RE: Chodan Kahani कल्पना की उड़ान
फिर लंड घिसते-घिसते अपने अन्तिम पड़ाव में आ गया, मैंने एक बार फिर अपना माल उसकी चूत के ऊपर निकाला और उससे अलग हो गया।
उसके बाद सायरा उठी और बाथरूम में चली गयी.
एक बार फिर सायरा ने मेरी मलाई चाटकर अपनी चूत साफ की और फिर गीले कपड़े से मेरे लंड को।
उसके बाद वो मुझसे चिपक कर सो गयी.
शाम को काफी देर में नींद खुली, सोनू के आने का टाईम हो रहा था, हम दोनों ने अपने-अपने को अच्छे से तैयार किया.
उसके बाद सायरा रात के खाने की तैयारी करने लगी लेकिन इस समय वो पूरी तरह से एक संस्कारी बहू की तरह पेश आ रही थी।
कोई आधे घंटे के बाद सोनू भी आ गया. काफी थका लग रहा था, सायरा ने उसकी खूब आवभगत की.
फिर हम तीनों ने साथ खाना खाया, सोनू थका होने के कारण जल्दी कमरे में चला गया. इधर सायरा ने सारे काम को समेटा और मेरे को नाईट किस करने के बाद अपने बेड रूम में चली गयी।
अब हमारा यही रूटीन हो चुका था। दिन में सायरा मेरे साथ दो राउण्ड चुदाई का करती और रात में सोनू का ध्यान रखती. उन दोनों के बीच कभी किसी बात की तल्खी नहीं देखी.
मैं सायरा की तारीफ़ करूंगा कि उसने किस तरह हम दोनों को एडजस्ट किया था।
फिर एक दौर आया, जब सायरा ने माँ बनने की इच्छा जतायी और अपनी इच्छा के अनुसार मेरे बीज को अपने अन्दर लेकर मातृ्त्व का आनन्द लिया.
बच्चा होने के बाद हम दोनों ने सहमति से एक-दूसरे से दूरी बना ली और हँसी खुशी रहने लगे।
लेकिन जब मेरा पोता स्कूल जाने लगा तो सायरा की वासना पुनः सर उठाने लगी और मुझे उसकी मदद करनी पड़ी.
फिर दोनों ने मिलकर खाना खाया। एक बार फिर अच्छी बहू की तरह उसने बर्तन समेटे और किचन में जाकर मुझे तड़पाने के लिये (मैं खुद समझ रहा हूं वो ऐसा कर रही थी कि नहीं मैं नहीं बता सकता) अपना पल्लू और साड़ी को चढ़ाकर कमर में खोंस दिया।
मैं कुछ देर तक तो ऐसे ही देखता रहा, पर जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं भी किचन में घुस गया और हल्की सी चिकोटी उसकी कमर पर काट ली।
“उफ्फ पापाजी, क्या कर रहे हैं।” घूमते ही जैसे सायरा ने यह शब्द बोले, मैंने तुरन्त ही उसके होंठों पर एक किस कर दिया।
“पापा जी, आप भी ना!”
अरे पगली … इस लुक में तुम इतनी सेक्सी लग रही हो कि मेरी नीयत डोल गयी।”
“चलिये जब आपने मेरी तारीफ कर ही दी है तो थोड़ा इनाम तो आपका भी बनता है।” कहते हुए मुझसे चिपक गयी. मेरी कमर के चारों ओर अपनी बांहों का घेरा बना दिया और मेरे होंठ चूमने के लिये अपने होंठों को गोल कर लिया.
मैंने अपनी बहू के गोल होंठ को चूमा.
