raj sharma story कामलीला
07-17-2020, 11:58 AM,
#35
RE: raj sharma story कामलीला
थोड़ी देर लगी उसे समझने में कि वह चूज़ करने का हक़ नहीं रखती और उसके लिए जो भी है शायद आखिरी विकल्प ही है। या अपनाओ या इस सिलसिले को भूल जाओ।
‘मगर सोनू… भला मैं उसके साथ कैसे…?’ फिर भी उसने आखिरी बार प्रतिरोध किया।
‘तो क्या सोचती हो दीदी, तुम्हारे लिए कोई सपनों का राजकुमार आएगा?’ रानो झुंझलाहट में कह तो गई मगर फ़ौरन ही अहसास भी हो गया कि उसने गलत कह दिया।
बात चुभने वाली थी, चुभी भी और चोट दिल पे लगी।
अपनी स्थिति पे उसकी आँखें छलक आईं।
वह गर्दन मोड़ कर शिकायत भरी नज़रों से रानो को देखने लगी।
‘सॉरी दी, मेरा मतलब तुम्हें चोट पहुँचाने से नहीं था बल्कि यह कहने से था कि क्या हमारे पास चुनने के लिए विकल्प हैं?’
‘सोनू तैयार होगा भला इसके लिये?’
‘हह…’ रानो एकदम से हंस पड़ी- दीदी, फितरतन आदमी जानवर होता है, जहाँ भी उसे एक अदद योनि का जुगाड़ दिखता है, वह घोड़े की तरह उस पर चढ़ दौड़ने के लिए तैयार हो जाता है। रिश्ते भला क्या मायने रखते हैं।’
वह असमंजस से उसे देखने लगी।
‘वह मन से कितना भी अच्छा हो, मगर है तो मर्द ही और भले तुम्हें हमेशा बड़ी दीदी की जगह रखा हो… मगर जब तुम पर चढ़ने का मौका मिलेगा तो इंकार नहीं करेगा। मैं कल बात करूंगी उससे, अब सो जाओ।’
कह कर वह चुप हो गई।
शीला के दिमाग में विचारों का झंझावात चल रहा था।
आज एक नई सम्भावना पैदा हुई थी जो भले वर्जित थी मगर उसकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकती थी।
वह काफी देर तक इन्हीं संभावनाओं को टटोलती रही, फिर आखिरकार नींद ने उसे आ घेरा।
सुबह नया दिन उसके लिए नई उम्मीदें लाया था।
वह दिन भर रोज़ के के काम निपटाते खुद को मन से इस वर्जित समागम के लिये तैयार करती रही। उसे यह ठीक नहीं लग रहा था मगर यह भी सच था कि उसके पास चुनने के लिये विकल्प नहीं था।
जैसे तैसे करके दिन गुज़रा… रात को चाचा के परेशान करने की सम्भावना इसलिये नहीं थी क्योंकि कल ही उसका वीर्यपात कराया गया था।
वह जानने के लिये बेताब थी कि रानो की सोनू से क्या बात हुई होगी… कई तरह की संभावनाओं के चलते उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था।
रात के खाने के बाद उसके सिवा बाकी तीनों ऊपर अपने कमरों में चले गये और रात के ग्यारह बजे रानो अपना तकिया कम्बल लिए उसके पास आई।
‘मैंने आकृति को समझा दिया है कि चाचा अब ज्यादा परेशान करता है और दीदी अकेले नहीं संभाल पाती इसलिये मैं अब से दीदी के साथ नीचे ही सोऊँगी।’ रानो ने दरवाज़ा बंद करते हुए कहा।
‘सोनू से क्या बात हुई।’ शीला के लिये जिज्ञासा को बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था।
‘बताती हूँ दी… सांस तो लेने दो।’ वह बिस्तर पर अपना ठिकाना बनाते हुए बोली, फिर खुद भी लेट गई और उसे भी लेटने का इशारा किया।
अजीब उधेड़बुन में फसी शीला उसके बगल में आ लेटी और उसे देखने लगी।
‘पहले मैंने रंजना से बात की थी… उसे बताना ज़रूरी था मेरे लिये। और जैसी मुझे उम्मीद थी कि सुन कर उसने राहत की सांस ली थी कि इतनी देर से सही पर दीदी की समझ में यह बात तो आई।
फिर उसके सामने ही सोनू से बात की थी, इस अंदाज़ में नहीं कि तुम सेक्स के लिये मरी जा रही हो और तुम चाहती हो कि वह तुम्हें फ़क करे आ के।
बल्कि उसे तुम्हारी मज़बूरी, तुम्हारी तड़प और बेबसी का हवाला दिया था और यह जताया था कि हम दोनों, मतलब मैं और रंजना यह चाहते हैं कि वह इस मामले में हमारी मदद करे!
