Kamukta kahani अनौखा जाल
09-12-2020, 12:40 PM,
#8
RE: Kamukta kahani अनौखा जाल
भाग ८)

अगले दिन सुबह, रोज़ की तरह ही चाचा ऑफिस चले गए टाइम पे और मैं भी अपने कोचिंग खत्म कर नहा धो कर नाश्ते के लिए बैठ गया | टेबल पर जब चाची खाना सर्व कर रही थी तब मैंने उनके चेहरे को पढ़ने की कोशिश की | हाव भाव से तो वो शांत थी पर चिंता और दुविधा की मार चेहरे पर साफ़ झलक रही थी | वो भी प्रयास कर रही थी की मैं कुछ समझ ना पाऊँ पर अब तक तो बहुत देर हो चुकी थी | कारण ना सही पर किसी संकट का अंदेशा तो मैंने कर ही लिया था और जानने के लिए अपने कमर भी कस चुका था | बस देर थी तो सिर्फ शुरुआत करने की ---- और शुरुआत को शुरू करने के लिए एक क्लू की ज़रूरत थी जोकि अभी मेरे पास थी नहीं | पर शायद किस्मत जल्द ही मेहरबान होने वाला था मुझ पर |

जैसे ही नाश्ता खत्म कर हाथ मुँह धोने के लिए उठा, मैंने देखा की अन्दर किचेन में, सब्जी बना रही चाची के चेहरे पर उनके सामने वाले खिड़की से एक कागज़ का टुकड़ा आ कर लगा | समझते देर न लगी की किसी ने यह कागज़ चाची पर खिड़की के रास्ते उनपर फेंकी है | जल्दी जा कर कागज़ फेंकने वाले को देख भी नहीं सकता था, इससे चाची को शक हो जाता | चेहरे पर कागज़ का टुकड़ा आ कर लगते ही चाची ने ‘आऊऊ’ से आवाज़ की ...... ---

खिड़की से झाँक कर देखने की कोशिश भी की कि किसने फेंका है... पर शायद उन्हें भी कोई नहीं दिखा | चाची का अगला कदम मुझे पता था इसलिए पहले ही खुद को एक सेफ जगह में छुपा कर उनपर नज़र रखा | चाची ने टेबल की तरफ़ देखा, मुझे वहाँ ना देख कर थोड़ी निश्चिंत हुई, फिर किचेन से एक कदम बाहर आ कर भी उन्होंने इधर उधर देखा.. मुझे कहीं न पा कर चैन की सांस ली और उस मुड़े हुए कागज़ की टुकड़े को ठीक कर उसे देखने लगी |

शायद कुछ लिखा था उसमे ---- और शायद ज़रूर कुछ ऐसा लिखा था जिसका कदाचित उन्होंने कल्पना तक नहीं की होगी |

उन्होंने जल्द ही उस कागज़ को फाड़ कर, अच्छे से छोटे छोटे टुकड़े कर के डस्टबिन में फेंक दिया | फिर कुछ देर वहीँ खड़ी खड़ी अपने मंगलसूत्र से खेलते हुए खिड़की से बाहर देखते हुए कुछ सोचती रही | फिर अपने काम में लग गई | मैं हाथ मुँह धो कर अपने रूम में चला गया |

करीब आधे घंटे बाद चाची ने नीचे से आवाज़ दिया.. मैं गया | जा कर क्या देखता हूँ की चाची ब्लड रेड कलर की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज जिसके बाँह के किनारों पे गोल्डन थ्रेड से सिलाई की गई है, पहन कर तैयार खड़ी है | हाथ में एक पर्स है... कम ऊँचाई की हील वाली रेडिश ब्राउन कलर की सेंडल पहनी है |

जब मैं उनके सामने पहुँचा तब वो आगे की ओर थोड़ा झुक कर अपने पैरों के पास साड़ी के हिस्से को ठीक कर रही थी | ठीक करते करते कहा, “अभय, सुनो, मुझे थोड़ा बाहर जाना है.. मैंने खाना बना कर रख दिया है.. टाइम पर खा लेना.... ठीक है?”

