RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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लेकिन मुझसे भी ज़्यादा इस गूँज से वो लड़का हड़बड़ा गया था. इस गूँज के साथ ही, उसके हाथ मेरी कॉलर से हट कर, अपने गालों पर चले गये. वो हैरानी से कभी बरखा तो, कभी प्रिया की तरफ देखने लगा.
तभी कही से नेहा वहाँ भागती हुई आ गयी. वो शायद दूर से ये सब नज़ारा देख चुकी थी. इसलिए उसने आते ही, उस लड़के के कंधे पर हाथ रख कर, बरखा और प्रिया पर भड़कते हुए कहा.
नेहा बोली “ये क्या बदतमीज़ी है. तुम लोगों ने हीतू को किस बात के लिए मारा है”
नेहा की इस बात के जबाब मे, बरखा ने उसके गुस्से की परवाह किए बिना, उल्टे उसको ही चेतावनी देते हुए कहा.
बरखा बोली “बदतमीज़ी तो तेरे इस हीतू ने की है. जिसने बिना कुछ सोचे समझे मेरे भाई के गिरेबान पर हाथ डाल दिया. समझा इसको कि पुनीत मेरा भाई है और मैं इसके साथ, किसी की कोई बदतमीज़ी सहन नही करूगी. फिर चाहे वो बदतमीज़ी करने वाला तेरा हीतू ही क्यो ना हो.”
बरखा के इस तमाचे और इस बात ने मेरे दिल पर बहुत गहरा असर किया था. मैं अभी तक बरखा को शिखा के रिश्ते से दीदी कहता था. मगर मुझे ये कभी महसूस नही हुआ था कि, वो भी शिखा की तरह मुझे अपना भाई मानती है.
लेकिन आज उसके इस गुस्से ने मुझे, उसके लिए मेरी अहमियत और उसके प्यार का अहसास करा दिया. मैं बड़े गौर से बरखा के इस रूप को देख रहा था. वही वो नेहा और हीतू को मेरे गिरेबान पर हाथ डालने के लिए फटकारते जा रही थी.
बरखा के साथ नेहा को देख कर, अब तक मेरी समझ मे सारा मामला आ चुका था. क्योकि प्रिया मुझे नेहा और उसके बाय्फ्रेंड से मिलने की बात पहले भी एक बार बता चुकी थी. बस मैं ये नही जानता था कि, प्रिया अभी मुझे नेहा से ही मिलाने ले जा रही है और शायद बरखा भी इस बात से अंजान थी कि, वहाँ प्रिया आने वाली है.वरना उसने पहले ही नेहा को बता दिया होता कि, प्रिया उसके घर मे है.
ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था. मैने घर मे बरखा की ये बात तो सुनी थी कि, वो नेहा के साथ बाजार जा रही है. मगर यहाँ अचानक से बरखा को किसी लड़के के साथ देख कर, मैं खुद को रोक ना सका और उसके पास चला गया. जिसका ख़ामियाजा मुझे तो नही, मगर उस बेचारे हीतू को अपने गाल पर तमाचा खा कर भुगतना पड़ गया था.
नेहा मुझे बरखा के घर मे देख चुकी थी और वो ये भी जानती थी कि, शिखा मुझे अपना भाई मानती है. इसलिए बरखा की बात के बाद उसने बरखा से तो कुछ नही कहा. लेकिन अपना सारा गुस्सा प्रिया पर उतारते हुए कहा.
नेहा बोली “बरखा का हीतू पर हाथ उठाना तो मैं समझ सकती हूँ और मैं इसे ग़लत भी नही मानती. लेकिन तूने क्यो हीतू पर हाथ उठाया. क्या पुनीत तुम्हारा भी भाई लगता है.”
नेहा की इस बात को सुनकर, प्रिया ने मुस्कुरा कर, उसकी तरफ देखा और फिर मेरा हाथ पकड़ कर, नेहा की बात का जबाब देते हुए कहा.
