Hindi Antarvasna - काला इश्क़
07-14-2020, 12:49 PM,
#13
RE: Hindi Antarvasna - काला इश्क़
रात के खाने के बाद मैं छत पर टहल रहा था और ऋतू में आये बदलावों के बारे में सोच रहा था| उसके जिस्म में भूख की ललक मुझे साफ़ नजर आ रही थी|तभी वहाँ ऋतू चुप-चाप आ कर खड़ी हो गई| नजरें झुकी हुई, हाथ बाँधे वो जैसे अपने जुर्म का इकरार कर रही हो| बचपन में जब भी उससे कोई गलती हो जाती थी तो वो इसी तरह खड़ी हो जाती थी और उस समय जब तक मैं उसे गले लगा कर माफ़ न कर दूँ उसके दिल को चैन नहीं आता था| 'ऋतू.... तू ये सब क्यों कर रही है? खुद पर काबू रखना सीख प्लीज! वरना सब कुछ खत्म हो जायेगा!" ये कहते हुए मैंने उसके सामने हाथ जोड़ दिए| जिसे देख उसकी आँख से आँसूं गिरने लगे| इस बात की परवाह किये बिना की हम घर पर हैं और कोई हमें देख लेगा मैंने ऋतू को कस कर अपने गले लगा लिया| मेरी बाहों में आते ही वो टूट के सुबकने लगी और बोली; "जानू.... मैं क्या करूँ? मुझसे ये दूरी बर्दाश्त नहीं होती| हम एक शहर में हो कर भी कभी दिल भर के मिल नहीं पाते| हमेशा हॉस्टल की घंटी या कोई साथ न देख ले वाला डर हमें एक दूसरे के करीब नहीं आने देता| आप जी तोड़ कोशिश करते हो की हम ज्यादा से ज्यादा साथ रहे पर आपको अपनी नौकरी भी देखनी है| आप जब भी मिलते हो तो वो पल मैं आपके साथ जी भर के जीना चाहती हूँ इसलिए उन कुछ पलों में मैं सारी हदें तोड़ देती हूँ| जन्मदिन वाले दिन के बाद से तो आपके बिना एक पल को भी चैन नहीं आता! रात-रात भर तकिये को खुद से चिपकाए सोती हूँ, ये सोच कर की वो तकिया आपका जिस्म है जिसकी गर्मी से शायद मेरा जिस्म थोड़ा ठंडा पद जाए पर ऐसे कभी नहीं होता| पढ़ाई में भी मन नहीं लगता, किताब खोल कर बस आप ही के ख्यालों में गुम रहती हूँ| आपके जिस्म की गर्माहट को महसूस करने को हरपल बेताब रहती हूँ| प्लीज-प्लीज हम अभी क्यों नहीं भाग जाते? मैं आप के साथ एक पेड़ के नीचे रह लूँगी पर अब और आप से दूर नहीं रहा जाता|" उसकी बातें सुन कर उसके दिल का हाल मैं जान चूका था पर इस कोई इलाज नहीं था| अगर मेरा खुद के शरीर पर काबू है इसका मतलब ये तो नहीं तो की दूसरे का भी उसके शरीर पर काबू हो?

"जान! मैं समझ सकता हूँ तुम कैसा महसूस करती हो, और यक़ीन मनो मेरा भी वही हाल है पर हम दोनों को एक दूसरे पर काबू रखना होगा! हम अभी नहीं भाग सकते, बिना पैसों के हम बनारस तो क्या इस जिले के बहार नहीं जा सकते| हमें बहुत बड़ी लड़ाई लड़नी है और उसके लिए खुद पर काबू रखना होगा| मैं ये नहीं कहता की हम मिलना बंद कर दें, पर हमें जिस्मानी रिश्ते को रोकना होगा| ये Kissing, ये Hugging ..... इन सब पर काबू रखना होगा| जब मौका मिलेगा तब हम ये सब करेंगे और प्लीज Sex अभी नहीं! वो शादी के बाद!" इसके आगे मेरे कुछ कहने से पहले ही ऋतू मुझसे अलग हो गई और सर झुकाये हुए बोली; "इससे तो अच्छा है की मैं जान ही दे दूँ!" ऋतू की आँखें से आँसूं थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे, मैंने आगे बढ़ कर उसके आँसू पोछने चाहे पर वो एकदम से मुड़ी और नीचे अपने कमरे में चली गई| मैं कुछ देर तक और छत पर टहलता रहा और सोचता रहा| घडी पर नजर डाली तो बारह बज रहे थे, मैं अपने कमरे की तरफ जाने लगा तो ऋतू के कमरे का दरवाजा खुला था| अंदर झाँका तो पाया ऋतू अब भी रो रही थी और अपने तकिये को अपनी छाती से चिपकाये हुए थी| पता नहीं क्यों पर बार-बार वो तकिये को चुम रही थी| शायद ये सोच रही होगी की वो तकिया मैं हूँ| तभी उसने करवट बदली पर इससे पहले वो मुझे देख पाती मैं दिवार की आड़ में छुप गया और वो करवट बदल के फिर से उसी तकिये को खुद से चिपकाये हुए प्यार करती रही| 15 मिनट तक मैं छुप कर उसे यूँ तकिये से लिपटे रोता देखता रहा पर मजबूर था क्योंकि अगर कोई घरवाला देख लेता तो?!!! मन मार के जैसे ही अपने कमरे में जाने को मुड़ा की नीचे से ताऊ जी की आवाज आई; "इतनी रात गए क्या कर रहा है?" ये सुनते ही मैं हड़बड़ा गया, शुक्र है की मैं ऋतू के कमरे में नहीं घुसा वरना आज सब कुछ खत्म हो जाता| "जी वो.... नींद नहीं आ रही थी इसलिए छत पर टहल रहा था|" मेरी आवाज सुनते ही ऋतू उठ के बहार आ गई और बिना कुछ बोले ही मेरे मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया| मैं भी उसके इस बर्ताव से चौंक गया और समझ गया की उसे बहुत बुरा लगा है| मैं अपना इतना सा मुँह ले कर अपने कमरे में आ गया और बिस्तर पर लेट गया पर नींद तनिक भी नहीं आई| घड़ियाँ गिन-गिन कर रात गुजारी और सुबह जब चलने का समय हुआ तो ऋतू अब भी खामोश थी| गाँव से कुछ दूर आने के बाद मैंने बाइक रोक दी और ऋतू को दोनों तरफ पैर कर के बैठने को कहा तो उसने मेरी ये बात भी अनसुनी कर दी| मजबूरन मुझे ऐसे ही बाइक चलानी पड़ी, ढाबे पर पहुँच कर मैंने बाइक रोकी और ऋतू को चाय पीने चलने को कहा तो उसने फिर से मना कर दिया| अब मैंने जबरदस्ती उसका हाथ पकड़ के खींचा और उसे ढाबे में ले गाय और जबरदस्ती चाय पिलाई| "जान! I'm Sorry!!! प्लीज मुझे माफ़ कर दो! मैं तुम्हें दुःख नहीं पहुँचाना चाहता था| तुम जो सजा दोगी वो मंजूर है पर प्लीज मुझसे बात करो!" मैंने ऋतू से की मिन्नतें की पर वो कुछ नहीं बोली| हमने चुप-चाप चाय पी और फिर हम वापस हाईवे पर आ गए, पर मैंने बाइक बजाये हॉस्टल की तरफ ले जाने के अपने घर की तरफ मोड़ दी| घर पहुँचने से पहले मैंने बाइक एक मेडिकल स्टोर के पास रोकी और कुछ दवाइयाँ ले कर वापस आया| "आपकी तबियत ख़राब है?" ऋतू ने चिंता जताते हुए पूछा| तो मैंने मुस्कुरा कर नहीं कहा और बाइक घर की तरफ घुमा दी| जैसे ही घर पहुँच कर मैंने बाइक रोकी तो ऋतू बड़ी हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी| मैंने उसे ऊपर कमरे की तरफ चलने को कहा और कमरे की चाभी भी उसे दे दी| मैंने बाइक नीचे पार्क की और घर फ़ोन कर दिया की हम घर पहुँच गए हैं, और साथ ही ऋतू के हॉस्टल में फ़ोन कर दिया की गाँव में कुछ काम है इसलिए मैं उसे कल हॉस्टल छोड़ दूँगा| फिर खाने के मैगी ली और सारा सामान ले कर मैं कमरे में आया| ऋतू खड़ी हो कर पीछे वाली खिड़की से बाहर कुछ देख रही थी| मुझे देखते ही वो बोली; "मुझे हॉस्टल कब छोड़ोगे?" मैंने ऋतू का हाथ पकड़ा और उसे खींच के पलंग के पास ले आया और बोला: "आज की रात और कल की दोपहर आप मेरे साथ गुजारोगे!" ये सुन के ऋतू बोली: "क्यों?"

"आपने कहा था ना आप का मन मेरे बिना नहीं लगता तो मैंने सोचा की क्यों न आपको इतना प्यार करूँ की आपको मेरी कमी कभी महसूस न हो|" ये सुन कर ऋतू ने मेरी तरफ पीठ कर दी और बोली; "मैं जानती हूँ ये आप सिर्फ मुझे खुश करने के लिए कर रहे हो| आपको ऐसा कुछ भी करने की जर्रूरत नहीं जिसके लिए आपका मन गवाही ना देता हो|" मैं ने ऋतू को पीछे से अपनी बाँहों में जकड़ा और उसके कान में फुसफुसाता हुआ बोला; "दिल से कह रहा हूँ|" इतना कह कर मैंने उसे गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ला कर लिटा दिया और झुक कर ऋतू के होठों को चूम लिया| मेरे होंठ के स्पर्श से उसकी सारी कठोरता खत्म हो गई और उसने अपनी बाहें मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द डाल दी और मेरे Kiss का जवाब देने लगी| मैंने अपने होंठ खोले के अपनी जीभ से उसके होठों को रगड़ा और फिर अपने दोनों होठों के भीतर उसके नीचे होंठ को भर के चूसने लगा| तभी ऋतू ने धीरे से मुझे खुद से दूर किया और बोली; "आप .... मुझे धोका तो नहीं दोगे ना?" मैंने ना में सर हिलाया| "पर एक शर्त है! वादा करो की पढ़ाई में ध्यान लगाओगे|"
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Antarvasna - काला इश्क़ - by desiaks - 07-14-2020, 12:49 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,500,458 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,281 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,231,431 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 931,357 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,653,239 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,080,232 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,950,375 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,052,954 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,031,100 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,774 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)