raj sharma story कामलीला
07-17-2020, 11:56 AM,
#13
RE: raj sharma story कामलीला
मैंने आदेश का पालन किया और थोड़ी देर बाद हम लोहिया पार्क के एक कोने में घास पर बैठे थे।
‘मैं कुछ कहूँ, उससे पहले एक वादा करो कि कभी मेरे इश्क़ में मुब्तिला नहीं होगे। समझो कि मैं चाँद हूँ जो इत्तेफ़ाक़ से कुछ वक़्त के लिए तुम्हारे साथ हूँ पर तुम हासिल करने के बारे में सोचोगे भी नहीं!’
‘मैंने पहले ही कहा था कि मैं अपनी लिमिट जानता हूँ और इस बात के बावजूद कि तुम मेरे साथ इस पार्क में प्रेमिका की तरह बैठी हो मैं इस खुशफहमी में मुब्तिला नहीं कि तुम मेरे इश्क़ में पगला गई हो। बल्कि समझ रहा हूँ कि शायद तुम्हें कुछ काम है, शायद तुम्हें कुछ वक़्त के लिए ऐसे पुरुष साथी की ज़रुरत है जिससे तुम अपने मन की वे बातें शेयर कर सको जो अपनी सहेलियों से या कर नहीं पाती या करने से संतुष्टि नहीं महसूस करती।’
‘यही तुम्हारे सवाल का जवाब है कि तुम्हें लेकर मैं सोचती थी कि तुम एक मैच्योर शख्स की तरह मुझे समझोगे, न कि मेरी नज़दीकी हासिल होते ही जवां लौंडों की तरह पगला जाओगे।’
‘ठीक है, अब कहो।’
‘मेरी एक बड़ी बहन है जो शादीशुदा है, दुबई में रहती है। शायद मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत। वो मुझसे बड़ी है, मैंने बचपन से ही उन्हें देखा समझा… जब छोटी सी थीं तभी से पढाई के साथ घर की ज़िम्मेदारी लाद ली और पर्देदारी ऐसी कि खुले में जा भी न सकें, खुल के हंस बोल भी न सकें। हमेशा पाबंदियों में जीना, लड़कों के साथ घूमना फिरना तो दूर, बात तक करना दूभर…
अम्मी अब्बू दोनों ही पुराने ख़यालात के हैं, उन्हें लगता है कि हमारा किसी लड़के से बोलना भी हमारी बदनामी का सबब बन जायेगा।
मैंने नहीं देखा कि कभी उन्होंने ज़िन्दगी अपने तरीके, अपने अंदाज़ में जी हो… हमेशा सबकी उम्मीदों को पूरा करते जवान हुईं और फिर शादी और उसके बाद वही सब अपने शौहर के लिए। वही पर्देदारी, वही पाबंदियाँ, वही एकरसता से भरी बोरिंग ज़िन्दगी।
मैं भी वही ज़िन्दगी जी रही हूँ और मेरा अंजाम भी वही होना है लेकिन मैं तो पुराने ज़माने की नहीं। अपने साथ की लड़कियों को देखती हूँ जिनमें कई मेरे मजहब ही हैं लेकिन उन पर तो ये पाबंदियाँ नहीं। वे पढ़ती हैं, खेलती हैं, पार्कों, माल में मौजमस्ती करती हैं, थिएटर में फिल्म देखती हैं, लड़कों के साथ भी घूमती हैं और उनकी शादी भी हुई तो अपने शौहर के साथ भी वही ज़िंदगी। कहीं कोई रोक टोक नहीं। कहीं किसी की बदनामी नहीं हुई जा रही, किसी के खानदान पर आंच नहीं आई जा रही।
यह सब देख कर खटकता है, किसी कमी का एहसास होता है, मन में बगावत पैदा होती है। आज जो मैंने तुम्हें आज़माने के लिए ‘शो’ दिखाया वो मेरी आज़माइश भी थी, अपनी बगावत को आज़माने की, अपनी जुर्रत को देखने की कि क्या कुछ वक़्त के लिए सही पर मैं उन बेड़ियों को तोड़ सकती हूँ जो मेरे पैरों में वालदैन ने डाल रखी हैं, मज़हब और रिवाज़ों ने डाल रखी हैं।’
‘चलो, हम दोनों आज़माइश में कामयाब रहे… अब?’
