RE: bahan sex kahani बहना का ख्याल मैं रखूँगा
मेरा जैसे मोह भंग हुआ और तन्द्रा टूटते ही मैं हकलाते हुए बोला ,,,
मैं- ह.. हाँ… म.. मेरा मतलब है क्या…?
पर इसके वावजूद भी मैं अपनी नजरें शालिनी की चूचियों पर से हटा नहीं पाया,,,
शालिनी- वही जो देख रहे हो?
अब मैं बहुत ही शर्मिंदा-सा महसूस करने लगा क्योंकि इस तरह मैंने इतनी देर तक उसकी चूचियों को शालिनी की जानकारी में कभी नहीं देखा था और मैंने देखा भी और हल्के हल्के से सहलाया भी तो किसी ना किसी बहाने से,,,, और मैं इधर-उधर देखते हुए बोला
मैं- म…मैं कुछ नहीं देख रहा था?
पर आज शालिनी भी शायद इस मौके को जाने नहीं देना चाहती थी, उसने कहा,,,
शालिनी- झूठ मत बोलो भैया… मैंने अपनी आँखों से तुम्हें इनको घूरते हुए देखा है,,,,,
मैं जैसे चोरी करते पकड़ा गया और अपनी गलती कबूल करते हुए बोला-
मैं- सॉरी यार… वो गलती से नज़र पड़ गयी और मैं अपनी नज़र हटा नहीं पाया,,,
शालिनी- अरे इसमें सॉरी वाली क्या बात है भैया… कोई बात नहीं.. तुम्हारी कोई गलती नहीं है इसमें…
मैं-( आश्चर्य से ) मतलब?
शालिनी- अरे देखो भैया … मुझे पता है ये बड़ी हैं और आकर्षक भी… तो नजर चली भी गयी तो क्या हो गया? और वैसे भी तुम मेरे भाई हो … मुझे हर दिन हर तरह से देखते हो … इसमें क्या है,,,,,,, मगर प्लीज़ यार इस तरह टकटकी लगाकर ना देखा करो,,, शरम आ जाती है,,
मुझको जैसे राहत मिली हो,,, और मेरे सपने जो कब्रगाह की ओर बढ़ चले थे वो फिर से जिंदा हो गये और मैं बोला,,,,
मैं- थैंक्स बहना.. मुझे लगा तुम बुरा मान गयी होगी,,,
शालिनी ने माहौल को थोड़ा हल्का किया और मेरे सामने बैठ गयी और फिर वो धीरे से हंस दी…मेरे लौड़े का उभार शायद उसने देख लिया था पंखा अभी भी बंद थाऔर गर्मी अभी भी लग रही,,, पसीने की बूंदें शालिनी के पूरे शरीर पर थीं और उसकी हर सांस के साथ उसकी चूचियों का उठना बैठना जारी था,,,, फिर उसने मेरी आंखों में देखते हुए ऐसा बोला कि मेरे साथ ही साथ मेरे लन्ड को भी झटका लगा दिया,,,
शालिनी- वैसे… कैसी लगती हैं तुम्हें ये?
हम दोनों के बीच इतने खिलंदड़ीपने के बावजूद मैंने इतने सीधे सवाल की उम्मीद नहीं की थी शालिनी से, मैं फिर हकलाते हुए बोला
मैं- क.. क.. क्या??
शालिनी- अरे यही जो तुम देख रहे थे,, मेरी चूचियां और क्या गुरुजी,,,,
और अपनी मनमोहक चूचियों की तरफ देखा,,,
मैं थोड़ा हड़बड़ाता हुआ सा बोला,,,
मैं- वो बेबो,,,ये कैसा सवाल है?
शालिनी- अरे तुम इतनी देर से इनको देख रहे थे तो मैंने पूछा कि कैसी हैं,,,,
मैं- ठीक हैं ,,,
मैं- भाईजी,,,मैं एक लड़की हूँ और मेरा मन करता है कि मैं भी अच्छी लगूँ,,,,,, अब मेरा कोई लड़का दोस्त तो है नहीं, और ना ही कोई बॉयफ्रेंड है,,, तुम ही मेरे दोस्त हो,,,,,, मेरे भाई हो पर तुम एक लड़के भी तो हो,,, तो मैं तुमसे अपने बारे में तुम्हारा नजरिया जानना चाहती हूँ बस… कि ये तुमको कैसी लगीं?
