RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मेरे सामने मेहुल, नितिका और हीतू खड़े थे और तीनो के हाथ मे एक एक बॅग था. लेकिन जिसकी ये आवाज़ थी, उस पर नज़र पड़ते ही मैं अपनी पलकें झपकाना तक भूल गया था और इस रहस्य मे खो सा गया था.
तभी किसी ने मेरे बगल से मुझे कोहिनी मारी और मैं पलट कर उसकी तरफ देखने लगा. ये मेरी बगल से मुझे कोहिनी मारने वाली सीरू दीदी थी. उनके पास ही सेलू और आरू भी खड़ी थी. लेकिन उनका ध्यान हम पर ना होकर सामने की तरफ था. सीरू दीदी ने मुझे अपनी तरफ देखते पाया तो, मुझसे कहा.
सीरत बोली “ये लड़की कौन है और ये तुम्हारे बारे मे इतना कैसे जानती है.”
सीरू दीदी की इस बात पर मैने बुरा सा मूह बना कर, उसकी तरफ देखते हुए कहा.
मैं बोला “लड़की और वो.?”
वो मेरे इस जबाब को सुनकर, अचंभित सी मुझे देखती रह गयी. लेकिन तब तक मैं उनके पास से आगे की तरफ बढ़ चुका था. ये आवाज़ जिसने एक पल मे ही सबको हिला कर रख दिया था, वो किसी ओर की नही बल्कि छोटी माँ की थी.
छोटी माँ का इस समय मेरे सामने होना, मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नही था. मैने उनके पास पहुचते ही, उनके पैर छुये तो, उन ने मेरे माथे को चमा और मुझे अपने गले से लगा लिया.
उनके गले लगते ही, मुझे ऐसा लगा, जैसे बरसो से प्यासी मेरे दिल की ज़मीन पर कोई सावन बरस गया हो और फिर वो सावन मेरी आँखों से भी बहने लगा. छोटी माँ ने मेरी आँखों को सॉफ किया और फिर मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “चल अब लाड करना बहुत हो गया. क्या मुझे अपनी बहन से नही मिलाएगा.”
छोटी माँ की बात सुनते ही, मैं उन्हे शिखा दीदी के पास ले आया और उन्हे शिखा दीदी से मिलाते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, आपको मेरी मोम से मिलना था ना. तो ये लीजिए, मेरी मोम खुद आपसे मिलने यहाँ आ गयी.”
मेरी ये बात सुनते ही वहाँ सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. शिखा दीदी और छोटी माँ की उमर मे मुश्किल से 4-5 साल का फरक था. लेकिन जैसे ही शिखा दीदी ने मेरे मूह से ये बात सुनी, वो फ़ौरन ही झुक कर छोटी माँ के पैर छुने की कोसिस करने लगी. मगर छोटी माँ ने उन्हे रोकते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “अरे तुम ये क्या कर रही हो. मैं पुन्नू की माँ ज़रूर हूँ. लेकिन तुमसे उमर मे इतनी बड़ी तो नही हूँ कि, तुम्हे मेरे पैर छुना पड़े.”
लेकिन शिखा दीदी ने उनकी बात नही सुनी और उनके पैर छुते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “आप भले ही मुझसे उमर मे ज़्यादा बड़ी नही है. लेकिन पुनीत भैया के रिश्ते से तो मैं भी आपकी बेटी ही लगी ना, इसलिए आप रिश्ते मे मुझसे बहुत बड़ी है और आपके पैर छुना, मेरा फ़र्ज़ बनता है.”
शिखा दीदी की ये बात सुनते ही छोटी माँ ने उन्हे अपने गले से लगा लिया. फिर शिखा दीदी सबसे छोटी माँ का परिचय करवाने लगी. छोटी माँ सब से हंस कर मिलती रही.
लेकिन जैसे ही शिखा दीदी ने छोटी माँ को प्रिया से मिलवाया. छोटी माँ उसे देखती ही रह गयी और फिर प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “तो तुम हो वो प्रिया, जिसने मुझसे फोन पर बात की थी.”
प्रिया बोली “जी आंटी, मैं ही वो प्रिया हूँ. लेकिन आंटी, आप तो यहाँ आने वाली नही थी. आपने यहाँ इस तरह अचानक आकर हम सबको हैरान कर दिया.”