‘मुझे मेरा अंजाम पता है। वही एक जैसी बोरिंग, एकरसता से भरी ज़िन्दगी जीते आई हूँ और बी एस सी करते ही मेरी शादी करने का प्लान है यानि शौहर के घर जाकर इसी सिलसिले को कंटिन्यू करना है। दिन भर घर के काम, ससुराल वालों की उम्मीदें पूरी करो, रात में शौहर की भूख मिटाओ, फिर बच्चे पैदा करो, उन्हें बड़ा करने में खुद को खपा दो। बस।
पर इस सबके बीच मैं कुछ दिन अपने लिए जीना चाहती हूँ। वो सब करना चाहती हूँ जो बाकी लड़कियाँ करती हैं। खुद को आज़ाद महसूस करना चाहती हूँ- वालदैन से, रिवाज़ों से, मज़हब से।
कुछ दिन के लिए मैं वो ज़िन्दगी जीना चाहती हूँ जो मैं अपने बुढ़ापे तक याद रखूँ!’
‘कैसे?’
‘घर के लोग गाँव गए हैं। वहाँ मामू रहते हैं जिनके आखिरी बेटे की शादी है इसलिए इतने दिन रुकने का प्रोग्राम बना। मेरे बाकी रिश्तेदार यहीं लखनऊ में रहते हैं इसलिए इस शादी के बाद कोई ऐसा मौका नहीं बनने वाला कि मुझे यूँ आज़ाद होने का मौका मिले।
सब लोग संडे रात तक आएंगे… यानि हमारे पास पूरे सात दिन हैं और इन सात दिनों में मैं जी लेना चाहती हूँ। पिछले तीन महीने से मुझे पता था कि ऐसी नौबत आने वाली है और मैं कोई ऐसा ही साथी चाहती थी जो ये वक़्त मेरे साथ मेरे तरीके से तो गुज़ारे मगर आगे मेरे लिए प्रॉब्लम न बने क्योंकि मैं इश्क़ नहीं कर सकती और न सेक्स।
मेरा कौमार्य मेरे शौहर की अमानत है और अपनी ज़िन्दगी जीते हुए भी मैं इतनी ईमानदारी तो ज़रूर निभाऊंगी कि मुझे उस इंसान के सामने शर्मिंदा न होना पड़े जिसके साथ मुझे पूरी ज़िन्दगी गुज़ारनी है।
मुझे तुममे यह उम्मीद नज़र आती थी कि जो मैं चाहती हूँ शायद तुम उसमे काम आ सको और देखो मेरी उम्मीद गलत नहीं साबित हुई।’
‘मतलब यह कि ये सात दिन तुम उन आज़ाद लड़कियों की ज़िन्दगी जीना चाहती हो जिन्हें अपने आसपास देखती आई हो!’
‘हाँ।’
‘पर वे सिर्फ पार्कों, मॉल में ही नहीं जाती, लड़कों के साथ बाइक पे बैठ के टहलती, फिल्में ही नहीं देखती बल्कि निजी पलों में फिज़िकल भी होती हैं, न सिर्फ हगिंग, किसिंग बल्कि सहवास भी!’
‘हम भी वो सब करेंगे, सिर्फ एक चीज़ इंटरकोर्स को छोड़ कर। पर प्लीज, तुम कोई अटैचमेंट नहीं पालना वर्ना हम दोनों को ही तकलीफ होगी।’
‘नहीं, मैंने दिमाग में बिठा लिया है कि यह एक स्क्रिप्टेड शो है और चौबीस घंटे हमारे आगे पीछे कैमरे चल रहे हैं और हम बस एक्टिंग कर रहे हैं। खुश?’
