Hindi Antarvasna Kahani - ये क्या हो रहा है?
08-02-2020, 12:40 PM,
#16
RE: Hindi Antarvasna Kahani - ये क्या हो रहा है?
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जल्द ही मैं और अम्मा वापस घर की तरफ चल पड़े, सरला ताई और अम्मा की बाते मेरे दिमाग में पुरे रस्ते घूम रही थी, और ये सोच कर तो मैं और भी ज्यादा उत्तेजित महसूस कर रहा था कि अम्मा मेरा लंड देखने की कोशिश करेगी, और जब उन्हें ये पता चलेगा कि मेरा लोडा बहुत ही लम्बा और मोटा है तो क्या होगा, ये सोचकर ही मेरे मन में एक झुरझुरी सी पैदा हो रही थी,

अम्मा – समीर बेटा तेरे बापू को आये कितनी देर हो चुकी है??

मैं – लगभग 20 मिनट होने हो आई अम्मा, बापूजी ने आते ही आपको बुलाने भेज दिया था....

अम्मा – पर तू तो अभी अभी आया था ना सरला के घर पे......

मैंने देखा कि अम्मा थोड़ी सी घबरा गई थी मेरी बात सुनकर, मुझे भी अपनी गलती का एहसास हो गया था कि मुझे ये नही बोलना चाहिए था कि बापूजी ने आते ही मुझे ताई के घर भेज दिया, अब मैं माँ को क्या बोलता....कि इतनी देर कैसे लगा दी मैंने ताई के घर आते आते जबकि उनका घर तो मुश्किल से दो तीन मिनट की दुरी पर ही था.... तभी मेरे दिमाग में एक तरकीब आई

मैं – वो अम्मा, वो रस्ते में मुझे चमकू मिल गया था, इसलिए उससे बाते करने में टाइम लग गया...

अम्मा – ओह...अच्छा ठीक है...

मैंने देखा कि मेरा जवाब सुनकर अम्मा थोड़ी सुकून में आई....

जल्द ही हम घर पहुंच गये, बापूजी और अम्मा एक दुसरे को देखकर बड़े खुश हुए, फिर बापूजी ने हम सबको शहर से लाये हुए तोहफे दिए..... बापूजी मेरे लिए शहर से नयी पेंट लाये थे, जबकि दीदी और अम्मा दोनों के लिए रात को सोने से पहले पहनने वाली मैक्सी लाये थे, दरअसल अम्मा कई दिनों से बापूजी को बोल रही थी कि घाघरा चोली में उन्हें सोने में थोड़ी तकलीफ होती है, क्यूंकि उसका कपडा थोडा खुरदुरा था, इसीलिए बापूजी अम्मा और दीदी दोनों के लिए ही मैक्सी ले आये,

मैक्सी देखकर अम्मा और दीदी बहुत खुश हुए, फिर हम सब ने मिलकर खाना खाया, आज दीदी ने खाने में बापूजी के पसंद की चीज़े बनाई थी, खाना खाकर बापूजी ने थोड़ी देर हम सबको शहर के बारे में कुछ बाते बताई जैसा कि वो हर बार अपनी यात्रा से आने के बाद बताया करते थे, वैसे तो बापूजी कई कई शहरो में जाकर आते थे, पर जब भी वो भोपाल के बारे में कुछ बताते ना जाने मुझे ऐसा क्यों लगता जैसे मैं उस शहर को पहले से जानता हूँ, पता नही क्यों ऐसी फीलिंग मेरे मन में आती थी जैसे मेरा उस शहर से कोई पुराना नाता है, मैं अपने दिमाग पर जोर देने की कोशिश भी करता पर सिवाय एक धुंधलाहट के और कुछ नज़र ना आता

बापूजी हमे अपनी यात्रा के बारे में बताते रहे, हम भी बड़े ही आराम से उनकी बाते सुनते, इसी बातचीत में कब दस बज गये हमे पता ही नही चला.....

बापूजी – चलो ठीक है बच्चो अब जाकर तुम दोनों सो जाओ, बाकि कि बाते कल करेंगे... वैसे भी तुम्हे कल खेत में जाना है,
मैं – पर बापूजी कल तो आप भी तो चलोगे हमारे साथ खेत में, सब लोग मिलकर जायेगे ना...

बापूजी – नही बेटा, कल मैं लालाजी के यहाँ जा रहा हूँ, इस महीने का ब्याज जमा करने, पीछे से घर पर तेरी अम्मा हम सब के लिए खाना बनाने को रुकेगी..... इसलिए कल तू और तेरी बहन ही खेत में जाओगे... वैसे भी सुधिया बोल रही है कि खेत में कल ज्यादा काम नही है,

मैं – ठीक है बापूजी, जैसा आप कहे....

बापूजी – चलो ठीक है तो अब तुम दोनों जाओ और सो जाओ...

फिर मैं और दीदी अपने अपने तोहफे लेकर अपने कमरे में चले गये, माँ बापू भी अपने कमरे में जा चुके थे.....

कमरे में आने के बाद हमने दरवाज़ा बंद किया और आकर बिस्तर पर बैठ गये....

मैं – दीदी देखो ना बापू मेरे लिए कितनी सुंदर पेंट लेकर आये है शहर से....

दीदी – हाँ , पर मेरी मैक्सी भी तो कितनी सुंदर है....

मैं – हां दीदी....

