MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:02 PM,
#49
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
मेरी बात सुनकर कीर्ति ने बच्चो की तरह मासूम सा चेहरा बनाया और अपने होंठ सिकोडते हुए बोली.

कीर्ति बोली "हाँ. हुआ तो मगर मुझे डर लगता है."

मैं बोला "अब जब मैं तुझे प्यार करता हूँ तो, फिर अब तुझे किस बात का डर लगता है."

कीर्ति बोली "यही कि कही बाद मे तू मुझसे गुस्सा ना हो जाए."

मैं बोला "चल आज तेरा ये डर भी निकाल देता हूँ. आज मैं तेरी कसम खाकर कहता हूँ कि मर जाउन्गा मगर कभी किसी बात पर तुझको गुस्सा नही करूगा. अब तो खुश."

कीर्ति बोली "याद रखना. तुमने मेरी कसम खाई है. यदि तुमने मुझ पर गुस्सा किया तो कसम झुटि पड़ जाएगी और मैं मर जाउन्गी."

मैं बोला "हाँ याद रखुगा. अब ये फालतू की बक बक बंद कर और चुप चाप सो जा."

कीर्ति बोली "तुझे सच मे नींद आ रही है."

मैं बोला "नींद तो नही आ रही है. मगर ऐसे ही बैठे बैठे बात करते रहेगे तो, सुबह भी हो जाएगी और नींद भी नही आएगी. इसलिए ऐसा कर लाइट बंद कर दे और लेट जा. यू ही बात करते करते जब नींद आने लगेगी तो सो जाएगे."

कीर्ति बोली "ठीक है. मैं लाइट बंद कर देती हूँ."

कीर्ति लाइट बंद करने उठी मगर जब वह लाइट बंद करने की जगह दरवाजा खोलने लगी तो मैने पूछा.

मैं बोला "अब इतनी रात को कहाँ जा रही है."

कीर्ति बोली "अरे तूने तो अपना नाइट सूट पहना हुआ है और क्या मैं ऐसे ही जीन्स टी-शर्ट पहन कर सो जाउ. मुझे भी तो कपड़े बदल लेने दे."

मैं बोला "ठीक है मगर जल्दी आना."

कीर्ति बोली "मैं तेरी तरह नही हूँ कि नाइट सूट डाला और बस हो गया. मुझे सोने से पहले नहाने की आदत है. अब नहाने और कपड़े बदलने मे जितना टाइम लगता है, उतना तो लगेगा ही."

मैं बोला "तो इतनी देर तक किस बात का इंतजार कर रही थी. अब रात को 1 बजे तुझे नहाने की याद आ रही है. मैं इतनी देर तक अकेला बैठा क्या करूगा."

कीर्ति बोली "तू दिन भर से इसी कमरे मे बंद पड़ा हुआ है. सूंघ कर देख तेरे बदन से कितनी बास आ रही है. ऐसा कर तू भी नहा ले. कम से कम मुझसे कुछ तो अच्छा सीख ले."

कीर्ति की बात सुनकर मैं अपने बदन को सूंघने लगा और मुझे ऐसा करते देख कीर्ति हँसने लगी. क्योंकि मैने बॉडी स्प्रे लगाया हुआ था और मेरे शरीर से उसकी ही खुश्बू आ रही थी. उसने मुझे बुद्धू बनाया और मैं बन भी गया था. इसी गुस्से मे मैने उस से कहा.

मैं बोला "अपनी अच्छाई अपने पास रख. मुझे नही नहाना. तुझे जो करना है तू कर मगर ज़्यादा टाइम मत लगाना, नही तो मैं सच मे सो जाउन्गा."

कीर्ति बोली "तू सोकर तो देख. अब मैं सच मे तेरा खून पी जाउन्गि."

ऐसा कहते हुए वो हँसती हुई कमरे से बाहर निकल गयी. उसके जाने के बाद मैने कीर्ति की कही बातों को सोच कर मुस्कुराता रहा. लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे सच मे नींद आने लगी. मैने सोचा ये अभी फ्रेश होकर आएगी तो, क्या पता इसे कब तक नींद आए और कहीं मुझे नींद आ गयी तो हो सकता है कि उसे बुरा लगे. इस से अच्छा तो यही है कि मैं भी नहा ही लूँ. कम से कम ये आलस तो भाग ही जाएगा. ये सोच कर मैं भी नहाने चला गया.

