RE: MmsBee कोई तो रोक लो
208
प्रिया के रूम की तरफ बढ़ते हर कदम के साथ साथ, मेरे दिल की धड़कने भी तेज़ी से बढ़ रही थी. मैं अभी प्रिया के कमरे के पास पहुचा ही था कि, तभी मेरा मोबाइल बजने लगा.
मैने मोबाइल निकाल कर देखा तो, अनु मौसी का कॉल आ रहा था. मैने सबको ये बात बताई और सबसे अंदर चलने को कह कर, मैं मौसी से बात करने के लिए बाहर ही रुक गया.
मेरी बात सुनकर, सब अंदर चले गये. मगर कीर्ति मेरे पास ही खड़ी थी. मैने उसकी तरफ देखा तो, वो यहाँ वहाँ नज़र घुमा कर देखने लगी. मैने उसकी इस हरकत को अनदेखा करते हुए, मौसी का कॉल उठा कर कहा.
मैं बोला “हेलो मौसी.”
अनु मौसी बोली “तुम सब अच्छे से पहुच गये हो ना. वाणी तुमको लेने समय पर पहुच गयी थी ना.”
मैं बोला “जी मौसी, हम सब यहाँ पहुच गये है. वाणी दीदी भी हमे लेने समय पर आ गयी थी और अभी हम सबके साथ, यहा हॉस्पिटल मे है.”
मौसी बोली “तू प्रिया से मिला कि नही, अब प्रिया की तबीयत कैसी है.”
मैं बोला “नही मौसी, अभी मैं प्रिया से नही मिला हूँ. मैं उस से मिलने जा ही रहा था कि, तभी आपका कॉल आ गया. मैं अभी प्रिया के कमरे के बाहर ही खड़ा हूँ.”
मौसी बोली “चल ठीक है, तू प्रिया से मिल ले. मैने सिर्फ़ ये कहने के लिए कॉल किया था की, मैने तुझसे जो कुछ भी कहा है, वो सब तू सुनीता से मत कह देना. सही समय आने पर, वो खुद ही तुझे सारी बातें बता देगी.”
मैं बोला “मौसी, आप ज़रा भी फिकर मत करो. छोटी माँ मुझे कुछ बताए या ना बताए, मैं उनसे कोई सवाल जबाब नही करूँगा और ना उनके सामने आपसे हुई किसी बात का जिकर करूँगा.”
मेरी बात सुनकर, अनु मौसी ने राहत की साँस ली और फिर प्रिया का हाल बताने की कह कर कॉल रख दिया. उनके कॉल रखने के बाद, मैने कीर्ति की तरफ देखा तो, वो बड़े गौर से मेरी और अनु मौसी की बातें सुनने मे लगी थी.
मेरे उसकी तरफ देखते ही, वो फिर से यहाँ वहाँ देखने लगी. उसे समझ मे तो आ गया था कि, मैं उसकी मम्मी से बात कर रहा हूँ. लेकिन मेरा बिगड़ा हुआ मूड देख कर, उसकी मुझसे कुछ पुच्छने की हिम्मत नही हो रही थी.
उसकी इस हरकत पर मुझे हँसी तो, बहुत आ रही थी. लेकिन मैं किसी तरह से अपनी हँसी को रोकते हुए प्रिया के कमरे की तरफ बढ़ गया. मुझे प्रिया के कमरे मे जाते देख कर, कीर्ति भी मेरे पिछे पिछे आने लगी.
सबको बाहर खड़े देख कर, मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, इस समय प्रिया के पास कौन है. लेकिन प्रिया के कमरे मे कदम रखते ही, दादा जी को वहाँ देख कर, मेरी ये हैरानी खुद ब खुद दूर हो गयी.
एक नज़र वहाँ खड़े सब लोगों पर डालने के बाद, मैने प्रिया की तरफ देखा तो, वो बेहोशी की हालत मे बेड पर लेटी थी. उसके चेहरे पर अभी भी जमाने भर की मासूमियत तैर रही थी.
उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि, जैसे वो बहुत गहरी नींद मे सो रही हो और अभी उठ कर, हम सब से बातें करने लगेगी. उसके इस मासूम चेहरे को देख कर, मेरे कानो मे उसकी हँसी गूंजने लगी.
