RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
16
"ये ऊंट गलत जगह पर है," बॉजेन ने कहा ।
"वो तो मुझे दिख रहा है," वान वीटरेन बोला।
"एफ 6 बेहतर रहता। अब जैसी हालत है, आप कभी इससे बाहर नहीं निकल पाएंगे। आपने निम्जो-इंडियन सुरक्षा इस्तेमाल क्यों नहीं की, जैसा मैंने कहा था?"
"मैं उस पर ठीक से महारत नहीं कर पाया हूं," वान वीटरेन बुदबुदाया। "रुसी में ज्यादा मजा है--"
"मजा, हां," बॉजेन ने कहा। "इतना मजा कि ये साला तूफान ला दे और आपकी अपनी रेखाओं में बड़े-बड़े छेद कर दे। हार मानते हैं?"
"नहीं," वान वीटरेन ने कहा। "मैं अभी खत्म नहीं हुआ हूं।" उसने अपनी घड़ी देखी। "हे भगवान! सवा बजने वाला है!"
"कोई बात नहीं। रात तो दिन की जननी है।"
"वैसे आपके पास भी मुझसे ज़्यादा गोटियां नहीं हैं--"
"इस चरण तक जरूरी नहीं हैं। ज़्यादा से ज़्यादा तीन-चार चालों में मेरा एच-प्यादा राजा बन जाएगा।"
टेलीफोन बजने लगा और बॉजेन उसे सुनने अंदर चला गया।
"क्या मुश्किल है?" वो बड़बड़ाया। "रात के इस वक़्त..."
वान वीटरेन आगे को झुका और उसने हालात का जायजा लिया। इसमें कोई शक नहीं। बॉजेन सही था। हालत निराशाजनक थी। काला दोनों किलों और मुख्य प्यादों के लेन-देन को मजबूर कर सकता था, और फिर एच-फाइल खुला खेल होगा। उसका बचा हुआ ऊंट राजा के पास अपने ही प्यादों के पीछे अटका पड़ा था। बुरा खेल, वाकई घटिया खेल-अगर उसके पास काली गोटियां होतीं तो वो हार मान चुका होता, लेकिन जब उसके पास सफेद गोटियां थीं और वो रूसी रणनीति का इस्तेमाल कर पाया था, तो कोई बहाना नहीं चल सकता था। कोई भी बहाना। बॉजेन तेजी से भागता बाहर आया।
"भगवान के लिए इसे बराबरी पर मान लें!" वो चिल्लाया। "उसने फिर कांड कर दिया है!"
वान वीटरेन उछलकर खड़ा हो गया।
“कब?"
"पता नहीं। पांच मिनट पहले फोन आया था। भगवान के लिए चलें! ये इमर्जेंसी है!"
वो झाड़-झंखाड़ को रौंदता चल दिया, वान वीटरेन उसके पीछे था. मगर गेट पर रुक गया।
"उफ, साला! कार की चाबी..."
"आप सच में ड्राइव करने का सोच रहे हैं?" वान वीटरेन ने कहा। "आप कम से कम तीन पिंट पी चुके हैं!"
बॉजेन हिचकिचाया ।
"पैदल चलेंगे," उसने कहा। बस कुछ सौ गज दूर ही है।"
"चलिए!" वान वीटरेन ने कहा।
कॉन्स्टेबल बैंग सबसे पहले मौके पर पहुंचा था और कुछ ही मिनट के अंदर सारे अपार्टमेंट ब्लॉक को जगाने में कामयाब रहा था। जब बॉजेन और वान वीटरेन नुक्कड़ पर पहुंचे, तब तक हर खिड़की की लाइट जल चुकी थी और सीढ़ियों और चबूतरों पर लोगों के झुंड जमा हो गए थे।
बैंग संबद्ध दरवाजे पर जम गया था, हालांकि किसी अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा मौका-ए-वारदात को तहस-नहस करने का खतरा नहीं था। दृढ़ मगर दोस्ताना तरीके से बॉजेन ने पड़ोसियों को उनके घरों में वापस भेजना शुरू कर दिया, जबकि वान वीटरेन ने अपना ध्यान बैंग के पैरों के पास फर्श पर बैठी, कांपती युवती की ओर मोड़ा। ऐसा मालूम देता था जैसे उसी ने लाश को देखा और पुलिस को बुलाया हो।
"मेरा नाम वान वीटरेन है," उसने कहा। "क्या आप कुछ पीना चाहेंगी?"
उसने अपना सिर हिला दिया। वान वीटरेन ने उसके हाथ थामे और पाया कि वो बर्फ से ठंडे पड़े थे और कांप रहे थे। "आपका क्या नाम है?"
