raj sharma story कामलीला
07-17-2020, 11:54 AM,
#1
Thumbs Up  raj sharma story कामलीला
कामलीला

मित्रो आपके लिए छोटी छोटी कहानियों के संग्रह के रूप मे अपनी कामलीला के वो अध्याय लेकर आया हूँ जहाँ मेरा इस्तेमाल किस किस तरह हुआ तो मित्रो चलते इस लंबे सफ़र इस आशा में कि आपका भरपूर साथ मिलेगा

दोस्तो, मैं इमरान, मुंबई में रहता हूँ और एक मोबाइल कम्पनी में काम करता हूँ। ज़िन्दगी अब तक ऐसी गुजरी है कि उस पर कभी तो लानत भेजने का मन करता है और कभी सोचता हूँ क्या बुराई है इसमें…! मुझे ऐसा लगता है जैसे हमेशा मुझे लोगों ने इस्तेमाल ही किया है और किया भी है तो बुराई क्या… अगर दूसरों ने मेरे शरीर के साथ मज़े लिए हैं तो मुझे भी तो आनन्द आया है न !

मुझे सबसे पहले उस लड़की ने इस्तेमाल किया जिसे मेरी घर वालों ने मेरी बीवी बनाया। उसका नाम रुखसार था। शादी मेरे होम टाउन भोपाल में ही हुई थी और लड़की भी रिश्तेदारी से ही थी। मैं उसे पाकर खुश हुआ था। ग़ज़ब का माल थी, लेकिन जल्दी ही मेरी ख़ुशी काफूर हो गई थी जब उसने मुझे सुहागरात तक में हाथ नहीं लगाने दिया, यह कह कर कि उसे माहवारी शुरू हो गई है।

उस दिन तो मैंने सब्र कर लिया, लेकिन फिर मायके जाकर, आने के बाद भी कुछ न कुछ ड्रामा कर के कन्नी काटती रही, तो मैं बेचैन हुआ और फिर एक दिन की घटना ने मेरे होश उड़ा दिए।
उस दिन मेरे घर में कोई नहीं था। बाकी घर वाले मामू के लखनऊ गए हुए थे और घर में हम मियां बीवी ही थे। मैं रात में घर लौटा तो नज़ारा ही कुछ और मिला। बाहर की चाबी मेरे पास थी, मुझे एक बाईक बाहर खड़ी दिखी तो लगा कोई आया है।

मगर जब दरवाज़ा लॉक मिला तो शक हुआ और घन्टी बजाने के बजाय मैंने चाबी से दरवाज़ा खोला और अन्दर घुसा। अन्दर मेरे बेडरूम से कुछ सिसकारियों जैसी आवाज़ आ रही थीं।
मैंने पास पहुँच कर देखा तो दरवाज़ा इतना तो खुला था कि अन्दर का नज़ारा दिख सके। अन्दर बेड पर दो नंगे जिस्म गुत्थमगुत्था हो रहे थे…
एक तो मेरी बीवी रुखसार थी और दूसरा सलमान खान जैसी बॉडी वाला कोई अजनबी। इस वक़्त उस अजनबी का लंड रुखसार की चूत में पेवस्त था और वो धक्के खाने के साथ सिस्कार रही थी। मेरे देखते देखते धक्कों ने जोर पकड़ लिया और वो दोनों ही अंट-शंट बकने लगे…
मैं क्या उसे रोक सकता था? मैंने खुद से सवाल किया। वो मुझसे ड्योढ़ा तो था ही, मेरे ही घर में मुझे पीट डालता।
फिर देखते-देखते दोनों के बदन ऐंठ गए और वो वही बिस्तर पर चिपके चिपके फैल गए। तब रुखसार की नज़र मुझ पर पड़ी, उसने अजनबी को इशारा किया और वो भी मुझे देखने लगा, मगर क्या मजाल कि उनकी पोजीशन में कोई फर्क आया हो।
“आओ आओ मेरे शौहर… तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे।” रुखसार ने ही शुरुआत की और मैं अन्दर आ गया।
“मेरे साथ तो रोज़ कोई न कोई बहाना बना देती हो और यहाँ यह हाल है?”