मैं अभी प्रिया को देखने मे ही खोया हुआ था कि, तभी दादा जी मेरे पास आ गये. उनकी आँखें आँसुओं से भीगी हुई थी. मेरे पास आते ही, उन्हो ने मेरे गले लगते हुए कहा.
दादा जी बोले “बेटा देखो, हमारी प्रिया को क्या हो गया है. ये कल से आँख तक नही खोल रही है. इस से बोलो ना, हम सब से बात करे.”
दादा जी की बात सुनकर, मेरा दिल भर आया. लेकिन मैने अपने आपको संभालते हुए उन से कहा.
मैं बोला “दादू, आप फिकर मत कीजिए. प्रिया को जल्दी ही होश आ जाएगा. हमारी प्रिया को…………”
लेकिन मैं अपनी बात पूरी भी नही कर पाया था कि, मेरी आँखों के सामने प्रिया का हंसता खिलखिलाता चेहरा आ गया और मेरे कानो मे प्रिया की हँसी गूंजने लगी. जिसके गूंजते ही, मेरा गला रुंध गया.
मुझसे आगे कुछ भी कहते नही बना और प्रिया का चेहरा देख देख कर मेरी आँखों मे नमी छाने लगी. जो लड़की मेरे आने की आहट से ही, मुझे पहचान जाया करती थी. आज उसे मेरे उसके पास आने का कोई अहसास नही था.
जो लड़की मुझसे हमेशा साए की तरह चिपकी रहना चाहती थी, वो आज मुझे आँख खोल कर देख तक नही रही थी. जो लड़की मुझे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती थी, वो ही मेरे सामने बेजान पड़ी थी.
मगर मेरे लिए सबसे दर्द देने वाली बात ये थी कि, जो लड़की मेरे सामने बेजान सी पड़ी थी, वो मेरी जुड़वा बहन थी. मैं उसकी खुशी के लिए ना तो कल कुछ कर सका था और ना ही आज उसके लिए कुछ कर पा रहा था.
मेरी इस बेबसी ने मेरी आँखों की नमी को आँसुओं मे बदल दिया. मैं दादा जी को दिलासा देते देते खुद ही उन से लिपट कर रोने लगा. कीर्ति ने मुझे रोते देखा तो, उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे समझाने लगी.
मगर कीर्ति को अपने पास पाकर, मेरी रही सही हिम्मत भी जबाब दे गयी. वो ही तो एक थी, जो मेरे दर्द को अच्छी तरह से समझ सकती थी. उसके सिवा मेरी हालत को समझने वाला कोई नही था.
कीर्ति के समझाने का मेरे उपर कोई असर नही पड़ा और मैं उस से ही लिपट कर रोने लगा. मेरे इस तरह रोने ने कीर्ति की आँखों को भी आँसुओं से भर दिया और उसका मुझे समझाना बंद हो गया.
वो मुझे समझाना चाहते हुए भी, अपने खुद के बहते आँसुओं की वजह से मुझसे कुछ बोल नही पा रही थी. वो अपने होंठों से अपने आँसू पीती जा रही थी और मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए, मुझे शांत करवाने की कोसिस कर रही थी.
निशा भाभी ने जब मुझे इस तरह से रोते देखा तो, वो मेरे पास आ गयी. उन्हो ने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा और मुझे हौसला रखने को कहने लगी. उनकी बातों का मेरे उपर असर हुआ और मैं अपने आपको सभालने की कोसिस करने लगा.
अभी वो मुझे हौसला रखने के लिए समझ ही रही थी कि, तभी निक्की ने हम सबको चौकाते हुए कहा.
निक्की बोली “भाभी, भाभी, ये देखिए, प्रिया की आँख से आँसू निकल रहे है.”
निक्की की बात सुनते ही, निशा भाभी मेरे पास से हट कर, प्रिया के पास चली गयी और हम सब की नज़र भी प्रिया के चेहरे पर जाकर जम गयी. प्रिया की आँखों के किनारों से सच मे आँसू की धाराएँ बह रही थी.
ये देखते ही, निशा भाभी को लगा कि, प्रिया को होश आ रहा है. वो प्रिया के गाल थपथपा कर उसे जगाने की कोसिस करने लगी. लेकिन प्रिया के शरीर ने कोई भी हरकत नही की और वो बेहोश ही पड़ी रही.