कुछ देर हम ऐसे ही बाते करते रहे, और कब रात के 11 बज गये हमे पता ही नही चला...

दीदी - अच्छा चल अब सो जाते है, कल सुबह जल्दी भी उठना है....

अब सोना तो मैं चाहता था पर मुझे तो निक्कर पहनकर ही नींद आती थी, और मैं निक्कर के अंदर अंडरवियर भी नही पहनता था, अक्सर मैं बाथरूम में जाकर ही चेंज कर लेता था, पर आज तो काफी रात हो चुकी थी और अब बाहर जाने से माँ बापू की नींद खुल सकती थी....

दीदी – क्या हुआ, क्या सोच रहा है, सोता क्यूँ नही है तू...

मैं – “पर वो दीदी मुझे अपना निक्कर पहनना है....” मुझे पेंट में नींद नही आती..

दीदी – हाँ तो पहन ले ना...

मैं – पर दीदी अब अगर बाथरूम में गया तो माँ बापू की नींद ना खुल जाए कहीं...

दीदी – हाँ तो अंदर ही पहन ले ना,

मैं – नही दीदी अंदर मुझे आपसे शर्म आती है...

दीदी – “अरे मुझसे क्यों शर्माता है....” दीदी के चेहरे पर एक मुस्कान सी आ गयी..

मैं – नही दीदी मुझे शर्म आती है... वो मैं अंदर मेरा मतलब है कि निक्कर के अंदर कुछ नही पहनता

मेरी बात सुनकर दीदी को हलकी सी हंसी आ गयी....

मैं – क्या दीदी आप तो मेरा मजाक उड़ा रही हो...

दीदी – अच्छा माफ़ करना... चल एक काम करते है... मैं उधर मुंह कर लेती हूँ... तू जल्दी से निक्कर पहन ले ...क्यों ठीक है ना

मैं – हाँ ये ठीक रहेगा...

दीदी – हाँ तो चल जल्दी से पहन ले अब.. काफी रात हो चुकी है....

दीदी ने दूसरी तरफ मुंह कर लिया और मैं अब जल्दी से अपनी पेंट उतारने लगा, पेंट उतारते ही मेरा लंड जो अभी अर्धसुप्त अवस्था में था, वो चड्डी में उभार बनाकर खड़ा था, मेरे लंड के उभार को साफ़ साफ़ महसूस किया जा सकता था, मैं अब दीदी की तरफ देखने लगा जो मेरी तरफ पीठ करके बैठी थी,

मैं अब धीरे धीरे अपनी चड्डी उतारने लगा

दीदी – “अरे कितनी देर लगाएगा” और दीदी ये कहते हुए पीछे मुड गयी.... “हे भगवान.....” दीदी के मुंह से सिर्फ इतना ही निकला....

मैं भी शर्म के मारे जल्दी से पीछे मुड गया

“दीदी ने पक्का मेरा लंड देख लिया होगा, अब क्या होगा, अगर उन्होंने अम्मा को बता दिया तो...” मेरे मन में अजीब अजीब विचार चल रहे थे, पर मैंने उन सब विचारो को हटाया और जल्दी से अब निक्कर पहन लिया...और फिर आकर बिस्तर पर दीदी के साथ बैठ गया...

मैं – दीदी, आप पीछे क्यों मुड़ी....” मैं थोड़े शिकायत भरे लहजे में बोला

दीदी – अरे तू इतना वक्त जो लगा रहा था....” अब दीदी भी मेरी तरफ मुंह करके बैठ चुकी थी...

मैं –“दीदी...वो आपने कुछ देखा तो नही ना” मैं सकुचाते हुए बोला...

दीदी – “ नही मैंने तो कुछ नही देखा...”

दीदी के बोलते ही मुझे बहुत ही सकूँ सा महसूस हुआ ये जानकर कि दीदी ने कुछ नही देखा...

दीदी –“बस एक बड़ा सा डंडा ही दिखा मुझे तो...हा हा हा” और ये बोलकर दीदी हंसने लगी..

मेरी तो बोलती बंद हो गयी उनकी बात सुनकर......माथे पर हल्का सा पसीना आ गया... और मन में एक अजीब सी घबराहट होने लगी.... अभी मैं इस सदमे से उबरा भी नही था कि दीदी ने मुझ पर एक और बम फ़ेंक दिया...

दीदी – समीर एक बात बता...

मैं – ब....बोलो....दीदी.....

दीदी – आज शाम को तू बाथरूम के अंदर ताक झांक कर रहा था क्या जब मैं अंदर नहा रही थी...

दीदी की बात सुनकर मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझे खिंच कर थप्पड़ मार दिया हो, या किसी ने जोर से बिजली का झटका दे दिया हो, मेरी तो डर के मारे हालत ख़राब हो गयी.... मैं बुरी तरह घबरा चूका था, मुझे पसीना आने लगा था....

दीदी – घबरा म़त, बस मुझे सच सच बता दे, मैं वादा करती हूँ कि किसी को कुछ नही बोलूंगी.... बस मुझे सच सच बताना

अब मुझे डर तो लग रहा था पर दिमाग के एक कोने से आवाज़ आई कि दीदी को सच बताने में ही भलाई है वरना अगर झूठ बोलने से कहीं वो नाराज़ हो गयी तो शामत आ जानी है मेरी तो.........

