RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
अपनी मर्ज़ी से उसका हलब्बी लौड़ा धुन्नी तक इस अंदाज़ से अंदर लेने में मुझे ढिल्लों पर एक बड़ी जीत लग रही थी। अब मुझे एहसास हो गया था कि अब मैं ढिल्लों को बराबर की होकर मिल सकती हूँ और जब इतने तगड़े जवान को कोई मेरे जैसे बराबर की औरत मिलती तो जो सेक्स होता है, वो बहुत शक्तिशाली और बुलंद होता है। हमारे बीच अब यही हो रहा था।
जब मैं इस तरह से रबड़ की गेंद की तरह उसके ऊपर उछलने लगी तो ढिल्लों हैरान होकर बोला- बड़ी खतरनाक औरत हो, सोंह रब्ब दी, ढिल्लों के लौड़े के ऊपर इस तरह कोई नहीं उछली थी, तेरे जितनी आग नहीं देखी किसी में, क्या खाती हो?मैं कुछ नहीं बोली और वहशियों की तरह पागल होकर कर उसके लौड़े पर उछलती रही। मेरे इस प्रचंड रूप के सामने ढिल्लों जैसे पहलवान भी समय से पहले हार मान गया और फुद्दी के अंदर ही झड़ने लगा और उसके मुंह से निकला- जान ले ली जट्टीये, कमाल की औरत हो, हाय, हाय, हाय।
जब उसका ढेर सारा वीरज मेरे अंदर निकला तो मुझे फुद्दी के बहुत अंदर तक गर्मी महसूस हुई जो मुझे बहुत शानदार लगी और मैं भी उसके बाद 8-10 प्रचंड घस्से मार कर झड़ने लगी.
दोस्तो, मेरे मुंह से बहुत चीखों के रूप में यह ये आवाज़ निकली थी- हाय… हाय ढिल्लों मर गई गई … हाय मां … ढिल्लों!इस तरह बहुत खतरनाक तरीके से हांफते-हांफते मैं ढिल्लों से ऊपर गिर पड़ी। न तो मुझमें कुछ बोलने की हिम्मत थी न ही हिलने तक की। मैंने अपनी सारी कसरें खुद इस तरह चुदाई करके निकाल की थीं।10-12 सालों से ये डींगें मारने वाली रूपिंदर की जिसकी कोई तसल्ली नहीं करा सकता था, आज एक जट्ट के ऊपर ऊपर पूरी टाँगें खोल कर लेटी हुई थी और जिसमें अब इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि पलटी मार कर उसकी बगल में लेट जाए।
3-4 बार इतने ज़ोर-शोर से ठुकने के बाद मेरा हाल बहुत बिगड़ चुका था। दोस्तो, मैं वो बन-ठन कर आई रूपिंदर नहीं रही थी। मेरे बाल ऐसे बिखर गए थे, जैसे पिछले 1-2 महीनों से कंघी न की गयी हो, आंखों के नीचे काले घेरे बन गए थे, मुंह हल्का सा खुल गया था।
दोस्तो आपकी रूपिंदर का बाजा अच्छी तरह बजाया जा चुका था। फुद्दी का हाल तो आपको पता ही होगा। फिर भी बता देती हूं कि मेरी कुदरती तौर पर हल्की सी फूली हुई सफेद फुद्दी का मुंह अब पूरी तरह खुल चुका था और उसे बंद होने के लिए 1-2 हफ्तों की ज़रूरत थी। फुद्दी फट तो गई थी लेकिन मैं पहले ही काफी चुदी होने के कारण ज़्यादा हल्का सा ही निशान था। इसके अलावा अंदर जाने वाला रास्ता अब और खुल गया था। ढिल्लों के हलब्बी लौड़े ने फुद्दी का दाना थोड़ा बाहर को सरका दिया था।
जब मैं कुछ देर बाद उठ कर बाथरूम में गई तो मेरी चाल में एकदम बहुत फर्क आ गया था, यानि कि बहुत मतवाली हो गई थी। बहुत ज़्यादा चुदने वाली औरतों की चाल में ये चीज़ अक्सर देखी जा सकती है।
खैर तभी ढिल्लों का आर्डर किया हुआ चिकन आया और हम हल्की हल्की दारू पीते हुए खाने लगे और एक दूसरे से बातें करते लगे।
कहानी जारी रहेगी
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