Hindi Kamuk Kahani एक खून और
06-25-2020, 01:47 PM,
#19
RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
दरवाज़ा खुला।
और सामने जो शख्स प्रकट हुआ वो किसी हॉरर फिल्म का कैरेक्टर दिखता था।
ऊँचा कद।
दुबला पतला जिस्म और उस पर गहरी काली पोशाक।
लेकिन शान किसी आर्क बिशप जैसी।
लम्बा पीला पड़ा चेहरा और उम्र कोई सत्तर साल।
गंजे सिर पर बचे-खुचे सफेद बर्फ जैसे बाल, भावहीन आँखें और मुर्दों की मानिंद सफेद पड़े कागज़ जैसे पतले होंठ।
“वाकई किसी हॉरर फिल्म के लिए परफैक्ट है।”—जैकोबी ने उसका ऊपर से नीचे तक जायज़ा लेते हुए धीरे से कहा।
“मिसेज़ ग्रेग हैं?”—लेपस्कि ने जैकोबी की बात को अनसुना करते हुए रौबदार पुलिसिए अंदाज़ में पूछा।
“मिसेज़ ग्रेग इस वक्त किसी से नहीं मिला करतीं।”—उस आदमी ने कहा।
आवाज़ ऐसी कि मानो किसी गहरी कब्र से निकलकर आ रही हो।
“मुझसे मिल लेंगी।”—लेपस्कि ने उसे अपना पुलिसिया बैज दिखाते हुए कहा।
“मिसेज़ ग्रेग सोने के लिए जा चुकी हैं।”—उसने बिना प्रभावित हुए कहा—“बेहतर होगा कि तुम लोग कल ग्यारह बजे आओ।”
“तुम कौन हो?”—लेपस्कि ने उससे पूछा।
“मेरा नाम रेनाल्ड्स है और मैं”—उसके स्वर में गर्व का पुट आया—“मिसेज़ ग्रेग का बटलर हूँ।”
“बढ़िया—तब तो शायद हमारा काम तुम्हीं से बन जाए और हमें मिसेज़ ग्रेग को तकलीफ देने की ज़रूरत ही न पड़े।”—लेपस्कि ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा।
“मैं समझा नहीं।”
“मैं अभी समझाता हूँ।”—लेपस्कि ने गोल्फ का बटन निकालकर दिखाते हुए कहा—“हम दरअसल यहाँ एक कत्ल के सिलसिले में पूछताछ करने आए हैं। क्या तुम इसे पहचानते हो?”
रेनाल्ड्स ने भावहीन चेहरे से बटन पर निगाह डाली।
“मैंने इस जैसा बटन पहले देखा है। मेरे मालिक मरहूम मिस्टर ग्रेग के पास इस किस्म के बटनों वाली एक जैकेट थी।”
“अब कहाँ है वो जैकेट?”
“मिस्टर ग्रेग की मौत के बाद उनके ढेरों कपड़े मैंने किसी को भिजवा दिए थे।”
“किसके कहने पर?”
“मिस्टर ग्रेग की पत्नी, मेरी मालकिन, मिसेज़ ग्रेग के कहने पर।”
“क्या उन कपड़ों में ये इस किस्म के बटनों वाली जैकेट भी थी?”
“हाँ।”—रेनाल्ड्स ने निगाह चुराते हुए कहा।
लेपस्कि को लगा वह झूठ बोल रहा था सो उसने अपना सवाल घुमाकर पूछा—
“उस जैकेट का तुमने क्या किया?”
“अपनी मालकिन के कहने पर मैंने वो जैकेट मिस्टर ग्रेग के बाकी कपड़ों के साथ साल्वेशन आर्मी को भेज दी थी।”
“कब....कब भेजे थे तुमने वो सारे कपड़े?”
“मिस्टर ग्रेग की मौत के कोई दो हफ्ते बाद....जनवरी की किसी तारीख को।”
“क्या तुम्हें ध्यान है कि उस जैकेट में कोई बटन गायब रहा हो?”
