RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मेरे लिए प्रिया क्या थी, ये तो मैं खुद भी नही जानता था. मैं बस इतना जानता था कि, उसे खुश देख कर, मुझे खुशी होती थी और उसे किसी दर्द मे देख कर, मुझे उस से भी कहीं ज़्यादा दर्द होने लगता था.
ऐसा ही कुछ अभी भी मेरे साथ हो रहा था. प्रिया के कोमा मे जाने की बात सुनते ही, मेरी आँखों मे प्रिया का हंसता मुस्कुराता चेहरा घूमने लगा और मुझे ऐसा लगने लगा, जैसे की उसकी ये मुस्कुराहट मुझसे दूर जा रही हो.
इस बात का अहसास होते ही, मेरी आँखों मे आँसू झिलमिलाने लगे. कीर्ति मेरे पास ही खड़ी थी. उसने जब मेरी आँखों मे झिलमिलाते आँसुओं को देखा तो, मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अपना दिल छोटा मत करो, प्रिया को कुछ भी नही होगा. वो जल्दी ही ह्यूम पहले की तरह हँसती मुस्कुराती नज़र आएगी. लेकिन अभी तुम मुंबई कॉल लगा कर बात कर लो. तुम्हारे बात करने से उन लोगों को भी कुछ हौसला मिलेगा.”
मुझे कीर्ति की ये बात सही लगी और मैने मुंबई कॉल लगाने के लिए अपना मोबाइल निकाला. लेकिन तभी मेरे मोबाइल पर शिखा दीदी का कॉल आने लगा. मेरे कॉल उठाते ही, शिखा दीदी ने घबराते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “भैया, आप ठीक तो है ना, वहाँ सब ठीक तक तो है ना. आपको कहीं कोई चोट तो नही आई.”
शिखा दीदी बहुत घबराई हुई लग रही थी और उन्हो ने एक ही साँस मे मुझसे ढेर सारे सवाल कर डाले थे. उनको घबराया हुआ देख कर, मैने उनको दिलाषा देने की नियत से कहा.
मैं बोला “दीदी, आप ज़रा भी परेशान मत होइए. मुझे कहीं कोई चोट नही आई है और बाकी सब भी यहाँ पूरी तरह से ठीक है. यहाँ किसी को भी कोई चोट नही आई है.”
लेकिन मेरी आख़िरी बात सुनते ही, शिखा दीदी ने मेरी बात को काटते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “भैया, मुझे झूठा दिलाषा दिलाने की कोसिस मत कीजिए. मैने टीवी पर वहाँ की सारी न्यूज़ देखी है और मुझे पता है कि, आपको बचाते हुए, किसी महिला को गोली लगी है.”
“मैं ये भी अच्छी तरह से जानती हूँ कि, निशा दीदी और बरखा आपके पास ही गयी है. आप सब ने मुझसे इस हादसे के बारे मे छुपा कर, ज़रा भी अच्छा नही किया. क्या मुझे इस मुसीबत की घड़ी मे भी, आपके पास रहने का कोई हक़ नही है.”
इतना कह कर, शिखा दीदी ने रोना सुरू कर दिया. उन्हे रोते देख कर, मैने उन्हे समझाने की कोसिस करते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, प्लीज़ आप रोना बंद कीजिए. मुझे बस इसी बात का डर था कि, आप इस खबर को सुन कर, घबरा जाएगी और फिर सूरत नही जा पाएगी. मैं आपको खुशी खुशी अपनी ससुराल मे कदम रखते देखना चाहता था.”
“इसलिए मैने ही निशा भाभी को अपनी कसम देकर, आप सबको ये बात बताने से रोक दिया था. इसमे निशा भाभी या किसी का कोई दोष नही है. मैं सच मे बिल्कुल ठीक हूँ. यदि आपको मेरी बात पर यकीन नही है तो, आप बरखा दीदी से पुछ लीजिए.”
ये कहते हुए मैने बरखा दीदी को मोबाइल थमा दिया. बरखा दीदी ने कॉल पर आते ही, शिखा दीदी से कहा.
