RE: ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका
��रते हुए आओउच कहा, मैं मुस्कुराता हुआ ऑफिस की ओर बढ़ने लगा तो वो मुझे टुकुर टुकुर देखने लगी, मेरे कदम ठिठक गए, मैं दो कदम बैक हुआ और फिर से उसकी चूची मसली और उसके चूत पर हाथ फेर दी। वो कुछ नहीं बोली तो मेरा हौसला सातवें आसमान पर पहुंच गया मैंने फिर हाथ अंदर कर उसकी चूत को लेगीज के ऊपर से दबाई और उसे पकड़ने की कोशिश की, तभी मेरे ऑफिस से किसी के बाहर निकलने की आहट हुई तो मैं जल्दी से ऑफिस की तरफ à
��ाग और वो अपने रूम में घुस गई। उस दिन के बाद ये मेरा रोज का काम था, उसके चुचे मसलता और उसकी चूत रगड़ता। समस्या ये थी कि स्कूल से लौटने के बाद सभी बच्चे अपने घर मे चले जाते थे और मेन गेट में अंदर से ताला बंद कर लेते थे। मैं ने कई बार रोहणी से ताला खोलने को कहा, मगर उसने हर बार भाई बहन के होने की बात कही। मैं खाली बाहर से उसके स्तन और चूत को छूता, कभी कभी उसके शलवार या लेगीज में हाथ डालकर उसकी मुल
ायम बालों वाली भीगी चूत को छूता था। ऐसे ही करीब साल भर चलता रहा। अब वो इंटर में भी फर्स्ट डिवीजन हासिल किया तो फिर उसके पिता ने ऑफिस के सभी स्टाफ को निमंत्रण दिया। काफी कम लोगों को निमंत्रण दिया गया था। इसबार मैं रोहणी के लिए गिफ्ट में कोई कीमती सामान देने की जगह बस 150 का डेरिमिल्क चॉकलेट लेकर गया और इस मौके की तलाश में रहा कि वो कब अंधेरी जगह पर अकेली मिली। वो भी शायद इसी प्रयास में थी।
कुछ देर के बाद जब खाना टेबल पर लगने लगा तो मैं बाथरूम के लिए नीचे जाने लगा ये देखकर रोहणी भी कुछ सामान लेने नीचे उतरने लगी, मैं ने सीढ़ी पर उसे पकड़ लिया और जोर से किस कर दी और उसके चुचे मसल दिए वो कसमसाकर मुझ से अलग हुई और बोली कोई देख लेगा।और जल्दी-जल्दी नीचे उतर गई। नीचे उसकी मां खड़ी थी, उसके हाथ मे कुछ सामान था तो उसने वो सोहणी की तरफ बढ़ाते हुए कहा इसी जल्दी लेकर जाओ, वो बिना कुछ बोले मां �¤
�े हाथ से सामान लिया और तेज़ तेज़ ऊपर चली गई। मुझे देखते ही उसकी मम्मी ने पूछा भैया जी कुछ चाहिए क्या? मैं बोला नही, बाथरूम किधर है तो उसने सामने इशारा किया और खुद किचेन में चली गई। मैं बाथरूम गया और मुठ मारकर खुदको शांत किया। बाहर निकला तो बाहर सोहणी खड़ी थी, उसका पीठ मेरी तरफ था उसकी मम्मी भी दूसरी तरफ कुछ कर रही थी, आहट पर रोहणी मेरी तरफ मुड़ी और बोली, अंकल आपको सब ऊपर खोज रहे हैं, जल्दी जाइयà
�‡, तभी उसकी मम्मी ने रोहणी को एक बड़ी प्लेट में पुलाव देते हुए कहा कि अंकल के साथ तुम भी जल्दी इसे लेकर ऊपर जाओ। वो झट मां के हाथ से वो ली और सीढ़ी की तरफ बढ़ने लगी तो मैं उसके आगे आगे सीढ़ी चढ़ने लगा, सीढ़ी पर जैसे ही पहला मोड़ आया तो मैंने पीछे मुड़कर उसकी मम्मी को देखा, वो किचेन में जा चुकी थी, ऊपर देखा उधर भी कोई नहीं था, मौका देखते ही मैंने सोहणी की चूची दबाई और उसे किस किया, वो बोली छोड़िए न, ऊपर चलà