निशा भाभी ने निक्की से फ़ौरन अमन को बुलाने को कहा और वो खुद निधि दीदी को कॉल करके ये सब बातें बताने लगी. निशा भाभी की बात सुनते ही निक्की ने बाहर की तरफ दौड़ लगा दी.
निशा भाभी ने निधि दीदी से बात करके फोन रखा ही था कि, निक्की के साथ अमन और बाकी लोग भी हमारे पास आ गये. निशा भाभी ने प्रिया के आँसू वाली बात अमन को बताई तो, वो भी प्रिया को देखने लगा.
लेकिन उसे भी प्रिया के शरीर मे कोई हरकत होती नज़र नही आई. मगर प्रिया के आँसुओं ने हम सबके मन मे प्रिया के होश मे आने की एक उम्मीद की किरण ज़रूर जगा दी थी.
कुछ ही देर मे निधि दीदी भी आ गयी. उन्हो ने आकर प्रिया को देखा और उसकी कुछ ज़रूरी जाँच करने के बाद हम सब से कहा.
निधि दीदी बोली “प्रिया की अभी की रिपोर्ट से तो उसकी हालत मे कोई सुधार होता नज़र नही आ रहा है. लेकिन उसके आँसू निकलने से इस बात की उम्मीद ज़रूर जताई जा सकती है कि, वो जल्दी ही होश मे आ सकती है.”
निधि दीदी की इस बात को सुनकर, एक बार फिर हम सब के चेहरे लटक गये. हमारे लटके हुए चेहरे देख कर, अमन ने हमे समझाते हुए कहा.
अमन बोला “अरे आप सब इस तरह निराश क्यो होते है. आप लोगों को शायद मालूम नही कि, एक आक्सिडेंट मे आरू की हालत प्रिया से भी कहीं ज़्यादा खराब हो गयी थी और वो तीन दिन तक होश मे नही आई थी.”
“सबको लग रहा था कि, आरू कोमा मे चली जाएगी. लेकिन मैने उम्मीद नही छोड़ी थी और मैं घंटों आरू के पास बैठ कर बातें किया करता था और ऐसे ही मेरी बातें सुनते सुनते तीसरे दिन आरू को होश आ गया था.”
“अभी भी शायद आप लोगों के बीच चल रही बातों की वजह से ही, प्रिया के आँसू निकल आए. आप लोग यदि अपनी निराशा को छोड़ कर, प्रिया से बातें करते रहेगे तो, उसे जल्दी ही होश आ जाएगा.”
हम सब गौर से अमन की बातें सुन रहे थे. मैं निशा भाभी और अजय से इस बारे मे पहले ही सुन चुका था. इसलिए मुझे अमन की ये बात सही लग रही थी. लेकिन निधि दीदी ने अमन की इस बात को काटते हुए कहा.
निधि दीदी बोली “क्या जीजू, आप एक डॉक्टर होकर भी ये कैसी बातें कर रहे है. अभी प्रिया के दिमाग़ ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया है. जिस वजह से वो हमारी किसी बात को सुन और समझ नही सकती है.”
“उसके कानो तक हमारी बातें जाती तो ज़रूर है. लेकिन हमारी बातें उसके कान के पर्दे मे पड़ते ही, किसी काँच की तरह टूट कर बिखर जाती है और उसका दिमाग़ उन बातों को जोड़ नही पाता है.”
“इसलिए हमारे कुछ भी बोलने या करने का उस पर कोई असर नही पड़ेगा और ना ही हमारे कुछ करने से उसका शरीर कोई हरकत करेगा. ये तो अभी किसी सुई की चुभन तक महसूस नही कर सकती.”
ये कहते हुए, निधि दीदी ने एक इंजेक्षन लिया और प्रिया के हाथ मे लगाने लगी. उनके प्रिया को इंजेक्षन लगाने पर भी प्रिया के शरीर मे कोई हरकत नही हुई. प्रिया को इंजेक्षन लगाने के बाद, निधि दीदी ने कहा.
निधि दीदी बोली “आप लोग बिल्कुल भी निराश मत होइए, प्रिया को जल्दी होश आ जाएगा. यदि प्रिया को कल तक होश नही आया तो, परसों हम प्रिया को अपने नये हॉस्पिटल मे शिफ्ट कर देगे.”