और फिर वो मुझसे अलग हो गयी और बोली- पापा, अब आप जाओ, नहीं तो मैं काम नहीं कर पाऊँगी और आपका इंतजार लम्बा होता जायेगा।
“ठीक है, काम खत्म करके कमरे में आ जाना।”
सर हिला कर सायरा ने अपनी सहमति दी।
मैं अपने कमरे में आकर आँखें मूंद कर सायरा का इंतजार करने लगा।
थोड़ी देर बाद मुझे मेरे होंठों पर चुंबन का अहसास हुआ. बस फिर क्या था, मैंने सायरा को अपनी बांहों में भरा और अपने ऊपर गिराते हुए पलटी मारी और उसके ऊपर आ गया और उसके पूरे चेहरे पर चुंबनों की बौछार कर दी।
जब मैं अच्छे से उसके चेहरे को चूम चुका तो बोला- जो तुमने मुझे इंतजार कराकर तड़पाया है, ये उसकी सजा है।
“पापाजी, तब तो मैं रोज आपको तड़पाऊंगी, आपकी सजा मेरा ईनाम होगा।”
अच्छा, कहते हुए मैंने उसकी नाक काट ली।
नाक को सहलाते हुए वो बोली- पापा जी, आप मम्मी जी को भी ऐसे ही सजा देते होंगे।
“नहीं बेटा, भरा पूरा परिवार था, मौका ही कहां लगता था। रात को जब सब सो जाते थे, उसी वक्त थोड़ा बहुत हो जाये तो हो जाये … नहीं तो जल्दी से चुदाई करके फुरसत हो जाता था।”
“आप झूठ बोल रहे हैं, जिस तरह आप मेरे को प्यार कर रहे है, ऐसा तो नहीं लगता कि आप इतनी जल्दी चोदने के मूड में आ जाते हो।”
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- तुम चाहे जो सोचो. लेकिन जो मैं करने जा रहा हूं वो तो मैं करके ही रहूंगा.
कहते हुए उसकी बलाउज के बीच फंसी चूचियों की घाटी के दरार पर अपनी जीभ चलाने लगा।
अभी इतना ही कर पाया था कि सायरा बोली- पापा जी मान गये आपको! कोई औरत अगर आपके नीचे आ जाये तो बार-बार आना चाहे।
“नहीं बेटा, मेरी जिंदगी में पहली औरत तुम्हारी सास थी और दूसरी तुम हो, वो भी मजबूरी में!”
कहते हुए मैंने उसकी ब्लाउज का ऊपर का हुक खोला, घाटी थोड़ी और खुलकर सामने आ गयी, अब घाटी और गहरी हो गयी, मैंने अपनी जीभ उसकी घाटी के बीच फंसा दी, फिर एक हुक खोला और 4-5 राउण्ड उसकी घाटी के बीच में अपनी जीभ चलाता रहा।
पर अब उसकी ब्रा बीच में आ रही थी। मैंने उसकी ब्लाउज को पूरा खोल दिया और उसकी काली रंग की ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को मुंह में भरने लगा और दबाने लगा।
मेरी बढ़ती उत्तेजना से उसके चूचे मुझसे बहुत-बहुत तेज दब रहे थे, थोड़ी देर तक सायरा ने बर्दाश्त किया फिर बोली- पापा जी, दर्द हो रहा है, थोड़ा धीरे-धीरे दबाओ।
उसकी बात को सुनकर मैंने अपना हाथ उसके उरोजों से हटाया और ब्रा का भी हुक खोलकर ब्लाउज और ब्रा को उससे अलग किया और फिर सायरा की दोनों हथेलियों को अपनी हथेली में फंसाकर उसके पीछे की तरफ ले गया और अपना वजन सायरा की जांघ के ऊपर देकर सायरा के होंठों को चूसते हुए उसकी कान और गर्दन पर चुम्मे की बरसात कर दी।
अब बारी थी उसके कांख की, जैसे ही मैंने उसकी कांख पर अपनी जीभ फेरना शुरू किया, बोबोलने लगी- उईईई पापाजी, बहुत गुदगुदी हो रही है।
उसकी बातों को अनसुना करते हुए मैं उसकी कांख पर जीभ चलाता रहा.
फिर मैं उसके तन चुके निप्पल को बारी-बारी मुंह में लेकर चूसता या सायरा के चूची का हिस्सा जितना मेरे मुंह में भर सकता, मैं उतना ही भर लेता. ऐसे करते-करते मैं उसकी नाभि पर अपनी जीभ चलाता जा रहा था और उसकी पनिया चुकी चूत को हाथ से मसले जा रहा था.
सायरा कसमसा जा रही थी; उसने खुद ही अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया था, बाकी उतारने का काम मैंने कर दिया और उसकी पनियाई चूत में मुंह लगा दिया।
“उफ्फ पापा, मुझे भी तो कुछ करने दीजिये।”
मैंने उसके भाव को समझते हुए 69 की पोजिशन में आते हुए मेरा लंड चूसने का ऑफर दिया। मैं उसकी चूत चाट रहा था और वो मेरे लंड को चूसते हुए मेरे अण्डों से खेल रही थी।
थोड़ी देर तक यह राउन्ड चला और फिर मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू किया। सायरा भी अपनी कमर उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी। कभी वो मेरे ऊपर होती, कभी मैं उसके ऊपर होते हुए चुदाई कर रहे थे।
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