दीदी – अरे बोलता क्यों नही तू, वो तू ही था ना

मैं – दीदी, वो मुझे माफ़ कर देना.... मुझसे गलती हो गयी.... मैंने जानबुझकर नही किया पक्का.... मैं आगे से ऐसा कभी नही करूँगा

मैं चाह रहा था कि दीदी सिर्फ इस बार मुझे माफ़ कर दे, फिर तो कभी भी उनकी तरफ आँख उठाकर भी नही देखूंगा....पर दीदी ने मुझसे जो सवाल पूछा उसकी उम्मीद तो मैंने सपने में भी नही की थी....

दीदी – देख मैं तुझे एक शर्त पर माफ़ कर सकती हूँ...

मैं – हाँ बोलो दीदी, मुझे आपकी सभी शर्ते मंजूर है...

दीदी – तो ठीक है, मैं तुझसे जो भी पूछूँ तू मुझे खुलकर और सब सच सच बतायेगा....बोल मंजूर है ना..

मैं – ठ.....ठीक है दीदी...

दीदी – अच्छा तो ये बता, जब तूने मुझे नहाते हुए देखा तो तुझे कैसा लगा ......???

मैं भला अब क्या जवाब देता.... तो बस चुपचाप दीदी की तरफ देखता रहा..

दीदी – अरे बोलता क्यों नही है..... देख तूने वादा किया है कि मेरे सारे सवालों के सही सही जवाब देगा...

मैं – पर दीदी...

दीदी – पर वर कुछ नही ... अगर तूने जवाब नही दिए तो मैं बापूजी को बता दूंगी कि तू मुझे नहाते हुए देख रहा था...बोल बता दूँ क्या...

मैं – “नही नही दीदी..ऐसा मत करना... अगर बापूजी को पता चला तो वो मुझे घर से निकाल देंगे... मैं आपके सभी सवालों के जवाब देने को तैयार हूँ....” मैं घबरा कर बोला....मुझे लग रहा था शायद मेरे ही पाप है जो मुझे ये सब झेलना पड़ रहा है..... मैंने सोच लिया था कि आज के बाद इन झमेलों में पड़ना ही नही है मुझे...

दीदी – हाँ तो अब बता कि जब तूने मुझे नहाते हुए देखा तो तुझे कैसा लगा....

मैं – अच्छा लग रहा था दीदी....

दीदी – सिर्फ अच्छा या बहुत अच्छा

मैं – बहुत अच्छा ..

दीदी – तूने मेरे बदन में क्या क्या देखा ....

मैं – वो दीदी मैंने तो सब कुछ देखा था....

दीदी – ऐसे नही नाम लेकर बता...क्या क्या देखा.....

मैं – दीदी मैंने वो आपके बाल, चेहरा, पीठ, टांगे... और बाकी सब भी देख लिया था...

दीदी – अरे तो नाम बता ना... ये सब तो तू वैसे भी रोज़ देख लेता है..... और इनके अलावा क्या क्या देखा..

मैं – दीदी वो मैंने आपकी छाती भी देख ली थी...” मुझे समझ नही आ रहा था कि दीदी के सामने चूत , गांड मम्मे जैसे अल्फाज़ कैसे इस्तेमाल करूँ...

दीदी – लगता है तू ऐसे नाम नही बतायेगा, मैं अभी बापूजी के पास जाती हूँ...

मैं – नही नही दीदी... मैं बता रहा हूँ.....

दीदी – हाँ तो बोल.. और क्या क्या देखा था...

मैं – दीदी वो मैंने आपके मम्मे भी देखे थे....

दीदी – हाय राम... मेरे मम्मे भी देख लिए तूने... कैसे लगे तुझे मेरे मम्मे....

मैं (बड़ी मुश्किल से थूक निगलता हुआ) – दीदी, वो आपके मम्मे सच में बहुत खूबसूरत है.....दिल कर रहा था कि...

दीदी – क्या दिल कर रहा था बोल ना...

मैं – नही दीदी, आप नाराज़ हो जाओगी सुनकर...” अब मुझे भी इन सबमे मजा आने लगा था...

दीदी – अरे नही होउंगी....तू खुलकर बता ना...क्या दिल कर रहा था मेरे मम्मे देखकर.....

मैं – वो दीदी मेरा मन कर रहा था कि इन्हें जी भरकर चुसुं.....

दीदी – अच्छा जी.. तो जनाब मेरे मम्मे चुसना चाहते है.......अच्छा और क्या देखा तूने..

मैं – मैंने वो आपके पीछे ...मेरा मतलब है आपकी वो ....गांड भी देखी थी...

दीदी – अरे राम....तू तो बड़ा ही बेशर्म है रे.... मेरी गांड भी देख ली तूने...

इस बार मैं दीदी के बिना पूछे ही बोल पड़ा....

मैं – दीदी, आपकी गांड सच में बहुत ही भारी है... कसम से बहुत ही मस्त गांड है आपकी... कितनी मांसल गोरी गोरी... एकदम चिकनी सी गांड.. मैंने आज तक इतनी सुंदर गांड नही देखी दीदी....

दीदी – मरजान्या....कैसी कैसी बाते करता है.. अपनी दीदी की गांड देखते हुए शरम ना आई तेरे को...” दीदी झूटमूठ का गुस्सा करते हुए बोली...

मैं – पर दीदी आप ही बोल रही थी कि खुलकर बताऊँ सब कुछ.. अगर आप नही चाहती तो मैं नही बताता.....