वो जोर से हंसी।
“हाँ जी, यही हाल है… यह मेरा आल टाइम फेवरेट ठोकू है, मुझे इसके सिवा किसी के भी लंड से इन्कार है, मैं इससे ही शादी करना चाहती थी, मगर इसमें परेशानी यह थी कि एक तो यह गरीब और दूसरे तलाकशुदा…! कहाँ मेरे घर वाले राज़ी होते, तो हमने यह आईडिया निकाला था कि मैं किसी लल्लू से शादी कर लेती हूँ, इसके बाद हम आराम से चुदाई कर सकते हैं। अगर वो सब जान कर चुप रहता है तो भी ठीक और अगर मुझे तलाक दे देता है तो और भी ठीक, क्योंकि तब मैं भी तलाकशुदा हो जाऊँगी और तब हम शादी कर सकते हैं। अब यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम किस बात पर राजी होते हो।”
“मतलब तुमने मुझे सिर्फ इस्तेमाल किया?”
“ज़ाहिर है।”
और मैं दूसरे विकल्प पर गया और अगले ही दिन उसे तलाक देकर खुद दिल्ली चला आया, जहाँ तब मेरी नौकरी थी। यह मुझे प्रयोग करने की शुरुआत थी जिसमें मुझे सिवा ज़िल्लत के कुछ न हासिल हुआ। लेकिन इसके बाद मैंने इस प्रयोग में भी अपनी दुनिया तलाश ली।
मैं कृष्ण पार्क के एक मकान में किरायेदार के तौर पर रहता था। मैं अकेला ही रहता था जब कि ऊपर की मंजिल पर दो हिस्से थे और दूसरे हिस्से में एक मियां-बीवी रहते थे। पति का नाम अजय था जो पश्चिम विहार में कहीं नौकरी करता था और पत्नी का नाम अलका था। अलका बाईस-तेईस साल की एक खूबसूरत युवती थी, जिसके जिस्म को शायद ऊपर वाले ने फुर्सत से तराशा था।
वह लोग मेरे बाद रहने आये थे और जैसे ही मैंने अलका को देखा था, मेरी लार टपक गई थी, गोरा रंग, तीखे नैन-नक्श 36 इन्च की चूचियाँ, चूतड़ और चूचियों के बीच कमर ‘डम्बल’ जैसी लगती थी। उसकी कजरारी आँखों ने जैसे मेरा मन मोह लिया था।
अलका घर पर ही रहती थी और उसके चक्कर में मुझे भी जब काम से छुट्टी मिलती थी तो मैं घर पर ही गुजारता था और इस तरह मुझे उसके दर्शन तो हो ही जाते थे। वो कभी सामने से नज़र मिला कर नहीं देखती थी, इसलिए मैं समझ नहीं पा रहा था कि उसके मन में कुछ था भी या नहीं।
बाकी जब वो साटन का गाउन पहन कर फिरती थी तो उसके बदन की सिलवटें बताती थीं कि वो मुझे दिखाने के लिए हैं। सामने उभरे उसे दो निप्पल मुझे कहते लगते थे कि आओ हमें चूसो।
धीरे-धीरे हमें साथ रहते तीन महीने हो गए, मगर कोई जुगाड़ न बना। लेकिन एक दिन ऐसी एक बात हुई, जिसने मेरी उम्मीदों को फिर से रोशन कर दिया।
हुआ यह कि उस दिन मेरी छुट्टी थी और मैं कमरे पर ही था जब वह आई। उस वक़्त उसने एक स्लीवलैस गाउन पहना हुआ था और सीना देखने पर साफ़ ज़ाहिर हो रहा था कि उसने नीचे ब्रा नहीं पहन रखी थी। कोई भड़काऊ परफ्यूम लगाया हुआ था जिससे अजीब सा नशा छा रहा था और मन में सवाल उठ रहा था कि क्या यह परफ्यूम मेरे लिए यूज़ किया गया?
“आपको थोड़ा बहुत बिजली वगैरह का काम आता है न? मैंने देखा है आप खुद ही अपनी चीजें सही कर लेते हैं।”
“हाँ हाँ… अब इंजीनियर हूँ तो इतना तो कर ही सकता हूँ।”
“मेरे बोर्ड का सॉकेट जल गया था, वह ले तो आये थे, मगर लगाने का वक़्त ही नहीं मिला। आज कुछ अर्जेंट काम था तो जल्दी ही चले गए। आप लगा देंगे?”
