MmsBee कोई तो रोक लो
09-11-2020, 01:54 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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हम लोगों के कोलकाता पहुचने की खबर मम्मी और रिचा आंटी को पहले ही दे दी गयी थी. मम्मी ने ये बात चंदा मौसी को भी बता दी थी. हम जब कोलकाता पहुचे तो, सबसे पहले चंदा मौसी को देखने हॉस्पिटल गये.

लेकिन चंदा मौसी ने दुर्जन को देखते ही उनकी तरफ से अपना मूह फेर लिया. तब वाणी दीदी ने उनको समझाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मौसी, दुष्यंत मौसा जी की ग़लती माफ़ करने लायक नही है. फिर भी हम सब ने इन्हे माफ़ कर दिया है. अब आप भी अपना गुस्सा ख़तम कीजिए और इनको माफ़ कर दीजिए.”

वाणी दीदी की ये बातें सुनकर, भी चंदा मौसी की नाराज़गी दूर नही हुई और उन ने दुष्यंत मौसा जी को खरी खोटी सुनाते हुए, वाणी दीदी से कहा.

चंदा मौसी बोली “वाणी बेटा, मैने इन के होते हुए भी अपनी जिंदगी के 15 साल किसी विधवा की तरह ही बिताए है. मैं इस बात के लिए तो, इन्हे माफ़ कर सकती हूँ. लेकिन इन्हो ने जो पुन्नू बाबा की जान लेने की कोसिस की है. उसके लिए मैं इन्हे कभी माफ़ नही कर सकती.”

चंदा मौसी उस समय सच मे बहुत गुस्से मे लग रही थी. इतने सालों मे पहली बार मैं उन्हे किसी पर गुस्सा होते देख रही थी. मम्मी, वाणी दीदी, रिचा आंटी, मौसी सब उन्हे समझा के हार गये.

लेकिन चंदा मौसी ने अपनी ज़िद नही छोड़ी. आख़िर मे मम्मी ने उन्हे तुम्हारी कसम देकर दुष्यन मौसा जी को माफ़ करने को कहा. तब जाकर चंदा मौसी ने दुष्यंत मौसा जी को इस शर्त पर माफ़ किया कि, वो उनके सामने तुमसे माफी माँगेगे.

इसके बाद, वाणी दीदी ने मुझे अमि निमी के साथ घर भेज दिया. घर मे बुआ जी (वाणी की माँ) अकेली थी. हम घर पहुचे तो, वो हॉस्पिटल का हाल चाल पूछने लगी. मैने उन्हे हॉस्पिटल की सारी कहानी सुना दी.

इसके बाद मैं वही हाल मे आराम करने लगी और लेटे लेटे मेरी नींद लग गयी. फिर मेरी नींद डोरबेल की आवाज़ सुनकर खुली. लेकिन मैं आँख बंद करके लेटी रही. बुआ जी ने जाकर दरवाजा खोला तो, मुझे वाणी दीदी की आवाज़ सुनाई दी.

बुआ जी उनसे भी हॉस्पिटल का हाल चाल लेने लगी. वाणी दीदी ने भी उन्हे वही सब बताया, जो मैने बुआ जी को बताया था. वाणी दीदी ने मुझे सोते देखा तो, वो बुआ जी से मेरी तबीयत का पुच्छने लगी.

तब बुआ जी ने उनको बताया कि, मुझे थकान हो रही थी. इसलिए यहाँ लेटे लेटे मेरी नींद लग गयी. मुझे सोया हुआ जानकार, बुआ जी ने वाणी दीदी से कहा.

बुआ जी बोली “वाणी बेटा, पुन्नू के साथ इतना सब कुछ हो रहा है. उस लड़के के मन मे इस सबको लेकर हज़ारों सवाल होंगे. क्या तुम लोगों को नही लगता कि, उसे अब सारी सच्चाई बता देनी चाहिए.”

बुआ जी की बात सुनकर, थोड़ी देर के लिए खामोशी च्छा गयी. शायद वाणी दीदी ये पक्का कर रही थी कि, मैं कहीं जाग तो नही रही हूँ. फिर शायद उनको लगा कि, मैं सो रही हूँ तो, उन्हो ने बुआ जी की इस बात का जबाब देते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मोम, पुन्नू को सच्चाई बताना इतना आसान नही है. वो बहुत भोला और भावुक है. वो किसी भी बात मे अपने दिमाग़ से नही, दिल से काम लेता है. यही वजह है कि, उसे किसी भी ग़लत बात पर बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है.”