मैं नाहकार आया और अपना नाइट सूट पहनकर कीर्ति के आने का इंतेजर करने लगा. उसे गये हुए अभी ज़्यादा देर नही हुई थी. मुझे उसके जल्दी आने की उम्मीद भी कम थी, इसलिए मैं टाइम पास करने के लिए टीवी देखने लगा.

मैं टीवी देख ही रहा था कि, अमि निमी के कमरे से मुझे निमी के रोने की आवाज़ आई. मैने तुरंत टीवी बंद की और अमि निमी के कमरे मे चला गया. निमी का रोना सुनकर अमि भी उठ गयी थी और वो उसे चुप कराने की कोसिस कर रही थी. लेकिन निमी थी कि अपने हाथों से अपनी आँख मलते हुए रोए जा रही थी.

निमी के साथ अक्सर ही ऐसा होता था कि, वो रात को यदि कोई बुरा सपना देखती तो डर कर रोने लगती. जब कभी भी निमी के साथ ऐसा होता था तो मैं उसके डर को दूर करने के लिए, उसके पास ही सो जाया करता था. निमी का रोना सुनकर कीर्ति भी नहाते से भागती चली आई. उस समय वो सिर्फ़ इक टवल लपेटी हुई थी. मगर मेरा ध्यान उसकी तरफ नही था.

मैं जाकर निमी के पास बैठ गया और उसे अपने सीने से चिपका लिया. मैने निमी को चुप करते हुए कहा.

मैं बोला "क्या हुआ.? मेरी निम्मो ने क्या फिर कोई बुरा सपना देखा है. देख अब डर मत. मैं तेरे पास हूँ ना."

मेरी बात सुनकर निमी चुप हो गयी मगर बहुत डरी हुई होने की वजह से सो नही रही थी. मैने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा.

मैं बोला "इतना क्यों डरी हुई है. ऐसा क्या देख लिया तूने सपने मे."

निमी बोली "मैने सपने मे देखा कि कोई आपको बहुत मार रहा है और आप ज़ोर ज़ोर से रो रहे हो."

मैं बोला "देख मैं तो तेरे सामने अच्छा भला बैठा हूँ. ऐसे सपने कभी सच नही होते है. तुझे छोटी माँ ने क्या बताया था. जब हमे किसी के बारे मे कोई बुरा सपना आए तो समझना चाहिए कि उसके साथ कुछ अच्छा होने वाला है. ऐसे सपनो से डरते थोड़ी है. सपना अच्छा हो या बुरा. सच थोड़े ही होता है. अब तू डरना छोड़ और सोने की कोसिस कर."

निमी बोली "नही, मैं नही सोउंगी. मैं सोउन्गी तो फिर वही सपना आ जाएगा."

मैं बोला "डरती क्यों है. मैं तो तेरे पास हूँ ना."

निमी बोली "नही. मैं सो जाउन्गी तो आप चले जाओगे और वो सपना फिर आ जाएगा."

मैने कहा "मैं कही नही जाउन्गा. तू अब सोजा."

निमी बोली "तब आप भी मेरे साथ सोइए."

मैने कहा "ठीक है. मैं तेरे पास ही सो जाता हूँ. अब तो तू अपनी आँख बंद कर सोने की कोसिस कर."

ये कह कर मैं निमी के पास ही बेड पर पैर फैला कर बैठ गया. निमी ने मेरे दाएँ हाथ को अपने दोनो हाथो मे जाकड़ लिया और फिर मेरी तरफ करवट लेकर आँख बंद कर ली. मैने अमि को भी सोने को बोला तो वो भी लेट गयी.

फिर मेरी नज़र कीर्ति पर पड़ी. वो निमी का रोना सुनकर सिर्फ़ टवल लपेट कर ही आ गयी थी मगर ये सब देख कर अपने आप को भूल सी चुकी थी. मगर कीर्ति पर मेरी नज़र पड़ते ही मैं उसे देखता रह गया. उसके टवल लपेटने से उसके उभारों से लेकर उसकी कमर के नीचे तक का हिस्सा ढका हुआ था. बाकी का उसका सारा बदन सोने की तरह चमक रहा था उपर से उसके गीले बालों से टपकती पानी की बूंदे यूँ लग रही थी मानो मोती हो. मैं उसे बिना पलक झपकाए देखे जा रहा था. ऐसा नही था कि मैं अपने जीवन मे पहली बार किसी लड़की को ऐसी अवस्था मे देख रहा हूँ. रिया को तो मैने बिकिनी मे देखा था और उसके बूब्स भी मसल चुका था मगर उस समय मेरे मन मे उसे देख कर सिर्फ़ सेक्स की भावना आई थी, लेकिन कीर्ति को यू देख कर भी मेरे मन मे कोई बुरी भावना नही थी. बस यू लग रहा था कि मैं उसे यू ही देखता रहूं.