प्रिया बोली “भाई ये तेरा लगता होगा. मेरी तो ये जान है. आज मैं इसे ही तुझसे मिलाने लाई थी.”
प्रिया की बात सुनकर, नेहा ने एक बार मेरी तरफ देखा. फिर ठहाके मारकर हँसने लगी और प्रिया का मज़ाक उड़ाते हुए कहा.
नेहा बोली “हाहहाहा, पुनीत को तो मैं अच्छे से जानती हूँ. इसके बारे मे शिखा दीदी मुझे, परसो ही बता चुकी थी. ये अज्जि भैया का दोस्त है और यहाँ अपने अंकल का इलाज करवाने आया है. तुझे अपना झूठा बाय्फ्रेंड बनाने के लिए क्या कोई और लड़का नही मिला था. जो मुझे जलाने के लिए इस अपना झूठा बाय्फ्रेंड बनाकर यहाँ ले आई.”
नेहा के मूह से, मेरे बारे मे इतनी सब बातें सुनकर, प्रिया के चेहरे की हँसी गायब हो गयी और वो हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी. शायद वो मुझसे ये जानना चाहती थी कि, नेहा ये सब क्या बोल रही है.
मगर मुझे तो खुद ही नही पता था कि, शिखा और नेहा के बीच मुझे लेकर क्या बातें हुई है. इसलिए मुझसे प्रिया से कुछ भी कहते नही बन रहा था. उधर नेहा ने फिर से प्रिया का मज़ाक उड़ाते हुए कहा.
नेहा बोली “वैसे तेरी पसंद की दाद देना पड़ेगी. तूने मुझे नीचा दिखाने के लिए अछा लड़का चुना था. मगर अफ़सोस की तेरा ये झुत पकड़ा गया.”
नेहा की बाते सुनकर, प्रिया शर्मिंदा होने के सिवा कुछ ना कर सकी. उसका झूठ पकड़ा गया था. जिस वजह से उसका चेहरा शरम से झुक गया था. मैं चाह कर भी प्रिया के लिए कुछ नही कर पा रहा था. ऐसे मे बरखा ने इन सब का ध्यान अपनी तरफ खिचते हुए कहा.
बरखा बोली “प्रिया ये सब क्या है. क्या नेहा सच कह रही है. क्या तुमने अभी जो कुछ भी कहा, वो झूठ है.”
बरखा के इस सवाल को सुनकर, प्रिया और भी ज़्यादा परेशान हो गयी. वो सर झुकाए रखने के सिवा कुछ नही कर पा रही थी. मुझे प्रिया की इस हालत पर तरस आ रहा था. इसलिए मैने बरखा को चुप करने के लिए उसकी तरफ देखा. मगर बरखा ने अपने सवाल का रुख़ प्रिया की तरफ से मोड़ कर, मेरी तरफ करते हुए कहा.
बरखा बोली “पुनीत तुम ही कुछ बोलो. क्या प्रिया ने अभी जो कुछ कहा है, वो सब झूठ है.”
बरखा के बार बार एक ही सवाल करने से अब मुझे उस पर गुस्सा आ रहा था. मैं अभी इसी गुस्से मे बरखा को कुछ बोलने ही जा रहा था कि, तभी बरखा ने फिर से मुझसे सवाल करते हुए कहा.
बरखा बोली “देखो पुनीत, यदि प्रिया तुम्हारी गर्लफ्रेंड है तो, तुमको उसकी तरफ़दारी लेना चाहिए. तुम यदि सच मे उसके बाय्फ्रेंड हो तो, फिर कुछ बोलते क्यो नही. आख़िर ये उसकी इज़्ज़त का सवाल है.”
बरखा की ये बात सुनकर, मेरे दिमाग़ मे एक बिजली सी चमक गयी. मुझे अब समझ मे आ गया कि, बरखा एक ही बात पर बार बार ज़ोर क्यों दे रही है. असल मे वो चाहती थी कि, मैं प्रिया की तरफ़दारी करूँ और नेहा को ग़लत साबित कर दूं.
