MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:24 PM,
#68
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
61

अब प्रिया की उदासी पूरी तरह से भाग चुकी थी. वो समझ चुकी थी कि, मैं कल की बात को लेकर उसकी खिचाई कर रहा हूँ. अब वो भी अपने पुराने अंदाज मे वापस आ चुकी थी. वो चहकते हुए बोली.

प्रिया बोली "अच्छा, तो तुम मुझसे कल वाली बात का बदला ले रहे हो."

मैं बोला "इसमे बदला लेने वाली बात कहाँ से आ गयी. कल तुमने जो मुझसे कहा था. मैं तो बस वो ही तुम्हे याद दिला रहा हूँ."

प्रिया बोली "यदि ऐसा ही था तो, फिर तुमने कुछ किया क्यों नही. मुझे कमरे मे अकेला देख कर भाग क्यों गये थे. बात तो हम दोनो के अकेले रहने की थी."

मैं बोला "नही, सिखाने की बात तो तुमने की थी. जब सिखाने वाला ही सो रहा हो तो, फिर सीखने वाला भागेगा नही तो, और क्या करेगा."

प्रिया बोली "ये क्यों नही कहते कि, मुझे देख के ही तुम्हारे होश उड़ गये थे. इसीलिए तुम भाग गये थे."

मैं बोला "होश उड़ने की बात तो तब आती. जब मैने कुछ देखा होता. मैने तो कुछ देखा ही नही है. जब दिखाने वाला ही होश मे ना हो तो, फिर कुछ देखने का क्या फ़ायदा है."

प्रिया बोली "ज़्यादा बड़ी बड़ी बातें मत करो. जब सच मे सब कुछ देखोगे तो, तुम्हारी सारी बोलती बंद हो जाएगी."

प्रिया की इन बातों मे मैं इतना खो गया था कि, मुझे याद ही नही रहा, मैं किस से क्या बात कर रहा हूँ. मुझे उस के साथ इस तकरार मे मज़ा आ रहा था. मैने भी उसकी बात का जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला "बोलती बंद होने की बात तो, कुछ देखने के बाद की है. पहले तुम कुछ दिखाओ तो सही."

प्रिया बोली "तुमको सब कुछ देखने का बहुत शौक लगा है. लगता है तुमने कुछ करने का इरादा बना लिया है."

मैं बोला "मुझे ना कुछ देखने का कोई शौक है, और ना ही मेरा कुछ करने का इरादा है. मगर जब तुम एक लड़की होकर दिखाने से पिछे नही हटना चाहती. तब मैं एक लड़का होकर देखने से क्यों पिछे हटु."

प्रिया बोली "मैं पिछे हटने वाली लड़की नही हूँ. मगर सोच लो, कही ऐसा ना हो कि, जब मैं दिखाने लगूँ तो, तुम फिर से भाग खड़े हो."

मैं बोला "मैं भागने वालो मे से नही हूँ. लो मैं तुम्हारे सामने खड़ा हूँ. अब तुम दिखाओ."

प्रिया बोली "नही, अभी नही. अभी थोड़ा इंतजार करो. फिर सब दिखा दुगी."

अभी हम दोनो की, ये देखने दिखाने वाली बात चल ही रही थी. तभी रिया और निक्की आ गयी. उन्हो ने शायद प्रिया की बात सुन ली थी. रिया ने उस से पुछा.

रिया बोली "क्या दिखाने के लिए इंतजार करने को बोल रही है. ज़रा मैं भी तो सुनू."

रिया और निक्की को देख कर प्रिया की जान सूख गयी. उसके चेहरे की मुस्कान कहीं गायब हो गयी थी. उसे लगा कि रिया और निक्की ने उंसकी सारी बात सुन ली है. उसे कुछ सूझ ही नही रहा था कि, वो उनको क्या जबाब दे. लेकिन मैं समझ गया था कि उन लोगों ने सिर्फ़ प्रिया की आख़िरी बात ही सुनी है. तब मैने रिया से कहा.