‘खुश!’ उसके चेहरे पर इस घड़ी बच्चों जैसी ख़ुशी दिखाई दी जिसे उसका मनपसंद खिलौना मिल गया हो।
वो खुश थी तो मैं खुश था, इस हकीकत को समझने के बावजूद कि जैसा वह सोच रही थी वैसा नहीं होने वाला था।
कोई जोड़ा जो इतने क्लोज़ आये कि उनमें फिज़िकल एक्टिविटीज भी हों और वो भावनात्मक रूप से अटैच न हो, ऐसा मेरे जैसे मैच्योर, तजुर्बेकार शख्स के लिए तो किसी हद तक संभव भी था जिसके नीचे से पहले भी कई लड़कियाँ गुज़र चुकी हों लेकिन उसके जैसी कम उम्र की, नई नई जवान हुई लड़की के लिए नामुमकिन था- पर उसे ऐसा जाता कर मैं अपना काम नहीं बिगड़ना चाहता था।
हाँ, उसे इस बात का अहसास ज़रूर था कि फिज़िकल होने वाले कमज़ोर पलों में वह बहक सकती थी इसीलिए उसने मेरे जैसे ज्यादा उम्र के और तजुर्बेकार शख्स को इस अनुभव के लिए चुना था जो ऐसी किसी हालत में न सिर्फ खुद को सम्भाल सके बल्कि उसे भी बहकने से रोक सके।
यहाँ मैं ज़रूर उसकी अपेक्षाओं पर पूरा उतरने के लिए तैयार था।
‘तो चलो शुरू करते हैं- नए रोमांच की पहली घड़ी… मेरे लिए!’
मैं उसकी शक्ल देखने लगा।
‘एक मर्द का पहला स्पर्श!’ कहते हुए उसकी आवाज़ में अजीब सी उत्तेजना थी।
‘क्यों? पहले किसी को स्पर्श नहीं किया क्या?’
‘अरे वो स्पर्श अलग था… यहाँ बात और है।’
मैंने उसके हाथ थाम लिए और भरी भरी कलाइयाँ सहलाने लगा।
उसने इस पहले सेक्सुअल स्पर्श को अनुभव करने के लिए आँखें बंद कर ली थीं।
उसकी सिहरन मैं अपनी हथेलियों में महसूस कर सकता था।
मैंने कलाइयों को सहलाते हुए अपने हाथ उसकी मखमली बाहों से गुज़ारते हुए उसके गोरे गोरे गालों तक ले आया।
वह काँप सी गई।
मैं अपना चेहरा उसके चेहरे के पास ले आया कि मेरी साँसें उसके चेहरे से टकराने लगीं।
मैंने अपने होंठ उसके माथे से टिका दिए…
उसके जिस्म में एक लहर सी फिर गुज़र गई।
हालाँकि एक तरह से ये एक्टिंग थी, नकलीपन था मगर फिर भी वो अपना मज़ा ले रही थी और मैं अपना मज़ा ले रहा था।
फिर उसने मुझे परे धकेल दिया।
‘अजीब सा लग रहा था… बेचैनी सी पैदा हो रही थी। पूरे जिस्म में सनसनाहट सी होने लगी थी।’ उसने कुछ झेंपे झेंपे अंदाज़ में कहा।
‘अच्छा या बुरा?’ मैंने शरारत भरे स्वर में कहा।
‘चलो फन चलते हैं। मुझे कुछ शॉपिंग करनी है।’ मेरी बात काट कर उसने अपनी बात कही।
कुछ कहने के बजाय मैं उठ खड़ा हुआ।
फन मॉल सड़क के उस ओर ही था…
हम वहाँ आ गए जहाँ घंटे भर की छंटाई के बाद उसने एक जीन्स और एक टी-शर्ट ली।
इसके बाद उसने सहारा गंज चलने को कहा और हम वहाँ से रुखसत हो गए।
वही से वाया बटलर रोड, अशोक मार्ग होते सहारा गंज ले आया।
यहाँ भी उसने घंटे भर की मगज़मारी के बाद बिग बाजार और पैंटालून से एक एक जीन्स और टॉप खरीदा।
Reply


Messages In This Thread
RE: raj sharma story कामलीला - by desiaks - 07-17-2020, 11:56 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,485,841 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,723 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,225,783 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 927,072 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,645,254 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,073,279 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,938,437 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,015,470 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,016,380 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,391 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)