“हाँ… क्यों नहीं !”
“आपकी बड़ी मेहरबानी…” कह कर वो धीरे से हंसी।
और मेरे मन में लड्डू फूटा, मैं उसके साथ हो लिया। कमरे में लाकर वो मेरे साथ ही खड़ी हो गई और मैं काम से लग गया। उसके बदन से उठती महक मुझे बुरी तरह बेचैन कर रही थी। इस बीच उसे हेल्प के लिए बार-बार हाथ उठाने पड़ते थे, जिससे उसके स्लीवलैस गाउन के नीचे बगल से दिखते बाल मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रहे थे। ये मेरी एक कमजोरी थे।
“अच्छे हैं।” मेरे मुँह से निकला।
“क्या?” उसने अचकचा कर मेरी आँखों में झाँका।
“यह,” मैंने उसकी बगल की ओर इशारा किया, “मुझे यहाँ पर बाल बहुत पसंद हैं।”
मैंने उसकी आँखों में एक शर्म महसूस की और उसने नज़रें झुका लीं… हाथ भी नीचे कर लिया।
“बहुत ज्यादा साफ़ भी नहीं करना चाहिए, इससे स्किन काली पड़ जाती है। है न?”
“हाँ… छोड़िये।”
“अरे नहीं… इसमें शर्माने की क्या बात है, जब तक आपका काम हो नहीं जाता हम कुछ बात तो करेंगे ही। कितने दिन में बनाती हैं आप?”
“दो ढाई महीने के बाद।”
“और वहाँ के?” मैंने शरारत भरे अंदाज़ में कहा।
वो शरमा कर परे देखने लगी, मगर उसके होंठों पर एक मुस्कराहट आई थी, जिसे उसने होंठ अन्दर भींच कर दबाने की कोशिश की, मगर वो मुझे इतना तो बता गई कि उसने बुरा नहीं माना। मुझ में एक नई उम्मीद का संचार हुआ।
“बताइये न.. मैं क्या किसी से कहने जा रहा हूँ !”
“साथ में ही !” उसने धीरे से कहा।
“ओहो… मतलब अभी वहाँ पर भी इतनी ही रौनक होगी… असल में कुछ लोगों के पैशन कुछ अलग होते हैं और ये बाल मेरा पैशन हैं। मैं इन्हें तो देख सकता हूँ… काश वहाँ के भी देख पाता।”
“आपकी शादी हो गई?” उसने बातचीत का विषय बदला।
“हाँ… पर किस्मत में शादी का सुख नहीं। पत्नी पहले से ही किसी से फंसी हुई थी, उसने मुझे सिर्फ अपना मतलब निकालने के लिए इस्तेमाल किया और अपने यार के साथ चली गई, मैं तो अकेला ही रह गया।” मैंने कुछ मायूसी भरे अंदाज़ में कहा।
“ओह !” उसके स्वर में हमदर्दी का पुट था।
और फिर उसने जो बात कहीं, उसने मेरे उम्मीदों के दिए एकदम से रोशन कर दिए।
“सुख का क्या है, कई लोग होते हैं, जिनकी किस्मत में शादी टूटने के बाद सुख नहीं होता और कई लोग होते हैं जिनकी किस्मत में शादी होते हुए भी सुख नहीं होता।”
कहते वक़्त उसकी आवाज़ में एक मायूसी थी जिसने मेरे लोअर में हलचल मचा दी। मैंने उसकी आँखों में झांकना चाह मगर उसने निगाहें नीची कर लीं।
“क्या कहीं और कोई कोई लड़की है अजय की ज़िन्दगी में?”
