RE: ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका
ऑफिस की बगल वाली कमसिन लड़की को गांड माराने का चसका लगाया- अंतिम पार्ट
मैंने करीब आधे घंटे में लेटर तैयार किया और बॉस के पास गया। बोस ने लेटर चेक की और बोले ठीक है। मैंने कहा, सर, मैं आधा एक घंटा में आता हूँ, बॉस मेरी ओर देखने लगे। पूछा कोई ज़रूरी काम है, मैं ने कहा एक मित्र को चाय की दुकान पर बैठने का बोल आया हूं, उससे फ्री हो कर आता हूं। बॉस बोले ठीक है, मगर तुम्हारा मोबाइल क्यों बंद है, मैंने कहा बैट्री खत्म हो गई थी, उसे ऑफिस में ही चार्ज में लगा के जा रहा हूँ औ�¤
° बाहर निकल गया। बाहर गया तो देखा सोहणी के मेन ग्रिल में अंदर से ताला लगा हुआ था, वहीं अंदर का दूसरा दरवाजा भी बंद था, मैं परेशान हो गया, अब क्या करूं, आवाज दूंगा तो ऑफिस में सब सुन लेंगे। मैं कुछ देर वहीं खड़ा इधर उधर देखता रहा फिर ऑफिस में गया और अपना मोबाइल लेकर उसमें झूठ मूट का काल कर कान में सटा लिया और यूंही बात करता हुआ बाहर निकल गया, सोहणी के दरवाजे के निकट पहुंचते ही मैं ने फोन पर जोर
जोर से बात करनी शुरू कर दी। कुछ ही देर में सोहणी ने अंदर का गेट खोल कर बाहर झांका, मैं उसी तरफ देख रहा था, वो इशारे में पूछी क्या हुआ? मैंने गेट खोलने का इशारा किया, वो खड़ी रही, फिर अंदर गई और चाबी ले आई, ताला खोला और गेट थोड़ा सा खोलकर अंदर चली गई, मैं कान में फोन लगाए बात करता हुआ बाहर की ओर चला गया। एक दो मिनट के बाद मोबाइल ऑफ कर जेब मे रखा और वापस ऑफिस की ओर लौटा। इधर उधर देख कर झट से अंदर घुस �¤
�या और सोहणी को बोला कि अंदर से ताला लगा दो, वो बोली छोटी बहन और भाई के स्कूल से आने का समय हो गया है। मैं बोला, अगर अभी आ भी गए तब तुम कोई किताब निकाल लेना और कह देना कि ये प्रश्न सॉल्व नहीं हो रहे थे तो अंकल उसे सॉल्व करवा रहे थे, ये बोलकर मैं ने उसे पकड़ कर बाहों में भर लिया। वो कुछ नहीं बोली, मैंने किस करना फिर से शुरू किया और फिर उसे बेड पर धकेल दिया। वो आराम से बेड पर बैठ गई। मैंने उसे उल्टा
लेटाया और उसका ट्रॉअजर और पौंटी उतार दिया। मेरा लंड फिर से फन फना रहा था। मैंने लंड पर और उसकी गांड की छेद पर ढेर सारा थूक लगाया और लंड धीरे धीरे अंदर धकेलने लगा। इसबार वो ज्यादा नहीं छटपटाई, लंड पूरा अंदर चला गया। फिर मैं धीरे धीरे तीन चार मिनट तक धक्का मारता रहा। और तभी मेरे लंड ने फौव्वारा फेंकना शुरू कर दिया लगातार कई झटके पानी निकालने के बाद लंड ने झटके मारना बंद कर दिया। मेरी साà
��से तेज़ हो गई थीं और काफी तेजी से पसीना भी निकल रहा था, वो पीछे मुड़ी और पूछी क्या हुआ?? मैंने कहा मेरा माल निकल गया, वो बोली, मतलब?? मैंने कहा स्पर्म निकल गया है तब वो मुस्कुराई, और पूछी अब नहीं कीजिएगा। मैंने गर्दन से थोड़ा ठहरने का इशारा किया। यूंही उसपर पड़ा रहा। मेरा लंड अब भी पूरी तरह टाइट अंदर ही घुसा हुआ था, मैंने लंड बाहर खींच लिया, लंड बाहर निकलते ही पानी उसकी गांड से बहने लगा। मैंने जà
��ब से रुमाल निकाली और उसे पोछने लगा। फिर अपना लंड पोंछा, फिर उससे पूछा मजा आया, वो कुछ नहीं बोली। तो मैं बोला, फिर से करूँ?? तब भी वो कुछ नहीं बोली और सिर्फ मेरी तरफ देखती रही। मैंने उसे चित होने को कहा, वो बिना कुछ बोले सीधी होकर लेट गए। उसकी चूत पर बाल की जगह रुएँ थे, बहुत ही मुलायम और सिर्फ चूत की ऊपरी भाग में बिल्कुल थोड़े से थे। मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा, वो पूरी गीली थी, फिर मैं उसे चाट