“मैंने वो जैकेट भी बाकी के कपड़ों की तरह सीधे सामान्य ढंग से दे दी थी....सो मुझे अब याद नहीं कि उस जैकेट का कोई बटन गायब था या नहीं।”
लेपस्कि और जैकोबी के चेहरों पर निराशा उभर आई।
उनकी यहाँ आने की मेहनत सिफर थी।
“शुक्रिया”—लेपस्कि ने रेनाल्ड्स से कहा—“अब हमें मिसेज़ ग्रेग से मिलने की ज़रूरत नहीं है।”
रेनाल्ड्स ने अपना सिर झुकाकर उसके धन्यवाद का जवाब दिया।
दोनों पुलिसिए वहाँ से लौट पड़े।
“तुमने गौर किया”—लेपस्कि ने अपनी कार की ओर बढ़ते हुए कहा—“मेरे ख्याल से बुड्ढा 'ड्रेक्यूला' झूठ बोल रहा था।”
“हाँ—हमारे सवालों ने उसे परेशान तो कर ही दिया था।”
“कल तुम उस जैकेट के बारे में साल्वेशन आर्मी से पूछताछ करो।”—लेपस्कि ने कार का दरवाज़ा खोलते हुए कहा।
“ठीक है।”
दोनों कार में सवार हो गए।
लेपस्कि ने कार स्टार्ट की और उसे पुलिस हैडक्वार्टर की ओर दौड़ा दिया।
“मेरा ख्याल है कि”—जैकोबी ने कहा—“ऐसी खास और आमतौर पर न पाई जाने वाली जैकेट में लगे ये बेहद गैरमामूली बटनों का एक स्पेयर सैट वहाँ लेवाइन के पास मौजूद होना चाहिए।”
“सही कहा—तुम्हारी बात में दम है।”—लेपस्कि बोला—“करते हैं इस ओर कुछ।”
दोनों हैडक्वार्टर पहुँचे।
अपनी डेस्क पर पहुँचकर लेपस्कि ने लेवाइन के घर का नम्बर मालूम किया और उसे फोन मिलाया।
अगले कुछ मिनट वह लेवाइन के साथ फोन पर उलझा रहा।
“हर जैकेट के बटनों का बकायदा एक डुप्लिकेट सैट मौजूद है।”—आखिरकार लेपस्कि ने फोन रखकर जैकोबी की दिशा में देखते हुए कहा—“और इसका मतलब है कि हम जहाँ से चले थे—घूम-फिरकर वापिस वहीं आ पहुँचे हैं।”
जैकोबी निराश हो उठा।
“सारी मेहनत बेकार।”—उसने कहा—“इस किस्म की चार ज्ञात जैकेटों के मालिकों में से एक—मैकी—पहले ही यहाँ से बहुत दूर न्यूयार्क में है और हमारे शक के दायरे से बाहर है। दूसरे—बैन्टले—की उस रात की एलीबाई किसी फौलादी दीवार की तरह बेहद मज़बूत है और अब बचते हैं सिर्फ दो।”
“ब्रैन्डन और सॉल्वेशन आर्मी।”—लेपस्कि ने कहा।
“मुझे अभी भी ब्रैन्डन पर शक है।”
“मुझे भी।”—लेपस्कि ने स्वीकारते हुए कहा—“और इसीलिए तुम कल वो सॉल्वेशन आर्मी वाला सूत्र चैक करो और मैं खुद जाकर इस ब्रैन्डन के बटनों वाला मामला देखता हूँ। अगर उस कमीने की जैकेट का एक बटन भी मुझे गायब मिल गया तो मैं उसके लिए ऐसा जाल बिछाऊँगा कि याद रखेगा।”
“ठीक है।”
“दस बज रहे हैं।”—लेपस्कि ने कलाई घड़ी पर निगाह डालते हुए कहा—“मुझे घर जाना होगा वरना कैरोल हाय-तौबा मचा देगी।”
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