raj sharma story कामलीला
07-17-2020, 11:56 AM,
#18
RE: raj sharma story कामलीला
जब यह सिलसिला पूरा हो गया तो एक ने लड़की को उसी पोजीशन में रखते हुए लड़की के पीछे के छेद में उंगली करनी शुरू की और लड़की ‘फ़क माय एस’ का जाप करने लगी।
फिर उसी छेद पर ढेर सी लार उगल कर वह उसमें अपना लिंग धंसाने लगा।
गौसिया के हाथ थम गए और वह चेहरा मेरी तरफ घुमा कर मुझे देखने लगी।
‘यह क्या कर रहे हैं?’ उसने थोड़ा अटकते हुए कहा।
‘गुदा मैथुन…’ तुम इतनी अंजान तो नहीं कि ऐनल सेक्स के बारे में जानती न हो?’
‘जानती हूँ पर वह तो लड़के एक दूसरे के साथ करते हैं?’
‘हाँ लड़के करते हैं क्योंकि उनके पास ऑप्शन नहीं होता पर लड़कियाँ भी कराती हैं। जैसे वेजाइनल सेक्स का एक मज़ा होता है वैसे ही ऐनल सेक्स का और ओरल सेक्स का एक अलग मज़ा होता है। इन मजों की आपस में तुलना बेमानी है।
समझो कि तीन अलग तरह के ज़ायके हैं, एक दूसरे से अलग।
एक औरत के पास तीन सुराख़ होते हैं- दो नीचे एक ऊपर…
और तीनों से ही सेक्स का मज़ा लिया जा सकता है, दिया जा सकता है।
सामान्यतया हम वेजाइनल सेक्स ही करते हैं लेकिन ऐनल सेक्स और ओरल सेक्स भी एक्जिस्ट करते हैं यार!’
अब तक वो मर्द अपना पूरा लिंग लड़की के पिछवाड़े यानी गांड में घुसा चुका था और अंदर बाहर करने लगा था।
‘इसमें भी मज़ा आता है?’ उसने थोड़ी बे-यकीनी से कहा।
‘अच्छा, मज़ा नहीं आता तो क्या ऐसे ही लोग पागलों की तरह करते हैं? तुम फिलहाल एन्जॉय करो… सवाल जवाब बाद में कर लेना। बस कल्पना करो कि यह तुम हो और अपने जिस्म के हर हिस्से से मज़ा ले रही हो।’
वह चुप होकर फिर फिल्म पर ध्यान केंद्रित करने लगी और हाथ थोड़े स्लो सही पर वापस शुरू हो गए जबकि मैं उसे उत्तेजित करने के लिए अपना हाथ भी नीचे ले गया और एक इंच तक अपनी बिचली उंगली उसके छेद में धंसा दी।
वह ‘उफ़’ करके रह गई।
मैंने उंगली को हरकत देनी शुरू की तो उसके हाथों में भी तेज़ी आने लगी।
उधर मूवी में एक मर्द हटा तो दूसरा आ गया और पहला चुसाने लग गया।
यह देख उसे फिर झटका लगा।
‘ऐसी नाज़ुक हालत में गन्दा बुरा कुछ नहीं और वैसे भी ऐसे एक्ट से पहले छेद को अंदर तक साफ़ कर लिया जाता है।’ मैंने उसके मन में पैदा हुई उलझन दूर करते हुए कहा।
वह बोलते बोलते रह गई।
थोड़ी देर बाद स्थिति यह बन गई- एक मर्द नीचे लेटा और लड़की उसके लिंग को योनि में लेते हुए उसके सीने पर इस तरह झुक गई कि उसका पीछे का छेद सामने आ गया, जिसमें दूसरे मर्द ने अपना लिंग घुसा दिया और इस तरह वो दोनों तरफ से ठुकने लगी।
काफी देर इस पोजीशन में रहने के बाद उन्होंने आसन बदला और वह लड़की सीधी होकर लेटे हुए मर्द पर इस तरह बैठी कि उसका लिंग पीछे के छेद में धंस गया और योनि खुल कर सामने आ गई जिसमें दूसरे मर्द ने अपना लिंग घुसा दिया और चुदाई करने लगा।
