RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
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दूर-दूर तक रेत ही रेत थी।
दूर तक पसरी, हमेशा की तरह ही। फीके से आसमान के नीचे शांत, धूसर समुद्र। पानी के बगल में ठोस, नम रेत की एक पट्टी जिस पर वो स्थिर गति बनाए रख सकता था। साथ में चलता एक ज़्यादा सूखा, धूसर-सफेद मैदान, जहां तटीय घास और हवा से त्रस्त झाड़ियां फैली हुई थीं। खारी दलदलों के अंदर पक्षी अलसाए से बड़े-बड़े दायरों में उड़ते हुए हवा को अपनी उदास चीखों से भर रहे थे।
वान वीटरेन ने अपनी घड़ी देखी और रुक गया। वो एक लम्हे को ठिठका। दूर धुंध में वो सग्रेजविन के चर्च के शिखर को पहचान रहा था, लेकिन वो काफी दूर था। अगर वो चलता रहे, तो चौक के कैफे में एक बीयर लेकर बैठने में उसे यकीनन एक घंटा लगने वाला था।
ये कोशिश किए जाने लायक था, लेकिन अब जबकि वो रुक गया था, तो उसके लिए खुद को राजी कर पाना मुश्किल हो रहा था। तीन बज रहे थे । वो लंच के बाद निकला था-या ब्रंच के बाद; जो इस पर निर्भर करता है कि इसके बारे में आपका क्या नजरिया है। जो भी हो, एक बजे, एक और ऐसी रात के बाद जब वो लेट तो जल्दी गया था लेकिन भोर होने तक सो नहीं पाया था। जब सवेरे की सफेदी रेंगती हुई बढ़ती आ रही थी, तो अपने ढीले से डबल बेड पर करवटें बदलते हुए उसके लिए ये समझ पाना मुश्किल हो रहा था कि उसकी चिंताओं और बेचैनी का मूल कारण क्या है... बहुत मुश्किल था।
वो तीन हफ़्ते से छुट्टी पर था, जो उसके स्टैंडर्ड से काफी लंबा समय तो था लेकिन असाधारण नहीं था और जैसे-जैसे दिन गुजरते गए, कम से कम पिछले हफ्ते में, उसके रोजाना के रुटीन में थोड़ा सा विलंब होता गया। बस चार दिन के बाद वो फिर अपने ऑफिस को लौट जाएगा और उसे पूरा अहसास था कि जब वो ऑफिस को लौटेगा, तो उसकी चाल में बहुत उछाह नहीं होगा। हालांकि उसने आराम के अलावा कुछ खास नहीं किया था। बीच पर लेटा पढ़ता रहा था। सग्रेजविन में कैफे में बैठा रहा था, या नजदीक ही हैलेन्सरॉट में। इस अंतहीन रेत पर इधर से उधर टहलता रहा था |
एरिच के साथ यहां पहला हफ़्ता एक गलती रहा था। दोनों को पहले ही दिन इसका अहसास हो गया था, लेकिन इस व्यवस्था को आसानी से बदला नहीं जा सकता था। एरिच को पेरोल पर इस शर्त के साथ बाहर आने दिया गया था कि वो अपने पिता के साथ तट के इस सुदूर टुकड़े पर ही रहेगा। उसकी सजा के अभी दस महीने बाकी थे, और पिछली बार जब वो पेरोल पर बाहर आया था तो नतीजा बहुत अच्छा नहीं रहा था।
उसने समुद्र की ओर देखा। समुद्र उतना ही शांत और अथाह था जितना पिछले पूरे सप्ताह में रहा था। जैसे कोई भी चीज कोई प्रभाव डाल ही नहीं सकती थी, हवा भी नहीं। तट पर आकर प्राकृतिक मौत मरती लहरें ऐसी लगती थीं जैसे बिना जीवन और आशा के लंबी दूरियां तय करके आई हों।