यह बोलते हुए शालिनी ने अपनी चूचियों के नीचे अपने दोनों हाथ रखकर उन्हें ऊपर को उठा दिया,,,, और उसकी ब्रा से उछल कर उसकी गोरी गोरी चूचियां बाहर निकल आईं काफी ज्यादा,,,
अब मैं समझ गया था कि जो मौके मैं शहर में ढूंढता रहता था शालिनी के बदन को देखने के,,, वो मौका आज़ शालिनी खुद दे रही है यहां गांव में और मैंने भी अपने आप को आज शालिनी के आदेशों का गुलाम बनने में ही भला समझा और मिले मौके का फायदा उठाते हुए,,,,,, और उसकी बातों को समझते हुए
मैं- अच्छी तो हैं,,,
शालिनी- अच्छी हैं मतलब?
मैं- मतलब अच्छी हैं और क्या,,
शालिनी- अरे भैय्या मतलब क्या अच्छा लगा?
मैं- क्या बताऊँ मैं… बता तो रहा हूँ कि अच्छी हैं,, सुंदर हैं,,,
शालिनी-भाई मेरा मतलब है कि जैसे तुमको इनकी शेप अच्छी लगी या साइज? या दोनों
मैं- … ये वाकई कमाल की हैं बेबो,,, इनकी शेप भी अच्छी है और साइज भी,,,,एकदम गोल-गोल हैं और बड़ी बड़ी भी… और क्लीवेज तो बहुत ही ज्यादा अट्रैक्टिव बनता है तुम्हारा ,,,
इस बातचीत के बीच हमदोनों भाई-बहन एक दूसरे के बिल्कुल आमने-सामने बैठे थे, शालिनी ने ऊपर सिर्फ ब्रा पहन रखी थी जिसमें से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां दिखाई दे रही थी और उसने नीचे सिर्फ एक शॉर्ट्स पहना हुआ है जिनसे उसकी गोरी टांगें और जांघें बिल्कुल साफ़ दिखाई दे रही थी,,,,माहौल में अब थोड़ी-थोड़ी खुमारी छा रही थी,,,,
शालिनी थोड़ी भावुक होते हुए बोली,,,
शालिनी- मैं तुमको इतनी अच्छी लगती हूँ भैया?
मैं भी मौका देख कर थोड़ा प्यार जताते हुए उसके गालों को सहलाते हुए बोला,,,
मैं- हाँ मेरी स्वीट बहना… तू मुझे बहुत प्यारी लगती है,,,,
शालिनी- तो और क्या अच्छा लगता है तुम्हें मुझ में?
मैं- बताया ना, तू मुझे पूरी की पूरी अच्छी लगती है, और बहुत ही ज्यादा अच्छी लगती है. बल्कि तू दुनिया के किसी भी मर्द को बहुत अच्छी लगेगी,,,. बहुत खुशनसीब होगा वो इंसान जिसे तू मिलेगी,,,
शालिनी- भाई, थोड़ा डिटेल में बताओ कि क्या-क्या अच्छा लगता है तुम्हें मुझमें?
और यह कहते हुए खड़ी खड़ी होकर गोल-गोल घूम गयी और पोज़ मारने लगी, जैसे अपना प्रदर्शन कर रही हो,,,,
मैं- देख स्वीटी , तेरा चेहरा बहुत प्यारा है… तेरे होंठ बहुत खूबसूरत है… तेरी ये (चूचियों की तरफ इशारा करते हुए) भी बहुत प्यारी हैं, तेरी कमर भी पतली और आकर्षक है,,,
शालिनी(जिज्ञासा भरे लहजे में)- और-और?
मैं- और क्या बताऊँ?
शालिनी(थोड़ा मायूस होते हुए)- बस इतनी ही अच्छी लगती हूँ मैं तुमको?
मैं- अरे नहीं… नहीं… तू तो बिल्कुल परी-जैसी लगती है मेरी बहना,,,,
शालिनी- तुम ना ,,,,अभी मुझे बहन मत बुलाओ तो शायद और अच्छे से बता पाओगे ,,,
मैं- ऐसी बात नहीं है…तू तो सुपर सेक्सी है यार,,,
शालिनी- तो और बताओ ना कि क्या-क्या अच्छा लगता है तुम्हें मेरे बारे में?