मैं बोला "कुछ नही. प्रिया पुछ रही थी कि, हमारा घर कैसा लगा. तो मैने कहा कि अभी मैने तुम्हारा घर देखा ही कहाँ है. वो इसी बात को बोल रही थी कि थोड़ा इंतजार करो सब दिखा दूँगी."

मेरी बात सुन कर प्रिया ने राहत की साँस ली. मेरी इस बात से उसे रिया के सवालों का जबाब जो मिल चुका था. उसके चेहरे की खोई हुई मुस्कुराहट, फिर वापस आ गयी थी. इधर मेरी बात सुनने के बाद रिया ने प्रिया से कहा.

रिया बोली "इसमे इंतजार करवाने वाली बात क्या है. अभी ले जाकर सारा घर दिखा दे."

प्रिया बोली "दी अभी मेरा कमरा फैला हुआ है. मैं चाहती हूँ कि पहले मैं अपना कमरा साफ कर लूँ. फिर पुन्नू को सारा घर दिखा दूँगी. इसलिए थोड़ा इंतजार करने को कहा है."

रिया बोली "तेरा कमरा तो कभी सही हो ही सकता. कभी तू किसी चीज़ को सही जगह पर रखती भी है. जो तेरा कमरा सही होगा. तेरे कमरे के सही होने के इंतजार मे तो ये कभी भी घर को नही देख सकेगा."

प्रिया बोली "दी आप चिंता मत करो. कल तक मैं अपना कमरा सही कर लुगी, और कल ही पुन्नू को घर भी दिखा दुगी."

लेकिन रिया ने प्रिया की बात को अनसुना करते हुए, मुझसे कहा.

रिया बोली "तुम्हे घर ही देखना है तो, चलो मैं तुम्हे घर दिखा देती हूँ. तुम इसके चक्कर मे रहे तो, कभी घर नही देख पाओगे."

मैं बोला "नही, अब घर दिखाने की बात मेरी प्रिया से हो चुकी है. इसलिए अब जब प्रिया घर दिखाएगी. तभी मैं घर देखुगा."

रिया बोली "तब तो प्रिया ने तुम्हे घर दिखा दिया और तुमने देख लिया."

अभी रिया कुछ और बात बोल पाती. उस से पहले ही निक्की ने उसे टोकते हुए कहा.

निक्की बोली "तू भी कहाँ प्रिया की बातों के चक्कर मे पड़ गयी है. वो बात कर जिसके लिए यहाँ आई है."

निक्की बात सुनकर जैसे ही रिया को, उसके मेरे पास आने की वजह याद आई. वो मुझसे कहने लगी.

रिया बोली "हाँ मैं इसके चक्कर मे अपनी बात को तो भूल ही गयी थी. मैं तुमसे ये पुच्छने आई थी कि, आज रात का खाना तुम हमारे साथ रेस्टोरेंट मे खाना पसंद करोगे या फिर घर मे ही खाओगे."

मैं बोला "क्या आज कोई खास बात है. जो रेस्टोरेंट मे खाना खाया जा रहा है."

रिया बोली "कोई खास बात नही है. तुम्हारे पापा ने हम लोगों को, रात के खाने के लिए, जिस होटेल मे वो रुके है. वहाँ इन्वाइट किया है. अब दादा जी और मोम तो सोमवार होने की वजह से आज बाहर का कुछ खाएगे नही, और पापा का कोई पक्का नही रहता कि, वो रात को कब तक लौटेगे. इसलिए हम तीनो ही वहाँ जाएगे."

पापा का नाम सुनते ही मेरा मूड खराब हो चुका था. मैने रिया से कहा.

मैं बोला "नही, मैं घर मे ही खाना खाउन्गा. लेकिन पापा होटेल कब चले गये."