दीदी - अरे नही नही, तू बता, मैं तो ऐसे ही बोल रही थी....

मैं – और क्या बताऊ दीदी....

दीदी – मम्मे और गांड के अलावा भी कुछ देखा या नही

मैं – “नही दीदी और तो कुछ नही देखा” मैंने झूट बोल दिया..

दीदी – “सच में तूने और कुछ नही देखा...”

मैं – नही दीदी और तो कुछ नही देखा...

दीदी – “ऐसा कैसा हो सकता है... अच्छे से याद कर ना समीर, तूने जरुर कुछ और भी देखा होगा...” दीदी अधीर होती हुई बोली

मैं – “अम्म्म...नही दीदी...और तो कुछ मुझे याद नही...” मैं दीदी के मजे ले रहा था अब

दीदी –“ठीक है तो सोजा, याद नही तो” दीदी गुस्सा करती हुई मेरी तरफ पीठ करके लेट गई....

उन्हें इस तरह गुस्सा करते देख मुझे उन पर बड़ा ही प्यार आ गया.....मैंने धीरे से उनके कंधे पर हाथ रखा तो उन्होंने कंधे को झटकते हुए मेरा हाथ हटा दिया....मैंने दोबारा से उनके कंधे पर एक हाथ रखा और उन्हें मेरी तरफ पलट लिया.....

दीदी – क्या है, सोने क्यूँ नही देता अब...

मैं – वो बस मैं तो ये ही बता रहा था कि मैंने एक और चीज़ देखी थी आपकी...

दीदी – “क्या देखी थी....” दीदी नाराज़गी से ही बोली...

मैं – “आपकी ये प्यारी से चुत......”ये कहकर मैंने दीदी की हलके से हाथ फेर दिया.....

दीदी के मुंह से हलकी सी सिसकारी निकल गयी....

मैं – और दीदी सच कहूँ तो आपकी इस प्यारी सी फुद्दी का मैं तो दीवाना हो चूका हूँ.... इतनी खूबसूरत चूत मैंने कभी नही देखी... कितनी प्यारी सी गुलाबी सी गोरी सी चूत है आपकी.....

दीदी – नही तू झूठ बोल रहा है, बस मुझे मनाने के लिए...

मैं – नही दीदी.. मैं आपकी कसम खाकर बोलता हूँ...... मुझे आपकी चूत सच में बहुत अच्छी लगी.....

दीदी – चल ठीक है, मान ली तेरी बात... चल अब सोजा... कल जल्दी उठना है....

मैं – पर दीदी...

दीदी – “पर क्या...” दीदी मुस्कुराते हुए बोली...

मैं –“वो मैं सोच रहा था कि...”

दीदी – सोचना वोचना कल.. अब चुपचाप सोजा......कल जल्दी उठाना है हमे....

अब मैं और क्या बोलता.. कहाँ तो मैं सोच रहा था कि आज रात रंगीन होने वाली है और कहाँ साला अब खड़े लंड पर धोका हो गया

दीदी – सोजा अब....

आखिर हारकर मुझे भी सोना ही पडा....पर एक बात बिलकुल साफ थी कि दीदी भी मुझसे चुदने के लिए तैयार है..... बस थोडा सा शर्मा रही है...... मैंने मन ही मन सोच लिया कि चाहे जो हो आज रात ही दीदी के सोने के बाद उनकी चूत का उद्घाटन मैं कर दूंगा......
मैं अब दीदी के सोने का इंतज़ार करने लगा.......दीदी ने आज एक नाईटी पहन रखी थी.... करीब करीब 1 घंटे बाद मुझे लगा कि शायद अब दीदी सो गयी है... मैंने उनकी तरफ मुड कर देखा....

मेरा लंड खुशी के मारें झटके लेने लगा… सामने वो दिल कश हसीना मेरे बिस्तर पर लेटी हुई थी…उसकी पीठ मेरी तरफ थी…मैंने गोर से देखा…नीलू की नाइटी उसके घुटनो तक ऊपर चढ़ि हुई थी... जैसे आज वो उसे जान बुझ कर ऊपर उठा कर लेटी हुई हों…

मैं बिना एक पल की देरी किए उसके और करीब आकर लेट गया…और धीरे-2 उसकी तरफ खिसकने लगा…जब मैं दीदी के बिल्कुल साथ हो गया…तो मेरा लंड एक दम अकड़ गया.. और मेरे निक्कर को ऊपर उठा दिया…मुझे लंड को निक्कर में रखने में दिक्कत होने लगी…

मैंने थोड़ा सा पीछे हो कर अपने लंड को निक्कर से बाहर निकाल लिया…और दीदी के पीछे से उनके साथ लग गया…मेरा लंड उनकी नीले रंग की नाइटी को उसकी गांड की दरार में धकेलता हुआ उसकी गांड के सूराख पर जा लगा….