ये बात मेरी समझ मे आते ही, मेरा दिमाग़ तेज़ी से चलने लगा और एक पल मे ही मेरे दिमाग़ ने नेहा की हर बात का जबाब भी ढूँढ लिया. मैने बरखा की बात का जबाब देते हुए उस से कहा.
मैं बोला “दीदी, जब मुझे और प्रिया को कुछ पता हो, तभी तो हम नेहा की इस बात का कोई जबाब दें ना. हमे तो पता ही नही है कि, शिखा दीदी से नेहा की क्या बात हुई है. अब यदि शिखा दीदी ने नेहा से यदि ये कहा कि, मैं अज्जि का दोस्त हूँ तो, इसमे ये बात कहाँ से आ गयी कि, मैं प्रिया का बाय्फ्रेंड नही हूँ. बस इसी बात को सोच कर हम दोनो चुप है.”
“क्योकि शिखा दीदी और अज्जि दोनो ही, प्रिया के बार मे सब कुछ जानते है. तभी तो शिखा दीदी ने अंकल के पास से अपनी ड्यूटी प्रिया के पास करवाई थी. मैं शिखा दीदी का भाई हूँ, इसी वजह से तो, प्रिया अपनी सहेली निक्की के भाई की शादी को छोड़ कर, आपके घर मे है.”
“इस सब के बाद भी यदि नेहा को लगता है कि, मैं प्रिया का झूठा बाय्फ्रेंड हूँ तो, अब नेहा ही प्रिया के हाथ को देख कर बताए कि, प्रिया के हाथ मे इस “पी” के लिखे होने का मतलब वो क्या निकालेगी.”
ये कहते हुए, मैने प्रिया का वो हाथ पकड़ कर नेहा के सामने कर दिया, जिसमे उसने हथेली पर ब्लेड से बड़ा सा “पी” बनाया हुआ था. वो “पी” देख कर तो नेहा के साथ साथ बरखा और हीतू की आँखे फटी की फटी रह गयी.
वहीं प्रिया भी हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी. क्योकि अभी तक उसको भी पता नही था कि, मुझे उसकी हथेली पर लिखे इस “पी” के बारे मे पता है. मैं गौर से सबका चेहरा देख रहा था और अब मुझे लगने लगा था कि, नेहा को भी इस बात पर यकीन आने लगा है. इसलिए मैने अपनी बात को आगे चालू रखते हुए कहा.
मैं बोला “यदि अब भी नेहा को इस बात पर शक़ है कि, मैं प्रिया का बाय्फ्रेंड नही हूँ तो, मैं इन नेहा का ध्यान इस बात की तरफ दिलाना चाहता हूँ कि, बरखा दीदी ने तो, हीतू को इसलिए तमाचा मारा था, क्योकि उसने उनके भाई का गिरेबान पकड़ा था. लेकिन मैं यदि प्रिया का झूठा बाय्फ्रेंड था तो, फिर प्रिया को हीतू को तमाचा मारने की क्या ज़रूरत थी.”
मेरी इन बातों से जहा प्रिया के चेहरे की चमक वापस लौट आई थी. वही इस बात ने नेहा को भी सोचने पर मजबूर कर दिया था. प्रिया के चेहरे की चमक को देख कर, बरखा ने अब नेहा को लताड़ते हुए कहा.
बरखा बोली “अब तेरा मूह क्यो बंद है. तेरा शक दूर हुआ या तुझे अब भी इन दोनो से कुछ पुच्छना है. अरे अपना पहाड़ जैसा मूह खोलने के पहले, एक बार मुझसे तो पुच्छ लेती कि, प्रिया पुनीत की गर्लफ्रेंड है या नही. वो मेरा भाई है, क्या मुझे उसके बारे मे इतना भी पता नही होगा.”