रिया बोली "तुम भी अजीब हो. तुम्हारे पापा है और तुम्हे ही नही मालूम कि वो होटेल मे रुके हुए है. वो तो कल दादा जी के कहने पर डिन्नर करने आ गये थे. दादा जी ने उन्हे यहाँ रुकने के लिए बहुत कहा, मगर वो रुकने के लिए तैयार ही नही हुए. कल डिन्नर के बाद वो वापस अपने होटेल चले गये थे."

मैं बोला "मेरी उनसे कल डिन्नर के बाद से मुलाकात ही कहाँ हुई है. जो मुझे उनके बारे मे कुछ मालूम होगा."

रिया बोली "हाँ तुम्हारी ये बात भी सही है. वैसे भी अंकल ने कहा था कि, हम तुम से, साथ आने के लिए ज़बरदस्ती ना करे. क्योंकि अभी तुम्हे रात को हॉस्पिटल मे रुकना पड़ रहा है. ऐसे मे तुम्हे समय पर सब कुछ करना बहुत ज़रूरी है. होटेल आने जाने से तुम्हारा वक्त ही बर्बाद होगा."

मैने अपने मन मे सोचा, समझदार को इशारा काफ़ी होता है. मेरा बाप खुद भी नही चाहता कि, मैं उसके साथ डिन्नर करूँ. लेकिन वो रिया लोगों से इसके लिए, साफ साफ तो मना नही कर सकता. इसलिए उसने ये हॉस्पिटल का बहाना लगा दिया है. नही तो क्या मैं होटेल से डिन्नर कर के, सीधे हॉस्पिटल नही जा सकता था. मैं यही सब सोच रहा था. तभी प्रिया ने मुझे टोक दिया.

प्रिया बोली "तुम अकेले घर मे क्यों रुकना चाहते हो. तुम भी हमारे साथ चलो. मुझे तुमको इस तरह से घर मे छोड़ कर जाना अच्छा नही लग रहा है."

मैं बोला "मैं अकेला कहाँ हूँ. घर मे आंटी और दादा जी तो है. मैं यदि तुम लोगों के साथ चला गया तो, मुझे हॉस्पिटल पहुचने मे देर हो जाएगी. मेहुल सुबह से वहाँ रुका हुआ है. ऐसे मे मुझे समय पर पहुचना भी ज़रूरी है."

प्रिया बोली "हॉस्पिटल तो तुम होटेल से भी जा सकते हो. वैसे भी तुम्हे रात को 10 बजे हॉस्पिटल जाना है. तब तक तो हम लोगों का डिन्नर ख़तम भी हो चुका होगा."

प्रिया का इस तरह से मुझे अपने साथ चलने के लिए कहना, मुझे अच्छा तो लगा. अगर बात सिर्फ़ पापा के ना चाहने की होती तो, मैं उन लोगों के साथ जाने को ज़रूर तैयार हो जाता. लेकिन यहाँ बात पापा की नही थी. यहाँ मेरे उन लोगों के साथ ना जाने की वजह निमी की तबीयत खराब होना थी. जब मैने देखा कि प्रिया साथ चलने की ज़िद किए ही जा रही है. तब मैने उसको समझाते हुए कहा.

मैं बोला "तुम्हरा कहना ठीक है, लेकिन सच बात ये है कि, आज मेरा मूड खाना खाने का ही नही हो रहा है. फिर होटेल मे डिन्नर करने की तो बात ही दूर की है."

अभी मेरी बात पूरी भी नही हुई थी कि, रिया ने मेरी बात काटते हुए कहा.

रिया बोली "क्यों तुम्हारे मूड को क्या हुआ. क्या हम मे से किसी की, कोई बात बुरी लगी है."

मैं बोला "जैसा तुम सोच रही हो. ऐसी कोई बात नही है. असल मे बात ये है कि, आज मेरी छोटी बहन निमी की तबीयत ठीक नही है. ऐसे मे मेरा किसी भी बात मे मन नही लग रहा है. यदि मुझे हॉस्पिटल ना जाना होता तो, शायद आज मैं घर से बाहर ही नही निकलता."

