RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
थोड़ी देर बाद मुझे एक हलचल सी महसूस सी हुई, मैंने हल्की सी अपनी आँखें खोली, देखा कि सायरा उठकर बैठी, अपने बालों का जूड़ा बनाया, मुझे ऊपर से नीचे देखा.
फिर उसकी नजर मेरे लंड पर जाकर ठहर गयी और खुद से बात करने लगी- हाय पापा, आपका लंड तो सोनू के लंड से दुगुना लम्बा और मोटा है, सोनू का लंड तो मेरे हथेली के अन्दर आकर गुम हो जाता है. पर आपका लंड है कि हथेली में समाता ही नहीं है। सोनू का लंड मेरी चूत को छूने से पहले झर जाता है और आपका लंड जब तक मेरी चूत को जब तक मसल नहीं देता तब तक छोड़ता ही नहीं है।
इतना कहने के साथ ही साथ दो-तीन बार उसने मेरे लंड को चूमा और सुपारे पर अपनी जीभ चलाने लगी.
मेरी नजर अभी भी सायरा की हरकतों पर थी, उसने अपने अंगूठे को सुपारे पर फिराया और अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने के बाद चाटने लगी और फिर चटकारे लेते हुए बोली- पापा थैंक्यू, मुझे अपने निर्णय पर पछतावा नहीं है।
इसके बाद वो उठी और बाथरूम की तरफ चल दी। मैं अभी भी अधखुली आँखों से सायरा की हर हरकत पर ध्यान रख रहा था।
कोई दो-तीन मिनट बाद सायरा वापिस पलंग पर आकर बैठ गयी और मेरे लंड को निहारने लगी और साथ ही अपनी चूत अपर हाथ फेर रही थी। फिर वो मेरे लंड पर झुकी, पर एक बार उसने मुझे फिर देखा, मैंने तुरन्त ही आँखें बन्द कर ली।
शायद सायरा इस बात को देखना चाह रही थी कि मैं सो रहा हूं या जाग रहा हूं।
मैं अपनी आँखों को मूंदे हुए था पर दिमाग को खुला रखाकर सायरा की हिलने डुलने को समझ रहा था.
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि एक बार सायरा का पूरा ध्यान मेरे लंड पर है। मैंने फिर अपनी आंख को थोड़ा खोला और फिर से देखने लगा. सायरा अभी भी मेरे लंड पर झुकी हुई थी।
फिर एकाएक मुझे लगा कि सायरा के होंठों का स्पर्श मेरे लंड के सुपारे पर है, शायद उसने मेरे लंड को चूमा था।
एक बार फिर सायरा मेरे पास से हटकर शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने जिस्म को निहारने लगी, अपनी दोनों चूचियों को बारी-बारी से मसलते हुए अपने हाथ को अपनी चूत की तरफ ले जाकर, फिर अपनी टांगों को फैलाकर चूत को जोर-जोर से रगड़ते हुए लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी।
चूत को अच्छे से मलने के बाद वो अपनी दोनों हथेलियों को चाटने लगी.
इधर अपनी बहू की कामुकता भरी हरकतों को देखकर मेरा लंड हिलौरें मारते हुए टनटना चुका था. सायरा ने जब मेरा लंड चूमा था, तभी से वो खड़ा था लेकिन अब चमड़ी को फाड़कर सुपारा बाहर आ चुका था और 90 डिग्री पर सेट हो गया।
सायरा की नजर मेरे लंड पर पड़ी. तने लंड को देखकर समीप आकर उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में कैद किया और सुपारे पर अपनी जीभ चलाते हुए बोली- पापा, आप भले ही सो रहे हों लेकिन आपका लंड मानने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब आपको जगाकर परेशान थोड़े ही करूँगी. पर आपके लंड को तब तक प्यार करूँगी, जब तक इसका मन होगा.
कहकर वो मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे टट्टों के साथ खेलने लगी.
बीच-बीच में वो मुझे देख लेती और फिर अपने काम में जुट जाती.
सायरा के लगातार ऐसा करने से मेरे जिस्म में अकड़न सी शुरू हो चुकी थी, मेरे चूतड़ आपस में मिल चुके थे. सायरा मस्त होकर अपने ससुर के लंड को चूसे जा रही थी. उसको मेरे जिस्म में होने वाले हलचल की कोई खबर न थी.
बस इसी एक पल का मैंने फायदा उठाते हुए अपने जिस्म की अकड़न को खत्म किया, इसके परिणाम स्वरूप मेरा वीर्य सायरा के मुंह के अन्दर छूट गया. अचानक मेरे लंड से निकलते हुए वीर्य की वजह से सायरा हड़बड़ा गयी और मेरे लंड को मुंह से निकाल दिया.
मेरे वीर्य से उसका पूरा चेहरा गीला हो चुका था पर सायरा ने मेरे लंड को छोड़ा नहीं वो मेरे सुपारे को चाटती रही.
उसके बाद एक बार फिर शीशे के सामने खड़े होकर चेहरे पर पड़ी मेरी मलाई से अच्छे से अपने चेहरे को मला, फिर अपनी चूची में लगाया और फिर चूत पर मलने के बाद मेरे पास आकर बैठ गयी.
मेरी बहू मेरे बालों को सहलाते हुए बहुत ही धीमी आवाज में बोली- पापा, आप बहुत अच्छे हो। आज आपने मुझे कली से फूल बना दिया. पर …
अब मेरे कान खड़े हो गये, सायरा क्या कहना चाह रही थी?
“पर पापा … मैं क्या कहूं, कैसे बोलूं, मुझे अच्छे से प्यार कीजिए, मैं आपके लंड को खुल कर चूसना चाहती हूं लेकिन आपके जागते हुए … आपको मजा देते हुए!”
“हम्म!” मैं अपने मन में ही बोल पड़ा- सायरा मेरी बहू, मैं भी तुम्हारी चूत को चाटना चाहता था तुमसे अपना लंड चुसवाना चाहता था, पर तुम बुरा न मान जाओ, इसलिये नहीं किया, लेकिन कल तुम्हें खूब मजा दूंगा।
फिर मैंने करवट बदल लिया। सायरा भी मुझसे चिपक गयी। उसके जिस्म की गर्मी को बर्दाश्त करते हुए मैं सो गया।
सुबह सायरा ने मुझे जगाया, उसने पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। पीली छोटी बिंदी, पीली लिपस्टिक, पीली चूड़ियाँ बहुत सुंदर दिख रही थी।
उसके हाथ में चाय का कप था- पापा उठिये, चाय!
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