RE: Maa Chudai Story सौतेली माँ से बदला
फिर मैंने डॉक्टर साहब से, इसके इलाज़ के बारे मे पूछा।
उन्होंने कुछ विटामिन, आइरन, वगेरह कुछ दवाई लिख के दिया और कहा के वसीम के खाने पीने का खास ख़याल रखना… वरना, ये मेडिसिन्स कुछ काम की नहीं है… रोज़ दूध में, प्रोटीन पाउडर मिला के पीने को कहा और एक खास बात, जब तक ये पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते, इनको किसे के साथ भी सेक्स नहीं करना है.. !! आप 15 दिन बाद, वसीम को फिर से लेकर आना… हम, इनका फिर से हीमोग्लोबिन चेक करेंगे…
मैं वसीम को लेकर, घर आ गया।
उसको कमरे में सुला कर, सलमा को सारी बातें बताई और कहा के इसके खाने पीने का ठीक से ध्यान रखना पड़ेगा..
सारी बातें सुनने के बाद, सलमा समझ गई और वसीम को सेक्स करने से भी रोका।
ये बात, जब गुलनार को पता चली तो वो उदास हो गई.. क्यूंकि, उस घर में एक वही थी जिसने अभी तक अपने चूत में लण्ड का मज़ा नहीं लिया था..
वसीम ने मुझे बताया के उसने गुलनार को चोद के, इस घर में सभी की चूत फाड़ दी है।
मुझे थोड़ा बुरा लगा क्यूंकि अब तक मेरी भाभी की चुदाई का जुगाड़ भी समाप्त हो गया था..
वो, माँ बन गई थी।
(ये एक अलग कहानी है, जोकि मैं इस कहानी के बाद लिखूंगा।)
फिर, मैंने वसीम से कहा – यार, मैंने तो सोचा था के भाभी का काम हो जाने के बाद, गुलबदन और गुलनार की चूत मैं ही फ़ाड़ूंगा.. चल खैर, जाने दे.. तू मेरा दोस्त है, ये सब तेरे ही नसीब में था..
फिर वसीम ने मुझे कहा के तेरे लिए एक सर्प्राइज़ है.. मैंने सिर्फ़ गुलबदन को चोदा है, गुलनार की चूत अभी भी “कुँवारी” है.. तू चाहे तो, उसकी सील तोड़ सकता है.. इसमे, मैं तेरा मदद करूँगा.. अब मैं तो कई दिनों तक किसी को चोद नहीं सकता.. ये सुनकर, गुलनार उदास है.. तू उसकी उदासी दूर कर दे.. बल्कि यार, मैं तो कहता हूँ जब तक मैं ठीक नहीं हो जाता, तू इस घर में मेरी जगह ले ले और सभी की मस्ती से चुदाई कर.. तू भी खुश, वो सब भी खुश..
मैंने वसीम से कुछ सोचते हुए कहा – यार, गुलनार तो ठीक है.. लेकिन, तेरे बाकी सारे घर वालों की चुदाई करते करते, मैं भी तेरे जैसा ही हो जाऊंगा और यार तू तो जानता है की मुझे अपनी भाभी को भी संभालना है.. मैं सिर्फ़, गुलनार को ही चोदूंगा..
फिर 15 दिन बाद, मैं वसीम को डॉक्टर साहब की क्लिनिक पर ले कर गया।
उन्होने वसीम का ब्लड टेस्ट किया तो पता चला की अब सब कुछ ठीक हो गया था।
वसीम, अब पूरी तरहा स्वस्थ और तंदुरुस्त हो गया था…
फिर डॉक्टर साहब ने बोला – आप अब, बिल्कुल ठीक हैं।
इस पर वसीम ने सेक्स के बारे में पूछा तो डॉक्टर साहब ने हंसते हुए कहा के आप आराम से किसी के साथ भी सेक्स कर सकते हैं.. मगर, खाने पीने का ध्यान रखते हुए और रोज़ दूध पीना पड़ेगा.. अगर, आप अपनी सेहत का ख़याल नहीं रखेंगें तो फिर कैसे जावानी का मज़ा लूट सकते हैं.. मैं कुछ मेडिसिन्स लिख देता हूँ, इसे आप 15 दिन और खा लीजिएगा..