मेरी बात सुनकर निक्की के मन मे ना जाने क्या आया. वो मुझसे पुछ बैठी.

निक्की बोली "जब ऐसी ही बात है तो, फिर आपके पापा ने हम सब को डिन्नर पर क्यों बुलाया है. क्या उन्हे इस बारे मे कुछ नही पता."

अब मैं निक्की को ये बात कैसे बताता कि, मेरे बाप के सीने मे दिल नही है. वो तो एक हवस का पुजारी है. जिसे हर लड़की अपनी हवस पूरा करने का ज़रिया नज़र आती है. जो आदमी अपनी बेटी समान लड़की पर गंदी नियत रखता हो. वो भला अपनी बेटी का सगा कैसे हो सकता है. मेरे मन मे तो ये सब बातें थी. लेकिन मैने अपने मन की भावना को छुपाते हुए निक्की से कहा.

मैं बोला "हो सकता है कि पापा को ये बात किसी ने ना बताई हो. वैसे भी निमी की इतनी ज़्यादा तबीयत खराब नही है. उसे बस थोड़ा मौसमी बुखार आ गया है. लेकिन मुझे उसकी ज़रा सी भी तकलीफ़ सहन नही होती. अभी भी मैं उसी के फोन आने का इंतजार कर रहा हूँ."

रिया बोली "तुम कैसे भाई हो. एक तरफ कहते हो कि, तुम्हे निमी की तकलीफ़ ज़रा भी सहन नही होती. दूसरी तरफ उसको कॉल ना लगा कर, उल्टे उसके कॉल आने का इंतजार कर रहे हो. तुम खुद ही उसे कॉल लगा कर बात क्यों नही कर लेते."

मैं बोला "तुम मेरी बात का मतलब नही समझी. मैं घर पर दो बार कॉल कर चुका हूँ. अभी निमी दवा खाकर सो रही है. अब उसके उठने पर ही मेरी उस से बात हो सकेगी. अब जब तक मेरी उस से बात नही हो जाती. तब तक मेरा किसी बात मे मन नही लगेगा."

मेरी बात सुन कर उन तीनो का भी, डिन्नर के लिए जाने का जोश ठंडा पड़ गया था. उन सब के चेहरे उतर गये थे. मुझे उन सबका इस तरह से चेहरे उतार लेना अच्छा नही लगा. मैने उन लोगों को बहलाने के लिए कहा.

मैं बोला "अब तुम लोग बेकार की सोच मे क्यों पड़ गयी. मेरी तो अमि निमी से जुड़ी, हर छोटी सी बात को भी, बड़ा बना देने की आदत है. तुम लोग बेकार मे परेशान मत हो. अभी उसका फोन आ जाएगा तो, मेरा मूड खुद ही ठीक हो जाएगा. तुम लोग जाकर अपने डिन्नर पर जाने की तैयारी करो."

रिया बोली "ये कोई छोटी बात नही है. उधर निमी की तबीयत खराब है. इधर हम सब पार्टी करे. ये कोई अच्छी बात नही हुई. हम लोग अंकल को मना कर देगे कि, आज हम लोग डिन्नर के लिए नही आ सकते."

रिया की ये बात सुनने के बाद, मैं उन लोगों को बहुत समझाने की कॉसिश करता रहा. लेकिन तीनो मे से किसी ने भी मेरी बात नही मानी. वो भी मेरे साथ निमी का कॉल आने के वेट करने लगी. आख़िर मे 6:45 बजे छोटी माँ के मोबाइल से मेरे पास कॉल आया.

मैं कॉल उठाने को हुआ. तभी रिया बोल पड़ी.

रिया बोली "प्लीज़ यदि तुम्हे बुरा ना लगे तो स्पीकर ऑन कर दो. हम भी निमी की आवाज़ सुनना चाहते है."