“परसों हमारे नये हॉस्पिटल का लोकार्पण (इनॉग्रेषन) है और उसमे मेरे गुरु ड्र. रॉबर्ट भी आ रहे है. ड्र. रॉबर्ट दुनिया के नंबर वन नूरॉलजिस्ट है और उनकी सफलता का प्रतिशत, शत-प्रतिशत (सेंट पर्सेंट) ही रहा है.”
“मेरी उनसे प्रिया के बारे मे चर्चा हो चुकी है और वो खुद भी आकर प्रिया को देखेगे. लेकिन उसके पहले मैं आप सब से प्रिया को लेकर कुछ ज़रूरी बातें करना चाहती हूँ.”
ये कहते हुए निधि दीदी ने हम सब से अपने साथ चलने का इशारा किया और वो प्रिया के कमरे से बाहर निकल गयी. मैने एक नज़र प्रिया की तरफ देखा और फिर सबके साथ साथ मैं भी निधि दीदी के पिछे पिछे जाने लगा.
निधि दीदी हम सबको निशा भाभी के रूम मे लेकर आ गयी. उन्हो ने हम सबको बैठने को कहा और फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.
निधि दीदी बोली “आप सबको पता है कि, प्रिया दिल की मरीज है और इस हादसे के बाद वो दिमाग़ की मरीज भी बन गयी है. कोमा एक ऐसी बीमारी है, जिसमे मरीज का दिमाग़ सो जाता है और उसके दिल के अलावा बाकी का शरीर काम करना बंद कर देता है.”
“कोमा के मरीज के लिए ये कहना मुश्किल होता है कि, वो कब कोमा से बाहर आएगा. कभी कभी तो कोमा का मरीज जिंदगी भर ही कोमा मे रहता है और कभी कभी ऐसा होता है की, कोमा के मरीज के कोमा से बाहर आ जाने के बाद भी, उसके शरीर के कुछ हिस्से जिंदगी भर काम नही कर पाते.”
“ये सब बातें आपको बताने के पिछे मेरा मकसद आपको डराने या आपसे ये कहने का नही है कि, प्रिया पूरी तरह से ठीक नही हो सकती. बल्कि मैं आपको सिर्फ़ इतना समझाना चाहती हूँ कि, प्रिया के कोमा बाहर आ जाने के बाद भी, उसके दिमाग़ को पूरी तरह से ठीक होने मे एक लंबा समय लग सकता है.”
“प्रिया के दिल की मरीज होने की वजह से उसके लिए कोई भी सदमा पहले ही जान लेवा था. ऐसे मे अब उसके दिमागी तौर पर भी बीमार हो जाने की वजह से उसकी हालत और भी ज़्यादा संगीन हो गयी है.”
“अब कोई भी सदमा उसके दिल और दिमाग़ दोनो पर बहुत ज़्यादा असर करेगा और यदि ऐसी हालत मे उसे पता लगे कि, वो इतने बरसों तक जिस घर मे पली बढ़ी, वो उस घर की बेटी नही है तो, इस बात का उस पर बुरा असर पड़ सकता है.”
“उसे आकाश अंकल की बेटी ना होकर, पुनीत की बहन होने वाली बात का हरगिज़ पता नही चलना चाहिए. हमे उसके कोमा से बाहर आने के बाद भी, उसके सामने वही महॉल बना कर रखना होगा, जो उसके कोमा मे जाने से पहले था.”
“यदि उसे भूले से भी इस बात की भनक लग गयी और वो फिर से कोमा मे चली गयी तो, फिर उसे दोबारा कोमा से बाहर ला पाना हमारे तो क्या, भगवान के बस की भी बात नही होगी.”
इतना बोल कर निधि दीदी चुप हो गयी. लेकिन उनकी ये बात सुनते ही पद्मिनी आंटी फफक कर रो पड़ी. उन्हे रोते देख कर, छोटी माँ ने उन्हे दिलासा देते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “प्रिया को कुछ नही होगा. वो जल्दी ही ठीक हो जाएगी. वो ठीक हो जाए, इस से ज़्यादा मुझे कुछ नही चाहिए. आपका आज भी प्रिया पर उतना ही हक़ है, जितना आज से पहले था.”
“आप जब तक उसे अपनी बेटी बना कर रखना चाहे, रख सकती है. प्रिया आपके घर की नही, हमारे घर की बेटी है, ये बात मेरे या मेरे घर वालों के मूह से ये बात कभी भी नही निकलेगी.”