“नहीं।”
“अच्छा, तो इसका मतलब यह है कि वो तुम्हें वैसे शारीरिक सुख नहीं दे पाता जो तुम्हें मिलना चाहिए।” मैंने अगला वार किया।
उसकी काया ‘कांप’ कर रह गई। होंठ हिले मगर कुछ शब्द न निकल सके… उसने एक नज़र उठा कर मेरी आँखों में देखा और वापस नज़रें नीची कर लीं।
मैंने मन ही मन नाप-तौल कर शब्द चुने और कहना शुरू किया, ” देखो, मेरी कहानी भी अजीब है, शादी हुई मगर उस लड़की से जिसने मुझे एक चीज़ की तरह इस्तेमाल किया। अपना मतलब निकल गया और किनारे कर दिया। अब मैं सोचता हूँ तो लगता है कि ठीक है, मैं एक चीज़ ही हूँ जिसे इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन मुझे उस इस्तेमाल से ऐतराज़ था। पर अगर तुम इस्तेमाल करना चाहो तो मुझे कोई परेशानी नहीं। मैं दावा तो नहीं कर सकता मगर मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हें मायूसी नहीं होगी।”
यह एक वार था, जिसकी प्रतिक्रिया पर मुझे ध्यान देना था। ऐसा लगा नहीं कि वह समझ न पाई हो। मगर फिर भी उसने सवालिया निगाहों से मुझे देखा।
मैंने सॉकेट लगा कर अब बोर्ड को बंद कर दिया और फिर घूम कर उसके कंधे पकड़ लिए। उसके जिस्म में एक थरथरी दौड़ गई।
“तुम मुझे यूज़ कर सकती हो… एक सामान की तरह, जब मन भर जाए निकल फेंकना अपनी ज़िन्दगी से। वादा करता हूँ कि कभी बात मेरे सीने से आगे नहीं बढ़ेगी।”
“मम… मैं… कोई जान… ये ठीक नहीं…” वह समझ ही नहीं पाई कि क्या बोले, क्या कहे और मैं अब और मौका देना नहीं चाहता था। मैंने एकदम से उसके होंठ पर होंठ रख दिए। उसने मेरी पकड़ से निकलना चाहा, लेकिन मैंने उसकी कमर पर अपनी गिरफ्त मज़बूत कर ली थी।
उसने चेहरा हटाना चाहा, मगर मैंने वो भी न करने दिया और ऐतराज़ के सिर्फ चंद पलों बाद उसके होंठ खुल गए और वो खुद से मेरे होंठों को, जीभ को चूसने चुभलाने लगी, उसकी ढीली बाहें मेरी कमर पर सख्त हो गईं। मुझे इसी पल में अपनी जीत का एहसास हो गया।
मैंने उसे थामे-थामे पीछे खिसक कर दरवाज़ा बोल्ट किया और खिसकाते हुए बिस्तर पर लाकर गिरा लिया। अब होंठों से उसके होंठ चूसते हुए एक हाथ से उसकी गर्दन के बालों पर पकड़ बनाते हुए, उसकी कसी-कसी चूचियाँ दबाने मसलने लगा। फिर मैंने होंठ अलग करके उसकी गहरी गहरी आँखों में झाँका।
“जब तुम सही मायने में सम्भोग के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार हो पाती होगी तब तक वो खलास हो चुका होता होगा। है न !!” मैंने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा।
वो मुस्कराई। मगर उसकी मुस्कराहट में एक उदासी थी, जो कह रही थी कि मैं सही हूँ।
मैंने फिर उसके होंठ दबोच लिए और हाथ नीचे ले जाकर उसके गाउन में घुसा कर ऊपर चढ़ाया तो साथ में वो ऊपर सिमटता चला आया और वो लगभग नग्न हो गई… ब्रा तो थी ही नहीं, पैंटी भी ऐसी फैंसी थी कि सिर्फ चूत को ही ढके थी।
मैंने उसकी रजामंदी के साथ गाउन उसके शरीर से निकाल दिया और खुद भी अपने कपड़े उतार कर वहीं डाल दिए।