दीदी थोड़ा सा हिली, और पीछे की तरफ अपनी गांड को थोड़ा सा दबा दिया…जैसे वो नींद में ये सब कर रही हो…मैंने दीदी की नाइटी को धीरे-2 ऊपर करना चालू कर दिया…जो पहले से उसके घुटनो तक उठी हुई थी…

मैं बड़े ध्यान से दीदी की नाइटी को ऊपर उठाता रहा…और जब उनकी नाइटी उनकी जाँघों तक ऊपर उठ गयी…मैंने अपने लंड को पीछे करके दीदी की नाइटी को ऊपर उठा दिया…वाउ सामने का नज़ारा देख मेरा लंड की नसें फूलने लगी…

आज दीदी ने पीले रंग की पैंटी पहनी हुई थे…जैसे आज पूरी तैयारी के साथ आई हो…मैं अपने आप पर काबू ना रख सका… पीले रंग की पैंटी दीदी के बड़े-2 गोल मटोल चौड़ी गांड को नही ढक पा रही थे…अब मैं एक दम पागल हो चुका था…

अब मैं बिना किसी बात की परवाह किए बगैर अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसकी गांड के नीचे से उसकी फुद्दि पर लगा दिया…मैं तो मानो जैसे जन्नत में उड़ रहा था…इस बार दीदी फिर से थोड़ा सा हिली पर फिर से शांत पड़ गयी…मैं धीरे-2 अपने लंड को दीदी की पैंटी के ऊपर उसकी फुद्दि के लिप्स पर रगड़ने लगा….

पर दीदी की जांघ आपस में जुड़ी हुई थी…जिससे मेरा लंड गांड की नीचे से थोड़ा ही आगे जा पा रहा था…मैं अपने लंड को धीरे-2 रगड़ता हुआ आगे पीछे करने लगा.. पर हर बार दीदी की जांघ के कारण आधे रास्ते में रुक जाता…दीदी की पीले पैंटी में मुझे अपने लंड पर कुछ-2 गीला सा महसूस हुआ…ओह्ह्ह्ह ये क्या दीदी की फुद्दि तो गीली हो चुकी थे…क्या वो जाग रही हैं….हाँ शायद वो कुछ बोले बिना ही मज़ा लेना चाहती हैं…

मैं अपने लंड को पीछे उसकी फुद्दि पर पैंटी को ऊपर से रगड़ते हुए…और आगे करने की कोशिश करने लगा…फिर वो हुआ जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था…दीदी ने अपनी ऊपर वाली जाँघ को हल्का सा ऊपर कर लिया…जैसे ही दीदी की जाँघ ऊपर हुई…मेरा तना हुआ लंड दीदी की दोनो जाँघों के बीच में से उसकी फुद्दि के होठों के बिल्कुल बीचो-बिच जा कर दब गया….

मेरे पूरे बदन में वासना की लहर दौड़ गयी…दिल उतेजना के मारें तेज़ी से धड़कने लगा…दीदी ने फिर धीरे-2 अपनी ऊपर वाली जाँघ को नीचे वाली जाँघ पर वैसे ही रख दिया…मेरा तना हुआ लंड दीदी की दहक्ती हुई जाँघो और फुद्दि में लगा हुआ था..

मत पूछो मुझे आज तक इतना मज़ा कभी नही आया…अब मेरा हौसला बढ़ चुका था…पर मैं फिर भी थोड़ा सा डर रहा था…मैंने ये सोच लिया…जैसे नीलू दीदी को पसंद हैं…मैं भी बिना कुछ बोले ही उनको सारी दुनिया का प्यार आज दे दूँगा..

मैंने थोड़ी देर लेटने के बाद…अपना हाथ आगे लेजा कर उनकी नाइटी के ऊपर से उनके राइट मम्मे पर रख दिया…ओह्ह्ह्ह क्या नरम और गोश्त से भरे हुए मम्मे हैं दीदी की…मैं धीरे-2 दीदी के मम्मे को ऊपर से दबाने लगा…जैसे-2 मैं दीदी के मम्मे को दबा रहा था… वैसे -2 दीदी अपने गांड को पीछे की ओर हल्के-2 दबा रही थे…ताकि मुझे पता ना चले..पर मैं तो पहले से ही सब महसूस कर रहा था…दीदी की नाइटी भी बेहद पतली सी थे……पीछे दीदी की नाइटी के ऊपर का हिस्सा काफ़ी खुला था….

मैने अपने काँप रहे होंठों को, नीलू की नाइटी के ऊपर के खुले हिस्से पर लगा दिया… जैसे ही मेरे होंठ उसकी नंगी पीठ पर पड़े…वो एक दम से सीईईई करके सिसक उठी…आवाज़ बहुत धीमी थी…पर मुझे सुनाई दे गयी….मैं नीलू दीदी की पीठ पर अपने होंठो को रगड़ने लगा…उसका नतीजा ये हुआ कि, उसने अपनी गांड को धीरे धीरे मेरे लंड पर पुश करना शुरू कर दिया.…

नीलू दीदी की साँसें और तेज़ी से चलने लगी…मेरा हाथ उनकी नाइटी के ऊपर से उसके मम्मे पर था….और मैं उसके मम्मे को धीरे-2 दबा रहा था…दीदी की तेज़ी होते साँसों से उनके मम्मे तेज़ी से ऊपर नीचे हो रह थे…जो मैं अपने हाथ से अच्छी तरह से महसूस कर रहा था…

अब मेरे बर्दास्त से बाहर हो चला था…मैने अपने होंठो को दीदी के जिस्म पर रगड़ते हुए…उसकी गर्दन पर आ गया…और पीछे से उसके गर्दन को चूमने लगा…मैं दीदी के चेहरे से उठ रही गरमी को साफ महसूस कर रहा था..उसकी नाक से साँस लेने तक की आवाज़ भी मैं साफ-2 सुन पा रहा था….