ने के लिए मुंह उस तरफ ले गया तो तेज़ स्मेल मेरे नाक से टकराई, मैं मुंह ऊपर खींच लिया और सीधा खड़ा हो गया, वो बोली क्या हुआ, मैं कुछ नहीं बोला और एक मिनट का इशारा कर उसके बाथरूम में गया, अपना रुमाल धोया और फिर आकर गीले रुमाल से उसकी चूत और जांघ को रगड़ने लगा वो कसमसाई और बोली दर्द हो रहा है आप क्या कर रहे हैं। मैंने कहा साफ कर रहा हूँ, वो कुछ नहीं बोली, जब मुझे एहसास हो गया कि अब चूत साफ हो गई तब फिर
मैं चूत को सूंघा, अब स्मेल काफी कम हो गई थी, शायद कुंवारी लड़कियां नहाते समय अपनी चुतों को रकगड़कर साफ नहीं करती हैं, या सिर्फ सोनी जैसी लड़कियां!! बहरहाल, मैंने उसका चूत चाटना शुरू कर दिया एक दो मिनट में ही वो ऐंठने लगी, उसका पूरा शरीर अकड़ गया, वो तेज़ तेज़ सांस लेती हुई अपनी गांड उछालने लगी। कुछ क्षण बाद उसने और तेज़ तेज़ झटके लिए और फिर झड़ने लगी, उसने अपना दोनों जांघ जोर से एक दूसरे से चिपका लिà
��ा और मेरे सिर को ठेल कर चूत से हटाने लगी। मैंने अपना मुंह उसकी चूत से हटा लिया। वो अपने दोनों हथेलियों से चूत को छिपा लिया और लंबी लंबी सांस लेने लगी। फिर वो उठने लगी तब मैंने कहा थोड़ा सा अपनी चूत में घुसाने दो न प्लीज़, वो साफ इंकार कर दी। मैंने फिर कहा तो सिर्फ रगड़ने दो, वो फिर भी मना करने लगी तब मैंने अपना लंड पकड़ लिया और उसकी तरफ देख के हिलाने लगा, वो ध्यान से मेरा लंड देख रही थी, मैंने उà
��से कहा कि तुम हिलाओ न, वो बिना कुछ बोले मेरा लंड पकड़कर हिलाने लगी। फिर मैंने उससे कहा कि अंदर नहीं घुसाउंगा, बस बाहर से ही रगड़ लूंगा, तो वो बोली आप पीछे से कर लो न। मैंने कहा ठीक है, वो पेट के बल लेट गई, मैंने उसका कोल्हा पकड़कर उसकी गांड ऊंची की और थूक लगाकर लंड अंदर घुसा दिया। मेरा लंड सरररर से अंदर चला गया। इसबार करीब दस मिनट तक मैं धक्के मरता रहा, मगर मेरा माल निकल ही नहीं रहा था, हम दोनों
पसीने पसीने हो गए, मैं थक गया था मगर फिर भी शरीर की पूरी ताकत लगाकर धाएँ धाएँ लंड पेलता रहा। अब वो छटपटाने लगी और कराहते हुए बोली, अंकल कितना देर लगेगा?? मैंने कहा बस हो गया थोड़ा और बोलकर मैं फिर तेज़ तेज़ झटके मारने लगा, उसकी गदराई गांड पर जब मेरा लंड पड़ रहा था तब थप थप की आवाज हो रही थी वहीं उसकी टाइट गांड अब काफी ढीली हो गई थी, जहां से फस फस की आवाज निकल रही थी। करीब 15-20 मिनट के बाद मेरे लंड ने à
��ंदर पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी, चार पांच पिचकारी के बाद लंड शांत हो गया। मैं उससे अलग हुआ। हम दोनों पसीने से सराबोर थे। मैंने जल्दी जल्दी अपना कपड़ा पहना और वो उठकर बाथरूम जाने लगी तब मैंने उसे रोका और बोला पहले मुझे यहां से निकलने दो, बाहर देखो कोई है भ? वो वैसे ही ट्राउजर और पैंटी ऊपर खींची बगल में पड़े चादर में मुंह पोंछी और बाल ठीक करती हुई गैलरी में चली गई, मैं दरवाजे की ओट में खड़ा हो गय
ा, वो अंदर आई और चाभी लेजाकर दरवाजा खोल दिया। मैं झट वहां से बाहर निकला और एक सौ रुपया जेब से निकाल कर उसे देने लगा, वो मना करने लगी मगर मैं ने जबरन वो नोट उसके हाथ में रख दिया और तेज़ तेज़ चलता हुआ, बाहर की ओर चल दिया। उस दिन के बाद से हमें जब भी मौका मिलता हम सेक्स का मजा लेते। मगर हर बार वो सिर्फ गांड ही में लंड घुसाने देती। बस चूत चटवाटी थी। ये सिलसिला लगातार कई महीनों तक चलता रहा।
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