बरखा की ये बात सुनकर, नेहा की बोलती ही बंद हो गयी थी और अब प्रिया की जगह, उसका सर शरम से झुक गया था. वही हीतू ने मुस्कुरा कर, अपने गाल को सहलाते हुए बरखा से कहा.
हीतू बोला “नेहा को यकीन हो या ना हो. मुझे तो प्रिया की इस हरकत से पूरा यकीन हो गया है कि, पुनीत ही प्रिया का बाय्फ्रेंड है. मैं अपनी ग़लती के लिए तुम सब से माफी माँगता हूँ. अच्छा हुआ कि, पुनीत की दो ही चाहने वाली यहाँ थी. यदि एक दो और होती तो पता नही आज मेरा क्या हाल होता.”
हीतू की ये बात सुनकर, हम सबको हँसी आ गयी. इसके बाद हीतू ने मुझे अपना परिचय दिया. हीतू उसके प्यार का नाम था. उसका असली नाम हितेश था. उसके साथ थोड़ी देर की बात चीत से ही समझ मे आ गया था कि, वो बहुत मिलन-सार, हस्मुख और दिल का साफ लड़का है.
उसने किसी भी बात को अपने दिल से नही लगाया था और मेरे साथ भी बड़े प्यार से बात कर रहा था. आपस मे परिचय होने के बाद, हम सब वही एक कॉफी हाउस मे कॉफी पीने चले गये.
कॉफी पीने के बाद, मैने बरखा को बताया कि, हम प्रिया के घर जा रहे है. मैं प्रिया के घर से शाम को शिखा दीदी के पास आउगा. इसके बाद मैं प्रिया के साथ उसके घर वापस आ गया.
घर आकर प्रिया सीधे पद्मिमनी आंटी से जाकर लिपट गयी. पद्मि नी आंटी प्रिया को इतना खुश देख कर हैरान रह गयी. लेकिन मैं प्रिया की इस खुशी को समझ सकता था. प्रिया को खुश देख कर मुझे भी बहुत सुकून मिल रहा था.
थोड़ी देर आंटी से बात करने के बाद मैं अपने कमरे मे आ गया. क्योकि अब दोपहर के 2 बज चुके थे और अब किसी भी समय कीर्ति का कॉल आ सकता था. मुझे अपने कमरे मे आए अभी थोड़ी ही देर हुई थी कि, कीर्ति का कॉल आने लगा.
कीर्ति का कॉल देखते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैने खुशी खुशी उसका कॉल उठाते हुए कहा.
मैं बोला “तो मेडम को मुझसे बात करने का समय मिल ही गया.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति खिलखिलाने लगी. वो समझ गयी थी कि, मैं सुबह मुझसे बात ना करने की वजह से ऐसा बोल रहा हूँ. इसलिए उसने अपनी सफाई देते हुए कहा.
कीर्ति बोली “सॉरी जान, तुम कल बहुत थक गये थे और हम रात को देर तक बात भी करते रहे थे. इसलिए मैने सोचा कि आज तुमको आराम कर लेने दिया जाए. क्योकि आज तुमको हॉस्पिटल भी नही जाना था.”
मैं बोला “बड़ी आई मुझे आराम करने देने वाली. तुझे पता भी है कि, तेरी नितिका को प्रिया की तबीयत के बारे मे बताने से यहाँ कितना बड़ा हंगामा मच गया था.”
मैं तो ये बात कीर्ति को बताना चाहता था. लेकिन उसे ये बात पहले से ही पता थी. इसलिए उसने इस बात के लिए भी मुझसे माफी माँगते हुए कहा.
कीर्ति बोली “जान इस बात के लिए भी सॉरी. मुझे अभी अभी नितिका से पता चला कि, वहाँ क्या कुछ हो गया. ये तो मैं भी नही जानती थी कि, आंटी वहाँ पहुच कर इतना बड़ा हंगामा खड़ा कर देगी. लेकिन तुमको इतना ज़्यादा गुस्सा नही दिखाना चाहिए था.”
