RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
थोड़ा सा खुलापन हम दोनों के बीच हो चुका था।
कुछ देर बाद मैंने सायरा को गोद में लेकर धक्का लगाने लगा, मैं धीरे-धीरे मजे का डोज बढ़ाने लगा।
“पापा … बहुत मजा आ रहा है.” सायरा बोली।
मेरा निकलने वाला था, सायरा को उसी पोजिशन में लेकर कमरे में आया और पलंग पर लिटाते हुए उसको चोदने लगा।
आठ-दस धक्कों के बाद मेरा निकलने लगा तो मैंने लंड को बाहर निकाला और उसकी चूत के ऊपर ही सायरा माल गिरा दिया और उसके बगल में पसर गया।
सायरा ने अपनी उंगलियों के बीच मेरे वीर्य को कैद किया और मलने लगी. फिर बहू ने मेरी तरफ देखा, उठी और बाथरूम के अन्दर घुस गयी।
उसके अन्दर जाते मैं भी दीवार की आड़ लेते हुए अर्ध खुले दरवाजे की से सायरा को देखने लगा जो अपनी चूत के ऊपर पड़ी मेरी मलाई को अपनी उंगलियों में लेती और फिर अपनी जीभ से टच करती.
दो-तीन बार उसने ऐसा ही किया और वो चूत पर लगी मेरी मलाई को साफ कर गयी।
फिर सायरा ने अपनी गीली पैन्टी को एक बार फिर उठाया और बाहर आयी.
इससे पहले वो बाहर आती, मैं जल्दी से पलंग पर आकर लेट गया। मैं इस बात को समझ चुका था कि वो अभी इस तरह मेरे सामने नहीं करना चाहती. शायद सोच रही हो कि मैं बुरा न मान जाऊँ.
और मैं इस उपापोह में था कि सायरा न जाने मेरे बारे में क्या सोचेगी।
पर ठीक था … सायरा को उसमें मजा था और मुझे इसमें मजा था।
इसी बीच सायरा ने उस गीली पैन्टी से मेरे लंड को साफ किया और मुझे झकझोरते हुए बोली- पापा, क्या सोचने लगे? कुछ नही। आपको कुछ चाहिये तो नहीं?
“नहीं बेटा!”
“तो मैं कपड़े धोने जा रही हूं।”
“हाँ हाँ … तुम जाओ।”
मैं बिस्तर पर लेटकर सोचने लगा कि क्या मेरी किस्मत है, जिससे मुझे दूर रहना चाहिये मैं उसी के जिस्म से खेल रहा हूं।
पर जो होनी थी, वो हो रही थी।
एक बार फिर मैंने बाथरूम में झांककर देखा तो नंगी बहू सायरा बड़ी तल्लीनता के साथ कपड़े धो रही थी।
इधर बीच में क्या करूँ?
तभी मेरे दिमाग में आया कि सोनू की मम्मी मेरे सामने कपड़े पहनती थी और मैं उसे बड़े ही शौक के साथ कपड़े पहनते हुए देखता था। उसके इस संसार से जाने के बाद मैंने उस शौक को पूरा नहीं किया.
जैसे ही मेरे दिमाग में यह ख्याल आया, मैं उठा और सायरा के बेड रूम से उसके लिये उसकी साड़ी-ब्लाउज के साथ मैचिंग ब्रा-पैन्टी लाकर अपने बेड पर रख दिये और वही आराम कुर्सी पर आंख मूंद कर बैठ गया।
थोड़ी देर के बाद सायरा की पायल की झंकार मेरे कानों में पड़ने से मेरी आँखें खुल गयी.
नंगी सायरा ने अपने कपड़े मेरे बेड पर देखे तो वो ठिठक गयी और मुझे देखने लगी।
उसके मन के संशय को मिटाने के लिये मैं बोला- मैं ही लाया हूं।
हल्की सी मुस्कुराहट के साथ उसने बेड पर ही पड़े मेरे तौलिये को लिया और अपने जिस्म को अच्छे से पौंछने लगी. उसके बाद बड़ी इत्मीनान के साथ उसने अपने कपड़े पहनने शुरू किया और फिर बाल्टी उठाकर कपड़े सुखाने के लिये बारजे पर आ गयी।
फिर रसोई में आकर दोपहर के खाने की तैयारी करने लगी।
इस बीच मैं भी बाहर टहलने के लिये चला गया क्योंकि मैं घर में रहता तो उसको देख-देख कर या तो लंड को मरोड़ता या फिर उसको काम से रोककर चुदाई करता. क्योंकि नई और गर्म चूत जब तक सामने रहती है, लंड महराज शांत से नहीं बैठने देते।
पर क्या करूँ … मन तो बाहर भी नहीं लग रहा था. अगर कामकाजी होता तो नौकरी कर रहा होता या फिर पूरी फैमली होती तो फिर अपने में कंट्रोल करता.
लेकिन इन दोनों चीज की कमी के वजह से मुझे नई उमर की फसल को काटने का मौका मिला।
मैं फिर जल्दी से घर आया, सीधा रसोई में गया और सायरा को पकड़ लिया।
“क्या हुआ पापा जी, मन नहीं लग रहा है?”
“हां, मन तो नहीं लग रहा है।”
वो हंसते हुए बोली- हाँ पापा, आपका दोस्त मेरे पीछे दस्तक देकर बता रहा है कि अभी उसका और आपका मन भरा नहीं है।
“बेटी, क्या बताऊं, कामकाजी होता तो काम पर होता तो तुम्हें परेशान नहीं करता लेकिन अब इस उम्र में कोई काम तो है नहीं … तो मेरे लंड महाराज उत्पात मचाये हुए हैं.”
“क्या पापा आप भी?”
“सही कह रहा हूं, इसमें गलती इस साले लंड की है जो मुझे बैचेन किये जा रहा है।”
सायरा मेरी तरफ घूमते हुए बोली- पापा, आप अपने उत्पाती लंड को कभी भी शांत कर सकते हैं. पर अगर आप खाना नहीं खायेंगे और आपका लंड हर बार अपना माल निकालने के बाद शांत होगा, इसलिये पहले खाना खा लीजिये, फिर अपने उत्पाती लंड के उत्पात को शांत कीजिए।
“ठीक है, तो चलो मेरी प्यारी बहू, पहले खाना खा ही लेते हैं।”
“ये लो 10 रूपये!”
“ये क्यों?”
“तुमने अपनी मधुर वाणी से मेरे लंड का नाम लिया, उसी का इनाम है.”
“ये तो मैं तब बोली, जब आप कई बार लंड लंड बोल चुके थे. तो आपको खुश करने के लिये बोल दिया. पर आप मत सोचना कि मैं आगे बोलूंगी।”
“अरे बेटा, तुम्हारे मुंह से सुनना अच्छा लग रहा है, तुम कुछ भी बोलो, मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा।”
मेरे शब्द सुनकर सायरा हँस दी।
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