‘ठीक है’

कहते हुए उन्होंने नज़र उठा कर मेरी और देखा और पाया की मेरी नज़रें उनकी ब्लाउज के अन्दर से झांकते उभारों पर थीं ; पर उन्होंने इस पर कोई रिएक्शन नहीं दिया और साड़ी को ठीक करने के बाद एक बार फिर समय पर खा लेने वाली हिदायत दुबारा देते हुए बाहर चली गई ----

उस साड़ी ब्लाउज में चाची इतनी ज़बरदस्त दिख रही थी की मेरे लंड बाबाजी ने बरमुडा के अन्दर तुरंत फनफनाना शुरू कर दिया | चाची का ब्लाउज आगे और पीछे, दोनों तरफ़ से डीप कट था … क्लीवेज तो दिख ही रही थी, साथ ही मांसल बेदाग साफ़ पीठ का बहुत सा हिस्सा भी दिख रहा था --- और इसलिए चाची पीछे से भी ए वन लग रही थी |

आज अचानक से मेरा सब्र का बाँध टूट गया --- मैंने सोच लिया की आज कुछ तो पता लगा कर ही रहूँगा | ऐसा ख्याल आते ही मैं लपका अपने रूम की तरफ़, तैयार होने के लिए.... पाँच मिनट से भी कम समय में मैं तैयार हो कर ताला लगा कर बाहर निकला... सामने रोड की ओर देखा.. चाची नहीं दिखी... सामने ही एक मोड़ था... शायद चाची उस मोड़ पे मुड़ चुकी हो.. ऐसा सोचते हुए मैंने झट से अपना स्कूटर निकाला और दौड़ा दिया उस मोड़ तक... मोड़ पर पहुँच कर मैंने स्कूटर रोक कर इधर उधर नज़र दौड़ाया.. देखा सामने एक कनेक्टिंग रोड पे कुछ आगे एक लाल रंग की वैन खड़ी है और चाची उसमें घुस रही है !

उनके घुसते ही वैन का दरवाज़ा बंद हुआ और चल पड़ा | मैंने भी अपना स्कूटर लगा दिया उस वैन के पीछे पर एक अच्छे खासे डिस्टेंस को मेन्टेन करते हुए | बहुत जल्द ही वो वैन हवा से बातें करने लगा; पर मैंने भी आज हर कीमत पर चाची का पीछा करने का ठान रखा था --- सो, स्पीड मैंने भी बढ़ा दिया ...... रास्ते में लोग और दूसरी गाड़ियाँ भी थीं पर वैन जिस खूबसूरती के साथ सबके बीच से अपने लिए रास्ता बनाते हुए आगे बढ़ रहा था, उससे वैन का चालक कोई बहुत ही बढ़िया पेशेवर मालूम हो रहा था | वैन का चालक जिस तरह से वैन को सबके बीच से आसानी से ले जा रहा था; वैसा तो मैं अपने स्कूटर से भी नहीं कर पा रहा था ....

एक तो मुझे काफ़ी दूरी बना कर चलना पड़ रहा था और ऊपर से रोड पर मौजूद भीड़ |

खैर, थोड़ी ही देर में, मैंने खुद को एक बहुत ही अजीब सी, या यूँ कहें की एक गरीब सी बस्ती में पाया... एक मोहल्ले की छोटे तंग रास्तों से हो कर गुज़रते हुए वह वैन एक जगह रोड के बायीं तरफ़ रुका,... बहुत दूर एक पान दुकान थी... और मेरे आस पास बहुत से टूटे फूटे झोंपड़ी या कच्चे मकान के घर थे, जिनमें शायद अब कोई नहीं रहता होगा | हाँ, जिस जगह वैन रुकी थी उसके ठीक सामने ... मतलब रोड के दूसरी तरफ़ एक टेलर की दुकान थी | मैंने अपने स्कूटर को बहुत पीछे एक चाय वाले के पास छोड़ कर वापस वहां पहुँचा.. देखता हूँ की सब के सब वैन से उतर कर रोड के उस पार, उस टेलर की दुकान की तरफ़ बढ़ रहे हैं....