ये मेरा समुद्र नहीं है, वान वीटरेन ने मन ही मन सोचा।
जुलाई में, जब उसकी छुट्टी के दिन नजदीक आ रहे थे, तो उसे एरिच के साथ के इन दिनों का बेचैनी से इंतजार था। और जब ये दिन आ गए, तो वो इनके खत्म होने के लिए बेचैन था, ताकि वो शांति से रह सके और अब, तन्हाई के एक दर्जन दिन और रात के बाद उसे वापस काम पर पहुंचने से ज्यादा किसी चीज की इच्छा नहीं थी।
या बात इतनी ही सीधी थी? या शायद ये एक सुविधाजनक तरीका था। ये बताने का कि क्या हो रहा था - वो सोचने लगा। था कि क्या कोई ऐसा बिंदु आता है जिसके आगे हम किसी चीज के आने का नहीं, बल्कि जो गुजर गया है उससे बच निकलने का इंतजार करते हैं? बच निकलने का। सब कुछ बंद करके आगे बढ़ जाना चाहते हैं, लेकिन फिर से शुरू करने का इंतजार नहीं करते। एक ऐसे सफर की तरह जिसका मजा प्रारंभिक बिंदु से तय कर ली गई दूरी के अनुपात में कम होता जाता है, जिसकी मिठास लक्ष्य के नजदीक आने के साथ-साथ कड़वाहट में बदलती जाती हो...
बच निकलो, उसने सोचा। अंत कर दो इसका। दफ़्न कर दो इसे ।
इसी को शिखर से उतरना कहते हैं। आगे हमेशा एक और समुद्र होता है।
उसने एक आह भरी और अपना स्वेटर उतार लिया। उसे अपने कंधों पर बांधा और पीछे लौटने लगा। अब वो हवा के खिलाफ चल रहा था और उसे अहसास हुआ कि वापस घर पहुंचने में उसे ज्यादा समय लगेगा... अच्छा ही है कि इस तरह उसे इस शाम कुछ अतिरिक्त घंटे मिल जाएंगे। घर को दुरुस्त करना था, फ्रिज खाली करना था, टेलीफोन का प्लग निकालना था। वो कल सुबह जल्दी निकल जाना चाहता था। बिना बात पड़े रहने का कोई फायदा नहीं था ।
उसने ठोकर मारकर एक खाली पड़ी प्लास्टिक की बोतल को रेत पर उछाल दिया।
कल से पतझड़ शुरू हो जाएगा, उसने सोचा।
जब वो गेट पर पहुंचा तो उसे टेलीफोन की आवाज सुनाई देने लगी। इस उम्मीद में कि उसके घर में घुसने तक टेलीफोन बजना बंद हो जाएगा, आप ही आप वो और धीरे चलने लगा, उसने अपने कदम छोटे कर दिए, अपनी चाबियों से खेलने लगा। पर कोई फायदा नहीं। उदास खामोशी को पूरे जिद्दीपन से काटती हुई आवाज अब भी आ ही रही थी। उसने रिसीवर उठा लिया।
"हैलो?"
"वान वीटरेन?"
"ये तो निर्भर करता है।"
"हा हा... हिलर हूं। कैसा चल रहा है?"
वान वीटरेन ने रिसीवर को पटक देने की इच्छा को किसी तरह दबाया ।
"बहुत अच्छा, शुक्रिया। बस मेरा कुछ ऐसा ख्याल था कि मेरी छुट्टी सोमवार से पहले खत्म नहीं हो रही है।"
"बिल्कुल सही! मैंने सोचा कि तुम शायद कुछ दिन और लेना चाहो?"
वान वीटरेन कुछ नहीं बोला।
"मुझे यकीन है कि अगर मौका मिले तो तुम कुछ समय और तट पर रहना चाहोगे, है ना?"
"..."
"शायद एक हफ़्ता और? हैलो?"
