RE: अन्तर्वासना - मोल की एक औरत
धीरे धीरे पूरा गाँव संतराम के घर आ जुटा, सुन्दरी का मुंह पूरा सूजा हुआ था. सारी देह पर डंडे ही डंडे छपे दिखाई देते थे. लोग वेशक सुन्दरी को चिढाते थे लेकिन इसका मतलब ये नही था कि वे लोग सुन्दरी से दुश्मनी मानते थे.
सिसकती सुन्दरी को देख हर आदमी का दिल पिघल गया. लोगों ने गाँव के पंचों को जा सारी खबर सुना डाली. पंचों ने एक घंटे बाद पंचायत बुलाने का फैसला कर लिया. जहाँ संतराम और सुन्दरी को भी बुलाया गया था.
पंचायत ठीक समय पर लग गयी. संतराम और सुन्दरी के साथ साथ पूरा गाँव पंचायत में जा पहुंचा. पंचों ने सारी बात सुनी और सुन्दरी का पक्ष पूंछा. सुन्दरी संतराम के साथ रहना ही नहीं चाहती थी. आज उसने संतराम का राक्षसपना देख लिया था. कहती थी कि वो अपने घर अपने गाँव जायेगी. गाँव के महिलाएं भी सुन्दरी का भला चाहती थी. उन्हें पता था कि उसकी संतराम से आये दिन लड़ाई होती है और संतराम उसको मारता है. सब कहतीं थी कि जैसा सुन्दरी कहे वैसा ही किया जाय. पंचों ने संतराम से कहा कि कल सुबह भी वो जाकर सुन्दरी को उसके गाँव छोड़कर आये.
इस बात से सुन्दरी तो खुश हो गयी लेकिन संतराम को न तो ज्यादा दुःख हुआ और न ही ख़ुशी. शायद उसे अपने पैसों की थोड़ी चिंता रही होगी. जिनसे वो सुन्दरी को खरीद कर लाया था. लेकिन पंचायत के सामने कुछ न कह सका. उसने सबके सामने हां कह दी. पंचायत बर्खास्त हो गयी. गाँव के सब लोग खुश थे और सुन्दरी की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नही था.
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