अब गौसिया चरम पर पहुँचने लगी थी, यह उसकी कंपकपाहट से महसूस हो रहा था।
उसके मुंह से ‘आह-उफ़’ जैसी कामुक सीत्कारें निकलने लगी थीं।
और जैसे मूवी वाले हीरो खलास हुए उधर गौसिया ने भी झटका खाया और एड़ियाँ बिस्तर में धंसा कर ऐंठ गई, कमर ऊपर उठ कर तन गई थी।
एक हाथ से उसने मेरी जांघ का गोश्त लगभग नोच डाला था और दूसरे हाथ से अपनी योनि को मसले दे रही थी।
इस बार भी स्खलन के दौरान वो अपनी मूत्र नलिका पर नियंत्रण नहीं रख पाई थी और छोटी छोटी सी फुहारें छोड़ रही थी।
फिर जैसे अंतिम झटका कह कर मेरी गोद में ही फैल गई।

मैंने भी अपने हाथ गिरा लिए थे और रिलैक्स करने लगा था।
करीब दस मिनट तक हम ऐसे ही पड़े रहे फिर जिस्म में थोड़ी जान आई तो वह उठ कर गीला हो चुका बिस्तर देखने लगी।
‘पहली बार तुमने बचा लिया था, इस बार भीग ही गया।’ उसने मायूसाना अंदाज़ में कहा।
‘थोड़ा ही है… सूख जायेगा।’
‘तुम उठो, तुम्हारी पीठ और जांघ देखूँ।’
मैं उठा तो वह मेरी पीठ देखने लगी। जहाँ उसने पिछली बार स्खलन के दौरान उंगलियाँ धंसाई थीं वहाँ ज़रूर उसके नाखूनों ने गोश्त उड़ा दिया होगा और खून निकाल लिया होगा।
वैसे ही इस बार जहाँ जांघ पकड़ी थी, उसकी उँगलियाँ छप गई थीं और जहाँ नाख़ून धंसे थे, वहाँ खून से बनी लकीरें दिख रही थीं।
‘सॉरी!’ उसने खेद भरे स्वर में कहा।
‘कोई बात नहीं। ऐसी हालत में यह होता है।’
‘मैं दवा लगा देती हूँ। फिर तुम जाओ… आज के लिए इतना काफी है। अब सोना भी है! बल्कि आज तो जी भर के सोना है।’ वह साइड टेबल से कोई एंटी-बायोटिक क्रीम निकाल कर लगाते हुए बोली- ऐसा लग रहा है जैसे जिस्म के अंदर कोई मैल था, कोई लावा था जो कैसे भी निकल नहीं पाता था और निकलने की कोशिश में मुझे भारी बेचैनी देता था, रातों की नींद छीन लेता था, मुझे तड़पने कसमसाने पर मजबूर कर देता था… वह आज निकल गया। आज जैसे मैंने किसी भार से मुक्ति पा ली।’
दवा लगने के बाद मैंने अपने कपड़े पहने और रुखसत हो गया।
अगले दिन बुधवार था… यानि उसकी आज़ाद ज़िन्दगी का तीसरा दिन।
हम करीब ग्यारह बजे पुलिस लाइन और न्यू हैदराबाद के बीच वाली सड़क पर मिले जहाँ से उसे लेकर मैं आई टी की तरफ से होते कपूरथला की तरफ निकाल लाया, जहाँ नोवल्टी में उसके पसंदीदा हीरो सलमान खान की फिल्म चल रही थी।
हमने साढ़े बारह बजे वाले शो का टिकट ले लिया और नेहरू वाटिका की तरफ चले आये।
वह कल के अदभुत अनुभव के बारे में बातें कर रही थीम कई सवाल पूछ रही थी जिनके अपनी तरफ से मैं तसल्ली बख्श जवाब दे रहा था।