मैने दीदी के मम्मे से अपना हाथ हटा कर, उनके कंधे की नीचे बाजू पर रख दिया…और अपनी कमर के नीचले हिस्से को पीछे कर अपने लंड को उसकी जांघों के दरम्यान से बाहर निकाल लिया…और थोड़ा सा पीछे हो कर उनके बाजू को पकड़ कर अपनी तरफ करने लगा…

थोड़ी ही देर में दीदी ने धीरे-2 मेरी तरफ करवट बदल ली…अब दीदी पीठ के बल लेटी थे…तेज़ी से चल रही साँसों से उसके 32 साइज़ के एक दम सख़्त मम्मे ऊपर नीचे हो रहे थे, और मैं अपनी वासना से भरी नज़रों से देख रहा था…मैं नीलू के ऊपर झुक गया…मेरा कमर का नीचे का हिस्सा बिस्तर पर था…और बाकी का हिस्सा नीलू दीदी के ऊपर था…पर मैने उन पर वजन नही डाला था…वो अभी भी अपनी आँखे बंद किए हुए थी…उसके होंठ काँप रहे थे…आँखों की पलकें हिल रही थी…और उसके पेट कमर पर कंपन हो रहा था….

ये सब करते हुए मेरा दिल इतने जोरो से धड़क रहा था कि, मुझे पूरा यकीन है कि, नीलू दीदी भी मेरे दिल की धड़कनो की आवाज़ को सुन सकती होंगी…मेरे हाथ पैर अजीब से डर और उतेजना के मारे काँप रहे थे….मैने अपने काँपते हाथो से नीलू दीदी की नाइटी के दोनो स्ट्रॅप्स को पकड़ा और धीरे-2 उनके कंधो से स्ट्रॅप्स को नीचे करने लगा….मुझे पूरा यकीन था कि, नीलू जागी हुई है…पर फिर भी मैं ऐसे नाइटी के स्ट्रॅप्स को नीचे कर रहा था…जैसे मुझे नीलू के जाग जाने का ख़तरा हो…धीरे-2 नीलू की नाइटी के स्ट्रॅप्स उसके कंधो से उतार कर उसके बाज़ुओं पर आ चुके थे…अब उसकी नाइटी के स्ट्रॅप्स उसकी बाज़ुओं पर कोहानियों के पास थे….और अब मुझे नाइटी के स्ट्रॅप्स को उसकी बाज़ुओं को मोड़ कर उनसे निकालना था….

मैने एक हाथ से नीलू के लेफ्ट बाज़ू को पकड़ा और दूसरे हाथ से नाइटी के स्ट्रॅप को पकड़ कर धीरे-2 नीलू के बाज़ू को कोहनी से मोडते हुए, स्ट्रॅप को बाहर निकालने लगा…इसमे मुझे ज़रा भी मुस्किल नही हुई….सब इतनी आसानी से हो गया…जैसे नीलू खुद मेरी मदद कर रहे हो….फिर मैने ठीक उसी तरह दूसरी तरफ का स्ट्रॅप भी बाज़ू से निकाल दिया…और जैसे ही मैने नीलू दीदी की नाइटी को पकड़ कर उनके मम्मों से नीचे खैंचा….तो सामने का नज़ारा देख मेरे लंड ने निक्कर में जोरदार झटका खाया….नीलू के बड़े-2 32 साइज़ के मम्मे रेड रंग की ब्रा में एक दम फँसे हुए थे…..जैसे ज़बरदस्ती उनको उस छोटी सी ब्रा में क़ैद कर दिया हो….अब मेरे बर्दास्त से बाहर हो चुका था….

मैने अपने होंठो को नीलू की गर्दन पर रख दिया…और गर्दन को चूमने लगा…मेरे होंठ नीलू के गर्दन के हर हिस्से को चूम रहे थे…मैने नीलू के हाथों की तरफ देखा…नीलू ने अपने हाथों से अपनी कमर के पास बिस्तर को कसकर पकड़ा हुआ था… मैं नीलू की गर्दन को किस करता हुआ नीचे आने लगा…और उसके बूब्स के ऊपर वाले हिस्से को अपने होंठो से चूमने लगा…अब मैं हिम्मत करके उसके ऊपर आ गया…नीलू ने अपने टाँगों को घुटनो से मोड़ा हुआ था…जिससे उसकी नाइटी सरक कर उसकी जांघो की जडो तक आ गयी थी…और उसकी पीले रंग की वीशेप की पैंटी साफ दिख रही थी…उसकी गोरी गोश्त से भरी जांघे एक दम साफ थी

जैसे ही मैं नीलू के ऊपर आया… तो नीलू ने अपनी जाँघों को खोल लिया… मैं नीलू की जाँघों के दरमियान घुटनो के बल बैठ गया…और अपने दोनो हाथों से नीलू की छोटी सी रेड रंग की ब्रा में क़ैद एक दम कसे हुए मम्मो को हाथ में ले लिया….मेरा लंड नीलू की रेड रंग की पैंटी के एक तरफ से उसकी फुद्दि के लिप्स के नज़दीक रगड़ खा रहा था….नीलू का चेहरा एक दम सुर्ख हो चुका था…और वो अपने सर को ऊपर की तरफ उठाए हुए, अपने होंठो और मूह को थोड़ा सा खोल कर ठीक से साँस लेने की कोशिश कर रही थी…