मदद ज़ाहिर है कि तुम्हारी शारीरिक ज़रूरतों को पूरा करने की थी, उसे यकीन नहीं कि तुम इसके लिये कभी तैयार होगी।
आखिर हम सबने तुम्हारे चरित्र को देखा है जाना है, कैसे सोच ले कोई कि तुम टूट गई।
मैंने उसे यकीन दिलाया कि मैं इसके लिये तुम्हें तैयार करूंगी… चाहे कैसे भी करके, बस सवाल यह है कि क्या वह इसके लिये तैयार है।
उसमें वही हिचक थी कि भला कैसा लगेगा बड़ी दीदी के साथ सम्भोग करना।
लेकिन मैं भी तो बड़ी दीदी ही थी उसके लिये। मेरे पीछे तो खुद पागल था लेकिन अब खुद की ज़रूरत पूरी होने लगी थी तो संस्कारी हिचक सामने आने लगी थी।
लेकिन फिर दिमाग ने इस सिरे से सोचना शुरू किया कि बड़ी दीदी कुंवारी हैं और अब उसे फिर एक कुंवारी योनि भोगने को मिलेगी तो आखिरकार तैयार हो गया और एक बार दिमाग ने स्वीकार कर लिया…
तो अब यह जानो कि उसे किसी चीज़ की फ़िक्र न रही होगी बल्कि दिमाग में नई योनि की कल्पनाएँ उसे और उकसा रही होंगी।’
‘भला रंजना क्या सोचती होगी… कि हम उसके भाई का इस्तेमाल कर रहे हैं।’
‘अच्छा… और वह हमें नहीं इस्तेमाल कर रहा। ताली क्या एक हाथ से बज रही है… किसने रास्ता दिखाया मुझे? तुम कुछ ज्यादा सोच रही हो दी… वह ऐसी बात सोच भी नहीं सकती।’
शीला सोच में पड़ गई।
‘फिर… कब होगा यह?’
‘आज रात ही… अभी दस पंद्रह मिनट में आएगा। हम चुपके से उसे अंदर ले लेंगे और एक घंटे बाद चला जाएगा।’
‘क्या— अभी! यहाँ!’ वह चौंक कर उठ बैठी और झुरझुरी लेती हुई बोली- नहीं, किसी को पता चल गया तो क्या सोचेगा?’
‘किसी को क्या पता चलेगा, हमारा घर जिस गली में है उसमें अंधेरा ही रहता है और कौन आता है कौन जाता है क्या पता चलता है और किसी ने देख भी लिया तो वह कौन सा अजनबी है, देखने वाला यही सोचेगा किसी काम से आया होगा।’
‘पर…’ वह उलझन में पड़ गई।
‘पर क्या? तुम ख्वामखाह उलझ रही हो। सब कुछ मेरे ऊपर छोड़ दो, कोई बात बिगड़ेगी तो मैं अपने ऊपर ले लूंगी। तुम फ़िक्र मत करो और दिमाग सेक्स पर एकाग्र करो।’
पर यह उसके लिये आसान नहीं था, तरह-तरह की आशंकायें, संभावनायें उसे डरा रही थीं और तभी रानो के फोन पर मिस्ड काल आई।
‘आ गया… मैं उसे लेकर आती हूँ, मैं जानती हूँ कि तुम एकदम से उसका सामना नहीं कर पाओगी, इसलिये अपनी आँखों पर स्टोल बांध लो, मैं हर तरफ घुप्प अंधेरा कर देती हूँ।’
रानो उठते हुए बोली थी और उसने तेज़ी से धड़कते दिल के साथ पास ही पड़ा अपना स्टोल उठा कर अपनी आँखों पर बांध लिया था।
अब दिमाग से ही देखना था, जो भी महसूस होता उसे दिमाग के सहारे ही कल्पना देनी थी।
रानो ने कमरे से निकलते वहाँ जलते नाईट बल्ब को बुझा दिया था और बाहर निकल गई थी और एक मिनट बाद जब वापस आई थी तो उसे महसूस हुआ कि साथ में कोई और है।
रानो ने दरवाजा बंद किया होगा और अंधेरा और गहरा गया।
‘कितना अंधेरा है दी।’ उसे फुसफुसाहट सुनाई दी और वह अनुमान लगा सकती थी कि वह सोनू ही था।
