RE: raj sharma story कामलीला
जहाँ अब रानो को चित लिटा कर भुट्टू अब उसका योनिभेदन करने लगा था और बाबर अभी उसके मुख को भोग रहा था।
होंठ चूसते चूसते दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ घुसाने लगे।
उसे इसी अवस्था में रखे हुए चंदू ने दोनों हाथ नीचे ले जा कर अपने लिंग को उसकी योनि पर इस तरह सेट किया कि शीला ने ज़रा सा योनि को नीचे दबाया तो वो प्रवेशद्वार में फँस गया।
अब ज़ाहिर है कि यह उस लिंग से मोटा था जिसे लेने की वह आदी थी तो मांसपेशियों पर खिंचाव तो पड़ना ही था लेकिन इतनी देर की गर्माहट अच्छा खासा लुब्रीकेंट बना चुकी थी तो वह योनि की कसी हुई दीवारों पर ज़ोर डालता अंदर सरकने लगा।
चंदू इस बीच एक हाथ से उसके नितम्ब को दबाते दूसरे हाथ की बीच वाली उंगली से फिर उसके गुदा के छेद को खोदने लगा था।
ऐसा नहीं था कि इस लिंग प्रवेश पर उसे दर्द की अनुभूति नहीं हो रही थी मगर जो रोमांच उसे मिल रहा था वह उस दर्द पर हावी था। वह और आक्रामक अंदाज़ में चंदू के होंठ चूसने लगी थी।
और धीरे-धीरे चंदू का पूरा लिंग उसकी योनि में जा समाया।
इसके बाद वह स्थिर हो गई… उसने अपना चेहरा चंदू के चेहरे से हटा लिया और अपनी एक चूची पकड़ कर उसे चंदू के मुंह पर रगड़ने लगी।
चंदू ने होंठ खोले तो उसने चूचुक उसके होंठों में दे दिया और वह ज़ोर से उसे चूसने, खींचने लगा।
बीच बीच में दांत से कुतर लेता था और वह एक ‘आह’ के साथ लहरा जाती थी।
उसे फीड कराते वह अपनी कमर को एक लयबद्ध लहर तो दे रही थी लेकिन इस लहर को धक्कों में नहीं गिना जा सकता था।
जबकि चंदू ने अपने हाथों को नहीं रोका था और जो कर रहा था वही करने में अब भी लगा हुआ था और शीला एक हाथ से उसके सर को संभाले दूसरे हाथ से उसे चूची चुसा रही थी।
थोड़ी देर एक को अच्छी तरह से पीने के बाद चंदू ने मुंह हटाया तो शीला ने दूसरा स्तन उसके मुंह से लगा दिया और अब अपनी कमर को इस अंदाज़ में ऊपर नीचे करने लगी जैसे धक्के लगा रही हो।
अब चंदू ने दोनों हाथों को उसके नितंबों के निचले सिरे पर एडजस्ट कर लिया था और उसे ऊपर नीचे होने में सपोर्ट करने लगा था।
इधर उसके दोनों चेलों ने अपनी पोज़ीशन बदल ली थी और अब बाबर योनिभेदन कर रहा था जबकि भुट्टू मुख मैथुन और दोनों ही बेदर्दी से रानो के चूचों को मसल रहे थे।
इधर चंदू जब अच्छे से उसका दूसरा दूध भी पी चुका तो उसने एक पलटनी लेते हुए शीला को अपने नीचे कर लिया और खुद उस पर इस तरह लद गया कि उसका वज़न उसकी कुहनियों और घुटनों पर रहे।
बावजूद इसके मर्द का काफी वज़न इस अवस्था में औरत भी महसूस करती है जैसे शीला को लग रहा था कि वो चंदू के नीचे पिसी जा रही है, उसके बोझ से दबी जा रही है।
लेकिन इस दबने में उसका दम नहीं घुट रहा था बल्कि यह दबाव चंदू के हर धक्के के साथ इस वज़न में और बढ़ोत्तरी करके उसे और ज्यादा आनन्द दे रहा था।
चंदू इस अवस्था में अपनी लंबाई के कारण उसके सर से पार चला जाता अगर उसने खुद को सिकोड़ा न होता, अपनी पीठ को थोड़ा मोड़े हुए वह उसके होंठों को भी चूसने लग गया था।
इस तरह के तूफानी धक्कों से न सिर्फ पूरा बेड हिलने लगा था बल्कि कमरे में वो संगीतमय आवाज़ भी गूंजने लगी थी जो उसे और रोमांचित कर देती थी।
तभी जैसे भुट्टू ने उसके आनन्द में व्यधान डाला- भाई… मज़ा नहीं आ रहा। बहुत ढीली है… एकदम भककोल है। आप इधर आओ न! आप को तो फिर चल जायेगा।
उसके शब्द चाबुक से चले शीला के दिमाग पर… वह किसी भी हालत में इस वक़्त चंदू को नहीं छोड़ना चाहती थी।
पर चलनी तो चंदू ही की थी… उसने उन दोनों की मिस्कीन सूरत देखी और खुद शीला के ऊपर से हट गया।
‘चल आ जा बेटा… तू भी क्या याद करेगा।’
शीला को सख्त नागवार गुज़रा मगर कर भी क्या सकती थी।
यह और बात थी कि उसकी उत्तेजना एकदम ठंडी पड़ गई थी।
इस वक़्त रानो चौपाये की पोजीशन में झुकी हुई थी और दोनों उसके आगे पीछे लगे थे। चंदू का आदेश होते ही उन्होंने रानो को छोड़ा और शीला के पास आ गये।
और चंदू ने उसी पोजीशन में रानो को दबोच लिया।
वह उसे बिस्तर के किनारे करते खुद नीचे उतर कर खड़ा हो गया और रानो की कमर को दबाते हुए उसके नितंबों को पीछे से इस तरह खोल लिया कि उसकी योनि पूरे आकर में उभर आई।
वह उसकी योनि पर ढेर सा थूक उगलता हुआ बोला- है तो वाकई भककोल… पर उस लौंडे का सामान तो इतना बड़ा नहीं था, होता तो गुठली की भी इतनी ढीली होती। तेरी कैसे हो गई?
रानो कुछ न बोल सकी।
उसने ज्यादा ज़ोर भी न दिया और अपना लिंग पकड़ कर अंदर ठूंस दिया।
चाचा के लिंग से उसकी योनि की यह हालत हुई थी मगर चंदू का लिंग भी कम नहीं था।
इसलिये चंदू को उतना ढीलापन न महसूस हुआ जिसकी शिकायत दोनों चेले कर रहे थे और वह रानो की कमर को मुट्ठियों में भींच कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा।
भुट्टू शीला के साइड में बैठ कर उसके मुंह में लिंग घुसाये उसके वक्ष को मसलने लगा था और बाबर नीचे उसके पैरों के बीच बैठ कर अपना लिंग अंदर घुसाने लगा था।
उसे कोई तकलीफ न हुई और आराम से अंदर चला गया। बाबर भी उसके ऊपर लद गया लेकिन उसकी लंबाई कम थी जिससे वह स्तंभन करते हुए उसके वक्षों को चूस चुभला सकता था।
अब फिर दोनों तरफ आघात होने लगे और कमरे में सहवास की मधुर ध्वनि गूंजने लगी।
यह और बात थी कि शीला अब उस यौन आनन्द को नहीं महसूस कर पा रही जो उसे चंदू से मिल रहा था।
मगर वह दोनों फिर भी थोड़े थोड़े धक्कों में जगह बदल बदल कर लगे हुए थे।
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