सबसे पहले मैंने उसके बदन को कुत्ते की तरह चाट डाला, जी भर के उसके चूचे दबाए, घुंडियों को मसला-चूसा, फिर उसकी पैंटी नीचे खींच कर अलग कर दी।
उसकी चूत मेरे सामने अनावृत हो गई। उस पर उतने ही बाल थे, जितने महीने भर की शेविंग के बाद होते हैं।
मैंने उसमें मुँह डाल दिया… एक महक सी मेरे नथुनों से हो कर मेरे दिमाग में चढ़ गई। उसकी कलिकाएँ गहरे रंग की और बड़ी बड़ी थीं। मैंने उन्हें होंठों से चुभलाना शुरू किया… अलका ऐंठने लगी… साथ में जुबान से उसके दाने से खेलने लगा और पानी-पानी हो रही बुर में एक उंगली सरका दी।
वो जोर जोर से सिस्कारने लगी और ज्यादा देर नहीं लगी जब उसकी चूत पानी से बुरी तरह भीग गई, मैंने दो उँगलियाँ अन्दर सरका दी और अन्दर बाहर करने लगा। यह
वो सिस्कारती रही, ऐंठती रही और जल्दी ही झड़ गई। फिर कुछ शांत हुई तो मैं उसके सर के पास पहुँच गया और अपना अर्ध उत्तेजित लंड उसके होंठों के आगे कर दिया जिसे उसने बड़े प्यार से मुँह में ले लिया और चूसने लगी। साथ ही मैंने उंगली से उसकी बुर सहलाना जारी रखी जिससे वो पुनः उत्तेजित हो गई।
जब मैंने खुद में पर्याप्त उत्तेजना महसूस की तो उसके मुँह से अपना लंड निकल लिया। अब उसके पैरों के बीच में आकर उसकी टांगें फैलाईं और लंड को ठीक छेद से सटा कर एक जोर का धक्का मारा… लंड चूत की दीवारों से रगड़ता हुआ आधे से ज्यादा अन्दर सरक गया।
वो जोर से सिसकारी और बिस्तर की चादर अपनी मुट्ठियों में भींच ली, लंड पर चूत का चिकना पानी लगा तो वो और चिकना हो गया… मैंने बाहर निकाल कर वापस धक्का मारा तो जड़ तक चला गया। फिर मैंने उसी पोजीशन में उसे चोदना चालू किया। वह हर धक्के के साथ थोड़ा ऊपर सरक जाती।
थोड़ी देर में जब रास्ता बन गया तो मैं उस पर दौड़ने लगा। कमरे में ‘फच्च-फच्च’ की आवाजें गूंजने लगीं और साथ में उसकी ‘आह-आह’ के साथ ही वातावरण में गर्माहट भर गई। कुछ देर की इस रगड़म पेल के बाद उसने दोनों हाथों से मुझे अपने से अलग धकेल दिया।
“क्या हुआ?” मैंने अचकचा कर पूछा।
“मुझे ऐसे मज़ा नहीं आता।”
“तो कैसे आता है…?!” मैंने हैरानी से उसे देखा।
और अगले पल में वो पेट के बल लेट कर अपने चूतड़ उठा कर ऐसे उत्तेजक पोज़ में आ गई कि उसकी चूत पूरे आकर में मेरी आँखों के आगे लहरा गई।
उसने एक हाथ से अपना एक चूतड़ हौले से थपथपाया। इशारा समझते मुझे देर न लगी और मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धीरे धीरे पूरा अन्दर सरका दिया और चूतड़ों को साइड से कस कर थाम लिया और धक्के लगाने लगा। वो चेहरा चादर से टिकाये मीठी मीठी निगाहों से मुझे देखती सिस्कार रही थी।
“ऐसे मज़ा आता है।” उसने सिस्कारियों के बीच में कहा।
“अच्छा, तो लो… ऐसे ही मज़ा लो रानी।” मैंने धक्कों की स्पीड बढाते हुए कहा।
लंड अन्दर-बाहर होता रहा और वो सिस्कारती रही। मैं पसीना-पसीना हो गया, पर इस तरह चूत की गर्म भट्टी में आते-जाते लंड भी अपनी अंतिम पराकाष्ठा पर पहुँच गया।
“मैं झड़ने वाला हूँ… मेरा रस पियोगी क्या?”
