RE: Antervasna कविता भार्गव की अजीब दास्ताँ
मनीषा अपनी कमरे में यहाँ से वहा तेहै ने लगती हैं और सोचने लगी की आखिर किस चीज़ से उसकी सास इतनी अकारहित थी, कहीं वह पोर्न या ब्लू फिल्मों के चक्कर में तो नहीं थी! अब मनीषा को किसी भी कीमत पे जननि थी कि कविता की ब्राउज़र हिस्ट्री में क्या क्या थी, पर क्या वोह फ़ोन लॉक पे रखती हैं! अब तो उत्सुकता इतनी बढ़ गयी थी के मनिषा से बिलकुल रह नहीं गयी और एक प्लान बनाने में जुट गयी l
शाम को जब कविता टीवी देखती हैं तब मनिषा आ जाती हैं उसके पास और बड़ी प्यार से उसकी और देखने लगी l कविता अपनी बहू की और मुड़ जाती हैंà l
कविता : अरे बहू! बड़ी प्यार आ रही है मुझपे आज! ऐसे क्या देख रही है?
मनीषा : वोह दरअसल..... मम्मीजी! आपकी फ़ोन चाहिए थी! दरअसल मेरा बैलेंस खत्म हो गया हैं!
कविता : हम्म्म्म कॉल या कुछ और करने की ईरादा है? (थोड़ी बनावटी अंदाज़ के साथ)
मनीषा : (थोड़ी बिन्दास होक) हाँ मुम्मीजी! आपके आषिक़ के फोटोज देखनी हैं!
कविता (फ़ोन देती हुई) ले बात कर! तू नहीं सुधरेगी!
मनीषा फ़ोन लेती हुई मटक मटक के अपनी कमरे में चली जाती हैं और फ़ौरन फ़ोन को चालू किया तो सुकून मिला कि कोई पासवर्ड का झंझट ही नहीं थी। बिना विलम्भ किये ब्राउज़र की हिस्ट्री पे जाके वोह सबसे नए नए लगाई साइट्स को परखने लगी तो हैरान रह गयी l
"हईए मेरे प्रभु! यह क्या है ! माँ बेटे की सेक्सी कहानियां! वाह मुम्मीजी वाह!" मनीषा की आँखें बड़ी की बड़ी रह गयी, उसकी सास किस बात से उत्तेजित हो रही थी आज उसे पता चली l
मनीषा को यकीन ही नहीं हुई कि उसकी सुलझी हुई सास ऐसी सोच विचार में फस सकती है l उसे मालूम करनी ही थी कि आगे आगे क्या हो सकता हैं l
......
शाम के वक़्त...
कविता और मनीषा रसोई के काम में रात को जुट जाते हैं कि तभी मनीषा एक चिकोटी काट देती हैं अपनी सास के कमर पर l कविता सिसक उठी अपनी बहू की इस हरकत से l
कविता : शरारत करने की भी हद होती हैं बहु!
मनीषा : अरे मुम्मीजी! आप से तो काम ही हूँ! आप तो मुझसे भी आगे निकल जाएगी एक दिन!
कविता : क्या बकवास कर रही हैं तू??? (काम थाम लेती है)
मनीषा अपनी सास की मुलायम गालों को मसल देती है और एक प्यारी सी चुम्मी देती हैं एक गाल पर। कविता थोड़ी सकपका जाती हैं, हैरानी से उसके तरफ देखने लगती हैं
मनीषा : (नटखट अंदाज़ में) "अरे बेटा आज मुझे तंग मत कर!!!! उफ्फफ्फ्फ़ कब से तरस रही हु तेरी लिए!!!"
कविता घबरा गयी, यह तो उसकी कहानी के कुछ अलफ़ाज़ थे जो वोह उस गन्दी साइट से पढ़ रही थी l भल मनीषा को कैसे मालूम इसके बारे में???? उसकी खुद की सांसें तेज़ हो गयी और बदन और माथा पसीने पसीना होने लगी
मनीषा : क्यों मुम्मीजी! कुछः सुने सुने अलफ़ाज़ लग रही है न???
कविता बड़ी सोच में पड़ गयी और बस चुप रही, अनजाने में उसकी पल्लू सरक जाती हैं और मोटे मोटे स्तान ब्लाउज में कैद अवस्था में दिखाई देने लग गयी मनीषा को। अपनी सास की स्तन का मानसिक जायज़ा लेती हुई वोह खुद हैरान रह गयी और एक लम्बी सांस छोड़ने लगी
मनीषा : सच बताईये! यह ऐसी ही कहानियां क्यों पढ़ने लगी आप अचानक???? क्या सुख मिलता हैं आपकी??? बताईये मम्मीजी!! खामोश मत रहिये ऐसे!
कविता शर्म से पानी पानी हो रही थी। भला यह नौबद कैसे आगयी उसकी ज़िन्दगी में, उसे खुद समझ में नहीं आ रही थी l सब शायद उसकी सहेली रेखा की किया धरा हैं! न वह उसकी बातों का यकीन करती और नहीं यह नौबद आती l
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