कीर्ति ने मुझे यू अपनी तरफ एक-टक देखते हुए देखा तो उसने अपने हाथ के इशारे से पूछा "क्या हुआ.?"

मैने भी अपने हाथों के इशारे से उसकी टवल की तरफ इशारा कर पूछा "ये सब क्या है."

ये देख कर उसकी नज़र खुद पर पड़ी और फिर वो गुस्से से मुझे घूर्ने लगी. मैने उसकी टवल की तरफ उंगली दिखाते हुए हाथो के ही इशारे से कहा "इस टवल मे बहुत सुंदर लग रही हो."

मेरी बात का मतलब समझते ही उसने बाँये हाथ से टवल पकड़ कर दाएँ हाथ से मुक्का बनाकर मुझे मारने का इशारा करती हुई बाहर निकल गयी. मैं भी उसकी इस हरकत से मुस्कुराए बिना नही रह सका.

उसके जाने के बाद मैने निमी से अपना हाथ छुड़ाने की कोसिस की तो उसने और ज़ोर से मेरे हाथ को जाकड़ लिया. वो अभी सोई नही थी थी. इसलिए मैं अपने दूसरे हाथ से उसके सर पर हाथ फेरने लगा. कुछ देर बाद कीर्ति भी नाइट सूट मे आ गयी. वो अमि की तरफ बेड पर पैर फैला कर बैठ गयी. कुछ देर बाद निमी गहरी नींद मे सो गयी तो मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला "तू अब क्यों बैठी है. जाकर सो जा."

कीर्ति बोली "ज़्यादा बन मत. निमी सो गयी है. चल अब हम भी चल कर सोते है."

मैं बोला "नही. ये अब रात भर जाग जाग कर मुझे देखती रहेगी और यदि मैं नही दिखा तो फिर डर कर रोने लगेगी."

कीर्ति बोली "तो क्या मैं जाकर अकेली सोऊ."

मैं बोला "क्या तुझे भी निमी की तरह अकेले सोने से डर लगता है."

कीर्ति बोली "मुझे डर वर कुछ नही लगता. मुझे तो तेरे साथ सोना है."

मैं बोला "तो अब तू भी यही सो जा."

कीर्ति बोली "वो तो तू नही भी कहेगा तब भी मैं यहाँ से जाने वाली नही हूँ."

मैं बोला "मैं तुझे क्यों जाने को बोलुगा. मैं तो चाहता हूँ कि तू हमेशा मेरी नज़रो के सामने ही रहे."

कीर्ति बोली "ये फालतू की बात छोड़ और ये बता कि आज तेरे जाने की सोच कर ही निमी इतना डरी हुई है तो फिर कल तेरे जाने के बाद ये तेरे बिना कैसे रहेगी."

मैं बोला "एक तो तेरे गुस्से मे मैने दोनो से, 2-3 दिन ठीक से बात भी नही की, और अब कल जा रहा हूँ तो यही सब सोच सोच कर दिल बैठा जा रहा है."

कीर्ति बोली "तू कहे तो तेरी ये चिंता मैं दूर कर सकती हूँ."

मैं बोला "कैसे."

कीर्ति बोली "जब तक तू यहाँ नही है. तब तक के लिए मैं यही इन दोनो के पास रुक सकती हूँ."

मैं बोला "ये तो मैने सोचा ही नही था. तूने तो मेरी सारी चिंता दूर कर दी. अब मैं खुशी खुशी जा सकुगा."

कीर्ति बोली "ना ना चिंता दूर नही की. मैने कहा रुक सकती हूँ. ये नही कहा कि रुक जाती हू."

मैं बोला "तू कहना क्या चाहती है."

कीर्ति बोली "मैं सिर्फ़ ये कहना चाहती हूँ कि, यदि तू चाहता है कि मैं अमि निमी के पास मैं रुक जाउ तो मैं ऐसा कर सकती हूँ. मगर इसके लिए तुझे मेरी 2 शर्त मानना पड़ेगा और यदि तू उनमे से इक भी शर्त नही मानता तो मैं नही रूकूगी."

मैं बोला "कौन सी 2 शर्त है तेरी.?"

कीर्ति बोली "पहली शर्त ये कि तू जाकर मुझे फोन करना नही भूलेगा और मुझे मेरे टाइम पर रोज फोन करेगा."