उसने आँखों ही आँखों में स्वीकृति दी और मैंने लंड चूत से निकाल लिया। वो सीधी हो कर बैठ गई और जल्दी से मेरे लंड को हाथ से थाम कर मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मैं एक कराह के साथ बह गया… एक तेज़ पिचकारी छेद से निकली और आधा उसके मुँह में गया तो आधा होंठ और आस-पास। वो चाटती रही और अंतिम बूँद तक साफ़ कर दी। फिर हम वैसे ही शिथिल हो कर गिर गए और हांफने लगे।
“मुझे पहली बार सेक्स का मज़ा आया।” उसने चेहरा तिरछा कर के मेरी तरफ देखा।
“रियली, चलो मैं जब तक हूँ वादा करता हूँ कि तुम्हें यह मज़ा बराबर मिलता रहेगा… लेकिन मेरे मज़े का भी ख्याल रखना पड़ेगा।” मैंने फिर उसके चूचों को सहलाना शुरू किया।
“क्यों… तुम्हें मज़ा नहीं आया?”
“आया … लेकिन मुझे इस छेद से और ज्यादा मज़ा आता है।” मैंने हाथ नीचे ले जा कर उसकी गांड के छेद को छुआ।
“अच्छा, लेकिन मैंने कभी नहीं करवाया… पर ऐसा क्यों, कुदरती तौर पर तो सेक्स के लिए योनि ही होती है न।”
“अब कुदरत का पता नहीं लेकिन अगर यही छेद चोदने के लिए है तो मेरी समझ से बाहर है कि दूसरे छेद से मारने या मरवाने पर मज़ा क्यों आता है। दरअसल मेरा बचपन से साथ ऐसे लड़कों के साथ रहा जो आपस में गुदामैथुन करते थे और मैं भी अपने साथ पढ़ने वाले एक लड़के की गांड मारता था। मेरा सारा सम्भोग उसी छेद से पैदा हुआ और वो मेरा आज भी पहला शौक है।”
“पर उसमें तो काफी दर्द होगा न?”
“अब पहली बार में तो चूत की चुदाई में भी दर्द होता है और बच्चा पैदा करने में भी। पर दर्द का मतलब यह तो नहीं कि दोनों काम किये ही नहीं जायेंगे। सारा मज़ा तो इस दर्द की देहरी को पार करने के बाद ही मिलता है।”
“ओके, चलो तुम्हारी ख़ुशी के लिए अब ये दर्द भी झेल लूंगी मगर थोड़ा प्यार से… ताकि दर्द कम से कम हो।”
“उसकी फ़िक्र न करो… वो मेरी ज़िम्मेदारी।”
उसकी रजामंदी के साथ ही मैंने उसे फिर गर्म करना शुरू किया। लेटे-लेटे बायां हाथ उसकी पीठ के पीछे से निकाल कर उसकी बाईं चूची दबाने लगा और होंठों में दाहिनी चूची का निप्पल ले कर चुभलाने लगा। दाहिना हाथ नीचे उसकी बुर के दाने से शरारत करने लगा। कुछ देर में उसका बदन ऐंठने लगा और वो अपने दाहिने हाथ से मेरे बाल नोचने लगी।
“बस… अब करो वरना मैं झड़ जाऊँगी।”
“कुछ चिकनी चीज़ है… लगा कर डालूँगा तो कम दर्द होगा।”
उसने सिरहाने से कोई क्रीम उठा कर दे दी… जैली टाइप की ही थी।
“चलो काम चल जाएगा।” मैंने उसके चूतड़ थपथपाए और वो तत्काल किसी चौपाये की तरह हो गई।
मैंने उसकी कमर पर दबाव देकर उसे सुविधाजनक हालत में पहुँचा दिया। अब मैंने उस कसमसाते हुए छेद को निहारा… चुन्नटें सिकुड़ी हुई.. यौन उत्तेजना से दुपदुपाता… गुलाबी-गुलाबी छेद। मैंने उंगली से उसके आस-पास क्रीम लगाई और फिर ‘बिचली’ उंगली अन्दर उतार दी।
उसने एक ‘सीईईईइ’ किया। मैंने उंगली से क्रीम अन्दर तक लगा दी और उंगली से छेद को खोदने सहलाने लगा। क्रीम की चिकनाहट से ऊँगली कुछ देर में आसानी से उतरने लगी। दूसरे हाथ को नीचे डाल कर उसकी चूत के दाने को सहलाना और उंगली करना जारी रखा जिससे उसकी उत्तेजना बनी रहे। जब एक उंगली का रास्ता बन गया तो दो उंगलियाँ घुसाईं। वो एकदम से मचली, मगर फिर एडजस्ट कर लिया और दो उँगलियाँ अपना रास्ता बनाने लगीं।