ऐसे ही सवा बारह बज गए तो हम थिएटर की तरफ आ गए और नियत समय पर हाल में घुस गए… जहाँ अगले तीन घंटे हमने पेस्ट्री और पॉपकॉर्न के साथ सलमान भाई की फिल्म के मज़े लिए।
उसने यहीं अपने नक़ाब से कल की तरह छुटकारा पा लिया था और उम्मीद के अनुसार उन्ही कपड़ों से मलबूस थी जो उसने मेरे साथ ही फन और सहारागंज से लिए थे।
फिल्म देख कर बाहर निकले तो भूख लग रही थी।
वहीं पीछे गली में मौजूद रेस्तराँ में हमने हल्की पेट पूजा की और भारी ट्रेफिक के बीच लॉन्ग ड्राइव करके इको गार्डन की तरफ चले आये जहाँ हमने शाम तक का वक़्त गुज़ारा।
वह परसों से ही ऐसे बातें कर रही थी जैसे बरसों से भरी बैठी हो, जैसे अपना सब कुछ कह देना चाहती हो।
हर छोटी बड़ी बात… कभी बच्चों की तरह खुश होकर, कभी ग़मगीन हो कर, कभी सहज रूप में… कभी कुछ याद करते उसकी पलकें भीग जातीं और मैं बड़े धैर्य से उसकी हर बात सुनता रहता, उसे प्रोत्साहन देता रहता।
बीच में वह मुझसे मेरी बातें भी पूछती और मैं कुछ सच्ची कुछ झूठी बातें कह जाता।
मैं एक पल के लिए भी इस बात को नहीं भूलता कि यह सिलसिला हमेशा नहीं चलना था इसलिए ऐसी कोई बात नहीं बताता था जिससे वह कभी मुझे पाने की कोशिश करती भी तो ढूंढ पाती।
मैं उसकी ज़िन्दगी का शायद पहला क्रश था इसलिए उसका मुझसे जुड़ जाना स्वाभाविक था लेकिन मैं वह ज़िन्दगी नहीं जी सकता था।
उस तरह की ज़िन्दगी से मेरा भरोसा उठ चुका था।
शादी में धोखा खाने और ढेरों लड़कियों औरतों को दोप्याजे गोश्त की तरह इस्तेमाल करने के बाद अब मुझमें वो जज़्बात ही नहीं बचे थे जिसकी उसे दरकार थी।
मेरी मानसिकता अब उस मुकाम पर पहुँच चुकी थी जहाँ मर्द को किसी औरत के पेट के अंदर मौजूद कोख नहीं नज़र आती, नज़र आती है तो पेट की ढलान पर मौजूद योनि।
जहाँ औरत के सीने से छूटती ममता की धाराएँ, उनके नीचे भावनाओं से ओतप्रोत दिल नहीं नज़र आता… नज़र आते हैं तो दो उरोज…
मैं जानता हूँ यह मेरी कमी है, बुराई है लेकिन मैं अब इसी के साथ जीने के लिए अभिशप्त हूँ और इसके लिए रत्ती भर भी अफ़सोस नहीं करता।
‘सुनो!’ उसने मुझे टहोका तो मेरी तन्द्रा टूटी।
‘हूँ।’ मैं अपने ख्यालों से बाहर आ कर उसे देखने लगा।
‘मुझे नहीं पता तुम इस सिलसिले को कैसे ले रहे हो लेकिन मुझे अपना डर है कि कहीं मैं न दिल लगा बैठूँ, क्योंकि मैं महसूस कर रही हूँ कि तुम मुझे अच्छे लगने लगे हो, मुझे तुम्हारी परवाह होने लगी है। यह ठीक साइन नहीं हैं मेरे लिए।’
‘फिर? इस सिलसिले को यहीं ख़त्म कर देते हैं।’
‘नहीं, यह मेरी ज़िन्दगी का पहला और आखिरी मौका है। इसके बाद मुझे कोई और चांस नहीं मिलने वाला अपने तरीके से यूँ ज़िन्दगी जीने का और इसके लिए अगर मुझे कीमत के रूप में अज़ीयत झेलनी पड़ी तो मुझे वह भी मंज़ूर है। मैं अब पीछे नहीं हट सकती।’
‘फिर?’
