RE: Maa Chudai Story सौतेली माँ से बदला
मगर, जैसे जैसे हमारा खेल आगे बढ़ता जा रहा था, उसी तरहा फ़ुद्दी से खून निकलना भी कम होता जा रहा था।
मैंने पहले भी अपनी भाभी, दोस्त की माँ, दोस्त की बहन, मेरी गर्लफ्रेंड और भाभी के परिवार में, जबरदस्त चुदाई की है। मगर, पता नहीं उस दिन ऐसा क्या था की गुलनार की फ़ुद्दी में, जो मुझे भी चूत मारते टाइम दर्द हो रहा था।
मुझे लगता था के आज गुलनार के चूत से मेरा लण्ड बाहर ही ना निकालूँ…
गुलनार की चूत, बहुत छोटी थी.. !! इस लिए, जब भी मेरा लण्ड उसकी फ़ुद्दी के अंदर घुसता मुझे एसा लगता जैसे की मानो मेरे लण्ड को कोई अंदर खींच रहा है और छोटे छेद के कारण, फ़ुद्दी के अंदर की दीवारें मेरे लण्ड को जकड रहीं थीं.. !!
इससे, मुझे काफ़ी तकलीफ़ भी हो रही थी.. !! पर उस वक़्त, मुझे कुछ याद ही नहीं था.. !!
जिस कारण, मैं गुलनार को पिछले 5-8 मिनट से एक ही पोज़ में चोदे जा रहा था।
चोदते वक़्त, तकलीफ़ के साथ साथ मज़ा भी बहुत आ रहा था.. !! क्यूंकि, गुलनार भी पूरी तरहा मेरी साथ दे रही थी.. !!
बीच बीच में, उसकी चुचियों को भी ज़ोर ज़ोर से चूसता और दबाता.. !! जिस से, उसके बूब्स फूल गये था और दोनों निप्पल भी लाल हो के सूज गये थे.. !!
मगर, मैं पागलों की तरहा चुचियों को चूस रहा था.. !! जिस से, गुलनार को दर्द भी हो रहा था.. !!
लेकिन, वासना के समंदर में डूबे होने के कारण, उसे कोई फरक नहीं पड़ रह था और जैसे ही मैं उसके बूब्स को चूसता, वो मेरे सिर को अपनी चुचियों में और ज़ोर से दबाती और मुँह से अजीब अजीब आवाज़ें निकलती थी.. !!
जैसा – उन्म्म अहह माँ… मर र रर र रर र र गईईई ई ईई ई ईई ई ईई ई… चूसस स सस ससस… औररर र रर ज़ोर रर रर से चूस सस स स सस… आ आ आ आ आ ह हह ह ह हह हहह:
पता नहीं, उसे दर्द हो रहा था या मज़ा आ रहा था…
कभी कभी, मैं उसके मुँह के अंदर अपनी जीभ घुसा देता तो वो उसे चूसती थी।
उस वक़्त, मानो हम इस दुनियाँ में नहीं थे किसी और लोक ही में थे।
हम दोनों को चुदाई के सिवा, ना कुछ सुनाई दे रहा था ना कुछ दिखाई दे रहा था.. !!
हम तो, अपनी ही धुन में मस्त थे।
इस बीच, गुलनार ने पता नहीं कितनी बार पानी छोड़ा.. !!
चुदाई के बीच बीच में, वो ज़ोर ज़ोर से आहें भरती और चिल्लती थी – मार डाला तूने आज, विनय… अहह आहहह हहह और शायद उसी टाइम उसकी फ़ुद्दी से, समंदर फुट पड़ता।
कुछ 15 मिनट के बाद, गुलनार बहुत थक गई तो उसने कहा – विनय, अब चूत में बहुत दर्द होने लगा है… मुझसे, अब संभाला नहीं जा रहा है… तुम, अब कुछ देर मेरी गाण्ड मार लो… उसमें बहुत खुजली हो रही है… तब तक, मेरी फ़ुद्दी भी थोड़ा आराम कर लेगी…
ये सुनते ही, मैं तुरंत उठा और उसकी फ़ुद्दी से लण्ड निकाला तो देखा के चूत बिल्कुल सूज के टमाटर की तरहा लाल हो गई है और उसका छेद खुला का खुला रह गया है।
ताजुब था की मेरा लण्ड भी सूज गया था और एसा लग रहा था के मानो ये मेरा लण्ड नहीं किसी और का है।
जब मैं ये देख रहा था तो गुलनार ने मुझे जल्दी से गाण्ड में लण्ड घुसाने के लिए कहा।
मैंने उसे घोड़ी बना दिया और लण्ड को गाण्ड के छेद में डालने लगा।
मगर, इतनी देर की चुदाई से और चूत बेहद छोटी होने से लण्ड सूज गया था.. !! जिससे, वो गाण्ड में घुस ही नहीं रहा था.. !!
