RE: Free Sex kahani आशा...(एक ड्रीमलेडी )
भाग ४): बाँध का टूटना
कमरे में कुछ पलों तक सन्नाटा छाया रहा |
आशा चुप, नज़रें झुकाए बैठी रही----
और,
रणधीर बाबू पैंट की ज़िप खोल कर,
अंडरवियर से लंड निकाले उसे मसले जा रहे हैं ---
आशा के लिए प्यार भी है ---- पर उससे कहीं...... कहीं ज़्यादा वासना भी है--- रणधीर बाबू के दिल में--- |
सामने बैठी आशा के, मेज़ तक नज़र आने वाली शरीर के ऊपरी हिस्से को काफ़ी समय से देखे जा रहे थे रणधीर बाबू--- कल्पना कर रहे थे--- आशा का जिस्म मीठे पानी का कोई दरिया हो और ख़ुद को उस पानी से तर कर लेना चाहते हों |
आशा ने फ्लोरल प्रिंट हल्की नीली साड़ी पहन रखी है आज---
मैचिंग ब्लाउज--- आधी बाँह वाली--- बड़ा व खुले गले वाला ब्लाउज, जिससे की कंधे का काफ़ी हिस्सा सामने दिख रहा है---- ऊपर से डीप नेकलाइन ---- अंग्रेजी अक्षर ‘V’ वाली डीप कट है सामने से--- गले में नेकलेस भी है--- पतली सी--- सोने की--- गोरी-चिट्टी गले में सोने की चेन काम एवं सुंदरता; दोनों में अद्भुत रूप से वृद्धि किए जा रही है--- | सोने की वह चेन थोड़ी बड़ी है—रणधीर बाबू सोच में डूबे,
‘काश की यह चेन आशा की क्लीवेज तक जाए... आह!! मज़ा आ जाएगा |’
इतनी सी कल्पना मात्र से ही उनका लंड और अधिक सख्त हो गया--- लंड की यह हालत देख कर ख़ुद रणधीर बाबू भी हैरान रह गए--- लंड को इतना सख्त और फनफनाता हुआ कभी नहीं पाया था उन्होंने--- ख़ुद की बीवी तो छोड़ ही दें, शहर की टॉप एक नंबर की हाई क्लास कॉल गर्ल/वाइफ/एस्कॉर्ट भी उनके उम्र बढ़ते हथियार की ऐसी हालत नहीं कर पाई थी---|
इतना काफ़ी था रणधीर बाबू को यह भरोसा देने के लिए की ‘आशा इज़ स्पेशल !’ और स्पेशल चीज़ों से डील करने में काफ़ी, काफ़ी माहिर हैं रणधीर बाबू |
नज़र फ़िर केन्द्रित किया आशा पर --- पल्लू के बहुत सुन्दर सलीके से प्लेट्स बना कर बाएँ कंधे से पिन की हुई है आशा --- दोनों भौहों के मध्य एक छोटी सुन्दर सी हल्की नीली बिंदी है--- माँग में सिंदूर नहीं दिख रहा!--- चौंके रणधीर बाबू ! ---- ‘आश्चर्य! सिंदूर क्यूँ नहीं?’ ‘तो--- क्या हस्बैंड नहीं रहे?--- नहीं नहीं... ऐसा होता तो गले में नेकलेस नहीं होता--- और तो और; शायद इतने अच्छे से बन ठन कर नहीं रहती—या आती --- हम्म, शायद ये लोग अलग हो गये हैं--- या शायद ऐसा भी हो सकता है कि आजकल की दूसरी औरतों या टीवी-फिल्मों की हीरोइनों को देख कर बिन सिंदूर पतिव्रता नारी हो--- खैर, मुझे क्या, बस मुझे सुख दे दे--- बाद बाकि जो करना है, करे---|’
बालों को पीछे गर्दन के पास से एक बड़ी क्लिप से सेट कर के लगाईं है--- और वहाँ से बालों को खुला छोड़ रख दी--- जो की टेबल फैन से आती हवा के कारण पूरे पीठ पर उड़ उड़ कर फ़ैल रहे हैं |
‘आशा---!’ थोड़े सख्त लहजे में नाम लिया रणधीर बाबू ने |
‘ज...जी.. सर...|’ होंठ कंपकंपाए आशा के |
‘इंटरव्यू शुरू करने से पहले तुम्हें एक ज़रूरी बात बताना चाहता हूँ ---|’ बातों का मोर्चा संभाला रणधीर बाबू ने |
‘ज.. जी सर... कहिए |’ नर्वस आशा बस इतना ही बोल पाई |
‘पता नहीं ऐसा हुआ है या नहीं--- पर मुझे तुम एक स्मार्ट, समझदार और बेहद रेस्पोंसिबल लेडी लगती हो--- और अभी तक, आई होप कि तुम समझ चुकी हो शायद की, अब जो इंटरव्यू होने वाला है --- वह बाकि के इंटरव्यूज़ से बिल्कुल अलग, बिल्कुल जुदा होने वाला है--- राईट?? ’
बिल्कुल सपाट से शब्दों में चेहरे पर बिना कोई शिकन लिए रणधीर बाबू ने अपनी बात सामने रख दी और बोलते समय बिल्कुल एक ऐसे प्रोफेशनल की तरह बिहेव किए मानो ऐसा उनका रोज़ का काम है |
इसमें कोई दो राय नहीं की आशा को अब तक ये नहीं समझ में आया हो की इंटरव्यू कैसा होने वाला है--- क्या पूछा या करने को कहा जा सकता है--- क्या आज ही के दिन से उसके कोम्प्रोमाईज़ का काम शुरू होने वाला है?--- क्या जॉब अप्लाई/जॉइनिंग के दिन ही बिन ब्याही किसी की औरत बनने वाली है?
इन सभी सवालों को दिमाग से एक झटके में निकालते हुए बोली,
‘जी सर... समझ रही हूँ |’ इसबार आवाज़ में थोड़ी बोल्डनेस लाने का प्रयास करते हुए बोली |
‘ह्म्म्म ... आई गिव माई वर्ड दैट --- की जो कुछ भी होगा इस बंद कमरे में--- एवरीथिंग विल बी अ सीक्रेट बिटवीन मी एंड यू--- एक अक्षर तक बाहर नहीं जाएगी--- यू गेटिंग द पॉइंट-- व्हाट आई मीन??’
‘यस सर....’ अपनी नियति मान चुकी आशा ने सिर्फ़ इतना कहना ही उचित समझा |
‘गुड... वैरी गुड---(सब कुछ योजनानुसार होता देख रणधीर बाबू मन ही मन बल्लियों उछलने लगे)--- मेरा तो कुछ नहीं--- आई जस्ट वांट तो सी यू गेटिंग इनटू एनी काइंड ऑफ़ ट्रबल ---| ’
‘ज... जी.. जी सर... आई स्वेअर, कोई भी बात बाहर नहीं जाएगी |’
‘ऑलराईट देन,----|’ बड़ी, रेवोल्विंग चेयर पर पीठ टिका कर आराम से बैठ गये रणधीर बाबू, आशा की ओर एकटक देखते हुए---- और इधर आशा भी मन ही मन ख़ुद को समझाती---- संभालती तैयार होने लगी ----
‘रणधीर बाबू के इंटरव्यू के लिए !’
कमरे में फ़िर कुछ पलों के लिए सन्नाटा छा गया |
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