‘मैं बस यह चाहती हूँ कि अगर मैं तुमसे अटैच हो भी जाऊँ तो तुम मैच्योरली हैंडल करना।
मैं तो नई उम्र की ऐसी लड़की हूँ जिसका दिल आईने के समान होता है, जो बार बार सामने पड़ रहा है, जो बार बार नज़दीक आता है वही दिल में बस जाता है, पर तुम इस दौर से गुज़र चुके हो, अगर मैं बहक जाऊं तो तुम सम्भालना।
संडे के बाद तुम मेरा नंबर ब्लॉक कर देना, व्हट्सप्प पर मुझे ब्लॉक कर देना कि अगर मैं कंट्रोल खो दूँ और तुमसे संपर्क करना भी चाहूँ तो कर न सकूँ।
तुमसे बात करने की कोशिश करुं तो मुंह फेर कर चले जाना।
कभी सामने आ भी जाऊँ तो रास्ता बदल कर निकल जाना। मैं जानती हूँ मुझे बहुत तकलीफ होगी पर इलाज अक्सर तकलीफ ही देता है।’
‘तुम फ़िक्र न करो। तुम जैसा चाहती हो वैसा ही होगा। चलो, अब चलें।’ मैंने उठते हुए कहा।
फिर हम वहाँ से चल पड़े।
इस बार मैंने उसने वहीं से नक़ाब ओढ़ लिया और मैंने उसे गोल मार्किट लाकर छोड़ दिया जहाँ आज बुध बाजार लगी हुई थी।
यहाँ उसे कुछ खरीदारी करके फिर घर चले जाना था, पर उतारते ही उसने रात के लिए कुछ चीज़ों की फरमाइश की, जिसने मुझे थोड़ा हैरान कर दिया पर फिर भी मैंने हामी भर दी और उसे छोड़ कर रुखसत हो गया।
और जैसा कि दो रोज़ से मामूल बन चुका था, दस बजे मैं तैयार होकर उसके मंगाए सामान के साथ उस के कमरे में पहुँच गया।
आज वह सेक्सी कपड़ों में नहीं थी बल्कि ढीली ढाली नाइटी पहने हुए थी।
वैसे भी इसका क्या फर्क पड़ता था जब पता था कि मेरे आते ही उसे उतरना था।
‘कपड़े खुद ही उतार दो… रात के इस वक़्त बिना कपड़ों के ही अच्छी लगती हो और दस्तरख़ान हो तो बिछा लो।’ मैंने सामान बिस्तर पर डाला, अपने कपड़े उतार के फेंके और बिस्तर पर बैठ गया।
जबकि उसने दस्तरख़ान फोल्ड करके आधा बिस्तर पर डाला, पहले से मौजूद दो गिलास वहाँ रखे और अपनी नाइटी उतार कर मेरे पहलू में आ जमी।
मैंने पैकेट से मैकडॉवेल और सोडे की बोतलें निकाल कर रखीं और उनके ढक्कन खोलने लगा।
गौसिया ने पैकेट में रह गए सिगरेट के पैकेट, लाइटर और नमकीन के पैकेट को निकाल लिया।
‘तुम्हें इस सब की इच्छा थी?’ मैंने ढक्कन खोलने के बाद सोडे से मिक्स करके दो छोटे पैग बनाते हुए कहा।
‘यूँ समझों कि यही डॉक्टर जैकाल और मिस्टर हाइड वाली थ्योरी है। मैं अपने अंदर की मिस हाइड को उसकी सभी इच्छाएँ पूरी करने के बाद बाहर निकाल फेंकना चाहती हूँ ताकि आइन्दा ज़िन्दगी में मेरे अंदर सिर्फ मिस जैकाल बचे।
मैं कभी इस कश्मकश में नहीं पड़ना चाहती कि सिगरेट का स्वाद कैसा होता है या शराब पीने के बाद कैसा महसूस होता है।
आज़ाद ज़िन्दगी का मतलब यही कि इन दिनों में मैं अच्छा बुरा सब कर लेना चाहती हूँ।
अच्छा तो पूरी ज़िन्दगी करने के मौके मिलेंगे मगर बुरा करने का कोई सिंगल मौका भी शायद मुझे दोबारा न मिले।’
‘चियर्स!’ मैंने उसके हाथ में गिलास थमा कर अपने गिलास से उसे टच करते हुए कहा।
‘और अगर किसी बुराई, किसी ऐब की लत लग गई तो?’