फिर, मैंने एक क्रीम को लण्ड में लगा लिया और गुलनार के गाण्ड के छेद को पूरी तरहा क्रीम से भर दिया।
अब मैं लण्ड को, उसकी गाण्ड में घुसाने लगा.. !!
बहुत ज़्यादा फिसलन के कारण, एक ही झटके में लण्ड उसकी गाण्ड के अंदर तक चला गया…
जिस कारण, गुलनार थोड़ा तिलमिला उठी।
मगर, मैं बिना रुके उसकी गाण्ड चोदता गया।
मैंने दोनों हाथों से उसकी गाण्ड को पूरी तरहा फैला दिया और झटके मारता गया..
फिर कुछ 5 मिनट बाद, मुझे लगा के मेरा पानी निकलने वाला है तो मैंने गुलनार से कहा के जान मेरा पानी निकलने वाला है, क्या करूँ… ??
तो उसने कहा – रुक जाओ… अपने अमृत को, मेरी चूत में ही गिराना… ये अमृत का वो रस है, जिस के लिए बड़े दिनों से तरस गई हूँ और मैं इसे ऐसे ही बेकार नहीं जाने दूँगी…
ये कहते ही, गुलनार सीधा लेट गई.. !!
मैंने भी तुरंत ही लण्ड को, उसकी चूत में फिर से डाल दिया।
फिर 4-5 झटको के बाद, जैसे ही मैं झड़ने लगा तो हम दोनों ने एक दूसरे को ज़ोर से बाहों में दबोच लिया और मैं झटके मारते मारते सारा अमृत गुलनार की फ़ुद्दी में गिरा रहा था.. !! जिस से, उसकी फ़ुद्दी के अंदर हलचल मच गई थी और हर बूँद गिरने के साथ, उसके मुँह से ज़ोर से चीख निकल रही थी – इयाः आहह…
इस दौरान, मैं उसे पागलों की तरहा चूम रहा था।
जब मेरा सारा माल, उसकी चूत में गिर गया तब तक मैं बहुत थक गया था और मेरा लण्ड भी खड़ा था तो इसलिए मैंने उसे गुलनार की फ़ुद्दी में कुछ देर वैसे ही रहने दिया और उसकी जीभ को चूसने लगा।
किस करते करते, हम दोनों ऐसे ही कब एक दूसरे के बाहों में सो गये पता नहीं चला.. !!
बाद में, रात के 1:45 को वसीम ने आकर दरवाजा ठोका तो हम दोनों की नींद टूट गई.. !!
हमने आँखे खोल के देखा तो हम दोनों एक दूसरे को बाहों में जकड़े हुए थे और मेरा लण्ड गुलनार की चूत में ही घुसा हुआ था।
ये देख कर, हम दोनों को हँसी आ गई.. !!
फिर, मैंने गुलनार के लिप्स पर किस करके तौलिया पहना और दरवाजा खोलने के लिए उठ गया।
देखा तो बाहर वसीम था, वो भी तौलिया में था।
मैंने पूछा – यार, क्या हुआ… ?? इतनी रात को, मेरे कमरे में…
तो वसीम ने कहा के यार, मुझे नींद नहीं आ रही थी…
मैंने पूछा – इसका मतलब, तुम दोनों ही अब तक जागे हुए हो… क्या हुआ… ??
इस पर, वसीम बोला – क्या करूँ… ?? ये गुलबदन सोने दे, तब ना नींद आएगी… अभी तक, इसको मैं दो बार चोद चुका हूँ… मगर, ये कहती है एक बार और चोदने के लिए… इसका बस चले तो ये पूरी रात, मुझ से चुदवाती ही रहेगी… इसलिए, तेरे पास आ गया की चल बैठ के एक एक ड्रिंक्स लेते हैं…
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