वसीम ने और मैंने डॉक्टर साहब की सारी बातें सुनी और फिर हम दोनों वहां से घर गये।
जब घर वालों ने ये बात सुनी तो सभी के चेहरे खिल गये.. क्यूंकि, 15 दिनों से जो उन सब की चूत की खुजली थी, अब वो मिटने वाली थी..
फिर वसीम ने मुझे कहा के अब तेरा सेटिंग गुलनार के साथ कैसे करना है, इसके लिए मुझे एक प्लान बनाना पड़ेगा।
मैं एक काम करता हूँ, इस सनडे को गुलबदन और गुलनार को लेकर मेरे फार्म हाउस में पिक्निक के बहाने चला जाऊंगा.. इसके लिए, मैं सलमा से बात करूँगा.. तू बस, जाने के लिए तैयार हो जा.. बाकी सब, मैं संभाल लूँगा..
उस दिन, रात भर वसीम ने सलमा, नीलोफर और गुलबदन को जम के चोदा और अपनी भी 15 दिनों का आग बुझाई।
जब गुलनार की बारी आई तो उसने गुलनार को अकेले में बुला कर कहा – तेरे लिए, एक सर्प्राइज़ है.. तुझे मेरा दोस्त, विनय कैसा लगता है..
तो गुलनार ने कहा के ठीक लगते हैं..
फिर वसीम ने कहा – इस सनडे तुम, गुलबदन, मैं और मेरा दोस्त विनय चारों मिलकर पिक्निक में जाएँगे और वहां मैं तुझे उससे चुदवा दूँगा.. वो भी, मेरी तरहा एक बहुत बड़ा चुड़क्कड़ है.. तुझे मुझ से भी ज़्यादा, मज़ा देगा, वो.. ये बात किसी को नहीं बताना.. यहाँ तक के, गुलबदन को भी नहीं..
ये सुनते ही गुलनार मान गई और वो सनडे का इंतज़ार करने लगी..
जैसे, मैंने आप लोगों को पिछले भाग में बताया था के वसीम की तबीयत खराब हो गई थी और वो 15 दिनों तक किसी को नहीं चोद सकता था।
इन 15 दिनों में, गुलनार से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी।
पहले तो, वो मुझ से डर डर के बात करती थी क्यूंकि मैं वसीम का दोस्त था और उससे काफ़ी बड़ा भी था।
लेकिन, अब वो मुझ से पूरी तरहा खुल के बात करती है।
मैं बात करते करते, उसके जिस्म पर हाथ मार देता था और वो कुछ नहीं कहती थी।
सो, सनडे को हम चारों सुबह 7 बजे फार्म हाउस के लिए निकल गये…
वसीम ने मुझे मेरे भैया के घर से, पिक-अप किया।
घर में भाभी की देखभाल करने के लिए, उनकी चचेरी बहन रिचा आ गई थी।
भाभी के मदद से, मैं रिचा को भी चोदा रहा था…
(ये कहानी मैं आप लोगों को, बाद मे बताऊँगा।)
जैसे ही, वसीम मुझे लेने आया तो भाभी ने मुझे पूछा – देवर जी, आप कहाँ जा रहे हो… ??
मैंने कहा – भाभी, मैं वसीम के साथ, उसके फार्म हाउस में जा रहा हूँ… रात को नहीं लौटूंगा…
भाभी ने कहा – अगर, ऐसी बात है तो ऋचा को भी साथ ले जाओ… उसका भी मन बहल जाएगा और आप दोनों का “हनीमून” भी हो जाएगा…
अब मैंने भाभी से झूठ बोल दिया के हमारे साथ बहुत सारे लड़के जा रहे हैं… ऐसे में ऋचा का वहां जान, ठीक नहीं होगा… और फिर आप की देखभाल कौन करेगा…
भाभी मान गईं और मैं बाहर आ गया।
मेरे साथ साथ, ऋचा भी मुझे बाहर छोड़ने आ गई।
वसीम को, ऋचा वाली बात मालूम थी।
उसने ऋचा को देखा तो मुझसे पूछने लगा – क्या ये भी हमारे साथ आएगी… ??
मैंने कहा – नहीं यार, ये बस मुझे टाटा कहने आई है।
वसीम बोला – फिर ठीक है… आज तो तुझे गुलनार के साथ “रासलीला” माननी है… ऋचा को, फिर किसी दिन लेके जाएँगे…
फिर हम लोग, वहां से निकल गये।
वसीम और मैं आगे बैठे थे।
गुलबदन और गुलनार, पीछे के सीट पर बैठे थे।
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