“उसके मन मे किसी के लिए छल कपट नही है और वो किसी की भी ग़लती को माफ़ कर सकता है. लेकिन उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी ये है कि, वो अपनी माँ और बहनो के खिलाफ कोई भी ग़लत बात नही सुन सकता.”

“ऐसे मे यदि उसे पता चले कि, मौसी (छोटी माँ) और चंदा मौसी की जिंदगी बर्बाद करने मे उसके बाप का हाथ है तो, वो अपने बाप के खिलाफ ही खड़ा हो जाएगा. बस इसी वजह से सब उसे सचाई बताने से हिचकिचा रहे है.”

“अनु मामी (कीर्ति की माँ) ने उसे उसकी माँ के बारे मे थोड़ा बहुत बताया है. लेकिन पूरी सच्चाई बताने की उनकी हिम्मत भी नही हुई. हम उसे ये कैसे बताए की, उसकी जिंदगी मे जो भी तूफान उठ रहे है, उसकी वजह उसका बाप है.”

इतना बोल कर वाणी दीदी चुप हो गयी. शायद वो इसी बारे मे कुछ सोच रही थी. तभी उनका मोबाइल बजा और मोबाइल पर बात करने के बाद, वो बुआ जी को जता कर फिर से वापस चली गयी.

इसके बाद इस सब के बारे मे कोई खास बात नही हुई. हम ने दुष्यंत मौसा जी और नेहा को वही चंदा मौसी के पास छोड़ा और शाम की फ्लाइट से हम लोग वापस मुंबई आ गये.

अब आगे की कहानी पुन्नू की ज़ुबानी….

अपनी इतनी बात बोल कर कीर्ति चुप हो गयी. कीर्ति की बातों से मुझे इतना तो समझ मे आ चुका था कि, मेरे बाप ने कोई ऐसा ग़लत काम किया है. जिसकी वजह से दुर्जन हमारे परिवार का दुश्मन बन गया.

लेकिन मेरी समझ मे ये नही आ रही थी कि, वाणी दीदी ने ये क्यो कहा कि, छोटी माँ और चंदा मौसी की जिंदगी बर्बाद करने मे मेरे बाप का हाथ है. मैं अभी इसी सोच मे गुम था कि, तभी कीर्ति ने मुझे टोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “क्या हुआ, अब क्या सोच रहे हो.”

मैं बोला “ये तो तूने अधूरी बात बताई है. इस बात से ना तो ये समझ मे कहा आ रहा है कि, मेरे बाप की किस हरकत की वजह से दुर्जन हमारे परिवार का दुश्मन बना है और ना ही ये समझ मे आ रहा है कि, वाणी दीदी ने ये क्यो कहा कि, छोटी माँ और चंदा मौसी की जिंदगी बर्बाद करने मे मेरे बाप का हाथ है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने इस बात से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मेरे सामने जितनी बातें हुई थी, उतनी बातें मैने तुम्हे बता दी. बाकी की बातें तो मैं खुद भी नही जानती. ये सारी सच्चाई तो मम्मी, मौसी, रिचा आंटी या वाणी दीदी ही तुमको बता सकती है.”

“मैं तो सिर्फ़ इतना कह सकती हूँ कि, जब भी तुम्हे उन सब बातों के बारे मे पता चले, तुम अपने दिल से नही दिमाग़ से काम लेना. वाणी दीदी और बाकी सब के डर को सही साबित मत होने देना.”

मैं बोला “तू ठीक कहती है, मुझे अपने आपको बदलना होगा. मुझे अपनी भावनाओं पर काबू करना सीखना ही होगा.”

मेरी ये बात सुनकर, कीर्ति ने मेरा मज़ाक उड़ाने लगी. मैं उसे ऐसा करने से रोकने को कोसिस करता रहा. लेकिन उसकी शरारत सुरू हो चुकी थी. उसकी इन्ही शरारतों के चलते रात के 3 बज गये.

इसके बाद वो सुबह देर से नींद खुलने की बात कह कर, अपने कमरे मे सोने चली गयी. उसके जाने के बाद, मैं उसकी कही बातों को सोचता रहा और उन्ही सब बातों को सोचते सोचते मुझे पता ही नही चला कब मेरी नींद लग गयी.

