RE: Hindi Porn Story खेल खेल में गंदी बात
एक सीत्कार के साथ भाभी का रस चू पड़ा... और मेरा वीर्य भी... आह उसकी चूत में भरने लगा। वो और झुक गई, अपना सर बिस्तर से लगा लिया। हम दोनों पसीना पसीना हो चुके थे ... उसके पांव अब थरथराने लग गये थे... शायद वो इस अवस्था में थक गई थी। मैंने भाभी को सहारा दे कर बिस्तर पर लेटा दिया। भाभी ने अपना हाथ बढ़ा कर मुझे खींच लिया। मैं कटे वृक्ष के समान उनके ऊपर गिर पड़ा।
भाभी ने अपने बदन के साथ मुझे पूरा चिपका लिया और बहुत ही इत्मिनान से मुझे लपेटे में लेकर प्यार करने लगी। जाने कब तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे, प्यार करते रहे... तभी भाभी चिंहुक उठी। मेरा खड़ा लण्ड जाने कब उनकी चूत में जोर मार कर अन्दर घुस कर चूत को चूमने लगा था। लाल टोपा चूत की गुलाबी चमड़ी को सहलाता हुआ भीतर घुस कर ठोकर मार कर अपनी मर्दानगी दिखाना चाह रहा था ...... रात फिर से गर्म हो उठी थी... दो जवान जिस्मों का वासना भरा खेल फिर से आरम्भ हो गया था ...
जब तक मैं मोना के साथ रहा, हमने सेक्स के बहुत मज़े लिए पर उसी बीच एक ऐसी बात हो गई जिसने मुझे बहुत डरा दिया। मुझको लगा कि अब न तो मुझको मोना के शरीर से खेलने का मौका मिलेगा और डाँट भी पड़ेगी।
हुआ यह कि एक दिन मोना दोपहर में मेरे घर आई, उस वक़्त घर में कोई नहीं था। मैंने उसको अन्दर बुला कर दवाजा बंद कर लिया, उसको अपनी बाहों में ले लिया और चूमने लगा पर वो अपने को मुझसे दूर करके बिस्तर पर बैठ गई।
मैंने उससे पूछा- जान ! क्या बात है? आज मन नहीं है या कुछ और कारण है?
मोना बोली- एक परेशानी हो गई है ! मेरी दीदी को सब कुछ पता चल गया है और वो कह रही है कि वो यह बात सबको बता देगी ! संजय, मुझको बहुत डर लग रहा है ! कुछ करो !
मैंने उसको समझाया कि मैं कुछ करुंगा और उसको प्यार करके घर भेज दिया। मैंने उसको तो समझा दिया पर मन ही मन में मैं खुद बहुत डर गया था। मैं मोना की दीदी को जानता था, वो कॉलेज़ में पढ़ती थी और गुस्से वाली भी थी। वो कुछ भी कर सकती थी सो डर लगना ही था।
अगले दिन में मेरी माता मोना की मम्मी के साथ बाज़ार गई और मैं घर पर अकेला था। तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, मुझको लगा कि मोना होगी तो मैंने दरवाज़ा खोला। पर सामने देखते ही डर के कारण मेरी जान निकल गई। सामने मोना की दीदी खड़ी थी। मैंने चुपचाप उनको अन्दर आने को कहा तो वो अन्दर आ कर सोफे पर बैठ गई, मैं भी वहीं नज़रें नीची करके बैठ गया।
वो बोली- संजय, यह सब क्या चल रहा है?
मैं कुछ नहीं बोला तो वो बोली- अब नज़रे नीचे करके क्या बैठा है, जवाब दे? मुझको मोना ने सब कुछ बता दिया है, मैं तो सोच भी नहीं सकती थी कि तू ऐसा है।
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