RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
अंत में, मीडिया की दुनिया में कालब्रिंजेन की स्थानीय आवाज डी जरनल ने स्वाभाविक रूप से इन कत्लों को किसी भी दूसरे अखबार से ज़्यादा जगह दी थी--बत्तीस में से अठारह पन्ने से कम नहीं--और शायद अपने पहले पन्ने की सुर्खी में आम अशांति और नगर की मनोस्थिति को जाहिर किया था--आठ कॉलमों और युद्ध-घोषित-कर-दिया-गया-है वाली टाइपोग्राफी में।
कौन होगा अगला शिकार?
बियाटे मोएर्क ने अखबार जमीन पर डाल दिए और तकियों पर लुढ़क गई और अपनी आंखें बंद कर लीं।
अगर वो अपने शरीर से उठ रहे संकेतों पर प्रतिक्रिया देने के लिए आजाद होती तो उसे सबसे ज़्यादा अच्छा ये लगता कि सिर पर चादर तानकर सो जाए।
लेकिन ग्यारह बज रहे थे। जॉग पर जाने के लिए सही समय था। तट के किनारे पश्चिम में दो मील, फिर जंगल से होकर वापस आने में तीन या चार मील। हवा अभी भी चल रही थी, मगर बारिश थम गई लगती थी। बाहर जाने पर हवा उसके पीछे होगी--ये सबसे अहम बात थी। जंगल में तो ज़्यादातर हवाओं से कोई असर नहीं पड़ता था।
"तुम जो भी करो, मगर अकेले कहीं मत जाना!” कल जब उसने मां को फोन किया था तो उन्होंने उसे हिदायत दी थी। "ये मानकर मत चलना कि वो औरतों पर हमला नहीं करता है, और इस नादानी में भी मत रहना कि तुम्हारे पुलिस अफसर होने से कोई फर्क पड़ेगा!"
अगर ये बातें कहने वाला कोई और रहा होता, तो शायद वो कुछ ध्यान देने की जहमत कर भी लेती, लेकिन हकीकत ये थी कि सालों पहले ही उसने अपनी मां की हिदायतों को एक कान से सुनकर दूसरे से बाहर निकालने की तरकीब सीख ली थी। अगर कभी इत्तेफाक से उनकी कही कोई बात याद आ भी जाती, तो वो बस इसलिए कि वो उन्हें नजरअंदाज करने का कारण तलाशना चाहती थी।
तो, चलो जॉगिंग करने चलें! अपने शरीर की फरियाद सुने और कुछ घंटे और आराम कर ले? नहीं, कभी नहीं!
पौन घंटे बाद वो कपड़े पहनकर तैयार थी। उसने ट्रैकसूट के टॉप का जिपर ऊपर तक खींचा, और बालों में चौड़ा सा लाल हैडबैंड बांध लिया।
उसने आईने में देखा कि कैसी लग रही है। चलेगा।
न शैतान से डरो न परियों से।
न मौसम, हवा या खतरनाक हथियारधारियों से।
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धुंधलका तेजी से घिर आया था। वो, कमोबेश, किसी मंच के परदे जैसा लगा था और जब उसने अपने अपार्टमेंट में कदम रखा तो लगभग घोर अंधेरा हो चुका था, हालांकि बस सात ही बजे थे। उसका शरीर थक गया था और दर्द से बेहाल था। दो घंटे की जॉगिंग और स्ट्रैचिंग के बाद पुलिस स्टेशन में चार घंटे चली पूछताछ, फिर आगामी हफ़्ते के लिए कार्यक्रम तय करना कि कौन क्या करेगा--कहना न होगा कि इस सबने अपना असर दिखाया था। इससे ज़्यादा की मांग कौन करेगा, अपनी आयु के चरमकाल पर मौजूद औरत से भी?
फिर भी, वो सीधे अपने बिस्तर पर गिरने को तैयार नहीं थी। अपने शरीर के विरोध के बावजूद,उसने आमलेट, कुछ हरी सब्जियों और चीज के एक टुकड़े का खाना तैयार किया। बरतन धोए और कॉफी बनाई। शांति और सुकून से दो घंटे अपनी मेज पर बिताना--वो बस यही चाहती थी। अंधेरे और खामोशी द्वारा उसके ख़्यालों और सोच के, उसके नोटपैड के, उसके नोट्स और अटकलों के चारों ओर एक सुरक्षात्मक घेरा बनाते हुए एकाकी महिमा के दो घंटे--शाम के इन्हीं सत्रों में वो केस हल करती थी। यहीं, अपनी डेस्क पर ख़्यालों में खोई इंस्पेक्टर बियाटे मोएर्क फरसामार को तलाशेगी, उसकी पहचान करेगी और उसे मात देगी!