फिर मेरी नींद सुबह 9 बजे अमि के जगाने पर खुली. वो पिंक कलर की फ्रॉक पहने मेरे सामने खड़ी. सुबह सुबह उसका खिला हुआ चेहरा देख कर, मेरा दिल खुश हो गया और मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “तू सुबह सुबह तैयार होकर कहाँ जा रही है.”

मेरी बात सुनकर, अमि ने तुनक्ते हुए कहा.

अमि बोली “भैया आप फिर भूल गये. आज हमे घूमने जाना है.”

उसकी इस बात के जबाब मे मैने अपने कान पकड़ते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी, मुझे तो याद ही नही था. लेकिन क्या तू अकेली ही घूमने जाएगी. ये निमी कहाँ है.”

मेरी इस बात के जबाब मे अमि ने कहा.

अमि बोली “निमी तैयार हो रही है. मैं आपको उठाने आई हूँ. आप जल्दी से तैयार हो जाइए.”

उसकी इस बात के जबाब मे मैं उठ कर बैठ गया और वो मुझसे एक दो बातें करने के बाद कमरे से बाहर चली गयी. उसके जाते ही, मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं तैयार हुआ और कमरे से बाहर आ गया.

बाहर कीर्ति, अमि निमी और बरखा दीदी सब तैयार बैठे थे. मुझे देखते ही, कीर्ति चाय लेने चली गयी. उसने मुझे चाय नाश्ता लाकर दिया और चाय नाश्ता करने के बाद, 10:30 बजे हम सब घूमने के लिए निकल गये.

बरखा दीदी हुमारे साथ थी इसलिए हमे मुंबई घूमने मे कोई परेशानी नही होना थी. इसके बाद भी मैं प्रिया के पास ना जा पाने की वजह से कुछ परेशान सा था. लेकिन मैने अपनी ये परेशानी किसी पर जाहिर नही होने दी.

हम मुंबई घूम रहे थे, तभी 12 बजे शिखा दीदी का खाने के लिए फोन आया. लेकिन हम ने उनसे बाहर ही खाना खा लेने की बात कही और हम एक रेस्टोरेंट मे खाना खाने के लिए चले गये.

रेस्टोरेंट मे खाना खाने के बाद, हम फिर से मुंबई घूमने मे लग गये. हम 3 बजे तक मुंबई घूमते रहे और फिर उसके बाद हम सब प्रिया के पास हॉस्पिटल जाने के लिए निकल पड़े.

हम हॉस्पिटल पहुचे तो प्रिया के पास रिया, निक्की, नितिका और मोहिनी आंटी थी. प्रिया की तबीयत अब सही नज़र आ रही थी. लेकिन उसने मुझे देखते ही, अपना मूह फूला लिया और आँख बंद करके लेट गयी.

अमि निमी मेरे साथ थी, इसलिए मैने प्रिया को इस बात मे अपनी सफाई देना ठीक नही समझा और निक्की से बात करने लगा. लेकिन जो हाल प्रिया का था, वो ही हाल निक्की का भी था. वो भी मुझसे सही से बात नही कर रही थी.

प्रिया और अमि निमी के चक्कर मे, मैं ये बात बिल्कुल ही भूल गया था कि, अभी निक्की भी मुझसे नाराज़ चल रही है और मुझसे सिर्फ़ काम की बातें ही कर रही है. मेरे लिए उसको मनाना भी बहुत ज़रूरी था.

मगर निक्की को मनाने से कहीं ज़्यादा ज़रूरी काम, प्रिया और अमि निमी के बीच मेल कराना था. लेकिन मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, प्रिया और अमि निमी के बीच मेल किस तरह से कराया जाए.

मैं इसी उलझन मे उलझा कभी प्रिया, कभी निक्की तो, कभी अमि निमी को देख रहा था. जबकि कीर्ति मज़े से मोहिनी आंटी से बात करने मे लगी थी. रात को मेरी कीर्ति से अमि निमी से बात हो चुकी थी.

मगर अभी कीर्ति का ध्यान इस बात पर नही था. थोड़ी देर बाद जब कीर्ति का मोहिनी आंटी से बात करना बंद हुआ तो, उसका ध्यान मेरी तरफ गया. मुझे देखते ही, उसे समझ मे आ गया कि, मैं किस बात से परेशान हूँ.
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