RE: Hindi Porn Story खेल खेल में गंदी बात
मेरा लण्ड जोर मारने लगा था। मैंने सोचा सर सहलाते हुए उसकी चूचियाँ दबोच लूंगा। तब तो वो मान ही जायेगी।
"अभी लो दीदी... प्यार से दबा दूंगा तो सर दर्द भाग जायेगा।" मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसके कोमल सर पर हाथ रख कर सहलाने लगा। बीच बीच में मैं उसके चिकने गाल भी सहला देता था। उसने अपनी आंखें बंद कर ली थी। मैंने उसके होंठों की तरफ़ अपने होंठ बढ़ा दिये। जैसे ही मेरे होंठों ने उसके होंठ छुए, उसकी बड़ी-बड़ी आंखें खुल गई और वो शरमा कर दूसरी तरफ़ देखने लगी।
"हाय... हट जाओ अब... बस दर्द नहीं है अब..."
"यहाँ नहीं तो इधर सीने में तो है...!"
मैंने अब सीधे ही उसके सीने पर हाथ रख दिये... और उसकी चूचियाँ दबा दी। उसके मुख से हाय निकल पड़ी। उसने मेरे हाथ को हटाने की कोशिश की, पर हटाया नहीं।
"दीदी... प्लीज, बुरा मत मानना... मुझे करने दो !"
"आह विनोद... यह क्या कर रहे हो... मुझे तुम दीदी कहते हो...?"
"प्लीज़ दीदी... ये तो बाहर वालों के लिये है... आप मेरी दीदी तो नहीं हो ना।" मैंने उसके अधखुले ब्लाऊज में हाथ अन्दर घुसा कर दोनो कबूतरों को कब्जे में लिया। उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरे हाथों के ऊपर अपना हाथ रख कर और दबा लिया।
"ओह्ह्ह्... मैं मर जाऊंगी विनोद... !" वो तड़प उठी और सिमटने लगी। मैंने उसे जबरदस्ती सीधा किया और उसके होंठो पर अपने होंठ दबा दिये। वो निश्चल सी पड़ी रही। मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गया। मेरा लण्ड पजामे में से ही उसकी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा था। मैंने अपना पजामे का नाड़ा ढीला कर लिया और नीचे सरका लिया। मेरा लण्ड बाहर आ गया। मैंने उसके पेटिकोट का नाड़ा भी खींच लिया और उसे नीचे सरकाने लगा। सोनू ने हाथ से उसे नाकाम रोकने की कोशिश की,"भैया... ये मत करो ... मुझे शरम आ रही है... मुझे बेवफ़ा मत बनाओ !" सोनू ने ना में हाँ करते हुए कहा।
"सोनू, शरम मत करो अब... तुम बेवफ़ा नहीं हो... अपनी प्यास बुझाने से बेवफ़ा नहीं हो जाते !"
"ना रे... मत करो ना... !" पर मैंने उसका पेटीकोट नीचे सरका ही दिया और लण्ड से चूत टकरा ही गई। लण्ड का स्पर्श जैसे ही चूत ने पाया उसमें उबाल आ गया। सोनू की चूत गीली हो चुकी थी। लण्ड चिकनी चूत के आस पास फ़िसलता हुआ ठिकाने पर पहुंच गया। चूत के दोनों पट खुल गये और चूत ने लण्ड का चुम्बन लेते हुए स्वागत किया। सोनू तड़प उठी और शरमाते हुए अपनी चूत का पूरा जोर लण्ड पर लगा दिया। चूत ने लण्ड को अपने में समेट लिया और अन्दर निगलते हुए जड़ तक बैठा लिया।
"आह भैया... आखिर नहीं माने ना... अपने मन की कर ली... हाय ... उह्ह्ह्ह !" सोनू ने मुस्करा कर मुझे जकड़ लिया।
"दीदी सच कहो ... आप को अच्छा नहीं लगा क्या...?"
"भैया... अब चुप रहो ना... " फिर धीरे से शरमाते हुए बोली..."चोद दो ना मुझे...हाय रे !"
"आप गाली भी... हाय मर जाऊं... देख तो अब मैं तेरी चूत को कैसी चोदता हूँ !"
‘ऊईईई... विनोद... चोद दे मेरे भैया... मेरी प्यास बुझा दे..." उतावली सी होती हुई वो बोली।
"मेरा लण्ड भी तो प्यासा है कब से... प्यारी सी सोनू मिली है, प्यारी सी चूत के साथ...आह्ह्हऽऽऽ !"
"मैया री... लगा... और जोर से... हाय चोद डाल ना...मेरी चूची मरोड़ दे आह्ह्ह !"
|