मैं बोला "मुझे मंजूर है. अब अपनी दूसरी शर्त बोल."

कीर्ति बोली "दूसरी शर्त ये है कि कल जब तक तू यहाँ है, तब तक मुझे हर घंटे मे इक पप्पी चाहिए."

मैं बोला "ये कैसी बेहूदा शर्त है. कल मैं अपने जाने की तैयारी पूरी करूगा कि, हर घंटे मे तुझे पप्पी देने के लिए ढूंढता रहुगा. मुझे ये शर्त मंजूर नही है. तू इसके बदले मे कोई ओर शर्त बता."

कीर्ति बोली "नही मेरी तो यही शर्त है और यदि तुझे ये नही मानना है तो फिर इस बात को यही पर ख़तम कर दे. मैने तो पहले ही कहा था कि मेरी दोनो ही शर्त माननी पड़ेगी. एक भी शर्त पूरी ना होने पर मैं नही रूकूगी."

मैं बोला "तू तो पागलों जैसी बात कर रही है. तुझे मालूम है कि कल मुझे कितनी तैयारी करना है. ऐसे मे हर इक घंटे मे मेरा तेरे सामने आ पाना मुश्किल है."

कीर्ति बोली "ये सब तू मुझ पर छोड़ दे. मैं हर घंटे मे तुझे तेरे सामने मिलुगी. अगर नही मिलती तो तुझे उस घंटे की पप्पी माफ़ है मगर यदि मैं तेरे सामने हूँ तो फिर चाहे जैसे भी हो तुझे पप्पी देना ही पड़ेगा. लेकिन मेरे सामने होने पर भी यदि तूने मुझे पप्पी नही दी तो समझ लेना कि शर्त को तूने नही माना है और फिर मैं भी यहाँ नही रूकूगी."

मैं बोला "ये तो तू तुझे ब्लॅकमेल कर रही है."

कीरी बोली "अब तू जो भी समझ पर यदि तू चाहता है कि मैं रुकु तो तुझे मेरी शर्त माननी ही पड़ेगी. आगे तेरी मर्ज़ी."

मैं बोला "ओके मुझे ये शर्त भी मंजूर है."

कीर्ति बोली "गुड बॉय. ये हुई ना बात. चल अब शुरू कर."

मैं बोला "क्या.?"

कीर्ति बोली "पप्पी देना और क्या.?"

मैं बोला "अभी.? पर शर्त तो कल से शुरू होना है."

कीर्ति बोली "ये तुझसे मैने कब कहा कि शर्त कल से शुरू होगी. मैने तो कहा था कि जब तक तू यहाँ है तब तक हर घंटे मे तुझे पप्पी देनी है. अब देर मत कर और जल्दी से पप्पी दे और फिर एक घंटे के लिए बेफिकर हो जा."

मैं बोला "मगर यहाँ तो अमि निमी सो रही है. उनके सामने ये सब करना अच्छा नही है."

कीर्ति बोली "अरे जब ये सो रही है तो तू पप्पी नही दे पा रहा है. फिर तो कल दिन मे सब जागते हुए रहेगे. तब कैसे देगा. मुझे लगता है कि तू इस शर्त को पूरा नही कर पाएगा. इससे तो अच्छा यही होगा कि हम अपनी शर्त अभी कॅन्सल कर दे."

मैं बोला "मैने कब ऐसा करने से मना किया है. मैं तो ये चाहता हूँ कि बाहर चल कर पप्पी ले ले."

कीर्ति बोली "नही अब तो तुझे यही पप्पी देना होगी."

मैं बोला "ठीक है, जैसी तेरी मर्ज़ी. मुझे तो इसमे मज़ा ही मज़ा मिलने वाला है."

ये कहकर हंसते हुए मैने अपने आपको थोड़ा सा कीर्ति की तरफ झुकाया और फिर कीर्ति ने भी अपने आपको झुकाया तो मैने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. हम लोग करीब 5 मिनिट तक इक दूसरे को किस करते रहे. फिर उसके बाद कीर्ति ने किस करना बंद किया और अंगड़ाई लेते हुए कहा.

कीर्ति बोली "अब मुझे तो नींद आ रही है. अभी 3 बजे है और अगले किस का टाइम 4 बजे का है. अगर तू तब तक जागता रहता है तो, अपना अगला किस कर लेना नही तो, सुबह उठते ही सबसे पहले किस करना, उसके बाद कोई और काम करना. अब मैं सोती हूँ. गुड नाइट."

