।

सविता घबराहट से हाथ हटा दी।
नानाजी:अरे पगला गयी है।ये तुम्हे फुसला रहा है।और तुम पुलिस बाहर नही गयी तो संजू को मार देंगे।

मैं चौक कर:नानाजी नातिन है आपकी,ये क्या वाहियात हरकते लगा रखे हो।आप छोड़ो उसे।अपने ही परिवार को मारने को तुले हो।

हम झगड़ रहे थे।तभी रवि भैया के बाल्कनी से कूद के पवन अंदर आया उसने सुशील पर गोली चला दी।गोली पैर के नीचे लगी पर आवाज भारी होने से सविता के हाथ से चाकू गिर गया।नानाजी गमला लेके भाग ही रहे थे ।मैं पवन को मना करने से पहले ही पवन ने गोली चला दी पर बदनसीबी से जो गोली पैर पर लगने वाली तबी वो छाती पे लग गयी क्योकि जब भागते वक्त गोली बचाने नानाजी नीचे झुके उनको मालूम नही था की वो गोली पैर पे चलाएगा उन्होंने छाती का अनुमान लगाया था।एक गोली का झटका और नानाजी स्वर्ग पधार गए।

तभी पीछे से सारे घरवाले। अंदर घुस गए।मा और बड़ी मामी नानजी के पास जाके रोने धोने लग गयी।

मैं पवन से:भाई इंस्पेक्टर जनाब ये माजला क्या है,हम तो पूरे हिल गए है।जो कभी जिंदगी में नही सोचा वो देख रहै है।

पवन:चलो नीचे चलते है।फोरेंसिक को बुलाया है वो अपना काम करेगी यहां बाकी माजला मै समझा दूंगा।
नीचे संपत और उसके साथी मरे पड़े थे और चाचा के पैर पे गोली लगी थी।फोरेंसिक मलम पट्टी कर चुकी थी।उन्हें हतकड़िया से जखड के पुलिस कॉन्स्टेबल खड़ा था।

पवन ने अपनी बात शुरू की।

"ये मसला तुम्हारे पिताजी और चाचा से शुरू होता है।ये लोग एक कंपनी के लिए काम करते थे जो की एक कपड़ा कम्पनी थी।पर असलियत में वो ड्रग्स सप्लीमेंट करते थे।उनको घाटे की वजह से और पुलिस रेड से काफी नुकसान हुआ अभी जरूरत पैसे जगह और राजनीति से पुलिस सप्पोर्ट की थी

उस कम्पनी का मालिक संपत सिंह।अभी ये संपत तुम्हारे पिता जी का सगा भाई।ये जो बंगला है वो वीरमल जी का था।जिसकी विकलांग लड़की से शामलदास ने शादी की पैसे और जायदाद के लिए।तुम्हारा बड़ा मामा इनका सगा बेटा है जो शामलदास के पहले बीवी का बेटा और ये सविता सगी बेटी।विवेक इनके तीसरे पार्टनर का बेटा।पर तुम्हारी छोटी मामी इनकी बेटी नही है।उन्होंने गोद लिया था क्योकि विवेक बाप नही बन सकता था।क्योकि वो गे है।

तुम्हारी मा और छोटे मामा शामलदास के दूसरे पत्नी मतलब वीरमल के बेटी के सगी संताने है।

जो वसीहत कल पढ़ी वो वीरमल जी की असली वसीहत थी।जिसमे साफ साफ लिखा है की।मेरे पति के बच्चो को ही मेरी संपत्ति का हिस्सा मिलेगा।इस सच्चाई को सिर्फ संपत और शामलदास जानते थे।इसलिए तुम्हारे पिता से तुम्हारे मा की शादी भाग के करवाई और छोटी मामी को गोद लेके इनकी शादी छोटे मामा से।

मा की भागके शादी इसलिए जिससे वो फिरसे मुह दिखाने न आजाये पर तुम्हारे पिता ने कहि से ये बात जान ली।और कुछ प्लान कर तुझे चाचा से गोद लिया।जब प्रोपर्टी मांगने वो शामलदास के पास गए तो शामलदास ने मना किया।तुम्हारे पिता उसको बोले की वसीहत में अइसा जिक्र है की भाग जाने से वसीहत का हिस्सा बच्चा होने के बाद फिरसे मिलेगा वो भी तब जब बच्चा 18 साल का हो जाए ये नियम इसलिए जिससे तुम्हारी मा का संसार टिका रहे कोई पैसों के लिए शादी कर धोका न दे।पर तुम्हारी मा उसे तो बच्चा होगा नही इसलिये तुम्हारे बाप ने गोद लिया तुझे।