प्रिया की इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “जो मज़ा अचानक आने मे है. वो मज़ा बताकर आने मे कहाँ है. मेरी तरफ से मेरे बेटे के लिए ये भी शादी का एक गिफ्ट ही है.”
छोटी माँ की इस बात ने सबके चेहरे की रौनक को बढ़ा दिया था. शिखा दीदी ने उनसे घर के अंदर चलने को कहा तो, उन्हो ने कहा.
छोटी माँ बोली “जब यहाँ तक आई हूँ तो, घर के अंदर भी चलूगी. लेकिन पहले तुम अपने चाचा जी से तो बात कर लो.”
चाचा का नाम सुनते ही शिखा दीदी के तेवर फिर से बदल गये. उन्हो ने अपने चाचा की तरफ गुस्से से देखते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “ये कौन है, मैं जानती ही नही हूँ तो, फिर ये मेरे चाचा कैसे हो गये.”
बलदेव जो अभी भी वहाँ खड़ा सब कुछ खामोशी से देख रहा था. उसने जब अपना जिकर होते ही, फिर से शिखा दीदी को गुस्सा होते देखा तो, उसने आंटी से कहा.
बलदेव बोला “भाभी, शिखा बेटी तो, मेरी कोई बात सुनने को तैयार ही नही है. आप ही इसे कुछ समझाइये. आख़िर इस से मेरा खून का रिश्ता है.”
बलदेव की इस बात को सुनकर, ना जाने आंटी ने क्या महसूस किया कि, उनकी आँखों मे आँसू आ गये और उन्हो ने बलदेव से कहा.
आंटी बोली “आप किस खून के रिश्ते की बात कर रहे है. कहाँ था ये खून का रिश्ता, जब मेरे बेटे ने ज़रा से खून के लिए तड़प्ते हुए हॉस्पिटल मे दम तोड़ दिया था. कहा था ये खून का रिश्ता, जब मेरे बच्चों के सर से उनके पिता का साया उठा था. मेरे पति के साथ धोखा करके, पुरखों की सारी जयदाद और कारोबार हड़प करती समय आपको ये खून का रिश्ता याद नही आया था.”
“मेरे लिए खून के रिश्ते से बढ़ कर, दिल के रिश्ते है. यदि मेरे पति के बाद, मेरे मूह बोले भाई ने मुझे सहारा ना दिया होता तो पता नही मैं और मेरे बच्चे आज किस हाल मे होते.”
ये कह कर आंटी यहाँ वहाँ देखने लगी. शायद वो दुर्जन को देख रही थी. लेकिन दुर्जन पता नही अचानक कहाँ गायब हो गया था. उसे वहाँ ना पाकर आंटी ने नेहा से कहा.
आंटी बोली “नेहा बेटी, जा और जाकर अपने पापा को बुला कर ला. अब वो ही इनसे बात करेगे और इनको खून के रिश्ते के बारे मे समझाएगे. मुझे इनसे अब कोई बात नही करनी.”
आंटी की बात सुनकर नेहा वहाँ से जाने को हुई. लेकिन छोटी माँ ने नेहा का हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए, आंटी से कहा.
छोटी माँ बोली “घर मे खुशी का मौका है. ऐसे मे गुस्से से काम नही लेते. फिर मेहमान तो भगवान का रूप होते है और ये तो आपके रिश्तेदार भी है. इन्हे अपनी बात रखने का एक मौका तो मिलना ही चाहिए.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, आंटी शांत पड़ गयी. ये देख कर बलदेव के चेहरे पर चमक आ गयी. छोटी माँ ने बलदेव के पास आते हुए उस से कहा.
छोटी माँ बोली “जी भाई साहब, कहिए, आप क्या कहना चाहते है.”
बलदेव बोला “देखिए बहन जी, ये माना कि शिखा की शादी बहुत बड़े घर मे हो रही है. मगर ये कहाँ की शराफ़त है कि, बेटी को विदा किया जाए और उसकी शादी मे एक धेला भी खर्च ना किया जाए. लड़के वालो का थूक, उनको ही चुपड दिया जाए. ये शादी करना नही, बल्कि एक तरह से अपनी लड़की को बेचना हुआ.”