"बीट्रिस लिंस्क्स। हम साथ रहते हैं। इसका नाम मॉरिस र्यूमे है।"
"मैं जानता हूं," बॉजेन ने कहा, जिसने सारे पड़ोसियों को वापस भेज दिया था। "आप कुछ समय के लिए मिसेज क्लॉजविट्ज के साथ चली जाएं, वो आपको कुछ गर्म चीज पीने को दे देंगी।"
एक गदबदी सी औरत उसके पीछे से झांक रही थी।
"आ जाओ, नन्ही बीट्रिस,"उसने एक पीला कंबल फैलाते हुए कहा। "आओ। आंटी एना तुम्हारा ध्यान रखेंगी।"
मिस लिंस्क्स किसी तरह अपने पैरों पर खड़ी हुई और कहे अनुसार मिसेज क्लॉजविट्ज के साथ चली गई, अलबत्ता लड़खड़ाते हुए।
"दुनिया में अभी भी अच्छाई मौजूद है," बॉजेन ने कहा। "हमें ये नहीं भूलना चाहिए। एक नजर देखें? मैंने बैंग से कहा है कि जमघट को दूर ही रखे।"
वान वीटरेन ने थूक गटका और दरवाजे से बाहर झांका।
"हे भगवान!" चीफ इंस्पेक्टर बॉजेन ने कहा।
मॉरिस र्यूमे की लाश दरवाजे के ठीक अंदर पड़ी थी और पहली नजर में ऐसा लग रहा था मानो खून का एक-एक कतरा शरीर से निकल गया हो। हॉल के पूरे फर्श पर पड़ा कालीन, कोई तीन-चार वर्ग गज का, इस कदर खून में भीग गया था कि उसके मूल रंग को पहचान पाना लगभग नामुमकिन सा था। वान वीटरेन और बॉजेन ड्योढ़ी पर ही खड़े रहे।
"मौका-ए-वारदात के लोगों का इंतजार करना ठीक रहेगा," वान वीटरेन ने कहा ।
"वहां पैरों के कुछ निशान हैं," बॉजेन ने इशारा करते हुए कहा।
"हां, मैं देख रहा हूं।"
ये सही मालूम देता था। र्यूमे पेट के बल पड़ा था, उसकी बांहें उसके नीचे दबी थीं।, मानो वो आगे को गिरा हो लेकिन खुद को रोकने की कोशिश न कर पाया हो। उसका सिर अभी भी जुड़ा हुआ था, लेकिन ऐसा भी लगता था जैसे उसे लगभग अलग कर दिया गया हो। उसका चेहरा एक ओर को मुड़ा और थोड़ा सा ऊपर की ओर था और उसकी खुली आंखें कमोबेश बॉजेन के घुटनों की ऊंचाई पर तकती मालूम हो रही थीं। उसकी गर्दन के कटे हिस्से से केवल खून ही नहीं निकला था, बल्कि अनपचे खाने जैसा भी कुछ था... और कुछ मांस सा था जो अभी भी कहीं जुड़ा हुआ था। वान वीटरेन ने अनुमान लगाया कि वो उसकी जीभ होगी।
"ये काफी समय से यहां पड़ा होगा," बॉजेन ने कहा। "आपने गध पर ध्यान दिया?"
"कम से कम चौबीस घंटे से," वान वीटरेन ने कहा । "अब तक फॉरेंसिक टीम को आ जाना चाहिए था न?"
"पांच मिनट में, मेरा अंदाजा है," बॉजेन ने अपनी घड़ी देखते हुए कहा। "लगता है हथियार के बारे में तो कम से कम मैं सही था।"
इस बार ये नयापन था। मॉरिस र्यूमे के मामले में कातिल एक वार में ही शांत नहीं हुआ था-उसकी गर्दन काटने और तुरंत उसे मार डालने के बाद उसने उस पर एक और वार किया था। इस बार उसकी रीढ़ की हड्डी के आधार पर और हथियार वहीं अटका छोड़ गया था।
ऐसा लगता था मानो वो मजबूती से गड़ा हुआ हो। हत्था आगे की ओर तिरछा झुका हुआ था जैसे किसी तरह का विकृत शिश्न हो, पीछे से सामने की ओर, और उसके फलक से जो थोड़ा-बहुत समझा जा सकता था, उससे कमोबेश वही लगता था जो बॉजेन और म्युरिट्ज ने सोचा था।
छोटा हत्था। चौड़ा मगर उथला फल। बजाहिर, बहुत ही उम्दा किस्म का कसाई का औजार।
"हे भगवान!" बॉजेन ने फिर कहा । "क्या आप सच में यहां खड़े रहकर इसे देखना बर्दाश्त कर सकते हैं?"
"नहीं," वान वीटरेन ने कहा।
|