बरखा दीदी बोली “दीदी, आप पुनीत की बिल्कुल फिकर मत कीजिए, वो बिल्कुल ठीक है. इस हादसे मे उसकी मौसी घायल हुई है. मैं निशा दीदी के साथ, उन्ही को देखने यहाँ आई थी और अब उसकी मौसी भी ख़तरे से पूरी तरह से बाहर है.”
लेकिन बरखा दीदी की बात सुनकर भी, शिखा दीदी कुछ समझने को तैयार नही थी और रोते हुए, बरखा दीदी को ही उल्टा सीधा बोलने लगी. वो बेचारी किसी की बात को समझती भी तो, कैसे समझती.
अपने एक भाई को तो, वो पहले ही एक हादसे मे खो चुकी थी और ऐसे मे जब उन्हे मुझ मे अपना भाई नज़र आने लगा था तो, मेरी जान पर भी हमला हो गया था. यही एक बात उन्हे किसी की कोई बात समझने नही दे रही थी.
जब बरखा दीदी उन्हे समझा कर हार गयी तो, उन्हो ने वापस मुझे मोबाइल थमा दिया. मैने मोबाइल लिया तो, मुझे फिर शिखा दीदी के रोने की आवाज़ सुनाई देने लगी. ऐसे मे मुझे उन्हे चुप करने का सिर्फ़ एक ही रास्ता दिखाई दिया और मैने उसी रास्ते को अपनाते हुए सीखा दीदी ने कहा.
मैं बोला “दीदी, प्लीज़ आप रोना बंद कीजिए, आपको मेरी कसम है. मैं यहा बिल्कुल ठीक हूँ. वाणी दीदी ने मुझ पर हमला करने वाले सभी मुजरिमो को पकड़ लिया है और अब मुझे यहाँ किसी बात का कोई ख़तरा नही है.”
मेरी कसम ने शिखा दीदी के उपर असर दिखाया और उनका रोना थम गया. लेकिन अब उन्हो ने मेरे पास आने की, ज़िद करते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “ठीक है, मैं नही रोती. लेकिन आपको देखे बिना मुझे चैन नही आएगा. इसलिए मैं अभी वहाँ आ रही हूँ.”
मुझे शिखा दीदी के यहा आने से कोई परेशानी नही थी. लेकिन इस समय प्रिया की तबीयत खराब होने की वजह से मुझे शिखा दीदी का उसके पास जाने की जगह, मेरे पास आना कुछ ठीक नही लग रहा था. मैने अपनी इसी बात को उनके सामने रखते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, आपके यहाँ आने से बाद कर, मेरे लिए और क्या खुशी की बात हो सकती है. लेकिन शायद आपको पता नही है की, अभी अचानक प्रिया की तबीयत बहुत ज़्यादा खराब हो गयी है.”
“निशा भाभी और बरखा दीदी भी इसी वजह से थोड़ी ही देर मे वापस मुंबई के लिए निकलने वाली है. ऐसे मे मुझे आपका प्रिया के पास जाने की जगह मेरे पास आना कुछ ठीक सा नही लग रहा है.”
लेकिन शिखा दीदी ने मेरी इस बात को बीच मे ही काटते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “मुझे निक्की से प्रिया की हालत का पता चल चुका है. मैं भी प्रिया के पास जा रही हूँ. लेकिन उसके पास जाने से पहले, एक बार मैं आपको सही सलामत देख कर, तसल्ली कर लेना चाहती हूँ.”
शिखा दीदी की इस बात के बाद, मेरे पास उनको समझाने के लिए कुछ नही था. इसलिए मैने उन से निशा भाभी से बात करने को कह कर, मोबाइल निशा भाभी की थमा दिया. उन्हो ने शिखा दीदी को समझाते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “शिखा, मैं जो कह रही हूँ, उसे समझने की कोसिस करना. मैं तुमको यहा पुनीत के पास आने से रोकना नही चाहती हूँ. लेकिन तुमको इस बात को समझना होगा कि, अभी प्रिया की तबीयत सही नही है.”