दो काफ़ी लम्बे अधेड़ उम्र के आदमी थे जो चाची को अपने बीच में रख कर उनके (चाची) के दाएँ-बाएँ हो कर चल रहे थे .. दोनों आदमी के दाढ़ी बढ़ी हुई थी और उन दोनों ने थोड़े मैले से कुरते और पजामे पहन रखे थे | दोनों की बीच चलने वाली औरत मेरी चाची ही थी ये मैंने पहचाना उनके साड़ी से... मेरा मतलब चाची जब घर से निकली थी तो साड़ी में थी पर अभी जब वो उतरी तो उन्होंने एक बुर्का पहन रखा था | इसका मतलब बुर्का उन्होंने वैन में ही पहना होगा | मैंने उन्हें पहचाना उनके बुर्के के नीचे से झांकती उनकी साड़ी, उनके सेंडल और धूप में चमचम करके चमकती उनकी अंगूठियों की सहायता से | सिर से लेकर पैर तक मैं अतुलनीय आश्चर्य से भरा हुआ था की आखिर माजरा क्या है..

सब उस टेलर की दूकान में प्रवेश कर गए | इधर वैन के चालक वाले सीट से एक और आदमी उतरा.. ज़रूर यही चालक होगा ... हाइट में बाकी दोनों से कम था, थोड़ा मोटा भी था ... दाढ़ी नहीं थी उसकी पर मूछें बहुत लम्बी थीं ... उसने भी कुरता पजामा पहन रखा था | वैन से उतर कर थोड़ी अंगड़ाईयाँ ली और कुरते के पॉकेट से एक बीड़ी निकाल कर सुलगा लिया और लम्बे लम्बे कश लेते हुए गाड़ी के आस पास ही टहलने लगा | मैं एक टूटे झोंपड़े की एक टूटी खिड़की के पीछे से ये सब देख रहा था और बड़ी ही बेसब्री से उन लोगों के, खास कर चाची के लौट आने की प्रतीक्षा करने लगा... दिल भी बहुत घबरा रहा था मेरा ये सोच कर की न जाने क्या सलूक हो रहा था अन्दर चाची के साथ | आस पास के दुर्गन्ध और मच्छरों के डंक से परेशान मुझे वहाँ बैठे बैठे करीब चालीस मिनट हो गए | टेलर की दूकान के दरवाज़े में आवाज़ हुआ.. दरवाज़े पर बड़ा सा पर्दा भी था...जो अब थोड़ा उठा... और अन्दर से वही दोनों आदमी चाची को बुर्के में लेकर बाहर निकले.. और वैन की तरफ़ चल दिए | रोड पार कर वैन के पास जाकर खड़े हो गए | मुझे लगा की अब फिर इनका पीछा करना पड़ेगा ... अभी वे लोग वैन के पास आकर खड़े ही हुए थे की दो – तीन मिनट बीतते बीतते एक और ग्रे रंग की वैन आ कर उनके बगल में रुकी ! फिर उन दो में से एक आदमी उस वैन में चढ़ा, फिर मेरी चाची और फिर दूसरा आदमी चढ़ा | तीनो के वैन में बैठते ही, वैन तेज़ी से दूसरी तरफ़ निकल गयी |

मैं हैरत और भौचक्का सा उन्हें जाते देखता रहा ..... वैसे भी इस परिस्तिथि में मेरे पास करने के कुछ ना था ----

थोड़ी बहुत जासूसी कर रहा हूँ तो इसका मतलब ये थोड़े है की मैं भी कोई व्योमकेश बक्शी या सुपर कमांडो ध्रुव हूँ ...!

उस वैन के जाने के बाद टेलर दूकान से एक अधेड़ उम्र का आदमी निकला... सच कहूं तो उसकी उम्र कुछ ज़्यादा ही लग रही थी | उसने दुकान के दरवाज़े बंद किये, ताले लगाए और उस वैन में जा कर बैठ गया | उसके बैठते ही वैन भी वहाँ से चल दिया |

यहाँ दो बातें बताना ज़रूरी है, पहला तो ये की जब वे दोनों आदमी चाची को ले कर उतरे थे तब मैंने उनके चेहरों पर गौर किया था | कद काठी से तो यहाँ के नहीं लग रहे थे, साथ ही उनके चेहरे की रंगत भी अजीब सी थी.. सफ़ेद सफ़ेद सी... और ऐसी रंगत मैं टीवी पर कश्मीरियों के देखे थे ! दूसरी बात यह की जब चाची टेलर दुकान से निकली तब मैंने जो देखा था, उसे देख कर तो मेरा दिमाग ऐसा घुमा, ऐसा घूमा की मैं बेहोश होते होते बचा था | कारण था की जब चाची टेलर की दूकान से निकली तब भी बुर्के में ही थी पर पता नहीं क्यूँ मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे मैं इतनी दूर से भी चाची के प्रत्येक अंग प्रत्यंग को भली भांति न सिर्फ देख सकता हूँ, बल्कि उनके जिस्म के हरेक कटाव को भी महसूस कर सकता हूँ !! यहाँ तक कि बुर्के के नीचे से जो थोड़ी बहुत भी चाची की साड़ी पहले दिख रही थी, वो भी मुझे इस बार नहीं दिखी !