‘तुझे कौन से तीर चलाने हैं जो अंधेरे में नहीं चला सकता। मेरा हाथ पकड़ ले और मुंह बंद ही रखना।’ वह उसे बिस्तर पे ले आई।
उसके बदन की अजनबी सी गंध शीला महसूस कर सकती थी और सोनू के समीप्य से उसकी धड़कनें और बेतरतीब हो उठी थीं।
‘देख सोनू, मुझे पता है कि दी कितनी मुश्किल से तैयार हुई है, पर फिर भी उसमे हिम्मत नहीं कि तेरा सामना कर सके इसलिये अंधेरा भी किया है और आँखों पे पट्टी भी बांधी है।
तुम उनकी शर्म कायम रहने दो, वह खुद से समझेगी तो पट्टी हटायें या अंधेरा दूर करें, पर तुम इसके साथ ही जो करना है करोगे और उज्जडी बिल्कुल नहीं।
दीदी को न पता है इन सब के बारे में और न ही कोई आदत है, जो भी होगा इसके लिए सब नया होगा इसलिए इत्मीनान से और कायदे से करना कि उसे ये न लगे कि उसने मेरी बात मान कर गलती की।’
‘दी… आप दोनों को कोई शिकायत नहीं होगी।’ वह आहिस्ता से बोला।
‘शाबाश! चल फिर शुरू हो जा।’
उसने धक धक करते दिल के साथ महसूस किया था कि रानो उसके साइड में अधलेटी सी बैठ गई थी और सांत्वना भरे अंदाज़ में उसका सर सहलाने लगी थी जैसे कह रही हो ‘चिंता न करना, मैं हूँ!’।
फिर उसे सोनू के सख्त हाथों की चुभन अपने सीने पर महसूस हुई… वह उसके वक्ष सहला रहा था और एक अजनबी स्पर्श को महसूस करते ही उसके शरीर में सिहरन दौड़ गई।
सोनू के हाथ वह अपने सीने पर फिरते और फिर सीने से उतरते, पेट से होते, नाइटी के ऊपर से ही अपनी योनि पर रुकते महसूस किया था।
उसे तेज़ शर्म का अहसास हुआ और वह मचल कर रह गई।
उस पल में रानो ने उसे सर से ज़ोर से दबा कर जैसे इशारा किया था कि ‘खुद में समेटो मत, जो हो रहा है, उसमें मस्ती महसूस करो!’
और उसने अपने दोनों हाथ ऊपर करते रानो को पकड़ लिया था।
कुछ देर सोनू के हाथ को योनि पर फिसलते देने से, उसमे अपनी शर्म को उतारने का मौका मिल गया और वह उस स्पर्श में मस्ती का अहसास करने लगी और उसके मुख से सिसकारी छूट गई।
इस सिसकारी को न सिर्फ सोनू ने महसूस किया बल्कि रानो ने भी महसूस किया और अपने हाथ से उसका हाथ ऐसे दबाया जैसे प्रोत्साहित कर रही हो।
फिर सोनू का स्पर्श गायब हो गया और उसने महसूस किया कि उसकी नाइटी ऊपर सरक रही है। वह जांघों तक उठ कर फंस गई और उसे खींचते देख उसने अपने कूल्हे ऊपर उठा लिये।
बाहर की ठंडी हवा का स्पर्श उसने पिंडलियों से लेकर अपने पेट तक अनुभव किया लेकिन अब भी नाइटी के उठने का सिलसिला अभी थमा नहीं था।
उसे पीठ की तरफ से रानो ने सपोर्ट करके थोड़ा ऊपर किया था जिससे ऊपर उठती नाइटी उसके गले तक पहुँच गई थी और अब उसके वक्ष भी हवा के उस ठन्डे स्पर्श को महसूस कर सकते थे।
यह तो वह अब आदत बना चुकी थी कि सोने से पहले अपने अंतः वस्त्रों को वह उतार देती थी।
उसने सोनू के हाथों को अपनी पिंडलियों पर फिरते महसूस किया और उसके पूरे जिस्म में एक मस्ती भरी सरसराहट दौड़ने लगी।
पहले पिंडलियां, फिर जांघें और जांघों का अंदरूनी भाग, कुछ भी उस छुअन से बाकी न रहा और उसने इस स्पर्श की सरसराहट अपनी योनि में गहरे तक महसूस की।