उसकी उत्तेजना ने काम आसान कर दिया। थोड़ी देर में गांड ने चिकना पानी निकालना शुरू कर दिया और दोनों उंगलियां आसानी से अन्दर बाहर होने लगीं। तब मैंने अपने सुपारे पर क्रीम लगाई और थोड़ी सी और उसके छेद में लगा दी और तब मैंने उसकी छेद से टिका कर सुपारे को अन्दर ठेला। एक तो क्रीम और पानी की चिकनाहट और उसकी उत्तेजना… टोपी को बहुत ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ा और वो अन्दर उतर कर फंस गई। वो दर्द से बिलबिलाई और आगे होकर मेरे लंड की जद से निकल जाना चाहा, लेकिन मैंने चूतड़ सख्ती से थाम लिए और उसी हालत में उसे रोक लिया।
“इजी… इजी… हो गया… बस अब सब्र करो और उसे अपनी जगह बनाने दो।”
उसने खुद को संभाला और लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगी। मैंने फिर उसे चूत सहला कर गर्म करना शुरू किया और इतनी आहिस्ता-आहिस्ता लंड को अन्दर सरकाता रहा कि उसे एहसास न हो पाए।
वो दर्द भूल कर फिर गर्म होने लगी और जब मैंने उसे बताया कि भाई पूरा चला गया तो हैरानी से उसने गर्दन घुमा कर देखा।
“अभी थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो, मैं बाहर निकाल कर फिर अन्दर डालूँगा ताकि छेद ठीक से खुल सके। फिर सामने से करेंगे ताकि तुम देख सको ओके?”
उसने मौन स्वीकृति दी और मैंने धीरे-धीरे से लंड को बाहर निकाला, जैसे ही सुपाड़ा बाहर आया उसने जोर से राहत भरी ‘सीईई’ की, पर फिर वापस उसे दो इंच तक घुसेड़ा तो फिर दर्द से मुँह बन गया, लेकिन जब यही प्रक्रिया चार-पांच मर्तबा दोहराई तो गांड का छल्ला इतना फैल गया कि लंड आराम से समागम कर सके।
फिर उसे चित लिटा लिया और उसके दोनों पैर मोड़ कर इतने ऊपर कर दिए कि गांड का छेद मेरे सामने आ गया। अपने पैर उसने खुद से कस लिए और मुस्कराते हुए मुझे उकसाने लगी।
मैंने फिर सुपारा छेद पर लगा कर ठांसा, लंड कुछ कसाव के साथ अन्दर सरकता चला गया।
उसके चेहरे से दर्द की लहरें एक बार फिर गुजरीं लेकिन उसने कोई विरोध न किया… मैं एक हाथ की उँगलियों से चूत को सहलाने में लग गया और लंड को धीरे-धीरे अन्दर बाहर करता रहा।
जब रास्ता सरल हो गया और वो भी ठीक से गर्म हो गई, तो उसने ही कहा- स्पीड बढ़ाओ।
और देखते देखते मैं उसकी गांड तूफानी रफ़्तार से चोदने लगा। वो सिस्कारने लगी। कमरे में तूफ़ान आ गया। मेरी उखड़ी-उखड़ी साँसें उसकी आह…आह के साथ मिल कर कमरे का माहौल में आग भरने लगीं।
फिर वो सर पीछे करके आँखें बंद करके अकड़ गई और उसकी गांड की गर्माहट और कसाव ने मुझे भी कोई बहुत देर दौड़ नहीं लगाने दी और मैं भी जल्दी ही उसके अन्दर ही झड़ गया।
तो दोस्तो, यह थी अलका की दास्ताँ… इस तरह अलका के मुझे यूज़ करने का सिलसिला शुरू हुआ जो कई महीनों बाद तब थमा जब उसके पति को कहीं और शिफ्ट होना पड़ा और वो दोनों चले गए।
मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताइए।
Reply


Messages In This Thread
raj sharma story कामलीला - by desiaks - 07-17-2020, 11:54 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,442,585 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 537,859 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,208,736 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 913,747 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,619,801 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,052,982 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,904,572 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,902,213 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,972,178 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,445 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)