मैने नीलू के मम्मो को दोनो हाथों में लेकर धीरे-2 दबाना चालू कर दिया… उसके नर्म मुलायम मम्मो को दबा कर मैं और गरम हुआ जा रहा था…पर अब वक़्त आ गया था…जब मैं अपने आप को रोक नही सकता था…और नीलू की ब्रा के कप्स को नीचे से पकड़ कर ऊपर उठाने की कोशिश करने लगा.. पर ब्रा बेहद टाइट थी… और ब्रा के हुक्स नीलू की पीठ पर थे…और नीलू पीठ के बल लेटी हुई थी… अब मेरा दिल नीलू की ब्रा में दिख रहे ब्राउन रंग के आधे इंच के निपल्स को मूह में लेकर चूसने को कर रहा था…

मैं नीलू की पीठ के दोनो साइड से अपने हाथों को नीलू की पीठ के नीचे ले जाने की कोशिश करने लगा…पर नीलू की पीठ नीचे बिस्तर पर दबी हुई थी…और मैं अपने हाथों को नीचे ब्रा के हुक्स के पास नही ले जा रहा था…पर फिर वो हुआ जिससे मेरा लंड और झटके खाने लगा…नीलू ने अपनी आँखों को बंद किए हुए अपनी पीठ को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया…मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नही था…मैने जल्दी से अपने हाथों को नीलू की पीठ के पीछे लेजा कर नीलू की ब्रा के हुक्स को खोल दिए, और अपने हाथों को आगे लेजा कर नीलू के ब्रा के कप्स को ऊपर उठा दिया….

मेरा तो जैसे गला ही सुख गया…एक दम सख़्त गोश्त से भरे हुए नीलू के 32 साइज़ के मम्मे मेरी आँखों के सामने थे…मम्मो के निप्पल तन कर एक दम सख़्त हो चुके थे…ब्राउन रंग के निप्पल को देख कर मैं एक दम पागल हो गया….नीलू के वेल शेप्ड बूब्स को देख कर मैं एक दम से पागल हो गया…और नीलू के दोनो मम्मो को अपने हाथों में पकड़ कर दबाने लगा…जिससे नीलू के मम्मो के निप्पल और नुकीले हो कर बाहर की तरफ आ गये….

मैने नीलू के मम्मो के एक निप्पल को मूह में ले लिया…और धीरे-2 चूसने लगा…नीलू ने अपने हाथों से बिस्तर को कस के पकड़ लिया…और उसके मूह से एक हल्की सी आह निकल गयी..अब मैं किसी भी बात पर ध्यान दिए बिना. नीलू के मम्मे की निप्पल को चूस रहा था…नीलू का बदन मस्ती में गरम हो कर काँप रहा था…मैं नीलू के मम्मे को ज़ोर-2 से सक करने लगा….नीलू के मूह से अहह सीयी की बहुत ही धीमी आवाज़ निकल रही थे…और वो अपने होंठो को अपने दाँतों में दबाए हुए अपनी आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही थी

मैं अपने एक हाथ से नीलू के दूसरे मम्मे को धीरे-2 दबा रहा था..नीलू के निप्पल और कड़े हो कर तन चुके थे…मैं नीलू के दूसरे मम्मे के निप्पल को अपने हाथ की उंगलियों में लेकर मसलने लगा, और नीलू और ज़्यादा कसमसाने लगी…
नीलू के बाल बिखर चुके थे…और मैं नीलू के मम्मे को लगतार किसी बच्चे की तरह चूसे जा रहा था…मैं करीब 5 मिनट तक नीलू के एक मम्मे को चूस-2 कर लाल कर दिया था…मैने नीलू के मम्मे को मूह से निकाल कर, नीलू के दूसरे मम्मे को मूह में लेकर चूसना शुरू कर दिया…

और पहले वाले मम्मे को अपने हाथ में लेकर दबाने लगा…नीलू की आँखे अभी भी बंद थी…वो शायद अपनी आँखे खोल कर मेरा सामना नही करना चाहती थे.. मैं भी नीलू को बिना कुछ बोले, नीलू के मम्मे को चूस रहा था…करीब 15 मिनट तक नीलू के दोनो मम्मो को चूसने और दबाने के बाद में धीरे-2 अपने होंठो को नीलू के बदन पर रगड़ता हुआ, नीचे आने लगा….

मेरे होंठ नीलू के बदन के हर इंच को रगड़ रहे थे, और मैं नीलू के बदन पर अपनी ज़ुबान फेर कर चाट रहा था…

मैं अपनी आँखों को ऊपर करके, नीलू के चेहरा को देख रहा था…उनके चेहरे पर पसीना आ चुका था…होंठ थरथरा रहे थे….और बालों की लट माथे और चेहरा पर बिखरी हुई थी… और वो तेज़ी से साँस ले रही थी…

मैं नीलू के जिस्म को अपने होंठों और जीभ से चूमता हुआ, नीलू की नाभि पर आ गया…और अपनी जीभ निकाल कर नीलू की नाभि के चारों तरफ गोल-2 घुमा कर चाटने लगा…नीलू बुरी तरह तड़प कर रह गयी…और अपने हाथों को एक झटके में ऊपर करके सर के नीचे रखे तकिये को दोनो हाथों में कस कर पकड़ लिया…. नीलू के पेट में कंपन के कारण हल्की -2 लहरे उठ रही थी…नीलू के पेट की हल्की चरबी थरथरा रही थी….और वो अपने होंठो को दाँतों में दबाए हल्की आवाज़ में उम्ह्ह्ह्ह्ह उंघ कर रही थी….