जब झगड़ा करके तुम्हारा बाप वहां से निकल गया तब शामलदास ने तुम्हारे चाचा को फुसलाया की ये तो तेरा बेटा है अगर भाई बीच न आएगा तो उसको मिलने वाली जायदाद तेरी।इसलिए उसने तेरे बाप को मरवा दिया।पर जब उसके बाद भी जायदाद नही मिली और जब चाचा को मालूम पड़ा की जायदाद तुझे दे दी गयी है तब वो आगबबुला हो गया उसने नाना को मारने की कोशिश की।पर नाना बच गए।

तुम पर जो हमले हो रहे थे वो संपत करवा रहा था।बलबीर और वो सुपरवाइजिंग स्टाफ के मदत से।मक्खन को बलबीर ने ही मारा।बलबीर सम्पत का खास आदमी।

बड़ी मामी के पिता एक MLA के यहाँ काम करते है।इसके लिए बड़े मामा की शादी उनसे करवाई जिससे थोड़े राजनैतिक सम्बन्ध बन जाए और पुलिस से बचने का जरिया हो जाए।पर बड़े मामा की पहले ही शादी हो गयी है।स्वीटी है उसका नाम।बड़े मांमा की पहली बीवी।

अभी इनका प्लान था की तुममें और छोटे मामा में आग लगा दी जाए और वैसे ही हुआ।तूने सारी जायदाद जो उनके नाम थी अपनी चालाकी से अपने नाम कर दी।और वही जायदाद संजू से शादी करवाके संजू के जरिये फिरसे अपने नाम करवाने वाले थे।फ़ीर मरने का नंबर संजू का था।तुम्हारी बीवी थी और तुम सबको मारने के बाद वही बाख जाती इसलिए सब जायदाद उसकी।हा पर ये एक्सीटेंट बताना था इसलिए खाई नीचे या नदी में डूबना था जहा वो एक्सीटेंट लगे और उधर पुलिस भी न पहुंचे।क्योकि जायदाद के अनुसार अगर खुन होता है तो सारा सरकार को मिल जाता।

पर ये फसे तुम्हारे चाचा की वजह से,तुम्हारी वचन से और शाश्वत से उसे उसने हमे सब गवाही में बता दिया।जिससे वो अभी माफी का साक्षीदार बन गया।हम अयसेही बताएंगे तुम्हारी चाची को जिससे आप में दुश्मनी न रहे।

हम सम्पत पर नजर गढ़ाए थे।पर हमे ये मालूम नही था की बलबीर भी है।पर जब उसने मक्खन को मारा और तुमपर भी हमला किया तब हमे जायदाद और बलबीर की सब इन्फो मिल गयी।झुंड में आकर चोरी करना उसकी आदत और फितरत है वो पूरा पुलिस डिपार्टमेंट जानता है।इसलिए हम भी उसकी ही स्टाइल से उसे पकड़े,भेस बदल के,बलबीर इतना खूंखार नही था लगता है कुछ वैयक्तिक दुश्मनी थी इसलिए उसने अइसा किया होगा।बाकी औऱ कुछ बताने जैसा है नही।बाकी तो बहोत कुछ जानते हो।

ब मामि मामा से रोते चिल्लाते:अरे हरामी हमे छोड़ो खुद की सगी बेटी को भी मारने का कैसे मन किया।

वो मामा को मारने दौड़ी पे लेडी कॉन्स्टेबल ने रोका।मा ने मामी को सम्भलके बाजू किया।मैंने पवन को थैंक्स बोला।बाद में आता हु बाकी की करवाई के लिए बोलके अलविदा किया।

अभी पूरे राज खुल गए थे।नाना छोटे मामा शिवकरण अभी इस दुनिया में नही है।बड़े मामा छोटी मामी के माता पिता को अरेस्ट किया गया।अभी उनके ऊपर मुकदमा चलेगा।चाचा भी माफी का साक्षीदार बन गया तो चाची और मेरे बीच भी कोई गीले शिकवे नही रहे।

अभी बचे मैं संजू मा छोटी और बड़ी मामी रवि भैया सिद्धि भाभी और कान्ता।अभी जिंदगी इन्ही लोगो के साथ जिनी थी।उनकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर थी।सारे कम्पनी का बोझ मेरे ऊपर आया।बाद में संजू और रवि भैया और सिद्धि भाभी ने भी उसमे भागीदारी लेके साथ दिया।अभी फिलहाल जिंदगी बिना रुकावट चल रही है।

end
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RE: Maa Sex Kahani माँ का मायका - by desiaks - 06-16-2020, 01:28 PM

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