इतना कहकर कीर्ति ने मुस्कुराते हुए अमि के बाजू मे ही उसे पकड़ कर लेट गयी और अपनी आँख बंद कर ली. मैं कुछ देर यू ही बैठा कभी अमि निमी को देखता तो, कभी कीर्ति को देखता. कुछ देर बाद मुझे कीर्ति भी गहरी नींद मे सोती लगी मगर मेरी आँखों मे ना जाने क्यों नींद नही थी.

मैं बस अमि निमी और कीर्ति को देखे जा रहा था. तीनो मे मुझे कोई अंतर समझ मे नही आ रहा था. कीर्ति अमि निमी से बहुत बड़ी थी और समझदार भी थी. लेकिन उसमे मासूमियत बिल्कुल अमि निमी की तरह ही थी. जो इस समय उसके चेहरे से साफ झलक रही थी.

जिसे देख कर मैं सोचने पर मजबूर हो गया. क्या मैं जो सब कुछ कीर्ति के साथ कर रहा हूँ, वो सब ठीक है. ये बात मेरे दिमाग़ मे आते ही मैं परेशान हो उठा. मैने आज जो पल कीर्ति के साथ बिताए थे वो मुझे अचानक हमारे रिश्ते पर गाली लगने लगे.

मैं सोच रहा था कि, ये मैं क्या कर रहा हूँ. आख़िर कीर्ति भी तो अमि निमी की तरह मेरी बहन ही लगती है. अगर कीर्ति मेरी सग़ी मौसी की लड़की नही तो अमि निमी भी तो मेरी सग़ी बहन नही है. जब मैं अमि निमी के बारे मे ऐसा नही सोच सकता तो फिर कीर्ति के बारे मे ऐसा कैसे सोच सकता हूँ. कहीं मैं कीर्ति की मासूमियत का फ़ायदा तो नही उठा रहा हूँ. अगर वो ग़लती कर रही है तो क्या मुझे उसको रोकना नही चाहिए. मैं क्यों उसकी ग़लती का साथ दे रहा हूँ.

ये सब सोचते सोचते मुझे मेरे आप पर घिन आने लगी. मुझे अब हर तरफ से मैं ही ग़लत नज़र आ रहा था. मुझे बस यू लग रहा था कि, मैं जो भी कर रहा हूँ, वो किसी भी तरह से सही नही है. कीर्ति मेरी बहन है, बस यही बात मेरे दिमाग़ मे गूँज रही थी और शायद मेरे अंदर की इस गूँज को कीर्ति ने सुन लिया.

अचानक ही कीर्ति ने अपनी आँख खोल कर मुझे देखा. वो अभी तक सोई नही थी बस आँख बंद करके ही लेटी हुई थी, या फिर आँख बंद करके मेरे सोने का इंतजार कर रही थी. लेकिन मुझे यूँ परेशानी मे गुम देख कर शायद वो मेरी परेशानी का अंदाज भी लगा चुकी थी.

वो बिना कुछ कहे ही अपनी जगह से उठी और मेरे पास आई. उसने आकर मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खीच कर मेरे कमरे मे ले आई. मुझे बेड पर बिठाकर वो खुद मेरे सामने ज़मीन पर ही घुटने मोड़ कर बैठ गयी, और फिर मेरे दोनो हाथों को अपने हाथों मे लेते हुए उसने कहा.

कीर्ति बोली "क्या सोच रहा है. अभी तो तू अच्छा भला था फिर अचानक इतना उदास क्यों है."

मैं बोला "कुछ नही. कभी तुम सब से इतना दूर नही गया हूँ ना, इसीलिए उदास हूँ."

कीर्ति बोली "देख झूठ मत बोल. मैं जानती हूँ, तू मेरे और अपने इस रिश्ते को लेकर उदास है. तू अगर हमारे इस नये बने रिश्ते से खुश नही है तो, मैं अभी इस रिश्ते को ख़तम कर देती हूँ. मुझे दर्द तो होगा मगर उतना नही जितना तुझे यू परेशान होते देख कर हो रहा है. मैं सब कुछ सह सकती हूँ मगर तेरी ये उदासी, ये परेशानी नही सह सकती."

मैं बोला "ऐसा कुछ नही है, जैसा तू सोच रही है."

कीर्ति ने मेरा हाथ अपने सर पर रखा और कहा.

कीर्ति बोली "अब यही बात तू मेरे सर पर हाथ रख कर मेरी कसम खाकर बोल कि ऐसा कुछ नही है."
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:02 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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