मन घोर आशंकाओं से भर उठा था |

कुछ देर वहीँ रुकने के बाद मैंने अन्दर जाने का फैसला किया | यह ऐसा इलाका था जहां इंसान तो छोड़िये, दूर दूर तक एक पक्षी तक नहीं दिख रही थी | मैंने दौड़ कर रोड पार किया और एक पुरानी टूटे मकान के छत पर से कूद कर मैं उस टेलर वाले दुकान के मकान के छत पर जा पहुँचा | ऊपर की ही एक टूटी खिड़की से अन्दर दाखिल हुआ | चारों तरफ़ सिलाई के काम आने वाले कपड़ों के टुकड़े और धागे रखे और गिरे हुए थे | दूसरा कमरे का हाल भी कमोबेश कुछ ऐसा ही था | तीसरे कमरे में देखा ढेर सारे छोटे बड़े डब्बे रखे हुए थे | उन्हें खोल कर देखा तो उनमें रंग बिरंगे धागे पाया | उस रूम को छोड़ बाहर निकला और सीढ़ियों के रास्ते नीचे उतरा.. नीचे दो कमरे थे | एक जहां सिलाई होती है, सिलाई मशीन भी रखे थे ...ये शायद सामने से दूकान में घुसते ही पड़ने वाला कमरा होगा...

मैं दूसरे कमरे में गया --

अँधेरा था वहाँ ... शायद कपड़े बदलने वाला रूम होगा | पहले सोचा की छोड़ो यार, कौन जाता है फिर ना जाने क्या सोचते हुए मैं अन्दर चला ही गया | रूम में अँधेरा था तो देखने के लिए मैंने स्विच बोर्ड ढूंढ कर लाइट ऑन किया और फिर जो मैंने देखा वो देख कर तो मैं खुद के कुछ भी सोचने समझने की शक्ति मानो खो ही दिया | सामने मेरी चाची के वही ब्लड रेड कलर की साड़ी और वही गोल्डन थ्रेड सिलाई वाला मैचिंग ब्लाउज नीचे मेज पर गिरी हुई थी !! साथ ही एक पेटीकोट, एक पैंटी और एक सफ़ेद ब्रा भी उन पर रखी हुई मिली!! मेरा दिमाग तो जैसे सुन्न सा हो गया ..... त.... तो क्या...इस ....इसका मतलब चाची अपने कपड़े यहीं छोड़ उन लोगों के साथ नंगी ही कहीं चली गई ... ऑफ़ कोर्स उन्होंने बुर्का पहना था... पर थी तो नीचे से नंगी ही ..!

मेरा सिर चकराया और मैं पीछे की तरफ़ गिरा पर पीछे रखे एक लकड़ी के अलमारी से टकरा गया | मेरे टकराने से अलमारी के अन्दर कुछ भारी सा आवाज़ हुआ | खुद को थोड़ा संभाल कर मैं उठा और बिना ताला लगे अलमीरा के दरवाज़े को खोला... अब एक बार फिर और पहले से कहीं ज़्यादा चौकने की बारी थी मेरी | अलमारी में कई तरह के, छोटे बड़े और अलग अलग से दिखने वाले हथियार जैसे की हैण्ड ग्रेनेड्स, पिस्तौल, एके 47, जैकेट्स और और भी कई तरह के हथियार करीने से सजा कर रखे हुए थे | दिमाग अब भन्न भन्न से बज रहा था मेरा... खतरे की घंटी तो बज ही रही थी... और जो ख्याल मेरे जेहन में आ रहे थे, की ‘हे भगवान !.... ये कहाँ और किन लोगों के बीच है चाची...?? कहाँ फंस गई वो?’

क्रमशः

*********************************
Reply


Messages In This Thread
RE: Kamukta kahani अनौखा जाल - by desiaks - 09-12-2020, 12:40 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,506,034 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,914 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,233,822 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 932,966 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,656,597 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,083,262 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,955,151 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,069,428 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,037,166 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 285,320 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)