मैने अपनी जीभ निकाल कर नीलू की नाभि में डाल कर चाटने लगा…नीलू एक दम से मस्त हो गयी…उसकी कमर झटके खाने लगी….जिसकी वजह से उसकी नाइटी सरक कर उसकी कमर पर आ चुकी थी…और पैंटी फुद्दि के सूराख की जगह से एक दम गीली हो चुकी थे…मैं नीलू की नाभि को 5 मिनट तक चाटता रहा…और फिर नाभि को छोड़ कर नीचे की तरफ आने लगा…जैसे-2 मैं नीचे की ओर आ रहा था…नीलू की साँस लेने की आवाज़ और तेज होती जा रही थी

मैं नीलू के बदन की हर एक इंच को चूमता हुआ, नीलू की पैंटी के ऊपर आ गया…और नीलू की पैंटी के ऊपर से ही अपने होंठो को उसकी फुद्दि के ऊपर रगड़ने लगा…नीलू मेरी इस हरकत से और तड़पने लगी….मैं नीलू की फुद्दि को पेंटी के ऊपर से ही चाटने लगा…नीलू की जांघे मेरे सर पर कसने लगी…जब मुझे थोड़ी दिक्कत होने लगी…मैने नीलू की जांघो को दोनो हाथों से पकड़ कर खोल दिया….और घुटनो से मोड़ कर ऊपर उठा दिया… और नीलू की फुद्दि के सूराख के ठीक ऊपर पैंटी के ऊपर से चाटने लगा….

नीलू की जांघो को ऊपर करने के बाद, मैने अपने हाथों को नीलू की टाँगों से हटा दिया…और नीलू की पैंटी के ऊपर लाकर, नीलू की पैंटी को चाटते हुए, उसकी फुद्दि के धीरे-2 दबाने लगा….नीलू के पैर फिर से धीरे-2 नीचे की ओर आने लगी…मैं समझ गया था, कि नीलू से बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा है…मैने जल्दी से अपना निक्कर उतरा और सीधा होकर उसके जांघ के दरमियाँ घुटनो के बल बैठ गया….और उसकी पैंटी को दोनो हाथों से पकड़ कर नीचे करने लगा….

इस बार नीलू ने बिना कोई देर किए….अपने गांड को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया…मेरे होंठो पर मुस्कान फैल गयी…मैने पैंटी को धीरे-2 नीचे सरकाना चालू कर दिया…जैसे-2 नीलू की फुद्दि मेरी आँखों के सामने आ रही थे…वैसे-2 मेरा लंड हवा में झटके खा रहा था…मैने पैंटी को नीलू की टाँगों से निकाल कर बिस्तर के एक साइड में रख दिया…और नीलू की जांघ को पूरी तरह खोल कर ऊपर कर दिया…जैसे ही नीलू के घुटनो से मूडी हुई टाँगें ऊपर हुई…नीलू के फूली हुई फुद्दि, जो नीलू की फुद्दि से निकले गाढ़े पानी से लबालब थे… मेरी आँखों के सामने थे…

नीलू की फुद्दि के लिप्स आपस में जुड़े हुए थे…और वासना के कारण थोड़े खुल और बंद हो रहे थे…मैने नीलू को घुटनो से पकड़ कर नीलू की टाँगों को और ऊपर करके फैला दिया…जिससे नीलू की फुद्दि के लिप्स थोड़ा सा फैल गये…और उसकी फुद्दि का गुलाबी सूराख जो उसके काम रस से भीगा हुआ था, मुझे थोड़ा-2 दिखाई देने लगा….

मैं नीचे झुक गया…और उसकी फुद्दि के लिप्स को दोनो हाथों की उंगलियों से फैला दिया…नीलू की फुद्दि का गुलाबी सूराख उसके काम रस से भीगा हुआ था…मैने बिना टाइम वेस्ट किए, नीलू की फुद्दि के पानी से लबलबा रहे सूराख पर, अपने मूह को रख दिया…और अपनी जीभ निकाल कर नीलू की फुद्दि के सूराख को चाटने लगा… नीलू बुरी तरह छटपटाने लगी…नीलू की कमर नीचे से झटके खाने लगी…और उसने तकिये को कस कर दोनो हाथों से पकड़ लिया….

मैं अपनी आँखों को ऊपर करके नीलू को देखने लगा…नीलू अपने होंठो को दाँतों में दबाए हुए…अपने सर को इधर से उधर पटक रही थी…और नीलू के मूह से सीईइ अहह सीयी अहह की धीमी-2 आवाज़ आ रही थे…

मैं नीलू की फुद्दि के लिप्स को फैला कर उसकी फुद्दि के गुलाबी सूराख को जीभ से अंदर तक चाट रहा था….बीच-2 में में नीलू की फुद्दि के लिप्स को अपने होंठो में दबा कर खींच देता…नीलू और तड़पने लग जाती….करीब 5 मिनट फुद्दि को चाटने के बाद…मैने नीलू की क्लिट जो उतेजना के मारें काफ़ी फूल चुका था…उसे मूह में ले लिया…

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RE: Hindi Antarvasna Kahani - ये क्या हो रहा है? - by desiaks - 08-02-2020, 12:40 PM

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