‘नामुमकिन! मुझे जो भी चीज़ या सुविधा आज हासिल है, सब तुम्हारे सौजन्य से है। चार दिन बाद तुम नहीं होगे मेरे पास… फिर मुझे कौन मुहैया कराएगा सब चीज़ें या ये सेक्स में सराबोर लम्हे?’
फिर हमने दो सिगरेट सुलगा लीं और उसके कश लगाते हुए नमकीन के साथ पैग का लुत्फ़ लेने लगे।
‘तुम इन चीज़ों का शौक पहले भी करते रहे हो या मेरी वजह से आज पीने बैठ गए?’
‘अपने घर परिवार से दूर अकेले जीवन यापन करते शख्स के लिए कुछ भी वर्जित और हराम नहीं रह जाता। हाँ, बस किसी चीज़ की आदत कभी नहीं बनाई।’
बीच में हमने होंठ भी एक दूसरे से टकराए और पैग चुसकते मैंने उसके मम्मों को भी दबाया सहलाया और योनि को भी रगड़ा और उसने भी मेरे लिंग को वैसी भी प्रतिक्रियात्मक रगड़न दी, जिससे उसमें भी जान पड़ने लगी थी।
‘कमरे में भरा सिगरेट का धुआँ तो निकल जायेगा मगर गंध रह जाएगी। उसका क्या करोगी?’
‘रूम फ्रेशनर से कमरे को इतना महका दूंगी कि सिगरेट की गंध बाकी न रहे। पर अभी नहीं, यह सब संडे को करूँगी, तब तक सब ऐसे ही चलेगा।’
‘एक और बनाऊँ?’ पैग ख़त्म हो गया तो मैंने पूछा।
‘अभी नहीं, पहली बार है, हो सकता है नशा ऐसा चढ़े की होश ही न रहे। वैसे इसमें ऐसा कुछ ज़ायका तो होता नहीं फिर क्यों कमबख्त मुंह लग के लोगों से छूटती नहीं।’
‘उसकी तासीर नशे में है ज़ायके में नहीं।’
सब सामान हमने हटा कर साइड टेबल पर पहुँचा दिया और बेड के सिरहाने से लग कर टांगें फैल कर बैठ गए।
अब उसकी फरमाइश पर मैंने मोबाइल पर उसके शब्दों में ‘ऑसम’ मूवी लगा दी।
वह मेरी साइड से लगी अपना गाल मेरे बाएँ कंधे से सटा कर मूवी देखने लगी और साथ ही अपने हाथ से मेरे लिंग को इस तरह ऊपर नीचे करने लगी जैसे हस्तमैथुन करते हैं और एक हाथ से मोबाइल सम्भाले दूसरे हाथ से मैं उसकी योनि के ऊपरी सिरे से खिलवाड़ करने लगा।
‘दिमाग में सनसनाहट हो रही है और अजीब सा महसूस हो रहा है।’ थोड़ी देर बाद उसने कहा।
तो मैंने उसकी आँखें देखीं जो नशे से बोझिल हो रही थीं।
Reply


Messages In This Thread
RE: raj sharma story कामलीला - by desiaks - 07-17-2020, 11:56 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,484,830 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,606 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,225,384 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 926,774 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,644,696 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,072,818 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,937,689 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,012,891 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,015,331 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,295 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)