मैं- तुम्हारे ये पैर भी बहुत ही प्यारे हैं और ये गोरी-गोरी जांघें भी… तुम्हारी कमर के नीचे ये पीछे का पार्ट भी बहुत आकर्षक है,,,
शालिनी- भैया इसको बट्ट बोलते हैं ना,,,, गांड भी बोलते हो ना तुम लड़के लोग,,,,
मैं- हां,, हां ,पता है कि इसको गांड बोलते हैं,,, मैंने ही तो तुम्हें यह सब बताया सिखाया है ,,,
शालिनी ( इठलाते हुए) - अच्छा? और इसको क्या बोलते हैं?
यह बोलते हुए शालिनी ने अपनी चूचियों की तरफ इशारा करते हुए शरारती मुस्कान दे डाली और फिर से मेरे सामने बैठ गयी,,, पर इस बार वो अपने पैर फैला कर बैठी,,, जैसे वो दिखा रही हो कि भाई असली खजाना और तुम्हारी मंजिल तो मेरे इन्हीं दोनों पैरों के बीच में ही है,,,,, अब तक मेरा लन्ड भी अपनी पूरी ताकत से फ्रेन्ची को फाड़कर बाहर निकल आने को बेकरार हो रहा था और तभी शालिनी ने धमाका किया,,,
शालिनी- जब मैं आपको इतनी सेक्सी और हॉट लगती हूं तो फिर दूसरों को आप शिकायत का मौका कैसे दे देते है,,,,,,
मैं- मतलब,,, साफ़ साफ़ बोलो ना स्वीटू,,, बात क्या है,,, ??
शालिनी ( थोड़ा गंभीर और गुस्से में)- आज आपकी शिकायत मिली,,,,, वो नीलम,,,,
मैं (चौंकते हुए)- क्या नीलम ने शिकायत,,, किस बात की,,,,, मुझसे,,,
शालिनी- हां भाई,,, अपने काम ही ऐसा किया था शायद,, अब सच क्या है वो तो आप जानो,,,
मैं- आखिर मैंने किया क्या है,,,
शालिनी- वो कह रही थी कि जब वो घर आई थी तो आप उसको घूर घूर कर,,,,,,,,
मैं- हां,,, तो,, अरे बेबो,,, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया,,, अब जब उसका खजाना खुला होगा तो मैं क्या किसी की भी नजर जाएगी ही,,,
मुझे लगा कि मेरा नीलम की चूचियां घूरना और नीलम का शालिनी से बताना,,, शालिनी को अच्छा नहीं लगा,,,, अब यहां कारण तो कुछ भी हो सकता था कि शालिनी को शाय़द यह नहीं पसंद कि मैं उसकी ही सहेली को देखूं या कहीं ऐसा तो नहीं कि शालिनी अब मेरे लिए पजेसिव हो रही थी और उसे यह नहीं पसंद कि जब इतना उम्दा माल वो खुद ही है तो मैं किसी और को क्यूं देख रहा था,,,,
शालिनी- भाई वो कह रही थी कि तेरा भाई मेरी चूचियों को टकटकी लगाकर देख रहा था और उसे लगा कि आप उसे कहीं छू ना लो ,,,,,
मैं- ओह यार,,, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था,,, और तुम्हें क्या लगता है कि मैं ऐसा कुछ कर देता,,, नहीं यार,,, विलीव मी,,,
शालिनी- भैय्या,,, आई हैव फुल फेथ आन यू ,,,,, वो नीलम कुछ ज्यादा ही बोलती रहती है,,, मैंने भी उसे अच्छे से समझा दिया था कि मेरा भाई ऐसा नहीं है,,, गलती उसकी खुद की है ऐसे कपड़े पहन कर हमारे घर आई ही क्यूं ,,,
शालिनी ने अभी नीलम के कपड़ों के बारे में ऐसे बोला जबकि वो खुद मेरे सामने ब्रा में बैठी थी और चूचियों का अधिकांश हिस्सा दिखा रही थी,,,,
मैं- अरे छोड़ो ना बेबो ये सब ,,,,और चलो अब नहाते हैं कितना पसीने पसीने हो गये हैं हम लोग,,,
शालिनी- आप बाहर एक बार निकल कर देख लो कोई आस पास में तो नहीं है,,,
और मैंने उठकर अपनी बनियान भी उतार दी और अपने आप को स्ट्रेच करने जैसे कंधे उचकाते हुए मैं कमरे से बाहर निकल आया और चारों तरफ घूम कर देखा कहीं कोई भी नहीं था और अब भी धूप थोड़ी तेज ही थी,,,,,,, मैं कमरे में वापस आया तो मैंने देखा कि,,,,,
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