बलदेव की ये बात सुनकर, मेरे लिए अपना गुस्सा रोक पाना मुश्किल हो गया था. ऐसा ही कुछ बरखा और आरू के साथ भी हुआ था. इसलिए हम तीनो ही बलदेव की बात सुनकर, उसकी तरफ बढ़ने को हुए. मगर तभी सीरू दीदी ने हम तीनो को रोकते हुए कहा.
सीरत बोली “तुम लोगों को उसकी बात पर बहुत गुस्सा आ रहा है ना. मुझे भी तुम लोगों की तरह उसकी बात पर गुस्सा आ रहा है. लेकिन तुम लोग ज़रा आंटी को समझने की कोसिस करो. वो शादी के माहौल को खराब होने से बचाना चाहती है. इसलिए इस मामले को प्यार से निपटा रही है. अब तुम लोग चुप चाप यही खड़े रहो और उनको उनका काम करने दो.”
सीरू दीदी की ये बात हम ही नही, आंटी और शिखा दीदी ने भी सुनी थी. इसलिए अब सब का ध्यान सिर्फ़ छोटी माँ की ही तरफ था. उधर छोटी माँ ने बलदेव की बात को सुना तो, उसकी हां मे हां मिलाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “भाई साहब, बात तो आपकी सही है. लेकिन ये बात तो आप भी अच्छी तरह से जानते है कि, इस घर मे कमाने वाली सिर्फ़ शिखा ही है. अब यदि वो सारी जमा पूंजी अपनी शादी मे ही खर्च कर देगी तो, उसकी माँ और बहन का क्या होगा.”
बलदेव बोला “बहन जी, हमारे पास भगवान का दिया हुआ, सब कुछ है. बस एक बेटी की कमी ही है. हम शिखा को अपनी बेटी बना कर विदा करना चाहते है. शिखा बेटी की शादी का सारा खर्च मैं उठाने के लिए तैयार हूँ.”
छोटी माँ बोली “ये तो बहुत अच्छी बात है. यहाँ दूल्हे की बहनें भी आई है. हम उनसे भी कुछ बात कर लेते है.”
ये कहते हुए छोटी माँ ने हम लोगों की तरफ देखा तो, आरू उनके पास जाने को हुई. लेकिन सीरू दीदी ने उसे पकड़ कर पिछे किया और खुद आगे बढ़ गयी. ये देख कर आरू कुछ गुस्सा सी हो गयी. उसे गुस्से मे देख, निक्की ने कहा.
निक्की बोली “नाराज़ मत हो. हम लोगों को आंटी की बात समझ मे नही आ रही है. लेकिन शायद सीरू दीदी समझ रही है कि, आंटी क्या करना चाहती है. इसलिए वो तुमको रोक कर खुद उनके पास गयी है.”
नीक्की की बात सुनकर, आरू का गुस्सा सांत हो गया. उधर सीरू दीदी ने छोटी माँ के पास पहुच कर कहा.
सीरत बोली “जी आंटी.”
छोटी माँ बोली “इनकी बात तो तुमने सुन ही ली है. अब तुम ये बताओ कि, तुम्हारे भैया की शादी मे कितना खर्च हो रहा है.”
सीरत बोली “आंटी, दोनो शादी बहुत ही जल्दी मे हो रही है. इसलिए शादी मे ज़्यादा नही, सिर्फ़ 4-5 करोड़ ही खर्च हो रहा है.”
सीरू दीदी ने 4-5 करोड़ तो ऐसे बोल दिया था, जैसे कि 4-5 लाख बोल रही हो. उनकी इस बात को सुनकर, बलदेव कुछ सोच मे पड़ गया. मगर छोटी माँ ने उसकी इस बात की परवाह किए बिना कहा.
छोटी माँ बोली “दो शादी मे 4-5 करोड़, मतलब कि एक शादी मे कम से कम 2 करोड़ तो खर्च हो ही रहा होगा. अब आप बताइए भाई साहब कि, आप शिखा की शादी मे कितना खर्च करने वाले है.”
छोटी माँ की बात सुनकर, बलदेव ने थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए कहा.