“तुम ये भी अची तरह से जानती हो कि, प्रिया का जो ब्लड ग्रूप है. उस ग्रूप का ब्लड कितनी मुश्किल से मिलता है. प्रिया और आरू का ब्लड ग्रूप एक ही है. लेकिन इस समय आरू तुम्हारे साथ है.”
“ऐसे मे यदि प्रिया को अचानक ही, किसी वजह से ब्लड देने की ज़रूरत पड़ गयी तो, उसके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी. इसलिए इस समय तुम लोगों का यहाँ आने से ज़्यादा ज़रूरी, प्रिया के पास पहुचना है.”
“अब यदि ये सब जानने के बाद भी, तुम प्रिया के पास जाने की जगह यहाँ आना चाहती हो तो, मैं तुमको यहाँ आने से बिल्कुल नही रोकूगी. तुम जो भी करना ठीक समझो, तुम वो कर सकती हो.”
निशा भाभी की इस बात ने शिखा दीदी के दिल पर तीर की तरह असर किया और वो यहाँ आने की जगह, मुंबई जाने के लिए तैयार हो गयी. शिखा दीदी से बात होने के बाद, निशा भाभी इसी बारे मे अजय और सीरू दीदी से लोगों से बात करने लगी.
निशा भाभी के बाद, मेरी और छोटी माँ की भी अजय और सीरू दीदी लोगों से थोड़ी बहुत बात हुई. उन सब से बात करके कॉल रखने के बाद, मैने निशा भाभी से कहा.
मैं बोला “भाभी, यदि प्रिया को ब्लड की ज़रूरत है तो, क्या मैं ब्लड देने के लिए आपके साथ चलता हूँ.”
मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “नही, तुम्हे ब्लड देने के लिए मेरे साथ जाने की कोई ज़रूरत नही है. मैने तो ब्लड की बात सिर्फ़ शिखा को समझाने के लिए कही थी. यदि सच मे ही प्रिया को ब्लड की ज़रूरत होती तो, अमन खुद ही आरू को वापस बुला लेता.”
मेरी और निशा भाभी की इस बात को सुनते ही, वाणी दीदी ने हमारी बात को बीच मे ही काटते हुए, मुझसे कहा.
वाणी दीदी बोली “तुम प्रिया को ब्लड कैसे दे सकते हो. क्या तुमको पता भी है कि, किसी को ब्लड देने के लिए, दोनो का ब्लड ग्रूप एक सा होना ज़रूरी है.”
वाणी दीदी की इस बात के जबाब मे मैने उनसे कहा.
मैं बोला “दीदी, मैं प्रिया को ब्लड दे सकता हूँ. क्योकि मेरा और प्रिया दोनो का ब्लड ग्रूप एक सा ही है.”
मेरी इस बात पर निशा भाभी ने भी अपनी सहमति देते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “ये ठीक कह रहा है. इसका, प्रिया और आरू, तीनो का ब्लड ग्रूप अब- (अब नेगेटिव) ही है.”
निशा भाभी की इस बात को सुनकर, वाणी दीदी कुछ सोच मे पड़ गयी और फिर उन्हो ने मुझसे कहा.
वाणी दीदी बोली “ये प्रिया वो ही लड़की है ना, जिसके बारे मे मैने तुमसे वीडियो देखती समय पूछा था.”
मैं बोला “जी दीदी, वो ही सुंदर और हँसमुख सी लड़की प्रिया है.”
मेरी ये बात सुनकर, वाणी दीदी ने कुछ सोचते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “क्या तुम प्रिया की जनम तारीख और जनम स्थान जानते हो.”
वाणी दीदी का ये अटपटा सा सवाल सुनकर, मेरे साथ साथ बाकी सब लोग भी चौके बिना ना रह सके. फिर भी मैने उनके इस सवाल का जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, मुझे प्रिया के जनम स्थान का तो, पता नही है. मगर उसका जनमदिन, मेरे जनमदिन के एक दिन बाद पड़ता है. वो मुझसे सिर्फ़ एक दिन छोटी है.”