“हम इसी बात से संतोष कर लेगे कि, हमारी बेटी सही सलामत है और एक ऐसे परिवार मे है, जहाँ उसे अपने घर से भी ज़्यादा प्यार मिल रहा है. फिर भी उसे हमारे घर की हर चीज़ पर उतना ही अधिकार रहेगा, जितना कि पुन्नू को है.”
इतना बोल कर छोटी माँ चुप हो गयी. लेकिन उनके मूह से प्रिया के पद्मिनी आंटी की बेटी बनकर ही रहने की बात सुनकर, पद्मिनी आंटी के साथ साथ आकाश अंकल की आँखों से आँसू आ गये.
वो प्रिया से कितना प्यार करते थे, ये बात मुझसे छुपि नही थी. मैने उन्हे सबसे ज़्यादा प्रिया से ही लाड़ करते देखा था. ऐसे मे प्रिया के उनसे दूर होने की बात से उनके दिल पर क्या गुज़री होगी, ये तो उनके सिवा कोई नही जान सकता था.
लेकिन इस समय उनके चेहरे पर जो खुशी झलक रही थी. वो हम सबको ज़रूर दिखाई दे रही थी. लेकिन ये हाल सिर्फ़ पद्मिनी आंटी और आकाश अंकल बस का नही था, बल्कि राज और रिया का भी कुछ ऐसा ही हाल था.
उन्हो ने भी जब छोटी माँ के मूह से ये बात सुनी तो, उनकी आँखों मे भी आँसू झिलमिलाने लगे और दोनो उठ कर, छोटी माँ के पास आ गये. रिया आकर छोटी माँ से लिपट गयी और राज ने झुक कर, छोटी माँ के पैर पकड़ लिए.
छोटी माँ ने राज को अपने पैरों से उठाया और रिया के साथ साथ उसे भी अपने गले से लगा लिया. रिया ने छोटी माँ को अपनी बाहों मे ज़ोर से जकड़ते हुए कहा.
रिया बोली “आंटी, हमने जितना सोचा था, आप तो उस से भी ज़्यादा महान है. आपने एक पल मे ही हमारे घर की सारी रौनक, सारी खुशियाँ हमे वापस कर दी.”
राज और रिया दोनो छोटी माँ से लिपटे हुए थे और उनकी आँखों से खुशी के आँसू बह रह थे. ये नज़ारा देख कर, हम सबकी आँखें भी नम हो गयी. वहीं छोटी माँ ने रिया की बात पर समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “नही बेटी, मैने कोई महान काम नही किया. मैं भी एक माँ हूँ और एक माँ के दर्द को अच्छी तरह से समझ सकती हू. पुन्नू को मैने निमी की उमर से पाला है और आज मेरी खुद की दो बेटियाँ है.”
“इसके बाद भी यदि आज कोई मुझे पुन्नू से अलग कर दे तो, मेरी जान ही निकल जाएगी. फिर तुम्हारी माँ ने तो प्रिया के जनम के बाद से ही, उसे अपना दूध पिला कर पाला है. उनके लिए तो प्रिया को छोड़ पाना और भी ज़्यादा मुश्किल काम है.”
“आज जिसे तुम मेरी महानता कह रही हो. कल यही बात जब लोगों को पता चलेगी तो, वो ये ही कहेगे कि, मेरी खुद की दो बेटियाँ थी, इसलिए मैने पुन्नू की सग़ी बहन को उस से दूर कर दिया. क्योकि मैं एक सौतेली……”
अभी छोटी माँ अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि, मैने फ़ौरन ही उनकी बात को बीच मे ही काट कर, गुस्से मे भड़कते हुए कहा.
मैं बोला “छोटी माँ, कौन लोग, कैसे लोग, आप लोगों के कुछ कहने की परवाह मत कीजिए. मैं मानता हूँ कि, आपने जो फ़ैसला लिया है. बिल्कुल सही फ़ैसला लिया है. मैं आपके इस फ़ैसले के साथ हूँ.”
“लेकिन अपने मूह से दोबारा कभी भी इस बात को मत निकलने देना कि, आप मेरी सौतेली माँ है. आप सिर्फ़ मेरी माँ है. मेरे लिए आपसे बढ़ कर, दुनिया मे ना तो कोई था, ना ही कोई है और ना ही कभी कोई होगा.”