��ए। हम दोनों आगे पीछे ऊपर पहुंचे। सबने खाना खाया और अपने अपने घरों को चले गए। मैं भी उदास मन लिए लौट आया अपने घर।
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ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका लगाया- भाग-3
पार्टी के दूसरे दिन जब मैं ऑफिस पहुंचा तो देखा सोहणी नाइट सूट में अपने गेट पर खड़ी है, उसने मुझे देखा, हम दोनों की नजरें मिली, मगर मेरे साथ ऑफिस के दूसरे स्टाफ भी थे तो हमने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया, हमारे सीनियर ने सोहणी से पूछ लिया, आज स्कूल नहीं गई तो उसने बताया कि मम्मी की तबियत ठीक नहीं है, इस लिए मैं और मम्मी घर पर हैं। सीनियर ओह बोलते हुए आगे बढ़ गए, मैं भी उनके पीछे पीछे ऑफिस की तरफ बढ़ गà
��ा। मेरा मूड ऑफ हो गया था कि उसकी मम्मी आज घर पर है। मगर दोपहर के समय उसके गेट खुलने की आवाज सुनाई दी, मगर मैं नहीं उठा कि उसकी मम्मी है जाने का कोई फायदा नहीं होगा। तभी सोहणी की आवाज सुनाई दी मम्मी अब कब आओगी, मम्मी का जवाब मिला रात में, तुम अंदर से ताला लगा कर आराम कर लो, देर रात तक काम की हो। सोहणी बोली जी मम्मी और फिर जाती हुई सैंडल की आवाज सुनाई दी। मेरे मन में तो जैसे लड्डू फूटने लगे, धड़�¤
�ने तेज़ हो गई, मैं दस मिनट तक बस खुद को शांत करता रहा, जब कुछ नार्मल हुआ तो चाय पीने के बहाने बाहर निकल गया। ये बता दूं कि मेरे ऑफिस और रोहणी का गेट एक गली में है, सामने ऊंची दीवार है और ऑफिस से निकलने के बाद अंदर से बाहर सीधा नहीं देखा जा सकता है। मैं बाहर निकला तो सामने गेट खुला था और सोहणी बालों में कंघी करती नज़र आई, मुझे देख कर स्माइल दिया और इशारे में पूछा किधर जा रहे हैं। मैं धीरे से उसक
े गेट के सामने पहुंचा और हल्की आवाज में पूछा अकेली हो?उसने गर्दन हां में हिलाया तो मैं दाएं बाएं देख जल्दी से उसके घर मे घुस गया और हड़बड़ा कर सीधा बेड रूम में चला गया, इससे पहले की सोहणी अंदर आ कर कुछ बोलती वो बेडरूम के गेट पर खड़ी होकर तेज़ी में फुसफुसाते हुए बोली, अंकल बाहर निकलिए!! कोई देख लेगा! मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे अंदर खींच लिया। वो बुरी तरह डर गई और मुझसे भाग कर दीवार से जा सटी और रà
��क्वेस्ट भरी आवाज में बोली, अंकल प्लीज़, प्लीज़ अंकल, जाइये न। मैं बेड पर बैठा बस उसे समझता रहा कि कोई नहीं आने वाला, बस किस करके चला जाऊंगा। वो डरती डरती मेरी तरफ बढ़ी मगर रुक गई, बोली पहले मेन गेट बंद करने दीजिए और बाहर चली गई। गेट बंद कर लौटी तो मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और उसे किस करने लगा, कुछ देर के बाद वो कसमसाकर मुझे पीछे धकेला और बोली अब हो गया, अब जाइये। मुझ पर तो जैसे वासना का भूत सवार à
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