RE: Sex kahani मासूमियत का अंत
उसने उँगलियों से मेरी चूत का द्वार हल्का से खोला और लण्ड घुसाने की कोशिश करने लगा, सिर्फ लण्ड का ऊपरी हिस्सा ही लगाया था।
क्योंकि लण्ड बड़ा था तो मुझे शुरू में हल्का सा दर्द होने लगा। मैंने कहा- रुको रुको … दर्द सा हो रहा है।
उसने कहा- अभी से दर्द हो रहा है अभी तो सील भी नहीं टूटी।
और इतना कह के उसने और हल्का सा लण्ड अंदर डाला।
अब दर्द तेज़ होने लगा तो मैं ‘श्शस्स स्सस स्सस’ करने लगी और कहा- अब रुक जाओ, बहुत तेज़ दर्द हो रहा है।
उसने मेरा साथ देते हुए लण्ड बाहर निकाल लिया और कहा- क्या हुआ सील तुड़वानी है या नहीं?
मैंने हाँ में सिर हिला दिया।
वो फिर डालने की कोशिश करने लगा और मुझे दर्द होने लगा तो मैंने हाथों से उसकी छाती को धक्का देते हुए फिर पीछे धकेल दिया।
वह गुस्सा हो गया और कहने लगा- ऐसे कैसे चोदूंगा मैं?
मैंने कहा- यार, बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज अभी रुक जाओ।
उसने कहा- एक मिनट रुक! और बाहर चला गया।
वापस आया तो उसके हाथ में नारियल तेल की बोतल थी, उसने कहा- इससे चिकना कर देता हूँ, फिर आराम से घुस जाएगा।
मैंने कहा- ठीक है।
उसने मेरी चूत पे तेल डाला काफी सारा और हाथ से मालिश सी करने लगा। मेरी चूत और टाँगें सब चिकनी हो गयी और चमकने लगी।
अब हर्षिल से भी रुका नहीं जा रहा था, वो मेरे ऊपर आया और मेरे हाथ फैला के कहा- थोड़ा सा दर्द सहन कर लो, फिर मजा आने लगेगा।
मैंने सिर हिला के हामी भर दी.
उसने अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर डालना शुरू किया तो मेरी दर्द से जान निकालने लगी, मैंने कहा- प्लीज रुको रुको!
तो हर्षिल ने कहा- मुझे माफ करना!
फिर उसने मेरे मुंह को हाथ से ज़ोर से दबाया और एक झटके में पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। चिकनी चूत होने की वजह से लण्ड मेरी सील तोड़ता हुआ पूरा अंदर चला गया। मुझे ज़ोर से दर्द हुआ और झटका सा लगा, चूत पहली बार चुदी थी तो उसे भी डालने में दिक्कत हुई।
मैं दर्द से छटपटा रही थी और उसने लण्ड अंदर ही डाले रखा और मेरे ऊपर लेट गया। मैं ‘उम्म उम्मह उम्मह …’ कर रही थी और वो ज़ोर से सांस ले रहा था। मेरी भी सांस तेज़ हो गयी थी।
फिर उसने मेरे मुंह से हाथ हटाया तो मैंने कहा- प्लीज निकालो, मुझे बिल्कुल मजा नहीं आ रहा … बस दर्द हो रहा है।
उसने कहा- रुको निकलता हूँ।
फिर उसने लण्ड निकाला और तुरंत झटके के साथ दुबारा डाल दिया और फिर लण्ड अंदर बाहर करने लगा। हर बार लण्ड अंदर बाहर होने से मुझे झटके लग रहे थे, मेरा पूरा शरीर ऊपर नीचे हिल रहा था। मेरी आँखों में आँसू थे और बहुत दर्द हो रहा था।
पर हर्षिल रुकने का नाम नहीं ले रहा था; ‘हम्म हम्म हम्म हम्म …’ आवाज कर रहा था, उसे भी बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी चोदने में।
उसने कहा- थोड़ी देर और बर्दाश्त कर लो, अभी धीरे धीरे मजा आना शुरू हो जाएगा।
मैं गीली आंखों से उसकी आँखों में देखती रही और ‘स्सस्स श्सश स्सस्स …’ करती रही और वो लण्ड को अंदर बाहर अंदर बाहर कर धक्के मारता रहा। मैंने अपने होंठ दाँतों से दबा रखे थे और दर्द सह रही थी।
फिर उसने लण्ड निकाल लिया और साइड में लेट गया और हाँफने लगा। मैं भी हाँफ रही थी।
अब मेरा दर्द कम होने लगा था, मैंने उठ के देखा तो उसका लण्ड मेरे खून से सना हुआ था और मेरी चूत पे भी खून था, कुछ बूंदें चादर पे भी पड़ी थी.
उसने कहा- मुबारक हो … अब तुम्हारी चुत कुँवारी नहीं रही।
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