बलदेव बोला “देखिए बहन जी, हम इतने बड़े आदमी तो नही है कि, शिखा बेटी की शादी मे करोडो रुपया खर्च कर सके. फिर भी मैं कम से कम 25-30 लाख खर्च करने को तैयार हूँ.”
छोटी माँ बोली “भाई साहब, आप ये कैसा मज़ाक कर रहे है. आप जानते है कि, जिस कार मे मेरा बेटा शिखा को विदा करने वाला है, वो कार ही सिर्फ़ 25 लाख की है. ये ही नही, मेरा बेटा शिखा को जो गहने (ज्यूयेल्री) दे रहा है, वो भी कम से कम 20-25 लाख के होगे. इसके अलावा वो हर बराती को विदाई मे गोल्ड रिंग दे रहा है. अब जहाँ करोड़ो की बात चल रही हो. वहाँ आप लाखो की बात करके शिखा के सम्मान को ठेस क्यो पहुचाना चाहते है. यदि आपसे ये सब नही हो सकता है तो, इस बात को यही ख़तम कीजिए और शिखा को उसके हाल पर छोड़ दीजिए.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, बलदेव का सर शरम से झुक गया. उसने एक नज़र आंटी और शिखा की तरफ देखा. फिर अपने बेटे का हाथ पकड़ कर वहाँ से चला गया. उसके वहाँ से जाते ही छोटी माँ ने हम लोगों की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “तुम लोगो को मेरी आक्टिंग कैसी लगी.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, सीरू दीदी खुशी से चहकने लगी और उनको अपने गले लगते हुए कहा.
सीरत बोली “वाह आंटी, आपने क्या आक्टिंग की है, आप तो सूपर स्टार है. आपको तो यहाँ नही फ़िल्मो मे होना चाहिए था.”
सीरू दीदी की बात सुनकर, छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “ऐसी बात नही है. लेकिन ज़रूरत पड़ने पर थोड़ी बहुत आक्टिंग कर लेती हूँ.”
छोटी माँ की बात सुनकर, सब हँसने लगे और मुझे भी इस बात की राहत महसूस हुई कि, छोटी माँ अभी जो बड़ी बड़ी बातें कर रही थी, वो सब उनकी आक्टिंग थी. सब छोटी माँ को घेर कर खड़े थे और उनको बातों मे लगाए हुए थे.
प्रिया तो जैसे इस थोड़ी सी देर मे ही छोटी माँ की लाडली बन सी गयी थी. छोटी माँ प्रिया के कंधे पर हाथ रख कर खड़ी थी और बात बात पर उस से अपनी बात की हामी भरवा रही थी. जैसे कि प्रिया उनको बरसो से जानती हो.
सब छोटी माँ से बातें करने मे व्यस्त थे. तभी शिखा दीदी ने सबको टोकते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “आप लोग आंटी को ऐसे कब तक बातों मे ही लगाए रखेगे. वो इतनी दूर से सफ़र करके आ रही है. उन्हे कम से कम फ्रेश तो हो लेने दो.”
शिखा दीदी की बात सुनकर, सीरू दीदी ने कहा.
सीरत बोली “ठीक है भाभी, आप आंटी को फ्रेश होने ले जाइए. लेकिन उसके बाद हम इनको अपने साथ अपने घर ले जाएगे. क्योकि आंटी अब हमारे साथ ही रहेगी.”
ये कहते हुए सीरू ने मेहुल के हाथ से बॅग ले लिया. लेकिन बरखा ने सीरू दीदी के हाथ से बॅग छीन लिया और उसे उंगली दिखाते हुए कहा.
बरखा बोली “सब कान खोल कर सुन लो. आंटी हमारे घर आई है और वो यहाँ से कहीं भी नही जा रही है. वो अब यही हमारे घर मे ही रहेगी.”
बरखा की इस हरकत पर सीरू दीदी ने गुस्सा करते हुए शिखा दीदी से कहा.
सीरत बोली “भाभी, आप इस बरखा की बच्ची को बोल दो कि, ये हर समय बॉक्सिंग लड़ने के मूड मे ना रहा करे और इसको ये भी समझा दो कि, हम लोग आपके कौन है.”