मैं बोला “तू बिल्कुल सही बोल रही है. मैने सच मे बहुत बड़ी ग़लती कर दी. मेरी जगह यदि तू होती और आंटी ने मुझे ये सब बोला होता तो, तू बड़े प्यार से सब सुन लेती.”
मेरी इस बात का मतलब समझ मे आते ही कीर्ति खिलखिला कर हँसने लगी और जल्दी से इस बात को बदलते हुए कहा.
कीर्ति बोली “जान ये सब बातें छोड़ो और ये बताओ, मौसी से शादी के बारे मे क्या बात हुई.”
मैं बोला “छोटी माँ को मैने सब कुछ बता दिया है. अब वो शादी मे देने वाला गिफ्ट सोच कर मुझे बता देगी.”
कीर्ति बोली “जान, मैने गिफ्ट सोच लिया है और मौसी को बता भी दिया है. अब देखो मौसी वो गिफ्ट देने के लिए तैयार भी है या नही.”
मैं बोला “तूने क्या गिफ्ट सोचा है.”
कीर्ति बोली “मैं अभी नही बताओगी. पहले मौसी को गिफ्ट देने के लिए तैयार हो जाने दो. उसके बाद बताउन्गी.”
मैने कीर्ति से गिफ्ट का पुच्छने की बहुत कोसिस की, मगर वो छोटी माँ के तैयार होने के पहले कुछ भी बताने को तैयार नही थी. मैने भी इस बात पर ज़्यादा बहस करना ठीक नही समझा और उस से कहा.
मैं बोला “ठीक है, तुझे जब ये बात बताना हो, तू बता देना. मगर अभी इतना तो बता दे कि, तू इस शादी मे आना चाहती या नही. क्योकि हमारे यहाँ से किसी के शादी मे शामिल ना होने की बात, शिखा दीदी को अच्छी नही लग रही है.”
कीर्ति बोली “शिखा दीदी का ऐसा सोचना भी सही है. लेकिन मौसी का कहना भी ग़लत नही है. वो चाह कर भी इस शादी मे शामिल नही हो सकती. रही मेरे आने की बात तो, अभी मेरी तबीयत कुछ ठीक सी नही है. इसलिए मैं सफ़र नही कर सकती.”
कीर्ति की तबीयत सही ना होने की बात सुनकर, मैने चिंता जाहिर करते हुए कहा.
मैं बोला “तेरी तबीयत को क्या हुआ. तूने डॉक्टर को दिखाया या नही.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने हंसते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अरे बुद्धू, मेरी तबीयत को कुछ नही हुआ. बस वो लड़कियों वाली परेशानी है. जो लड़कियों को हर महीने होती है.”
मैं कीर्ति की बात का मतलब समझ गया था कि, अभी उसके पीरियड्स चल रहे है. मुझे इस वजह से उसके आने मे कोई परेशानी नज़र नही आई. इसलिए मैने उस से, आने पर ज़ोर देते हुए कहा.
मैं बोला “तो इसमे कौन सी बड़ी बात हो गयी. क्या लड़कियाँ ऐसे मे कहीं आती जाती नही है. तुझे नही आना तो साफ मना कर दे. इसमे बहाने बनाने की ज़रूरत क्या है.”
कीर्ति बोली “तुमको तो हर बात खुल कर बताना पड़ती है. तुमको मालूम है कि, मेरे पेट मे पहले से ही परेशानी है और ऐसे समय मे मेरे पेट का दर्द कुछ ज़्यादा ही बढ़ जाता है. जिस वजह से मुझसे सही से चला भी नही जाता. अब यदि इसके बाद भी तुम चाहते हो कि, मैं वहाँ आ जाउ, तो चलो मैं वहाँ आ जाती हूँ. अब खुश ना.”