उसकी जांघों को सहलाते सोनू अपने हाथ बिना उसकी योनि को छुआए उसके पेट से गुज़ारते, उसके वक्ष उभारों पर ले आया।
वह एक कसक, एक तड़प सी महसूस करके रह गई।
जैसे उस घड़ी खुद से चाह रही हो कि वह उसकी योनि को छुए जो उसने नहीं छुई थी।
जबकि वह बड़े आहिस्ता-आहिस्ता उसके स्तनों का मर्दन करने लगा था और चूचुकों को चुटकियों से मसलने लगा था।
उसने अपनी नस-नस में एक अजीब सी सनसनाहट महसूस की जो दिमाग पर इस तरह हावी हो रही थी जैसे वह किसी गहरे नशे के ज़ेरे असर होती जा रही हो।
फिर उसके हाथ हट गए और उसकी रगों में होती अकड़न थम गई। कपड़ों की सरसराहट से उसने महसूस किया कि वह अपने कपड़े उतार रहा था।
कुछ पलों के ब्रेक के बाद उसने सोनू के हाथों को फिर अपनी कमर पर महसूस किया जो वहाँ ज़ोर लगा रहा था।
उसके ज़ोर को समझते हुए वह तिरछी हुई और फिर सोनू ने उसे उल्टा कर दिया।
अब इस हालत में उसकी पीठ वाला हिस्सा उसके सामने था।
हालांकि इस हालत में भी उसने रानो के हाथ थाम रखे थे और ऐसा जता रही थी जैसे उसे रानो की हर हाल में ज़रूरत है।
सोनू उसकी जांघों के ऊपर बैठ गया था। वह उसके नितंबों और जांघों की छुअन को साफ़ महसूस कर सकती थी। फिर उसके हाथ शीला ने अपने नितंबों पर फिरते महसूस किये।
वह दोनों हाथों से कुछ सख्ती से उन्हें दबा रहा था, रगड़ रहा था और इस तरह फैला रहा था जैसे पीछे से ही दोनों छेदों को देख लेना चाहता हो… वहाँ घिरे अंधेरे के बावजूद।
उसकी रगों में फिर मस्ती भरी अंगड़ाइयाँ पैदा होने लगीं।
काफी देर उसके नितंबों को मसलने के बाद वह अपने हाथ फिसलाते उसकी कमर और कन्धों पर चलाने लगा और इस क्रम में अपने जिस्म का भार उसके शरीर पर डालता चला गया।
यहाँ उसके भार से ज्यादा मायने वह नग्न स्पर्श रखता था जो सोनू के सीने और पेट की तरफ से उसकी पीठ को मिल रहा था और उससे ज्यादा रोमांचित उसे अपने नितंबों के बीच वह सख्त स्पर्श कर रहा था जो सोनू के लिंग का था।
फिर उसका पूरा भार उसने अपने शरीर पर अनुभव किया, वह उसके शरीर पर अपना शरीर रगड़ रहा था और यह रगड़ उसके सख्त लिंग की चुभन के साथ और कामोत्तेजना पैदा कर रही थी।
इसके बाद सोनू ने फिर उसे पलट लिया और आधा बिस्तर और आधा उसके शरीर पर चढ़ आया। अब उसका लिंग शीला को अपनी कमर पर महसूस हो रहा था।
अचानक उसने गर्म गर्म सांसें अपने चेहरे पर महसूस कीं… फिर दो होंठों का स्पर्श अपने होंठों पर…
कई ठंडी-ठंडी लहरें जैसे ऊपर से नीचे तक दौड़ीं और पहली बार उसने किन्ही होंठों को इतने नज़दीक पाया।
वे उसके होंठों को छू रहे थे, उन्हें रगड़ रहे थे और खोलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन स्त्रीसुलभ लज्जा और संकोच उन्हें बांधे हुए था।
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RE: raj sharma story कामलीला - by desiaks - 07-17-2020, 11:58 AM

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