सीरू दीदी को इतना गुस्से मे देख कर शिखा दीदी का चेहरा उतर गया. लेकिन मैं समझ गया था कि, ये सब उनका नाटक ही है. इसलिए मैने उनकी बात के जबाब मे शिखा दीदी से कहा.
मैं बोला “दीदी, आप सीरू दीदी की बातों मे मत आया कीजिए. इनके बारे मे इतना सब सुन ने के बाद भी आपको समझ मे नही आता कि, ये शैतानो की नानी है और कोई ना कोई खुरापात इनके दिमाग़ मे चलती ही रहती है.”
मेरी इस बात मे आरू ने भी मेरा साथ देते हुए कहा.
अर्चना बोली “हां भाभी, पुन्नू ठीक कहता है. उस दिन भी इन लोगों ले न्यू कार चलाने के लिए वो रोने धोने का नाटक किया था. भैया इनके नाटक को समझ गये थे, इसलिए वो इनकी बातों मे नही आ रहे थे. लेकिन आप इनके रोने को सच समझ बैठी थी. अब आप घर आने वाली हो तो, आपको इनके नाटक को समझने की आदत डालना पड़ेगी. वरना ये आपके सीधेपन का ऐसे ही फ़ायदा उठाती रहेगी.”
मेरी और आरू की बात सुनकर, सीरू दीदी ने गुस्से मे भड़कते हुए कहा.
सीरत बोली “अच्छा तो अब दोनो मेरे खिलाफ आग उगल रहे हो. देखो अब मैं तुम दोनो के साथ क्या करती हूँ.”
ये कहते हुए सीरू दीदी ने अपना मोबाइल निकाला और किसी को फोन लगाने लगी. कुछ देर बाद दूसरी तरफ से कॉल उठते ही उन्हो ने कहा.
सीरत बोली “भैया, आपने पुन्नू को शादी मे पहनने के लिए जो शेरवानी दी थी, वो उसने आज ही पहन ली. वो कहता है कि, ये शेरवानी कोई खास नही है और पुन्नू की मोम यहाँ आई है. मैं उन्हे अपने साथ लेकर घर आना चाहती थी. लेकिन आपकी प्यारी आरू ने मुझे ऐसा नही करने दिया. वो कहती है कि, उन्हे भाभी के साथ ही रहने दो.”
सीरू दीदी के इस कॉल से ये तो पता चल गया था कि, उन्हो ने अजय को कॉल लगाया है. लेकिन ये समझ मे नही आया था कि, अजय ने क्या कहा. अजय से बात होने के बाद, उन ने मुस्कुराते हुए हमारी तरफ देखते हुए कहा.
सीरत बोली “कहो, कैसी रही.”
मैने भी उनकी इस बात पर मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “आप सच मे शैतानो की नानी है. पता नही कितने शैतान मरे होगे, तब जाकर आप पैदा हुई होगी.”
मेरी बात सुनकर सब हँसने लगे और शिखा दीदी को भी समझ मे आ गया कि, ये सब प्यार भरी नोक झोक चल रही है. इसलिए उन ने इस पर ध्यान देना ठीक नही समझा और छोटी माँ से अंदर चलने को कहने लगी.
छोटी माँ अंदर जाने लगी तो, उनके साथ साथ हम लोग भी अंदर आ गये. शिखा दीदी उनको उपर ले जाने लगी तो, छोटी माँ ने उन से कहा.
छोटी माँ बोली “मुझे तुम्हारी मम्मी से कुछ ज़रूरी बातें करना है. तुम मेरा ये समान उपर रखवाओ. तब तक मैं तुम्हारी मम्मी से बात करके आती हूँ.”
छोटी माँ की बात सुनकर, मेहुल, हीतू और नितिका उनका समान उपर लेकर जाने लगे. लेकिन छोटी माँ ने नितिका को अपने पास बुला लिया और फिर वो आंटी के साथ अंदर के कमरे मे चली गयी.
कुछ देर बाद, नितिका बाहर आ गयी और उसने बताया कि, आंटी ने उसे बॅग वही रख कर बाहर जाने को कहा तो, वो बाहर आ गयी. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, छोटी माँ आंटी से क्या बात करना चाहती है.