कीर्ति की इस बात ने मुझे सोच मे डाल दिया था. क्योकि उसका लिवर कमजोर था. ऐसे मे उसको सच मे इस समय परेशानी का सामना कर पड़ रहा होगा. बस यही बात सोचते हुए मैने उस से कहा.
मैं बोला “चल रहने दे. यदि तेरी तबीयत ठीक नही है तो, तुझे यहाँ आने की कोई ज़रूरत नही है. मैं तो सिर्फ़ इसलिए बोल रहा था, क्योकि इसी बहाने मैं तुझे देख भी लेता.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुस्कुरा कर मुझे समझाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अरे तो इसमे इतना दिल छोटा करने वाली क्या बात है. अब तुम्हारे वापस आने के बस 3 दिन ही तो बचे है और ये 3 दिन तो ऐसे ही चुटकी मे निकल जाएगे. उसके बाद तुम्हारा, जितना दिल करे, मुझे देखते रहना.”
कीर्ति की इस बात के बाद, मुझे उस से इस बारे मे कोई बहस करना सही नही लगा. क्योकि ये तो मैं भी जानता था कि, जितना मुस्किल मेरे लिए उसके बिना रह पाना हो रहा था. उतना ही मुस्किल उसके लिए भी मेरे बिना रह पाना हो रहा होगा.
लेकिन इस समय मुझे इन सब बातों से ज़्यादा, उसकी तबीयत की फिकर सताने लगी थी. ना जाने क्यो उसकी बात सुनकर, मेरा दिल घबरा सा रहा था. इसलिए मैने इस बात को यही ख़तम करते हुए उस से कहा.
मैं बोला “चल ठीक है, ये 3 दिन भी गुजर ही जाएगे. लेकिन तुझे ऐसे मे अभी स्कूल जाने की बिल्कुल ज़रूरत नही है. तू अभी घर पर रह कर ही आराम करना और अपनी तबीयत का पूरा ख़याल रखना. यदि कोई भी तकलीफ़ हो तो, फ़ौरन छोटी माँ को बताना और कुछ भी छुपाने की कोसिस मत करना. यदि तूने इसमे ज़रा सी भी लापरवाही की तो, मुझसे बुरा कोई नही होगा.”
कीर्ति बड़े गौर से मेरी ये सब बातें सुन रही थी. मैं जब अपनी बातें कह कर चुप हुआ तो, उसने मुझे छेड़ते हुए कहा.
कीर्ति बोली “हाए मैं मर जावा. तुम मेरा कितना ख़याल रखते हो. यदि ये बात मौसी सुनेगी कि, उनका लल्ला, उनसे ज़्यादा मेरा ख़याल रखता है तो, वो मुझसे जलने लगेगी.”
कीर्ति की इस बात पर मैने चिड-चिड़ाते हुए उसे गुस्से मे बकना सुरू कर दिया. मगर कीर्ति का मुझे परेशान करना नही रुका. वो बहुत देर तक मुझे इन सब बातों मे उलझाए रही. इसके बाद हम थोड़ी देर यहाँ वहाँ की बात करते रहे. फिर 3:30 बजे के बाद, उसने रात मे बात करने की बात कह कर कॉल रख दिया.
मैं कीर्ति की तबीयत के बारे मे छोटी माँ से बात करना चाहता था. लेकिन कीर्ति ने ये कह कर रोक दिया था कि, उसकी तबीयत की चिंता करने की ज़रूरत नही है और यदि मैने इस बारे मे छोटी माँ से बात की तो, वो हमारे बारे मे क्या सोचेगी.
कीर्ति की इस बात की वजह से, मैं छोटी माँ से, उसकी तबीयत की बात नही कर सकता था. लेकिन अब मुझे उसकी तबीयत की चिंता सता रही थी और मैं इसी सोच मे खोया हुआ था कि, तभी किसी ने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटा दिया.
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