मेरी ये बात सुनते ही, वाणी दीदी ने मोहिनी आंटी की तरफ देखते हुए, उनसे कहा.
वाणी दीदी बोली “आंटी, आप तो प्रिया की चाची है. आपको तो पता ही होगा कि, प्रिया का जनम स्थान क्या है.”
वाणी दीदी का ऐसे मौके पर, प्रिया के बारे मे ये सब सवाल करना, किसी को भी अच्छा नही लग रहा था. लेकिन वो अपनी आदत से मजबूर थी और किसी बात के उनके दिमाग़ मे आने पर, वो उसको जान कर ही रहती थी.
उनकी इस बात को सुनकर, मोहिनी आंटी कुछ परेशान सी हो गयी. लेकिन फिर उन ने अपने आपको संभालते हुए, वाणी दीदी से कहा.
मोहिनी आंटी बोली “प्रिया का जनम हॉस्पिटल मे हुआ था.”
लेकिन ये बात बोलते बोलते, मोहिनी आंटी के चेहरे से पसीना छूटने लगा था. उनके चेहरे से पसीना छूटते देख कर, वाणी दीदी ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “आंटी, असल मे बात ये है कि, प्रिया को वीडियो मे देख कर, मुझे अपने एक खास परिचित की याद आ गयी थी. बस इसी वजह से मैं प्रिया के बारे मे ये सब जानना चाहती थी.”
“मेरे सवाल को सुनकर, आपको ज़रा भी परेशान होने की ज़रूरत नही है. मैं भी आपकी बेटी की तरह हूँ और यदि आप मुझे इस बारे मे कुछ बताना नही चाहती तो, मैं भी आपके साथ कोई ज़बरदस्ती नही करूगी.”
वाणी दीदी की ये बात सुनकर, मोहिनी आंटी कुछ सोच मे पड़ गयी और फिर उन्हो ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए कहा.
मोहिनी आंटी बोली “प्रिया का जनम कोलकाता की ही एक हॉस्पिटल मे हुआ था. लेकिन उस से भी बड़ा सच ये है कि, प्रिया मेरी भतीजी नही है.”
मोहिनी आंटी की ये बात सुनते ही, हम सबको एक जोरदार झटका लगा. लेकिन छोटी माँ और रिचा आंटी इस बात को सुनते ही, फ़ौरन मोहिनी आंटी के अगल बगल आकर खड़ी हो गयी. रिचा आंटी ने हड़बड़ाते हुए मोहिनी आंटी से कहा.
रिचा आंटी बोली “फिर प्रिया आप लोगों को कैसे मिली.”
रिचा आंटी की इस बात को सुनकर, मोहिनी आंटी किसी गहरी सोच मे पड़ गयी. उन्हे खामोश देख कर, छोटी माँ ने बेचैन होते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “बताइए ना दीदी, प्रिया आप लोगों को कैसे मिली.”
छोटी माँ की बात को सुनकर, मोहिनी आंटी ने एक नज़र सबकी तरफ देखा और फिर अपनी खामोशी को तोड़ते हुए कहा.
मोहिनी आंटी बोली “ये बात नितिका के जनम के बाद की है. नितिका के जनम होने की खबर सुनकर, मेरे ससुर और जेठ जेठानी भी उसे देखने यहाँ आए थे. उस समय मेरी जेठानी पद्मि,नी का भी आठवा महीना चल रहा था.”
“जिस वजह से मैं उनसे अपने पास ही रुकने की ज़िद करने लगी. मेरे ससुर को भी मेरी ये बात सही लगी. उन्हो ने फ़ैसला किया कि बच्चे के जनम होने तक वो और मेरी जेठानी यही पर रुकेगे.”
“मेरे जेठ जी, को भी उनका ये फ़ैसला सही लगा और वो उन दोनो को मेरे पास छोड़ कर, वापस मुंबई चले गये. इसके कुछ दिन बाद, मेरी जेठानी ने यही के एक हॉस्पिटल मे एक लड़की को जनम दिया.”