उनका इस तरह आंटी से अकेले मे बात करना मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था. ऐसा ही कुछ हाल शिखा दीदी का भी था. मैने तो अपने मन की बात, अपने मन मे ही दबाए रखी थी. लेकिन शिखा दीदी इस बात का बोझ ज़्यादा देर तक अपने मन पर ना रख सकी और उन ने मुझसे कहा.
शिखा दीदी बोली “भैया, हम लोगों से कोई ग़लती तो नही हो गयी. जो आंटी इस तरह से मम्मी से अकेले मे बात करने गयी है.”
मैं उनके दिल की हालत समझ सकता था. इसलिए मैने उनको समझाते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी ऐसी कोई बात नही है. उनको बाहर तो आने दीजिए, वो खुद ही सारी बात हमे बता देगी.”
मेरी बात सुनकर, शिखा दीदी शांत हो गयी. लेकिन उनके चेहरे से पता चल रहा था कि, वो अभी भी इस बात को लेकर बहुत बेचैन है. खैर थोड़ी देर बाद छोटी माँ और आंटी बाहर आ गयी.
उन दोनो के ही चेहरे पर मुस्कुराहट थी. आंटी ने हम सब को इस तरह बाहर खामोश खड़ा देखा तो, हम लोगों से कहा.
आंटी बोली “अरे तुम सब यहाँ इस तरह गुम सूम से क्यो खड़े हो. क्या तुम्हारा ये भोपु (डीजे) शिखा की शादी के बाद बजने के लिए आया है.”
आंटी की बात सुनकर सबके चेहरे पर मुश्कुराहट आ गयी. मैने मेहुल को डीजे चालू करवाने को कहा और फिर मैं छोटी माँ के साथ उपर आ गया. हमारे साथ साथ शिखा दीदी भी उपर आ गयी थी. लेकिन उनके चेहरे पर अभी भी बेचैनी बनी हुई थी. जिसे देख कर छोटी माँ ने मुझसे कहा.
छोटी माँ बोली “ये तुम्हारी दीदी को क्या हुआ है. इसका चेहरा इतना उतरा हुआ क्यो है.”
मैं बोला “ये आपकी वजह से परेशान है. इनको लगता है कि, इन से कोई ग़लती हो गयी है. इसलिए आप अकेले मे आंटी से बात करने गयी थी.”
मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने प्यार से शिखा दीदी के चेहरे को थामते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “जैसा तुम सोच रही हो, वैसी कोई बात नही है. मैने अभी बाहर तुम्हारे चाचा से जो बातें कही थी और फिर उनको अपनी आक्टिंग बताकर झूठा साबित कर दिया था. असल मे वो मेरी आक्टिंग नही, बल्कि सच बातें थी. लेकिन वैसा कुछ करने से पहले तुम्हारी मम्मी से इजाज़त लेना ज़रूरी था. इसलिए मैं तुम्हारी मम्मी से अकेले मे बात करने गयी थी और उन्हो ने मुझे ऐसा करने की इजाज़त दे दी है.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, मैं किसी छोटे बच्चे की तरह उन से लिपट गया और उनके गाल को चूमते हुए कहा.
मैं बोला “आप सच मे दुनिया की सबसे अच्छी माँ हो.”
एक तरफ जहा छोटी माँ की ये बात सुनकर, मेरी खुशी का ठिकाना नही था, वही दूसरी तरफ छोटी माँ की ये बात सुनकर, शिखा दीदी की आँखों मे आँसू आ गये. छोटी माँ ने उनके आँसू पोंछे और उनको समझाने लगी.
तभी मुझे किसी के गाने की आवाज़ सुनाई दी और मैं चौके बिना ना रह सका. क्योकि आरकेस्ट्रा (ऑर्केस्ट्रा) का तो हम मना कर चुके थे. ऐसे मे ये गाना कौन गा रहा है. यही बात जानने के लिए मैं छोटी माँ को बता कर नीचे आ गया.
मैने नीचे आकर देखा तो, वाइट सूट मे एक लड़का गाना गा रहा था. लड़का सिर्फ़ देखने मे ही अच्छा नही था. बल्कि उसकी आवाज़ भी बहुत प्यारी थी. मैं वही खड़े होकर उसका गाना सुनने लगा. तभी निक्की ने मेरे पास आकर कहा.