आज रात नहीं, तो बहुत जल्दी ही, इसमें कोई शक नहीं था।
इस देश में क्या कोई और पुलिसवाला था जिसके अंदर अपने काम के प्रति उससे ज़्यादा रोमांटिक रवैया हो? बहुत मुश्किल है। जो भी हो, एक और नियम था जिसे छोड़ना उसे नापसंद था, हालांकि उसे ये ठीक से पता नहीं था कि उसमें वो कहां से आया थाः अगर किसी दिन तुम वो काम करने के लिए थोड़ा सा भी समय न निकाल पाओ, जो तुम वाकई करना चाहती हो, तो वो दिन बर्बाद है।
कितना सही है।
त्रिकोण पहले से कहीं ज़्यादा प्रभावशाली लगा। तीन नाम, हर कोने में एक। एगर्स--सिमेल--र्यूमे। और बीच में एक सवालिया निशान ।
सवालिया निशान जिसे कातिल का नाम उजागर करने के लिए मिटाया जाना जरूरी था, एक नाम जो हमेशा लोगों की जबान पर रहने वाला था। कालब्रिंजेन के लोगों की जबान पर तो कम से कम । बुरा करने वाले को लोग कभी नहीं भूलते हैं। राजनीतिज्ञ, कलाकार और बहुप्रशंसित अदाकार सब समय की धुंध में खो जाते हैं, लेकिन कातिल का नाम कोई नहीं भूलता।
तीन शिकार। तीनों शहर में आने वाले पुरुष। तीनों एक-दूसरे से बहुत भिन्न--क्या किसी बड़े फर्क की कल्पना कर पाना मुमकिन था?
एक निष्कासित, नशेड़ी और कैदी। व्यक्ति नहीं।
एक प्रतिष्ठित, अमीर, मरग निजी व्यवसायी, कोई खास आकर्षक व्यक्ति नहीं ।
एक युवा डॉक्टर, शहर की सबसे प्रमुख हस्तियों में से एक का बेटा।
जितना वो अपने नोट्स में दर्ज इन नामों, अपनी अटकलों और अपने रेखाचित्रों को तकती, उतना ही स्पष्ट होता जाता कि इस तीसरे शिकार के कत्ल ने किसी नई जानकारी की जरा सी छाया तक नहीं छोड़ी है।
इसका उलट था। जितना ज़्यादा था, उतना ही बुरा होता मालूम दे रहा था।
पौने ग्यारह बजे उसे अहसास हुआ कि अब उसके लिए अपनी आंखें खुली रख पाना मुमकिन नहीं हो रहा है। उसने लाइट बंद की, ब्रश किया और बेड में घुस गई।
कल एक और दिन होगा। वो और मेहनत करेगी। धीरज से सवालों-जवाबों को मथेगी... शायद यही नीरस प्रक्रिया अंततः फल प्रदान करेगी। तथ्यों, मिनटों और टेप रिकॉर्डिगों के ढेर अंततः किसी संकेत, संकेतों के समूह को आकार दे सकें, जो सबसे अहम सवाल पूछने का आधार प्रदान कर सके।
वो कौन है?
और ये सब किसी संभावित जवाब की ओर इशारा कर सके।
लेकिन वो कातिल के चेहरे की, रूपरेखा दर रूपरेखा, नाक-नक्श दर नाक-नक्श कल्पना कर पाना कहीं ज़्यादा पसंद करती। रात के अंधेरे घंटों को कोई तस्वीर बनाने के लिए, कल सुबह पुलिस चीफ की मेज पर रखने के लिए एक पूर्ण तस्वीर बनाने के लिए बहला पाना
कोई शॉर्टकट। इस सारी नीरस तफ़्तीश से निजात पाने के लिए कोई शॉर्टकट ।
कितना बेहतर होता?
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