“मेरी जेठानी लड़की को जनम देने के बाद, बेहोश थी और मैं हॉस्पिटल के फोन पर सबको लड़की के जनम की खबर देने मे लगी थी. जब मैं अपनी जेठानी के पास वापस आई तो, वो अभी भी बेहोश ही थी और झूले मे उनकी बच्ची नही थी.”
“ये देखते ही, मैं घबरा गयी और जैसे ही पिछे पलटी तो, कमरे की दीवार से सट कर, एक आदमी एक बच्ची को अपनी गोद मे लेकर छुप कर खड़ा था. उसके हाथ मे बच्ची को देखते ही, मैने उसके हाथ से बच्ची को छीन लिया और शोर मचाना सुरू कर दिया.”
“मुझे शोर मचाते देख, वो घबरा कर, बच्ची को छोड़ कर भाग गया. मैने बच्ची को वापस अपनी जेठानी के पास लाकर लिटा दिया. लेकिन अब मुझे हॉस्पिटल वालों की इस लापरवाही पर बहुत गुस्सा आ रहा था.”
“तभी मेरे ससुर आ गये. मैने उन्हे सारी बात बताई और फिर गुस्से मे हॉस्पिटल वालों की खबर लेने कमरे से बाहर निकल आई. मैं अभी कमरे से निकल कर, थोड़ी ही दूर गयी थी की, तभी एक नर्स मेरे पास आई.”
“उसने मेरे पास आकर, एक बच्ची को मेरी गोद मे देते हुए बताया कि, ये आपकी बच्ची है. बच्ची की माँ बेहोश थी और आप फोन पर बात करने गयी थी. इसलिए मैं बिना बताए ही, बच्ची को नहलाने के लिए ले गयी थी.”
“इतना बोल कर, वो नर्स चली गयी. लेकिन अब मैं अपनी गोद मे अपनी जेठानी की बच्ची को देख कर, सोच मे पड़ गयी कि, यदि ये मेरी जेठानी की बच्ची है तो, फिर वो मैने ज़बरदस्ती किसकी बच्ची को छीन लिया है.”
“अभी मैं इन सब बातों को सोचने मे ही लगी थी कि, तभी अचानक फिर से वो आदमी आ धमका और मेरे हाथ से मेरी जेठानी की बच्ची को, वो दूसरी बच्ची समझ कर, मुझसे छीन कर ले गया.”
“मैं उसको पकड़ने के लिए शोर मचाया. लेकिन तभी हॉस्पिटल के दूसरे हिस्से से भी किसी बच्ची के गायब होने की आवाज़ आने लगी. ये आवाज़ सुनकर, मेरे ससुर भी मेरे पास आ गये.”
“मैने उनको अब तक हुई सारी घटना बताई तो, वो भी गहरी सोच मे पड़ गये. लेकिन फिर उन्हो ने गंभीर फ़ैसला करते हुए कहा कि, पद्मिोनी के तो पहले ही एक लड़का और एक लड़की है. वो अपनी बच्ची को खोने का दर्द अपने दूसरे बच्चों को देख कर सह सकती है.”
“लेकिन जिस माँ बाप की ये बच्ची है, पता नही उनकी कोई दूसरी औलाद है भी या नही है. हमे उनकी बच्ची को, उनके हवाले कर देना चाहिए. भगवान ने चाहा तो, हमारी बच्ची हमे ज़रूर वापस मिल जाएगी.”
“अपने ससुर की ये बात सुनकर, मैं उस बच्ची को लेकर मैं उसके माँ बाप के पास चली गयी. लेकिन जैसे ही मैं उनके कमरे का दरवाजा खटखटाने को हुई. मुझे एक आदमी की आवाज़ सुनाई दी.”
“वो शायद इस बच्ची का बाप था और किसी औरत से कह रहा था कि, वो मेरी एक बच्ची को लेकर भागा है. मेरी कोई बड़ी भारी जायदाद नही ले गया. मेरे अंदर जब तक मर्दानगी है. तब तक मैं ऐसी कयि बच्चियाँ पैदा कर सकता हूँ.”