निक्की बोली “इसको यहाँ से फ़ौरन भागाओ.”
निक्की की ये बात सुनकर, मैं चौक गया और ये सोचने पर मजबूर हो गया कि, ये लड़का कौन है. मुझे इस तरह सोच मे पड़ा देख, निक्की ने कहा.
निक्की बोली “तुमने सुना नही, मैं तुमसे क्या कह रही हूँ.”
निक्की आप से सीधे तुम पर आ गयी थी. उसकी इस बात से मुझे समझ मे आ रहा था कि, वो बहुत गुस्से मे है. ऐसे मे मुझे उस से कुछ पुछ्ते नही बना और मैने उस से कहा.
मैं बोला “ओके, मैं देखता हूँ कि, मैं क्या कर सकता हूँ.”
मगर मेरी बात को सुनते ही निक्की ने बौखलाते हुए कहा.
निक्की बोली “कुछ देखना वेखना नही है. मैं कह रही हूँ कि, इसे फ़ौरन यहाँ से भागाओ तो, मतलब इसे फ़ौरन यहाँ से भगाओ.”
निक्की का गुस्सा देख कर, मैने उस लड़के को वहाँ से चलता करना ही ठीक समझा और मैं निक्की के पास से सीधा मेहुल के पास आ गया. मेहुल के पास आकर, मैने उस से कहा.
मैं बोला “ये लड़का कौन है और इसे यहाँ किसने गाने के लिए कहा है.”
मेहुल बोला “ये हीतू का दोस्त है. हीतू ने इसे यहाँ बुलाया था. ये अच्छा गाता है, इसलिए हमने ही इस से गाने के लिए कहा है.”
मैने हीतू को देखा तो, वो उसी लड़के पास ही खड़ा था. मैं हीतू के पास गया और उसे एक किनारे ले जाकर कहा.
मैं बोला “यार तुम बुरा ना मानो तो, मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ.”
हितेश बोला “हां हां, बेफिकर होकर बोलो, मैं तुम्हारी किसी भी बात का बुरा नही मानूँगा.”
मैं बोला “यार कुछ परेशानी आ गयी है. इसलिए हो सके तो अपने इस दोस्त को यहाँ से फ़ौरन चलता कर दो.”
मेरी बात सुनकर, हीतू कुछ सोच मे पड़ गया. लेकिन फिर मुस्कुराते हुए कहा.
हितेश बोला “यार, यदि मैं इस से सीधे यहाँ से चले जाने की बात कहुगा तो इसे बुरा लग जाएगा. इसलिए मैं इसे बहाने से अपने साथ ले जाता हूँ और इसको छोड़ कर थोड़ी देर बाद वापस आता हूँ.”
मैं बोला “थॅंक्स.”
हितेश बोला “थॅंक्स की बात नही है. ये परेशानी भी तो मेरी वजह से आई है. अब इसे दूर करना भी मेरा फ़र्ज़ है.”
ये कहते हुए हीतू मेरे पास से चला गया. वो उस लड़के के पास गया और फिर उसके कान मे कहा. जिसके बाद दोनो वहाँ से बाहर चले गये. उनके जाने के बाद, मैं वापस निक्की के पास आया और उस से कहा.
मैं बोला “ये लड़का कौन था और आप इसको देख कर इतना गुस्सा क्यो हो रही थी.”
निक्की बोली “वो एक बदतमीज़ लड़का था, इसलिए मुझे उस पर इतना गुस्सा आ रहा था. मैं अंदर से सीरू दीदी और प्रिया लोगों को बुला कर लाती हूँ. वरना वो सारी रात तैयार ही होती रहेगी.”
ये कह कर निक्की मुस्कुराते हुए अंदर चली गयी. लेकिन निक्की की इस हरकत ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था. पहले तो वो उस लड़के को लेकर मुझ पर इतना भड़की थी कि, आप से सीधे तुम पर आ गयी थी और फिर उस लड़के के जाते ही, वो फिर से इस तरह पहले जैसी हो गयी थी, जैसे कि अभी कुछ हुआ ही ना हो. निक्की की दोनो ही बात मेरे गले से नही उतर रही थी.
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