मैं बोला "इसमे बुरा मानने की क्या बात है. मैं स्पीकर ऑन कर देता हूँ."

ये कह कर मैने कॉल उठाया और स्पीकर ऑन करते हुए कहा.

मैं बोला "हाँ छोटी माँ, क्या निमी उठ गयी."

दूसरी तरफ से आवाज़ आई "हाँ बेटा वो उठ गयी है. लेकिन वो तुमसे नाराज़ है. वो तुमसे बात नही करेगी."

ये आवाज़ छोटी माँ की नही बल्कि खुद निमी की थी. उसकी आवाज़ सुनते ही रिया सहित सभी समझ गये कि ये निमी है. उसकी बात सुनते ही सबके चेहरे पर हँसी आ गयी थी. मैने उस से कहा.

मैं बोला "क्या हुआ. मेरी निम्मो किस बात पर इतनी नाराज़ है कि, अपने भैया से बात ही नही करना चाहती."

निमी बोली "मेरी इतनी तबीयत खराब थी और आपने दिन मे फोन ही नही उठाया. जाओ मैं आपसे बात नही करती."

मैं बोला "सॉरी बाबा. मुझसे ग़लती हो गयी. देख मैं अपने कान पकड़ कर सॉरी बोल रहा हूँ. अब तो मुझे माफ़ कर दे."

निमी बोली "नही पहले ये बताइए आपने दिन मे फोन क्यों नही उठाया. तब मैं माफ़ करूगी."

मैं बोला "मैं हॉस्पिटल से आने के बाद सो गया था. कल मेरी नींद पूरी नही हो पाई थी. इसलिए मुझे इतनी गहरी नींद आई कि, मुझे पता ही नही चला कि, तेरा फोन आ रहा है. लेकिन अब दोबारा ऐसा नही होगा. मैं कितनी ही गहरी नींद मे क्यों ना रहूं, पर तू जब भी कॉल लगाएगी. मैं ज़रूर उठाउंगा."

निमी बोली "मैं आपको माफ़ कर दूँगी. लेकिन मेरी दो शर्त है."

मैं बोला "मुझे तेरी हर शर्त मंजूर है. तू बता तेरी क्या शर्त है."

निमी बोली "पहली शर्त है कि आप मुझे एक मोबाइल दिलाओगे."

मैं बोला "अभी तू बहुत छोटी है. अभी तो अमि की उमर नही मोबाइल रखने की फिर तू मोबाइल रख कर क्या करेगी. नही, मैं तुझे मोबाइल नही दिला सकता. नही तो अमि भी बोलेगी कि उसे भी मोबाइल चाहिए. तू कुछ और चीज़ बोल. मैं तुझे दिला दूँगा."

निमी बोली "नही, मुझे मोबाइल के सिवा कुछ नही चाहिए. आपने कहा है कि, आप मेरी हर शर्त मनोगे."

मैं बोला "तू अभी छोटी है. तू मोबाइल का क्या करेगी."

निमी बोली "आज कल मोबाइल मे बहुत सारे गेम आते है. मैं गेम खेलूगी."

मैं बोला "तुझे गेम ही खेलना है तो, मैं तुझे वीडियो गेम दिला देता हूँ. उसमे मोबाइल से भी ज़्यादा गेम होते हैं . मोबाइल मे तो बहुत कम गेम होते हैं

निमी बोली –ठीक है भैया .

मैं बोला – अब ये बता तेरी तबीयत कैसी है बेटा .

फिर निमी ने बताया कि वो अब बिल्कुल ठीक है . फिर कुछ देर और बात करके मैने निमी को आराम करने का बोल कर फोन बंद कर दिया . मेरी और निमी की बातें सुनकर रिया और निक्की मुस्कुरा रही थी . फिर वो तीनो तैयार होने के लिए चली गई

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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:24 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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