मेरी बात सुनकर, छोटी माँ के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और बाकी सब भी हँसे बिना ना रह सके. वहीं जब वाणी दीदी ने मुझे ये कहते सुना तो, प्यार से मेरे सर के पिछे चपत लगा दी.
लेकिन वाणी दीदी की ये प्यार से लगाई चपत भी इतनी जोरदार थी कि, मैं अपने सर के पिछे हाथ फेरने लगा और सब वाणी दीदी को गौर से देखने लगे. वाणी दीदी को भी अपनी इस ग़लती का अहसास हुआ और उन्हो ने बात को संभालते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “ये पहले से बहुत समझदार हो गया है. लेकिन गुस्सा अभी भी इसकी नाक पर ही बैठा रहता है. पता नही इसकी ये ज़रा ज़रा सी बात पर गुस्सा करने की आदत कब जाएगी.”
वाणी दीदी की बात सुनकर, एक बार फिर सबकी हँसी छूट गयी. अब जब हँसी मज़ाक चल रहा हो और सीरू दीदी चुप रह जाए. ऐसा कैसे हो सकता था. उन्हो ने वाणी दीदी की बात सुनते ही, फ़ौरन सबको अपनी उपस्तिथि का अहसास कराते हुए कहा.
सीरत बोली “यदि इसके गुस्सा करने के बाद, आप इसे ऐसी ही प्यार भरी चपत लगाती रही तो, मुझे उम्मीद है कि, इसका गुस्सा जाना तो दूर की बात है, आना भी भूल जाएगा.”
सीरू दीदी की बात सुनकर, एक बार फिर सबके क़हक़हे गूँज गये. अब सबके चेहरो पर मुस्कुराहट नज़र आ रही थी. लेकिन नेहा किसी गहरी सोच मे पड़ी हुई थी. वाणी दीदी नेहा को किसी सोच मे पड़ा देखा तो, सबका ध्यान अपनी तरफ खिचते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “हमने इस बात का फ़ैसला तो कर लिया कि, प्रिया अभी पद्मिनी आंटी के पास ही रहेगी. लेकिन किसी ने ये नही सोचा कि, नेहा तो पद्मिनी आंटी की बेटी है और अब उनके साथ ही रहेगी.”
“अब यदि नेहा पद्मिनी आंटी के साथ रहेगी तो, हमे प्रिया को नेहा के बारे मे कुछ तो बताना ही पड़ेगा कि, वो अब उसके घर मे किस हैसियत से रह रह रही है. ये बात तो हम प्रिया से छुपा कर रख नही सकते.”
वाणी दीदी के मूह से नेहा के पद्मिनी आंटी की असली बेटी होने की बात सुनकर मुझे एक झटका सा लगा. क्योकि अभी तक मैं पद्मिनी आंटी की असली बेटी कौन है, इस बात से पूरी तरह से अंजान था.
लेकिन नेहा के पद्मिनी आंटी की बेटी होने की बात पता चलते ही, मुझे ये बात भी समझ मे आ गयी कि, दुर्जन ही वो आदमी था, जो प्रिया को बचपन मे लेकर भागा था. मगर उसने ऐसा क्यो किया था, ये बात अभी भी मेरे लिए एक राज़ ही थी.
मैं अभी इसी सोच मे खोया हुआ था कि, तभी वाणी दीदी की बात सुनते ही, राज ने तपाक से कहा.
राज बोला “दीदी, इसमे परेशानी वाली कोई बात नही है. नेहा और प्रिया दोनो ही हमारी बहन है. हम पुन्नू की जगह नेहा को प्रिया की जुड़वा बहन बता देगे और बाकी की कहानी वो ही बता सकते है, जो अभी है.”
राज की ये बात सभी को सही लगी और सबने इस बात पर अपनी सहमति दे दी. इस बात को सुनते ही, नेहा के चेहरे पर भी खुशी झलकने लगी. आख़िर उस घर की असली बेटी तो, वो ही थी और उसको अनदेखा किए जाने से उसका परेशान होना भी ग़लत नही था.
लेकिन वाणी दीदी की समझदारी ने उसके मन के इस डर को भी अलग कर दिया था और अब सब खुश नज़र आ रहे थे. लेकिन अब नेहा के पद्मिनी आंटी की बेटी होने की बात ने मेरे मन मे बहुत सारे सवाल पैदा कर दिए थे.
|