"अगर आप मुद्दे पर आ जाएं तो बड़ी मेहरबानी होगी, सर," वान वीटरेन बोला ।
पुलिस चीफ को खांसी का दौरा सा पड़ गया और वान वीटरेन ने ठंडी सांस भरी ।
"हां, दरअसल कालब्रिंजेन में कुछ हुआ है। वो उस कॉटेज से बीस या तीस मील है जहां तुम ठहरे हुए हो; पता नहीं तुम उस जगह से परिचित हो या नहीं। बहरहाल, हमसे मदद करने को कहा गया है।"
"मामला क्या है?"
"हत्या। दो हत्याएं। कोई पागल फरसे या ऐसी किसी चीज से लोगों के सिर काटता घूम रहा है। आज के अखबार इससे भरे पड़े हैं, लेकिन शायद तुमने--"
"मैंने तीन हफ्ते से अखबार नहीं देखा है," वान वीटरेन ने कहा।
"आखरी-यानी दूसरी हत्या-कल हुई, बल्कि परसों। हमें उन्हें कुछ कुमुक भेजनी पड़ी है, और मैंने सोचा कि चूंकि तुम उसी इलाके में हो, तो..."
"बहुत-बहुत शुक्रिया।"
"फिलहाल मैं ये तुम पर छोड़ रहा हूं। अगले हफ्ते मैं मुंस्टर या राइनहार्ट को भेजूंगा। अगर तब तक तुम इसे नहीं सुलझा पाए तो।"
"पुलिस चीफ कौन है? मेरा मतलब, कालब्रिंजेन में।"
हिलर फिर से खांसा ।
"उसका नाम बॉजेन है। मेरे ख़्याल से तुम उसे नहीं जानते होगे। बहरहाल, उसके रिटायर होने में कुल एक महीना बाकी है और इस वक़्त अपने सामने ये केस आ जाने से वो बहुत खुश नहीं लगता है।"
"कितनी अजीब बात है," वान वीटरेन ने कहा ।
"तो मैं मान रहा हूं कि तुम कल सीधे वहीं जाओगे?" हिलर बात को खत्म कर रहा था। इस तरह तुम्हें अनावश्यक रूप से दो बार सफर नहीं करना पड़ेगा। वैसे क्या पानी अभी भी इतना गर्म है कि तैरा जा सके?"
"मैं सारे-सारे दिन छपाके ही तो मारता रहता हूं।"
"वाकई... वाकई। खैर, मैं उन्हें फोन करके बता दूंगा कि तुम कल दोपहर तक पहुंच रहे हो। ठीक है?"
"मुझे मुंस्टर चाहिए," वान वीटरेन ने कहा।
"मैं देखता हूं क्या कर सकता हूं," हिलर ने कहा।
वान वीटरेन ने रिसीवर रखा और कुछ देर वहीं खड़ा टेलीफोन को घूरता रहा और फिर उसने प्लग निकाल दिया। अचानक उसे याद आया कि वो खाना खरीदना तो भूल ही गया। धत!
उसे अभी ये क्यों याद आया? उसे तो भूख भी नहीं लगी थी, शायद इसका ताल्लुक जरूर हिलर से होगा। उसने फ्रिज से एक बीयर निकाली और बरामदे में जाकर एक डैक चेयर पर बैठ गया।
फरसा हत्यारा?
उसने कैन खोली और एक लंबे से गिलास में बीयर पलटते हुए सोचने लगा कि क्या उसने इस तरह की हिंसा पहले भी कभी देखी है। वो तीस साल-इससे भी ज़्यादा-से एक पुलिस अफसर था लेकिन दिमाग की पूरी तलाशी और छानबीन के बाद भी, वो अपनी यादों की मटमैली गहराइयों से किसी फरसा हत्यारे को नहीं निकाल सका।
शायद समय आ चुका है, उसने बीयर की एक चुस्की लेते हुए सोचा ।
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