“उस आदमी की ये बात सुनकर, मेरी उसे बच्ची सौपने की हिम्मत नही हुई और मैं अपने ससुर के पास वापस आकर, सारी बातें बताने लगी. तभी मेरी जेठानी को होश आ गया और वो अपनी बच्चे को देखने की ज़िद करने लगी.”
“मेरे ससुर ने वो बच्ची मेरी जेठानी की गोद मे डाल दी और मुझे ये बात मेरी जेठानी को बताने से मना कर दिया. तब से वो बच्ची मेरी जेठानी की बेटी बन कर ही, हमारे परिवार मे पल रही है और वो बच्ची प्रिया ही है.”
इतना कह कर, मोहिनी आंटी चुप हो गयी. लेकिन उनकी इस बात ने बाकी सब की भी बोलती बंद कर दी थी. सब उन्हे हक्के बक्के से देख रहे थे और किसी को कुछ भी नही सूझ रहा था.
वहीं वाणी दीदी, छोटी माँ, अनुराधा मौसी और रिचा आंटी एक दूसरे से आँखों ही आँखों मे बात कर रही थी. मुझे भी प्रिया के बारे मे ये सब जान कर, बहुत धक्का पहुचा था.
लेकिन इस समय मुझे इन सब बातों को जानने से ज़्यादा, प्रिया की तबीयत की चिंता सता रही थी और इसी वजह से मैने सबकी बातों पर खीजते हुए कहा.
मैं बोला “आप लोगों को सिर्फ़ इस बात की फिकर सता रही है कि, प्रिया किसकी बेटी है और किसकी बेटी नही है. किसी को भी प्रिया की तबीयत का ज़रा भी ख़याल नही है. यदि आप लोग ऐसे ही बहस करने मे लगे रहे तो, आप लोगों को फ़ैसला करने के लिए प्रिया नही, उसकी लाश ही मिलेगी.”
मैं अभी इतना ही बोल पाया था कि, चटाक़ की आवाज़ के साथ मेरी बोलती बंद पड़ गयी. मेरे गाल पर वाणी दीदी का एक जोरदार तमाचा पड़ा था. जिसके पड़ते ही, मेरे साथ साथ, बाकी सब भी वाणी दीदी को देखने लगे.
वो बहुत ही ज़्यादा गुस्से मे मुझे घूर रही थी. उनको इतने गुस्से मे देख कर, एक पल के लिए तो, मैं भी सहम गया. वहीं वाणी दीदी ने मुझ पर अपना गुस्सा उतारते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “तेरे मूह मे जो कुछ भी आता है, बिना सोचे समझे बकता चला जाता है. अब यदि प्रिया के लिए एक भी ग़लत शब्द तेरे मूह से बाहर निकला तो, मैं अभी के अभी तेरा मूह तोड़ दुगी.”
“तू जानता भी है कि, यदि मोहिनी आंटी की ये बात सही निकलती है तो, फिर प्रिया से तेरा क्या रिश्ता निकलेगा. मोहिनी आंटी की इस बात के सही निकलने का मतलब है कि, प्रिया तेरी जुड़वा बहन है.”
वाणी दीदी की इस बात को सुनते ही, मैं, कीर्ति, मेहुल, बरखा दीदी और मोहिनी आंटी चौक कर रह गये. लेकिन छोटी माँ, अनु मौसी, रिचा आंटी और निशा भाभी के चेहरे के भाव कुछ अलग ही थे. जिन्हे मैं समझ नही पा रहा था.
मेरे सामने मेरी जिंदगी के एक ऐसे राज़ का खुलासा हुआ था. जिसकी कल्पना मैने कभी अपने सपने मे भी नही की थी. मेरे साथ ये सब कुछ इतना अचानक हुआ था कि, मैं कुछ भी समझ नही पा रहा था और किसी सदमे की हालत मे सा, वाणी दीदी को देखे जा रहा था.
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